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वर्चस्व और अहम की लड़ाई में झुलसती दौसा सीट - Dr. Kirodi Lal Meena

राजस्थान के राजनीतिक जमीन को साधने में जुटी भाजपा के लिए दौसा सीट किसी ब्लॉक बस्टर पिक्चर की तरह हो गई है. अहम और वर्चस्व के बीच उलझी इस सीट को लेकर भाजपा कोई निर्णय नहीं कर पा रही है....

भाजपा अभी तक दौसा सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं कर पाई है।
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Published : Apr 10, 2019, 3:20 PM IST

दौसा . राजस्थान के सियासी जमीन को साध रही भाजपा के लिए 'दौसा की गुत्थी' अनसुलझी पहेली बनती जा रही है. इस सीट के साथ जुड़े अहम और वर्चस्व की लड़ाई में हर किरदार अपनी मांग पर अडिग हैं. नेताओं के वर्चस्व के बीच सियासी गणित को समझ रहे भाजपा आलाकमान किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. खास बात यह है कि दौसा सीट के इस पिक्चर में एक तरफ निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला और उनकी पत्नी तो दूसरी तरफ वरिष्ठ नेता डॉ किरोड़ी लाल मीणा और उनकी पत्नी हैं.

राजस्थान में गठबंधन की सीट नागौर के बाद शेष बची 24 सीटों में से 23 पर भाजपा स्थिति साफ कर चुकी है. लेकिन, दौसा सीट पर हुड़ला और किरोड़ी के विवाद के बीच पार्ट के आला नेता भी उलझकर रह गए हैं. पिछले कई दिनों से इस सीट पर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए राजस्थान चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने अपनी तरफ से कोशिश की. उन्होंने हुड़ला और डॉ किरोड़ी को बुलाकर बातचीत भी की, लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकल सका. इस पर जावड़ेकर ने इस सीट को लेकर अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को भेज दी है. अब शाह ही इस पर अंतिम निर्णय करेंगे. वहीं, सूत्रों की मानें तो विधानसभा से चली आ रही हुड़ला और डॉ किरोणी मीणा के बीच का विवाद लोकसभा चुनाव में वर्चस्व और अहम की लड़ाई में बदल गया है. इस सीट पर विधायक ओम प्रकाश हु़ड़ला की पत्नी को टिकट देने की चर्चा सामने आने के बाद से ही डॉ किरोड़ी लाल मीणा खुलकर विरोध में खड़े हो गए हैं.

किरोड़ी और हुड़ला के बीच गहराए विवाद के चलते इस सीट को लेकर भाजपा अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. वहीं, सूत्रों का कहना है कि दौसा सीट से ओमप्रकाश हुड़ला की पत्नी को दिलाने के पक्ष में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे खड़ी हैं. जबकि, हुड़ला को टिकट नहीं देने की बात करते हुए डॉ किरोड़ी ने मोर्चा खोल रखा है. सूत्रों ने बताया कि राजे के हुड़ला के पक्ष में आने के बाद अब इस सीट पर वसुंधरा राजे और डॉ किरोड़ी मीणा आमने-सामने हो चुके हैं. यही वजह है कि भाजपा दौसा सीट को लेकर कोई निर्णय नहीं कर पा रही है. इस विवाद को सुलझाने के लिए जावड़ेकर ने कोशिश की लेकिन बात नहीं बन पाई. ऐसे में दौसा सीट पर अब अंतिम निर्णय पार्टी अध्यक्ष शाह को करना है. सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं के बीच गहराए विवाद को देखते हुए अब पार्टी यहां से किसी नए चेहरे पर भी दांव खेल सकती है.
विधानसभा चुनाव में भी गहराया था विवाद
आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी हुड़ला और किरोड़ी का विवाद खुलकर सामने आया था. हुड़ला महवा सीट से टिकट के दावेदार थे, उनके पक्ष में वसुंधरा राजे भी थी. लेकिन, डॉ किरोड़ी मीणा के विरोध और दबाव के चलते हुड़ला को महवा से टिकट नहीं मिल पाया था. इस पर निर्दलीय रूप में चुनाव लड़ते हुए हुड़ला ने डॉ किरोड़ी के भतीजे को हरा दिया था. इसके बाद अब लोकसभा चुनाव में भी दोनों नेताओं के आपसी खींचतान के चलते कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है.


Conclusion:

दौसा . राजस्थान के सियासी जमीन को साध रही भाजपा के लिए 'दौसा की गुत्थी' अनसुलझी पहेली बनती जा रही है. इस सीट के साथ जुड़े अहम और वर्चस्व की लड़ाई में हर किरदार अपनी मांग पर अडिग हैं. नेताओं के वर्चस्व के बीच सियासी गणित को समझ रहे भाजपा आलाकमान किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. खास बात यह है कि दौसा सीट के इस पिक्चर में एक तरफ निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला और उनकी पत्नी तो दूसरी तरफ वरिष्ठ नेता डॉ किरोड़ी लाल मीणा और उनकी पत्नी हैं.

राजस्थान में गठबंधन की सीट नागौर के बाद शेष बची 24 सीटों में से 23 पर भाजपा स्थिति साफ कर चुकी है. लेकिन, दौसा सीट पर हुड़ला और किरोड़ी के विवाद के बीच पार्ट के आला नेता भी उलझकर रह गए हैं. पिछले कई दिनों से इस सीट पर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए राजस्थान चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने अपनी तरफ से कोशिश की. उन्होंने हुड़ला और डॉ किरोड़ी को बुलाकर बातचीत भी की, लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकल सका. इस पर जावड़ेकर ने इस सीट को लेकर अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को भेज दी है. अब शाह ही इस पर अंतिम निर्णय करेंगे. वहीं, सूत्रों की मानें तो विधानसभा से चली आ रही हुड़ला और डॉ किरोणी मीणा के बीच का विवाद लोकसभा चुनाव में वर्चस्व और अहम की लड़ाई में बदल गया है. इस सीट पर विधायक ओम प्रकाश हु़ड़ला की पत्नी को टिकट देने की चर्चा सामने आने के बाद से ही डॉ किरोड़ी लाल मीणा खुलकर विरोध में खड़े हो गए हैं.

किरोड़ी और हुड़ला के बीच गहराए विवाद के चलते इस सीट को लेकर भाजपा अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. वहीं, सूत्रों का कहना है कि दौसा सीट से ओमप्रकाश हुड़ला की पत्नी को दिलाने के पक्ष में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे खड़ी हैं. जबकि, हुड़ला को टिकट नहीं देने की बात करते हुए डॉ किरोड़ी ने मोर्चा खोल रखा है. सूत्रों ने बताया कि राजे के हुड़ला के पक्ष में आने के बाद अब इस सीट पर वसुंधरा राजे और डॉ किरोड़ी मीणा आमने-सामने हो चुके हैं. यही वजह है कि भाजपा दौसा सीट को लेकर कोई निर्णय नहीं कर पा रही है. इस विवाद को सुलझाने के लिए जावड़ेकर ने कोशिश की लेकिन बात नहीं बन पाई. ऐसे में दौसा सीट पर अब अंतिम निर्णय पार्टी अध्यक्ष शाह को करना है. सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं के बीच गहराए विवाद को देखते हुए अब पार्टी यहां से किसी नए चेहरे पर भी दांव खेल सकती है.
विधानसभा चुनाव में भी गहराया था विवाद
आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी हुड़ला और किरोड़ी का विवाद खुलकर सामने आया था. हुड़ला महवा सीट से टिकट के दावेदार थे, उनके पक्ष में वसुंधरा राजे भी थी. लेकिन, डॉ किरोड़ी मीणा के विरोध और दबाव के चलते हुड़ला को महवा से टिकट नहीं मिल पाया था. इस पर निर्दलीय रूप में चुनाव लड़ते हुए हुड़ला ने डॉ किरोड़ी के भतीजे को हरा दिया था. इसके बाद अब लोकसभा चुनाव में भी दोनों नेताओं के आपसी खींचतान के चलते कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है.


Conclusion:

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वर्चस्व और अहम की लड़ाई में झुलसती दौसा सीट







राजस्थान के राजनीतिक जमीन को साधने में जुटी भाजपा के लिए दौसा सीट किसी ब्लॉक बस्टर पिक्चर की तरह हो गई है. अहम और वर्चस्व के बीच उलझी इस सीट को लेकर भाजपा कोई निर्णय नहीं कर पा रही है....



दौसा . राजस्थान के सियासी जमीन को साध रही भाजपा के लिए 'दौसा की गुत्थी' अनसुलझी पहेली बनती जा रही है. इस सीट के साथ जुड़े अहम और वर्चस्व  की लड़ाई में हर किरदार अपनी मांग पर अडिग हैं. नेताओं के वर्चस्व के बीच सियासी गणित को समझ रहे भाजपा आलाकमान किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. खास बात यह है कि दौसा सीट के इस पिक्चर में एक तरफ  निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला और उनकी पत्नी तो दूसरी तरफ वरिष्ठ नेता डॉ  किरोड़ी लाल मीणा और उनकी पत्नी हैं.

राजस्थान में गठबंधन की सीट नागौर के बाद शेष बची 24 सीटों में से 23 पर भाजपा स्थिति साफ कर चुकी है. लेकिन, दौसा सीट पर हुड़ला और किरोड़ी के विवाद के बीच पार्ट के आला नेता भी उलझकर रह गए हैं. पिछले कई दिनों से इस सीट पर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए राजस्थान चुनाव प्रभारी प्रकाश  जावड़ेकर ने अपनी तरफ से कोशिश की. उन्होंने हुड़ला और डॉ किरोड़ी को बुलाकर बातचीत भी की, लेकिन, कोई नतीजा नहीं निकल सका. इस पर जावड़ेकर ने इस सीट को लेकर अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को भेज दी है. अब शाह ही इस पर अंतिम निर्णय करेंगे. वहीं, सूत्रों की मानें तो विधानसभा से चली आ रही हुड़ला और डॉ किरोणी मीणा के बीच का विवाद लोकसभा चुनाव में वर्चस्व और अहम की लड़ाई में बदल गया है. इस सीट पर विधायक ओम प्रकाश हु़ड़ला की पत्नी को टिकट देने की चर्चा सामने आने के बाद से ही डॉ किरोड़ी लाल मीणा खुलकर विरोध में खड़े हो गए हैं. किरोड़ी और हुड़ला के बीच गहराए विवाद के चलते इस सीट को लेकर भाजपा अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. वहीं, सूत्रों का कहना है कि दौसा सीट से ओमप्रकाश हुड़ला की पत्नी को दिलाने के पक्ष में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे खड़ी हैं. जबकि, हुड़ला को टिकट नहीं देने की बात करते हुए डॉ किरोड़ी ने मोर्चा खोल रखा है. सूत्रों ने बताया कि राजे के हुड़ला के पक्ष में आने के बाद अब इस सीट पर वसुंधरा राजे और डॉ किरोड़ी मीणा आमने-सामने हो चुके हैं. यही वजह है कि  भाजपा दौसा सीट को लेकर कोई निर्णय नहीं कर पा रही है. इस विवाद को सुलझाने के लिए जावड़ेकर ने कोशिश  की लेकिन बात नहीं बन  पाई. ऐसे में दौसा सीट पर अब अंतिम निर्णय पार्टी अध्यक्ष शाह को करना है. सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं के बीच गहराए विवाद को देखते हुए अब पार्टी यहां से किसी नए चेहरे पर भी दांव खेल सकती है.

विधानसभा चुनाव में भी गहराया था विवाद

आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी हुड़ला और किरोड़ी का विवाद खुलकर सामने आया था. हुड़ला महवा सीट से टिकट के दावेदार थे, उनके पक्ष में वसुंधरा राजे भी थी. लेकिन, डॉ किरोड़ी मीणा के विरोध और दबाव के चलते हुड़ला को महवा से टिकट नहीं मिल पाया था. इस पर निर्दलीय रूप में चुनाव लड़ते हुए हुड़ला ने डॉ किरोड़ी के भतीजे को हरा दिया था. इसके बाद अब लोकसभा चुनाव में भी दोनों नेताओं के आपसी खींचतान के चलते कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है.




Conclusion:
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