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सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती का विरोध, मूल्य बढ़ाने की मांग को लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन

चित्तौड़गढ़ में गुरुवार को भारतीय अफीम किसान विकास समिति ने सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती के निर्णय का विरोध किया. साथ ही किसानों ने चित्तौड़गढ़ कलेक्ट्री के सामने धरना दिय. किसानों ने जिला कलेक्टर और सांसद सीपी जोशी के नाम ज्ञापन सौंपा.

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भारतीय अफीम किसान विकास समिति ने सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती के निर्णय का किया विरोध
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Published : Apr 8, 2021, 5:59 PM IST

चित्तौड़गढ़. भारतीय अफीम किसान विकास समिति ने गुरुवार को चित्तौड़गढ़ कलेक्ट्री के सामने धरना देकर ज्ञापन राष्ट्रपति के नाम से जिला कलेक्टर और सांसद सीपी जोशी को ज्ञापन दिया है. इसमें मुख्य रूप से सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती के निर्णय का विरोध करने के साथ ही अफीम के खरीद मूल्य बढ़ाने, 1998 से रुके हुए सभी पट्टे बाहल करने की मांग की गई है.

भारतीय अफीम किसान विकास समिति ने सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती के निर्णय का किया विरोध

जानकारी में सामने आया कि अफीम किसान विभिन्न मांगों की लेकर लम्बे समय से आंदोलनरत है. इसी क्रम में गुरुवार को भी कलक्ट्रेट पर धरना दिया है. इसमें वर्ष 1998 से अब तक विभिन्न कारणों से कटे सभी अफीम लाइसेंस बहाल करने की मांग की है. साथ ही अफीम का खरीद मूल्य बढ़ाने, तीन प्रतिशत मार्फिन कम की जाए, मार्फिन कम से जो रुके हुए पट्टे हैं सभी बहाल किए करने, डोडा चूरा का मूल्य 1500 आरती किलो दिया जाए और नये किसानों को नए पट्टे दिए जाने की मांग की.

साथ ही सरकार ने नई नीति बनाई है सीपीएस जो डोडा में चीरा नहीं लगा कर सीधा कोडीन, एल्कोलाइड निकाला जाएगा और अफीम की खेती का निजीकरण कर दिया जाएगा और किसान को केवल 60 हजार रुपए दिया जाएगा उसका हम विरोध कर रहे हैं. इससे किसान बर्बाद हो जाएगा उसकी लागत एक लाख रुपए आती है, कम पैसे से किसान का नुकसान होगा, किसानों के साथ में भारी अन्याय होगा.

किसानों ने बताया कि यह अफीम की खेती हमारी परंपरागत खेती है और हमारे बाप दादा भी अफीम की खेती करते आए हैं. सरकार की नई नीति से अफीम की खेती कंपनियों के हाथ में चली जाएगी. किसान केवल मजदूर बन कर रह जाएगा.

पढ़ें- कोटा: दाऊद इब्राहिम के गुर्गे दानिश चिकना को NCB टीम ले गई मुंबई

गुरुवार को दिए धरने की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष रामनारायण जाट ने की और मुख्य अतिथि मांगीलाल मेघवाल बिलोट, संरक्षक विशिष्ट अतिथि नारायणसिंह राणावत अध्यक्ष छोटी सादड़ी, लेहरू जाट नयाखेड़ा, शंकरलाल सहित 50 किसान धरने पर मौजूद रहे. सभी किसानों ने धरना देकर चेतावनी दी कि किसानों की सुनवाई नहीं हुई तो हम बहुत बड़ा आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदार भारत सरकार रहेगी.

चित्तौड़गढ़. भारतीय अफीम किसान विकास समिति ने गुरुवार को चित्तौड़गढ़ कलेक्ट्री के सामने धरना देकर ज्ञापन राष्ट्रपति के नाम से जिला कलेक्टर और सांसद सीपी जोशी को ज्ञापन दिया है. इसमें मुख्य रूप से सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती के निर्णय का विरोध करने के साथ ही अफीम के खरीद मूल्य बढ़ाने, 1998 से रुके हुए सभी पट्टे बाहल करने की मांग की गई है.

भारतीय अफीम किसान विकास समिति ने सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती के निर्णय का किया विरोध

जानकारी में सामने आया कि अफीम किसान विभिन्न मांगों की लेकर लम्बे समय से आंदोलनरत है. इसी क्रम में गुरुवार को भी कलक्ट्रेट पर धरना दिया है. इसमें वर्ष 1998 से अब तक विभिन्न कारणों से कटे सभी अफीम लाइसेंस बहाल करने की मांग की है. साथ ही अफीम का खरीद मूल्य बढ़ाने, तीन प्रतिशत मार्फिन कम की जाए, मार्फिन कम से जो रुके हुए पट्टे हैं सभी बहाल किए करने, डोडा चूरा का मूल्य 1500 आरती किलो दिया जाए और नये किसानों को नए पट्टे दिए जाने की मांग की.

साथ ही सरकार ने नई नीति बनाई है सीपीएस जो डोडा में चीरा नहीं लगा कर सीधा कोडीन, एल्कोलाइड निकाला जाएगा और अफीम की खेती का निजीकरण कर दिया जाएगा और किसान को केवल 60 हजार रुपए दिया जाएगा उसका हम विरोध कर रहे हैं. इससे किसान बर्बाद हो जाएगा उसकी लागत एक लाख रुपए आती है, कम पैसे से किसान का नुकसान होगा, किसानों के साथ में भारी अन्याय होगा.

किसानों ने बताया कि यह अफीम की खेती हमारी परंपरागत खेती है और हमारे बाप दादा भी अफीम की खेती करते आए हैं. सरकार की नई नीति से अफीम की खेती कंपनियों के हाथ में चली जाएगी. किसान केवल मजदूर बन कर रह जाएगा.

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गुरुवार को दिए धरने की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष रामनारायण जाट ने की और मुख्य अतिथि मांगीलाल मेघवाल बिलोट, संरक्षक विशिष्ट अतिथि नारायणसिंह राणावत अध्यक्ष छोटी सादड़ी, लेहरू जाट नयाखेड़ा, शंकरलाल सहित 50 किसान धरने पर मौजूद रहे. सभी किसानों ने धरना देकर चेतावनी दी कि किसानों की सुनवाई नहीं हुई तो हम बहुत बड़ा आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदार भारत सरकार रहेगी.

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