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चूरूः कोरोना संकट की इस घड़ी में मिल रही ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां

चूरू जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर रामसरा गांव के लोगों को संकट की इस घड़ी में ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां मिल रही है. इसकी वजह है गांव के हर दूसरे घर में बने हुए किचन गार्डन. किचन गार्डन की सब्जियां ना केवल लोगों की जरूरत पूरी कर रही हैं, बल्कि ज्यादा होने पर पड़ोसियों को भी दे रहे हैं.

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ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां
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Published : May 26, 2020, 2:09 PM IST

चूरू. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर लोग सब्जियों को लेकर खासे परेशान है. वहीं, चूरू जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर रामसरा गांव के लोगों को संकट की इस घड़ी में ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां मिल रही है. इसकी वजह है गांव के हर दूसरे घर में बने हुए किचन गार्डन.

ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां

दरअसल, यहां बने किचन गार्डन की सब्जियां ना केवल लोगों की जरूरत पूरी कर रही हैं, बल्कि ज्यादा होने पर पड़ोसियों को भी दे रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम को ग्रामीणों ने बताया कि बगैर पेस्टीसाइड के गोबर के खाद की शुद्ध सब्जियां उन्हें मिल रही है और लागत भी कुछ नहीं आ रही है.

घर के पीछे खाली जगह में है किचन गार्डन

रामसरा गांव में हर दूसरे घर में लोगों ने अपने घरों के पीछे खाली जगह में किचन गार्डन बना रखा है. इन किचन गार्डन में भिंडी, बैंगन, टमाटर, हरी मिर्च, खीरा और ककड़ी की सब्जियां हैं. गांव में कई किचन गार्डन में आम, अनार, चीकू, निम्बू और अंगूर भी है. हालांकि यह फल लॉकडाउन से पहले के हैं.

पढ़ेंः राजेंद्र राठौड़ हमेशा करते हैं नकारात्मक राजनीतिः महेंद्र चौधरी

गोबर की खाद का इस्तेमाल किचन गार्डन की सब्जियों में कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल नहीं किया गया है. गोबर से और गीले कचरे की खाद का ही उपयोग किये जाने के कारण यह सब्जियां सेहत के लिए भी फायदेमंद है. बाजार में मिलने वाली ज्यादातर सब्जियां हानिकारक कीटनाशक से तैयार की जाती है. ऐसे में ग्रामीणों के इस नवाचार से उन्हें शुद्ध और सस्ती सब्जियां उपलब्ध हो रही है.

किचन गार्डन के है कई फायदे

1. किचन गार्डन से आस-पास का वातावरण शुद्ध रहता है.

2. किचन गार्डन में काम करने से व्यक्ति तनाव मुक्त रहता है.

3. एक परिवार आमतौर पर करीब दो हजार रुपये हर महीने सब्जी खरीदने में खर्च होते है. ऐसे में किचन गार्डन की सब्जियों से काफी पैसा बचता है.

4. ताजी सब्जियां मिलती है.

5. प्लाट में खाली पड़ी जमीन का सदुपयोग हो जाता है.

6. किचन गार्डन में निराई-गुड़ाई करने से हल्की कसरत भी होती है.

चूरू. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर लोग सब्जियों को लेकर खासे परेशान है. वहीं, चूरू जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर रामसरा गांव के लोगों को संकट की इस घड़ी में ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां मिल रही है. इसकी वजह है गांव के हर दूसरे घर में बने हुए किचन गार्डन.

ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां

दरअसल, यहां बने किचन गार्डन की सब्जियां ना केवल लोगों की जरूरत पूरी कर रही हैं, बल्कि ज्यादा होने पर पड़ोसियों को भी दे रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम को ग्रामीणों ने बताया कि बगैर पेस्टीसाइड के गोबर के खाद की शुद्ध सब्जियां उन्हें मिल रही है और लागत भी कुछ नहीं आ रही है.

घर के पीछे खाली जगह में है किचन गार्डन

रामसरा गांव में हर दूसरे घर में लोगों ने अपने घरों के पीछे खाली जगह में किचन गार्डन बना रखा है. इन किचन गार्डन में भिंडी, बैंगन, टमाटर, हरी मिर्च, खीरा और ककड़ी की सब्जियां हैं. गांव में कई किचन गार्डन में आम, अनार, चीकू, निम्बू और अंगूर भी है. हालांकि यह फल लॉकडाउन से पहले के हैं.

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गोबर की खाद का इस्तेमाल किचन गार्डन की सब्जियों में कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल नहीं किया गया है. गोबर से और गीले कचरे की खाद का ही उपयोग किये जाने के कारण यह सब्जियां सेहत के लिए भी फायदेमंद है. बाजार में मिलने वाली ज्यादातर सब्जियां हानिकारक कीटनाशक से तैयार की जाती है. ऐसे में ग्रामीणों के इस नवाचार से उन्हें शुद्ध और सस्ती सब्जियां उपलब्ध हो रही है.

किचन गार्डन के है कई फायदे

1. किचन गार्डन से आस-पास का वातावरण शुद्ध रहता है.

2. किचन गार्डन में काम करने से व्यक्ति तनाव मुक्त रहता है.

3. एक परिवार आमतौर पर करीब दो हजार रुपये हर महीने सब्जी खरीदने में खर्च होते है. ऐसे में किचन गार्डन की सब्जियों से काफी पैसा बचता है.

4. ताजी सब्जियां मिलती है.

5. प्लाट में खाली पड़ी जमीन का सदुपयोग हो जाता है.

6. किचन गार्डन में निराई-गुड़ाई करने से हल्की कसरत भी होती है.

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