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चित्तौड़गढ़ः कपासन में कोरोना के चलते बाजारों में फीकी पड़ी राखी की रंगत...

कोरोना की वजह से इस बार सारे त्योहार फीके पड़ते जा रहे हैं. बात करें रक्षाबंधन की तो इस बार राखी के बाजार पर भी कोरोना की मार पड़ी है. इस बार पिछले साल जैसी रौनक बाजारों में नहीं हैं.

कपासन राखी बाजार, kapasan rakhi market
बाजारों में फीकी पड़ी राखी की रंगत
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Published : Aug 2, 2020, 1:18 PM IST

कपासन (चित्तौड़गढ़). भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन 3 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से राखी के त्योहार की रंगत भी फीकी पड़ने लगी है. वहीं, इस बार बाजारों में राखियों की दुकानें भी कम सजी हैं. हालांकि गलियों में राखी बेचने वाले जरूर पहुंच रहे हैं.

बाजारों में फीकी पड़ी राखी की रंगत

बाजारों में बंदी को लेकर मिष्ठान विक्रेता भी काफी परेशान हैं. रक्षाबंधन से पहले ही बाजारों में राखियों की चमक दिखाई देने लगती थी. इस बार कोरोना के चलते हुई बंदी की वजह से राखी, कपड़ा और मिष्ठान व्यापारियों का धंधा मंदा दिखाई दे रहा है. राखी व्यापारियों ने भी लाॅकडाउन के चलते राखी का ज्यादा और नया स्टॉक तैयार नहीं कर पाए हैं. ऐसे में जिन लोगों के पास पुराना स्टॉक था, उन्होंने उसी से अपनी दुकानें सजा ली हैं.

पढ़ेंः चित्तौड़गढ़: बैंकों से ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, तीन आरोपी गिरफ्तार

सदर बाजार में इस साल राखी की सीमित दुकानें लगी हैं. जबकि पिछले साल पूरा बाजार राखियों से भरा नजर आता था. वहीं, इस बार राखी के दाम भी बढ़ गए हैं. इसी प्रकार कपड़ा और मिष्ठान की दुकानों की भी रौनक भी फीकी पड़ गई है. ऐसे में नारीयल के थोक और खुदरा विक्रेताओं ने बताया कि नारीयल व्यवसाय पर कोई खासा फर्क नहीं पड़ा है.

पढ़ेंः बाड़ेबंदी में बंद विधायकों के वेतन रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर

राखी व्यवसायी राकेश जैन ने बताया कि हर साल रक्षाबंधन से 15 दिन पहले से ही राखी की बिक्री शुरू हो जाती थी. बहनें अपने भाइयों को डाक के माध्यम से राखियां भेजती थी, लेकिन इस बार ऐसा नही हो रहा है और बाजारों से भी रौनक गायब है.

कपासन (चित्तौड़गढ़). भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन 3 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से राखी के त्योहार की रंगत भी फीकी पड़ने लगी है. वहीं, इस बार बाजारों में राखियों की दुकानें भी कम सजी हैं. हालांकि गलियों में राखी बेचने वाले जरूर पहुंच रहे हैं.

बाजारों में फीकी पड़ी राखी की रंगत

बाजारों में बंदी को लेकर मिष्ठान विक्रेता भी काफी परेशान हैं. रक्षाबंधन से पहले ही बाजारों में राखियों की चमक दिखाई देने लगती थी. इस बार कोरोना के चलते हुई बंदी की वजह से राखी, कपड़ा और मिष्ठान व्यापारियों का धंधा मंदा दिखाई दे रहा है. राखी व्यापारियों ने भी लाॅकडाउन के चलते राखी का ज्यादा और नया स्टॉक तैयार नहीं कर पाए हैं. ऐसे में जिन लोगों के पास पुराना स्टॉक था, उन्होंने उसी से अपनी दुकानें सजा ली हैं.

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सदर बाजार में इस साल राखी की सीमित दुकानें लगी हैं. जबकि पिछले साल पूरा बाजार राखियों से भरा नजर आता था. वहीं, इस बार राखी के दाम भी बढ़ गए हैं. इसी प्रकार कपड़ा और मिष्ठान की दुकानों की भी रौनक भी फीकी पड़ गई है. ऐसे में नारीयल के थोक और खुदरा विक्रेताओं ने बताया कि नारीयल व्यवसाय पर कोई खासा फर्क नहीं पड़ा है.

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राखी व्यवसायी राकेश जैन ने बताया कि हर साल रक्षाबंधन से 15 दिन पहले से ही राखी की बिक्री शुरू हो जाती थी. बहनें अपने भाइयों को डाक के माध्यम से राखियां भेजती थी, लेकिन इस बार ऐसा नही हो रहा है और बाजारों से भी रौनक गायब है.

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