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स्पेशल रिपोर्ट: चित्तौड़गढ़ में मुसीबत बनी पुलिया, हर दिन लगा रहता है हादसे का डर

आम तौर पर बरसात के बाद नदी पर बने पुलिया से पानी बहना बंद हो जाता है, लेकिन चित्तौडगढ़ शहर में गंभीरी नदी पर बनी पुलिया इतनी नीचे है कि सर्दी के मौसम में भी इसके ऊपर से पानी बहता रहता है. ऐसे में यहां से गुजरने वाले लोगों को हमेशा हादसे का डर सताता है. देखिए चित्तौड़गढ़ से स्पेशल रिपोर्ट..

Bhoi Kheda bridge, Gambhiri river, Chittorgarh News
परेशानी का सबब बना भोईखेड़ा पुलिया
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Published : Jan 24, 2020, 7:12 PM IST

चित्तौड़गढ़. शहर के निकट स्थित भोईखेड़ा में गंभीरी नदी पर बनी पुलिया पर साल के बारह में से आठ महीने में पानी बहता रहता है, जो लोगों के लिए परेशानी का सबब है. बरसात में तो हालात ये होते है कि पुलिया के ऊपर से आवागमन पूरी तरह बाधित रहता है और कई बार हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं गया है. पहले कभी ऐनिकट था लेकिन यहां लोगों ने अपने स्तर पर इसके ऊपर रास्ता बनवा लिया है. खेत एवं रोजगार के लिए लोगों के जाने का भी मुख्य मार्ग यही होने के कारण लोग इस पुलिया से गुजरने को मजबूर हैं.

परेशानी का सबब बना भोईखेड़ा पुलिया

पढ़ें- Exclusive: जयपुर के मानसागर झील में बड़ी जीव त्रासदी, हजारों मछलियों की मौत

आज तक नहीं निकला कोई हल
लेकिन भोईखेड़ा की इस समस्या के समाधान को लेकर प्रशासन की ओर से कोई पुख्ता कदम नहीं उठाए गए हैं. कई बार क्षेत्र के जनप्रतिनिधि इस मांग को प्रशासनिक एवं राजनीतिक स्तर पर उठा चुके हैं, लेकिन आज तक इसका कोई हल नहीं निकला है. जानकारी के अनुसार शहर के निकट स्थित भोईखेड़ा वैसे तो नगर परिषद क्षेत्र का हिस्सा ही है, लेकिन आज भी यहां ग्रामीण परिवेश की झलक की दिखाई देती है. यहां नगर परिषद चित्तौडगढ़ के दो वार्ड आते हैं और यहां की आबादी 6 हजार से अधिक होगी और इनका मुख्य व्यवसाय खेती है. यहां पर बोई जाने वाली सब्जियां चित्तौडगढ़ एवं उदयपुर जिले में बिक्री के लिए जाती है.

पढ़ें- 30 सालों में कितना बदला पोलो का खेल, सुनिए- समीर सुहाग की जु़बानी...

रोजाना एक हजार लोगों का आना और जाना
इस गांव के निकट से गंभीरी नदी होकर गुजर रही है. कई ग्रामीणों के खेत नदी पुलिया के दूसरी तरफ हैं. कभी यहां एनीकट हुआ करता था लेकिन आवाजाही बढ़ने के साथ ही यहां पुलिया का निर्माण हो गया, जिसे भोईखेड़ा काजवे भी कहते हैं. जिसकी ऊंचाई काफी कम है. यही कारण है कि इस पुलिया के ऊपर आठ माह तक पानी बहता रहता है. बरसात में तो नदी पुलिया के ऊपर से पानी बहता है, ऐसे में करीब चार माह तो इस पुलिया पर आवागमन पूरी तरह ठप हो जाता है. लोगों को खेत पर आने व जाने के लिए करीब 10 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ जाता है, साथ ही इस पुलिया के दूसरी तरफ मानपुरा गांव स्थित हैं, जहां खनन होता है. भोईखेड़ा व चंदेरिया क्षेत्र के लोगों को मानपुरा जाना पड़ता है और वे शॉर्ट कट में यहां से गुजरते हैं. करीब एक हजार लोगों का नदी पुलिया के ऊपर से प्रतिदिन आना व जाना रहता है.

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कई हादसों में गंवाई लोगों ने अपनी जान
इन दिनों सर्दी में भी पुलिया के ऊपर से पानी बह रहा है. पुलिया पर फिसलन बनी हुई है. ऐसे में यहां पुलिया से गिरने का खतरा हर समय रहता है. पुलिया पर बरसात में बहे पानी के कारण गड्ढे भी हो गए हैं. ऐसे में आए दिन लोग यहां गिरकर चोटिल हो रहे हैं. पूर्व के वर्षों में यहां पुलिया से लोग पानी में गिरे थी, जिनकी डूबने से भी मौत हो गई थी. ऐसे में क्षेत्रवासियों ने कई बार जिला प्रशासन से यहां पुलिया निर्माण कर ऊंचाई बढ़ाने का आग्रह किया है, लेकिन प्रशासन ने ग्रामीणों की इस समस्या के समाधान को लेकर कोई प्रयास नहीं किए हैं. वहीं इसके समाधान के लिए लगातार दूसरी बार पार्षद चुने गए बालकिशन भोई ने प्रशासन ने इस बाबत कई बार मांग उठाई है, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया हैं.

चित्तौड़गढ़. शहर के निकट स्थित भोईखेड़ा में गंभीरी नदी पर बनी पुलिया पर साल के बारह में से आठ महीने में पानी बहता रहता है, जो लोगों के लिए परेशानी का सबब है. बरसात में तो हालात ये होते है कि पुलिया के ऊपर से आवागमन पूरी तरह बाधित रहता है और कई बार हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं गया है. पहले कभी ऐनिकट था लेकिन यहां लोगों ने अपने स्तर पर इसके ऊपर रास्ता बनवा लिया है. खेत एवं रोजगार के लिए लोगों के जाने का भी मुख्य मार्ग यही होने के कारण लोग इस पुलिया से गुजरने को मजबूर हैं.

परेशानी का सबब बना भोईखेड़ा पुलिया

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आज तक नहीं निकला कोई हल
लेकिन भोईखेड़ा की इस समस्या के समाधान को लेकर प्रशासन की ओर से कोई पुख्ता कदम नहीं उठाए गए हैं. कई बार क्षेत्र के जनप्रतिनिधि इस मांग को प्रशासनिक एवं राजनीतिक स्तर पर उठा चुके हैं, लेकिन आज तक इसका कोई हल नहीं निकला है. जानकारी के अनुसार शहर के निकट स्थित भोईखेड़ा वैसे तो नगर परिषद क्षेत्र का हिस्सा ही है, लेकिन आज भी यहां ग्रामीण परिवेश की झलक की दिखाई देती है. यहां नगर परिषद चित्तौडगढ़ के दो वार्ड आते हैं और यहां की आबादी 6 हजार से अधिक होगी और इनका मुख्य व्यवसाय खेती है. यहां पर बोई जाने वाली सब्जियां चित्तौडगढ़ एवं उदयपुर जिले में बिक्री के लिए जाती है.

पढ़ें- 30 सालों में कितना बदला पोलो का खेल, सुनिए- समीर सुहाग की जु़बानी...

रोजाना एक हजार लोगों का आना और जाना
इस गांव के निकट से गंभीरी नदी होकर गुजर रही है. कई ग्रामीणों के खेत नदी पुलिया के दूसरी तरफ हैं. कभी यहां एनीकट हुआ करता था लेकिन आवाजाही बढ़ने के साथ ही यहां पुलिया का निर्माण हो गया, जिसे भोईखेड़ा काजवे भी कहते हैं. जिसकी ऊंचाई काफी कम है. यही कारण है कि इस पुलिया के ऊपर आठ माह तक पानी बहता रहता है. बरसात में तो नदी पुलिया के ऊपर से पानी बहता है, ऐसे में करीब चार माह तो इस पुलिया पर आवागमन पूरी तरह ठप हो जाता है. लोगों को खेत पर आने व जाने के लिए करीब 10 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ जाता है, साथ ही इस पुलिया के दूसरी तरफ मानपुरा गांव स्थित हैं, जहां खनन होता है. भोईखेड़ा व चंदेरिया क्षेत्र के लोगों को मानपुरा जाना पड़ता है और वे शॉर्ट कट में यहां से गुजरते हैं. करीब एक हजार लोगों का नदी पुलिया के ऊपर से प्रतिदिन आना व जाना रहता है.

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कई हादसों में गंवाई लोगों ने अपनी जान
इन दिनों सर्दी में भी पुलिया के ऊपर से पानी बह रहा है. पुलिया पर फिसलन बनी हुई है. ऐसे में यहां पुलिया से गिरने का खतरा हर समय रहता है. पुलिया पर बरसात में बहे पानी के कारण गड्ढे भी हो गए हैं. ऐसे में आए दिन लोग यहां गिरकर चोटिल हो रहे हैं. पूर्व के वर्षों में यहां पुलिया से लोग पानी में गिरे थी, जिनकी डूबने से भी मौत हो गई थी. ऐसे में क्षेत्रवासियों ने कई बार जिला प्रशासन से यहां पुलिया निर्माण कर ऊंचाई बढ़ाने का आग्रह किया है, लेकिन प्रशासन ने ग्रामीणों की इस समस्या के समाधान को लेकर कोई प्रयास नहीं किए हैं. वहीं इसके समाधान के लिए लगातार दूसरी बार पार्षद चुने गए बालकिशन भोई ने प्रशासन ने इस बाबत कई बार मांग उठाई है, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया हैं.

Intro:चित्तौडग़ढ़। आम तौर पर बरसात के बाद नदी पुलिया से पानी बहना बंद हो जाता है। लेकिन चित्तौडग़ढ़ शहर में गंभीरी नदी पर बनी एक पुलिया इतनी नीचे है कि सर्दी कि सर्दी के मौसम में भी इसके ऊपर से पानी बह रहा है। साल के बारह में से आठ माह नदी पुलिया पर पानी बहता रहता है, जो लोगों के लिए परेशानी का सबब है। बरसात में तो यह पुलिया के ऊपर से आवागमन पूरी तरह बाधित रहता है और कई बार हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं गया है। पहले कभी ऐनिकट था लेकिन यहां लोगों ने अपने स्तर पर इसके ऊपर रास्ता बनवा लिया है। खेत एवं रोजगार के लिए लोगों के जाने का भी मुख्य मार्ग यही होने के कारण लोग इस पुलिया से गुजरने को मजबूर हैं लेकिन भोईखेड़ा की इस समस्या के समाधान को लेकर प्रशासन की ओर से कोई पूख्ता कदम नहीं उठाए गए हैं। कई बार क्षेत्र के जनप्रतिनिधि इस मांग को प्रशासनिक एवं राजनीतिक स्तर पर उठा चुके हैं लेकिन आज तक इसका कोई हल नहीं निकला है।Body:जानकारी के अनुसार शहर के निकट स्थित भोईखेड़ा वैसे तो नगर परिषद क्षेत्र का हिस्सा ही है लेकिन आज भी यहां ग्रामीण परिवेश की झलक की दिखाई देती है। यहां नगर परिषद चित्तौडग़ढ़ के दो वार्ड आते हैं और यहां की आबादी छह हजार से अधिक होगी और इनका मुख्य व्यवसाय खेती है। यहां पर बोई जाने वाली सब्जियां चित्तौडग़ढ़ एवं उदयपुर जिले में बिक्री के लिए जाती है। इस गांव के निकट से गंभीरी नदी होकर गुजर रही है। कई ग्रामीणों के खेत नदी पुलिया के दूसरी तरफ हैं। कभी यहां एनिकट हुआ करता था लेकिन आवाजाही बढऩे के साथ ही यहां पुलिया का निर्माण हो गया, जिसे भोईखेड़ा काजवे भी कहते हैं, जिसकी ऊंचाई काफी कम है। यही कारण है कि इस पुलिया के ऊपर आठ माह तक पानी बहता रहता है। बरसात में तो नदी पुलिया के ऊपर से पानी बहता है, ऐसे में करीब चार माह तो इस पुलिया पर आवागमन पूरी तरह ठप्प हो जाता है। लोगों को खेत पर आने व जाने के लिए करीब 10 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ जाता है। साथ ही इस पुलिया के दूसरी तरफ मानपुरा गांव स्थित हैं, जहां खनन होता है। भोईखेड़ा व चंदेरिया क्षेत्र के लोगों को मानपुरा जाना पड़ता है और वे शॉर्ट कट में यहां से गुजरते हैं। करीब एक हजार लोगों का नदी पुलिया के ऊपर से प्रतिदिन आना व जाना रहता है। इन दिनों सर्दी में भी पुलिया के ऊपर से पानी बह रहा है। पुलिया पर फिसलन बनी हुई है। ऐसे में यहां पुलिया से गिरने का खतरा हर समय रहता है। पुलिया पर बरसात में बहे पानी के कारण गड्ढे भी हो गए हैं। ऐसे में आए दिन लोग यहां गिर कर चोटिल हो रहे हैं। पूर्व के वर्षों में यहां पुलिया से लोग पानी में गिरे थी, जिनकी डूबने से भी मौत हो गई थी। ऐसे में क्षेत्रवासियों ने कई बार जिला प्रशासन से यहां पुहलया निर्माण कर ऊंचाई बढ़ाने का आग्रह किया है। लेकिन प्रशासन ने ग्रामीणों की इस समस्या के समाधान को लेकर कोई प्रयास नहीं किए हैं। लोगों की मांग कागजों में ही दब कर रह गई है। बरसात के दौरान तो पुलिया के दूसरी तरफ खेत होने के बावजूद लोगों को अपने मवेशी घर पर ही बांधने पड़ते हैं। वहीं यहां फसल कम एवं सब्जियां अधिक बोई जाती है। ऐसे में यहां के पुरूष दुपहिया वाहनों पर सब्जियां लाते हैं। वहीं महिलाएं भी सिर पर सब्जियों का टोपला रख खतरा मौल लेकर पुलिया पार करते देखी जा सकती है। इतना ही नहीं छोटे बच्चे भी इनके गोद में रहते हैं। वहीं 15 साल से छोटे बच्चे भी खतरा मौल लेकर पुलिया पार कर रहे हैं। इसके समाधान के लिए लगातार दूसरी बार पार्षद चुने गए बालकिशन भोई ने प्रशासन ने इस बाबत कई बार मांग उठाई है लेकिन ध्यान नहीं दिया गया हैं। गत दिनों भी एक व्यक्ति पैदल पुलिया पार करते समय नीचे गिर गया, जिससे उसका हाथ फ्रेक्चर हो गया। गनीमत यह रहा कि वह पुलिया से नीचे नहीं गिरा वरना गंभीर घटना भी हो सकती थी। इंतजार है कि प्रशासन शीघ्र भोईखेड़ा के लोगों की इस बड़ी समस्या से निजात दिलाए।Conclusion:बाइट - 01. नारायणलाल भोई, किसान
02. रतनी, विवाहिता
03. नंदू, विवाहित
04. राधेश्याम भोई, क्षेत्रवासी
05.. संतोष कुमार भोई, घायल
06. बालकिशन भोई, पार्षद
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