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जवानों को काम देने में विफल सरकार, जिले में होमगार्ड के 541 जवान लेकिन रोजाना ड्यूटी 80 को ही

चूरू जिले में होमगार्ड्स की संख्या 541 है, लेकिन इन होमगार्ड्स में से रोस्टर वाइज 80 होमगार्ड्स को ही रोजाना ड्यूटी मिल रही है. कुछ होमगार्ड्स का कहना है कि उन्हें साल में दो या 3 महीने ही काम मिल रहा है.

Government failed to provide work to home guards होमगार्ड के जवानों को काम देने में विफल सरकार
होमगार्ड के जवानों को काम देने में विफल सरकार
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Published : Dec 12, 2019, 11:40 AM IST

Updated : Dec 12, 2019, 1:11 PM IST

चूरू. गृह रक्षा विभाग की ओर से होमगार्ड्स को जब-जब भी सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो वह बखूबी निभाते है. लेकिन रोजाना ड्यूटी नहीं मिलने से इन होमगार्ड्स के सामने परिवार का पेट पालने का संकट खड़ा हो गया है. यही वजह है कि इन्हें अब मजबूरी में दूसरा काम करना पड़ रहा है.

होमगार्ड के जवानों को काम देने में विफल सरकार

कुछ होमगार्ड है जो परिवार पालने के लिए टैक्सी चला रहे हैं तो कुछ ट्यूशन पढ़ा रहे हैं. कुछ ऐसे हैं जो बर्तन की दुकान पर काम कर रहे हैं तो कुछ सिलाई का काम कर रहे है. हालांकि विभाग इनको कम ड्यूटी मिलने का कारण बता रहा है कि चूरू जिले में ना तो ट्रैफिक व्यवस्था के लिए गार्ड्स की ज्यादा जरूरत पड़ती है और ना ही यहां पर इंडस्ट्रीज है.

पढ़ें: चूरू में जिला खेल स्टेडियम में ओपन जिम का हुआ शुभारम्भ

चुरू जिले में होमगार्ड्स की संख्या 541 है लेकिन इन होमगार्ड्स में से रोस्टर वाइज 80 होमगार्ड्स को ही रोजाना ड्यूटी मिल रही है. कुछ होमगार्ड्स का कहना है कि उन्हें साल में दो या 3 महीने ही काम मिल रहा है. ऐसे में परिवार का पेट पालने के लिए मजबूरी में उन्हें दूसरे काम करने पड़ रहे हैं.

होमगार्ड्स को राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर ट्रैफिक, न्यायालय व आबकारी के साथ ही चुनाव ड्यूटी में भी तैनात किया जाता है. भर्ती से पहले सरकार की ओर से मेडिकल, शिक्षा व शारीरिक दक्षता सहित कई तरह के टेस्ट भी ले जाते हैं लेकिन नियमित ड्यूटी नहीं मिल रही है.

चूरू. गृह रक्षा विभाग की ओर से होमगार्ड्स को जब-जब भी सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो वह बखूबी निभाते है. लेकिन रोजाना ड्यूटी नहीं मिलने से इन होमगार्ड्स के सामने परिवार का पेट पालने का संकट खड़ा हो गया है. यही वजह है कि इन्हें अब मजबूरी में दूसरा काम करना पड़ रहा है.

होमगार्ड के जवानों को काम देने में विफल सरकार

कुछ होमगार्ड है जो परिवार पालने के लिए टैक्सी चला रहे हैं तो कुछ ट्यूशन पढ़ा रहे हैं. कुछ ऐसे हैं जो बर्तन की दुकान पर काम कर रहे हैं तो कुछ सिलाई का काम कर रहे है. हालांकि विभाग इनको कम ड्यूटी मिलने का कारण बता रहा है कि चूरू जिले में ना तो ट्रैफिक व्यवस्था के लिए गार्ड्स की ज्यादा जरूरत पड़ती है और ना ही यहां पर इंडस्ट्रीज है.

पढ़ें: चूरू में जिला खेल स्टेडियम में ओपन जिम का हुआ शुभारम्भ

चुरू जिले में होमगार्ड्स की संख्या 541 है लेकिन इन होमगार्ड्स में से रोस्टर वाइज 80 होमगार्ड्स को ही रोजाना ड्यूटी मिल रही है. कुछ होमगार्ड्स का कहना है कि उन्हें साल में दो या 3 महीने ही काम मिल रहा है. ऐसे में परिवार का पेट पालने के लिए मजबूरी में उन्हें दूसरे काम करने पड़ रहे हैं.

होमगार्ड्स को राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर ट्रैफिक, न्यायालय व आबकारी के साथ ही चुनाव ड्यूटी में भी तैनात किया जाता है. भर्ती से पहले सरकार की ओर से मेडिकल, शिक्षा व शारीरिक दक्षता सहित कई तरह के टेस्ट भी ले जाते हैं लेकिन नियमित ड्यूटी नहीं मिल रही है.

Intro:चूरू। गृह रक्षा विभाग की ओर से होमगार्ड्स को जब- जब भी सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो वह बखूबी निभाते है। लेकिन रोजाना ड्यूटी नहीं मिलने से इन होमगार्ड्स के सामने परिवार का पेट पालने का संकट खड़ा हो गया है। यही वजह है कि इन्हें अब मजबूरी में दूसरा काम करना पड़ रहा है।
कुछ होमगार्ड है जो परिवार पालने के लिए टैक्सी चला रहे हैं तो कुछ ट्यूशन पढ़ा रहे हैं तो वहीं कुछ ऐसे हैं जो बर्तन की दुकान पर काम कर रहे हैं तो कुछ सिलाई का काम कर रहे है। हालांकि विभाग इनको कम ड्यूटी मिलने का कारण बता रहा है कि चूरू जिले में ना तो ट्रैफिक व्यवस्था के लिए गार्ड्स की ज्यादा जरूरत पड़ती है और ना ही यहां पर इंडस्ट्रीज है।


Body:- होमगार्ड्स की संख्या 541 है लेकिन ड्यूटी मिल रही 80 को चुरू जिले में होमगार्ड्स की संख्या 541 है लेकिन इन होमगार्ड्स में से रोस्टर वाइज 80 होमगार्ड्स को ही रोजाना ड्यूटी मिल रही है। कुछ होमगार्ड्स का कहना है कि उन्हें साल में दो या 3 महीने ही काम मिल रहा है। ऐसे में परिवार का पेट पालने के लिए मजबूरी में उन्हें दूसरे काम करने पड़ रहे है।
- इन जगहों पर तैनात किया जाता है
होमगार्ड्स को राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर ट्रैफिक, न्यायालय व आबकारी के साथ ही चुनाव ड्यूटी में भी तैनात किया जाता है। भर्ती से पहले सरकार की ओर से मेडिकल, शिक्षा व शारीरिक दक्षता सहित कई तरह के टेस्ट भी ले जाते हैं लेकिन नियमित ड्यूटी नहीं मिल रही है।


Conclusion:बाइट: एक, प्रमोद कुमार, होमगार्ड।
होमगार्ड प्रमोद कुमार का कहना है कि उन्हें साल में दो या तीन महीने ही काम मिल रहा है। ऐसे में मजबूरी में उन्हें सिलाई का काम कर अपना परिवार पालना पड़ रहा है
बाइट: दो, बाबूलाल, होमगार्ड।
भानगढ़ बाबूलाल का कहना है कि होमगार्ड कि रोजाना ड्यूटी नहीं लगाई जा रही है ऐसे में वे ऑटोरिक्शा चलाकर गुजारा कर रहे है।
बाइट: तीन,गणपत सिंह नरूका, कमांडेंट, गृह रक्षा दल, चूरू।
अभी जिले में 541 होमगार्ड्स है। लेकिन रोस्टर प्रणाली के हिसाब से 80 को रोजाना ड्यूटी पर लगाया जा रहा है। जब जब सरकार की ओर से होमगार्ड की ड्यूटी मांगी जाती है तब तब उपलब्ध करवा दिए जाते है।
Last Updated : Dec 12, 2019, 1:11 PM IST
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