चूरू. ये पेट की आग जनाब बहुत कुछ करवाती है, इंसान को जाने क्या से क्या बनाती है, कभी एक बच्चे से खिलौने बिकवाती है तो कभी इस देश के भावी भविष्य से भीख मंगवाती है. ये पेट की आग जनाब बहुत कुछ करवाती है, इंसान को जाने क्या से क्या बनाती हैं. उक्त पंक्तियां आज के परिपेक्ष्य में बिल्कुल सही और सटीक बैठती हैं. कोरोना की इस महामारी ने ना सिर्फ लॉकडाउन में गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों का रोजगार छीना है. बल्कि तमाम मेहनतकश मजदूरों के सामने दो वक्त की रोटी का भी संकट खड़ा कर दिया है.
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लोगों का कहना है कि साहब कोरोना से तो नहीं बल्कि भूख से सच में मर जाएंगे. बता दें कि दिनभर मजदूरी करने के बाद जिनके घर शाम को चूल्हा जलता था आज इन घुमक्कड़ जाती के घरों के चूल्हे बिना राशन बिना अनाज सुने पड़े है.
गौरतलब है कि कोरोना वायर के केस लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. जिसके चलते पूरे देश में लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक बढ़ा दी गई है. इसी के साथ गरीब और असाह लोगों पर भी खाने पीने का संकट गहरा गया है. हालांकि प्रशासन अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहा है कि कोई भी भूखा ना सोए, लेकिन इस गांवों की स्थिती तो कुछ और ही बयां कर रही है.