सरदारशहर (चूरू). सरदारशहर में एक ऐसा मंदिर है, जो पिछले 1 महीने से भगवान ताले में बंद है. शहर के वार्ड नंबर 33 में स्थित श्मशान घाट स्थित भूतनाथ भगवान पिछले 1 महीने से ताले में कैद है. 1 महीने से भगवान की पूजा अर्चना तो छोड़िए साफ सफाई तक नहीं हो रही है. आसपास के श्रद्धालु बड़ी ही श्रद्धा के साथ भगवान की पूजा करने के लिए आते हैं, लेकिन भगवान भूतनाथ की मूर्ति के आगे लगा ताला देखकर व्यथित मन कर वापस लौट जाते हैं.
पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: 700 साल पुराने मंदिर में 18 साल से लगा ताला, ये है बड़ी वजह
मंदिर को छोड़कर चला गया पुजारी
दरअसल, मंदिर में पूजा करने वाला पुजारी 1 महीने पहले अच्छे पैसे नहीं मिलने के चलते मंदिर को छोड़कर चला गया. मंदिर को माहेश्वरी पंचायती ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है. माहेश्वरी पंचायती ट्रस्ट ही इस मंदिर की पूरी देखभाल करता है, लेकिन आसपास के लोगों का कहना है कि मंदिर के पुजारी को ट्रस्ट द्वारा कम पैसे दिए जाते थे. जिसके चलते पुजारी ने मंदिर को छोड़ दिया. अब पिछले 1 महीने से मंदिर में कोई भी पुजारी नहीं होने के चलते मंदिर की मूर्ति के आगे ताला लगा हुआ है.
लोगों ने रखी मंदिर को लेकर ये मांग
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि माहेश्वरी ट्रस्ट मंदिर को मोहल्लेवासियों को सौंप दे तो वह मंदिर में पुजारी की व्यवस्था कर सकते हैं, लेकिन ट्रस्ट द्वारा ना तो मंदिर में पुजारी की व्यवस्था करवाई जा रही है और ना ही मंदिर की साफ सफाई की जा रही है. साथ ही आसपास के लोगों को भी मंदिर सुपुर्द नहीं किया जा रहा है.
श्रद्धालु करते है मंदिर में साफ सफाई
मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि मंदिर में कई बार हम साफ सफाई करते हैं और बाहर से ही मूर्ति की पूजा पाठ करते हैं, लेकिन भगवान के मंदिर के आगे ताला लगा होना बहुत बड़ा पाप है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार किसी भी मूर्ति की एक बार प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद उस मूर्ति की पूरे विधि विधान से पूजा करना अनिवार्य होता है, लेकिन मंदिर में पूजारी नहीं होने के चलते पिछले 1 महीने से मंदिर की पूजा नहीं की जा रही है.
पढ़ें- पांडवों का ऐतिहासिक मंदिर, जो लेता है आठ महीने जलसमाधि, जानें पूरी कहानी..
ये है मंदिर का इतिहास
2004 में भूतनाथ मंदिर के अंदर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. इस भव्य मंदिर का निर्माण हरीश चांडक द्वारा अपने पिता की पावन स्मृति में करवाया गया था. जिसके बाद हरीश चांडक ने मंदिर को माहेश्वरी पंचायत ट्रस्ट को सुपुर्द कर दिया. इसके बाद से ही मंदिर की सारी की सारी जिम्मेदारी माहेश्वरी पंचायत ट्रस्ट के जिम्मे है. मंदिर में आसपास के लोगों की गहरी आस्था है. यह मंदिर श्मशान घाट के एकदम पास स्थित है. श्मशान घाट में आने वाला हर कोई व्यक्ति इस मंदिर में शीश नवाता है.