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प्राचीन जल स्त्रोत भूले, घोसुण्डा बांध पर हुए आश्रित तो बढ़ा जल संकट

चित्तौड़गढ़ में जगह जगह कुंड और बावड़िया बनाई गई थी. लेकिन अब लोगों को पेयजल के लिए संकट का सामना करना पड़ रहा है. प्रशासन ने भी प्राचीन कुंड और बावड़ियों की सुध नहीं ली है, जिनसे जिला मुख्यालय के कई मोहल्लों में पेयजल आपूर्ति की संभावना बढ़ सकती है. जिलेवासियों का मानना है कि जिला प्रशासन धरोहरों के संरक्षण पर ध्यान नहीं दे रहा है, जिसके कारण ये धरोहर है नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है.

चित्तौड़गढ़ की ताजा हिंदी खबरें, Drinking water supply, water problem in chittaurgarh
चित्तौड़गढ़ में लोगों को हो रही पेयजल की समस्या
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Published : Jan 6, 2021, 8:40 PM IST

चित्तौड़गढ़. जिले की वीर भूमि राजा-महाराजाओं की नगरी रही है. पुराने समय में जलापूर्ति के लिए जगह-जगह कुंड और बावड़ियों का निर्माण करवाया था. ऐसे में सालों तक ये पेयजल आपूर्ति के स्त्रोत रहे हैं. बाद में पाइप लाइन से आपूर्ति का समय आया तो पेयजल आपूर्ति के लिए खदान और घोसुण्डा बांध पर आश्रित होकर रह गए हैं. ऐसे में इस साल घोसुण्डा बांध सहित अन्य जलाशय रीते रह गए, जिससे चित्तौड़गढ़ शहर में पेयजल संकट गहरा गया है. अभी से ही पानी को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. वहीं, प्राचीन कुंड और बावड़ियों की सुध नहीं ली है, जिनसे जिला मुख्यालय के कई मोहल्लों में पेयजल आपूर्ति की संभावना बन सकती है.

चित्तौड़गढ़ में लोगों को हो रही पेयजल की समस्या

जानकारी के अनुसार देश-विदेश से आने वाले हजारों की संख्या में पर्यटक चित्तौड़गढ़ इस वीर भूमि को नमन करने के लिए आते हैं. यहां पर ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहर को देखकर अभिभूत भी होते हैं, लेकिन चित्तौड़गढ़ जिला प्रशासन इन धरोहरों के संरक्षण पर ध्यान नहीं दे रहा है. इसके चलते यह धरोहर है नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है.

पढ़ें- चित्तौड़गढ़ में 4, निम्बाहेड़ा में 35 कौओं की मौत...लेकिन बर्ड फ्लू के लक्षण नहीं

प्राचीन शहर में पुराने समय में कई कुंड और बावड़ियों का निर्माण कराया था, जो पेयजल आपूर्ति के स्त्रोत थे. चित्तौड़गढ़ शहर में लगभग 1 दर्जन से अधिक प्राचीन बावडियों और कुंड है जो कि कई सालों से चित्तौड़गढ़ शहरवासियों के लिए पेयजल का प्रमुख स्रोत हुआ करते थे. आज ये सभी प्रशासन की उदासीनता के शिकार के चलते कचरा पात्र बनने के साथ हीं ढहने के कगार पर है.

चित्तौड़गढ़ की ताजा हिंदी खबरें, Drinking water supply, water problem in chittaurgarh
लोग लगातार फेंक रहे कचरा

प्राचीन काल में जल स्रोतों के लिए कई ऐसी बावड़ियों और कुंड का निर्माण किया था, जिनकी संख्या वर्तमान में शहरी क्षेत्र में एक दर्जन से कहीं अधिक है. कभी शहरवासियों को इनसे पेयजल सुलभता से उपलब्ध हुआ करता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से स्थानीय राजनीति भी इन बावड़ियों पर भारी पड़ती भी दिखाई दी. नतीजा ये हुआ कि ये प्राचीन बावड़िया अब आमजन के लिए कचरा पात्र बन कर रही गई है और इनकी हालत अब जर्जर अवस्था में पहुंच गई है. इसके लिए जिला प्रशासन पर आमजन दोनों ही जिम्मेदार है, जिन्होंने इन प्राचीन धरोहरों की कीमत नहीं समझी और अब जबकि आने वाले समय में शहर में पेयजल का संकट गहराने की पूरी संभावना है और तब शायद जिला प्रशासन और आमजन को इन प्राचीन धरोहरों की याद अवश्य आएगी.

पुराने शहर में रहने वाले आबिद शेख ने बताया कि प्रशासन सही तरीके से कुंड और बावड़ियों का रख रखाव करे तो शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए अन्य किसी पर आश्रित रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी. नगर परिषद आयुक्त रिंकल गुप्ता ने कहा कि उन्हें नहीं पता कुंड और बावड़िया नगर परिषद में आती है या नहीं इसकी जांच करवाएंगे.

चित्तौड़गढ़ की ताजा हिंदी खबरें, Drinking water supply, water problem in chittaurgarh
जिला प्रशासन ने कुंडों पर नहीं दिया ध्यान

पढ़ें- भीलवाड़ा: चाकू से गोदकर युवक की हत्या, साथी की हालत गंभीर

वहीं, सभापति संदीप शर्मा ने बताया कि शहर में आने वाली प्राचीन कुंड और बावड़ियों की सुध लेकर साफ-सफाई करवाई जाएगी. किस तरह इसके जल का उपयोग कर सकें ऐसे प्रयास होंगे. रख-रखाव करेंगे तो भी इनसे भूमिगत जल स्तर बना रहेगा.

झालीबाव से अब भी कर रहे जलापूर्ति

चित्तौड़गढ़ की ताजा हिंदी खबरें, Drinking water supply, water problem in chittaurgarh
बावड़िया पड़ी है सूखी

जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ शहर में जलापूर्ति नलकूप के अलावा झालीबाव से होती थी. बाद में जनसंख्या बढ़ी और पेयजल की मांग हुई तो बिरला सीमेंट की भेरड़ा खदान से पेयजल आपूर्ति की शुरू हुई. ऐसे में पूरी तरह पेयजल के लिए आपूर्ति के लिए भेरड़ा खदान पर आश्रित होकर रह गए और प्राचीन जल स्त्रोत को भूला दिया गया था. सालों तक भेरड़ा खदान शहरवासियों के गले तर करते आई है. बाद में राज्य सरकार की योजना के तहत घोसुण्डा बांध से पेयजल आपूर्ति शुरू हुई तो भेरड़ा खदान से पानी लेना कम कर दिया. इस वर्ष जलदाय विभाग को पुनः भेरड़ा की याद आई और यहां से पानी ज्यादा लेना शुरू कर दिया है, लेकिन कम बरसात से इसमें भी ज्यादा पानी नहीं है. वहीं पुराने जलाशयों को अभी तक याद नहीं किया गया है. झालीबाव (बावड़ी) से अब भी जलदाय विभाग कुछ क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति कर रहा है.

चित्तौड़गढ़. जिले की वीर भूमि राजा-महाराजाओं की नगरी रही है. पुराने समय में जलापूर्ति के लिए जगह-जगह कुंड और बावड़ियों का निर्माण करवाया था. ऐसे में सालों तक ये पेयजल आपूर्ति के स्त्रोत रहे हैं. बाद में पाइप लाइन से आपूर्ति का समय आया तो पेयजल आपूर्ति के लिए खदान और घोसुण्डा बांध पर आश्रित होकर रह गए हैं. ऐसे में इस साल घोसुण्डा बांध सहित अन्य जलाशय रीते रह गए, जिससे चित्तौड़गढ़ शहर में पेयजल संकट गहरा गया है. अभी से ही पानी को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. वहीं, प्राचीन कुंड और बावड़ियों की सुध नहीं ली है, जिनसे जिला मुख्यालय के कई मोहल्लों में पेयजल आपूर्ति की संभावना बन सकती है.

चित्तौड़गढ़ में लोगों को हो रही पेयजल की समस्या

जानकारी के अनुसार देश-विदेश से आने वाले हजारों की संख्या में पर्यटक चित्तौड़गढ़ इस वीर भूमि को नमन करने के लिए आते हैं. यहां पर ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहर को देखकर अभिभूत भी होते हैं, लेकिन चित्तौड़गढ़ जिला प्रशासन इन धरोहरों के संरक्षण पर ध्यान नहीं दे रहा है. इसके चलते यह धरोहर है नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है.

पढ़ें- चित्तौड़गढ़ में 4, निम्बाहेड़ा में 35 कौओं की मौत...लेकिन बर्ड फ्लू के लक्षण नहीं

प्राचीन शहर में पुराने समय में कई कुंड और बावड़ियों का निर्माण कराया था, जो पेयजल आपूर्ति के स्त्रोत थे. चित्तौड़गढ़ शहर में लगभग 1 दर्जन से अधिक प्राचीन बावडियों और कुंड है जो कि कई सालों से चित्तौड़गढ़ शहरवासियों के लिए पेयजल का प्रमुख स्रोत हुआ करते थे. आज ये सभी प्रशासन की उदासीनता के शिकार के चलते कचरा पात्र बनने के साथ हीं ढहने के कगार पर है.

चित्तौड़गढ़ की ताजा हिंदी खबरें, Drinking water supply, water problem in chittaurgarh
लोग लगातार फेंक रहे कचरा

प्राचीन काल में जल स्रोतों के लिए कई ऐसी बावड़ियों और कुंड का निर्माण किया था, जिनकी संख्या वर्तमान में शहरी क्षेत्र में एक दर्जन से कहीं अधिक है. कभी शहरवासियों को इनसे पेयजल सुलभता से उपलब्ध हुआ करता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से स्थानीय राजनीति भी इन बावड़ियों पर भारी पड़ती भी दिखाई दी. नतीजा ये हुआ कि ये प्राचीन बावड़िया अब आमजन के लिए कचरा पात्र बन कर रही गई है और इनकी हालत अब जर्जर अवस्था में पहुंच गई है. इसके लिए जिला प्रशासन पर आमजन दोनों ही जिम्मेदार है, जिन्होंने इन प्राचीन धरोहरों की कीमत नहीं समझी और अब जबकि आने वाले समय में शहर में पेयजल का संकट गहराने की पूरी संभावना है और तब शायद जिला प्रशासन और आमजन को इन प्राचीन धरोहरों की याद अवश्य आएगी.

पुराने शहर में रहने वाले आबिद शेख ने बताया कि प्रशासन सही तरीके से कुंड और बावड़ियों का रख रखाव करे तो शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए अन्य किसी पर आश्रित रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी. नगर परिषद आयुक्त रिंकल गुप्ता ने कहा कि उन्हें नहीं पता कुंड और बावड़िया नगर परिषद में आती है या नहीं इसकी जांच करवाएंगे.

चित्तौड़गढ़ की ताजा हिंदी खबरें, Drinking water supply, water problem in chittaurgarh
जिला प्रशासन ने कुंडों पर नहीं दिया ध्यान

पढ़ें- भीलवाड़ा: चाकू से गोदकर युवक की हत्या, साथी की हालत गंभीर

वहीं, सभापति संदीप शर्मा ने बताया कि शहर में आने वाली प्राचीन कुंड और बावड़ियों की सुध लेकर साफ-सफाई करवाई जाएगी. किस तरह इसके जल का उपयोग कर सकें ऐसे प्रयास होंगे. रख-रखाव करेंगे तो भी इनसे भूमिगत जल स्तर बना रहेगा.

झालीबाव से अब भी कर रहे जलापूर्ति

चित्तौड़गढ़ की ताजा हिंदी खबरें, Drinking water supply, water problem in chittaurgarh
बावड़िया पड़ी है सूखी

जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ शहर में जलापूर्ति नलकूप के अलावा झालीबाव से होती थी. बाद में जनसंख्या बढ़ी और पेयजल की मांग हुई तो बिरला सीमेंट की भेरड़ा खदान से पेयजल आपूर्ति की शुरू हुई. ऐसे में पूरी तरह पेयजल के लिए आपूर्ति के लिए भेरड़ा खदान पर आश्रित होकर रह गए और प्राचीन जल स्त्रोत को भूला दिया गया था. सालों तक भेरड़ा खदान शहरवासियों के गले तर करते आई है. बाद में राज्य सरकार की योजना के तहत घोसुण्डा बांध से पेयजल आपूर्ति शुरू हुई तो भेरड़ा खदान से पानी लेना कम कर दिया. इस वर्ष जलदाय विभाग को पुनः भेरड़ा की याद आई और यहां से पानी ज्यादा लेना शुरू कर दिया है, लेकिन कम बरसात से इसमें भी ज्यादा पानी नहीं है. वहीं पुराने जलाशयों को अभी तक याद नहीं किया गया है. झालीबाव (बावड़ी) से अब भी जलदाय विभाग कुछ क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति कर रहा है.

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