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अब चित्तौड़गढ़ में होगा ब्लड का पोस्टमार्टम, एक यूनिट से बच सकेंगी 4 जानें - चित्तौड़गढ़ में ब्लड सेपरेशन यूनिट

2021 चित्तौड़गढ़ के चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक नई खुशखबरी लेकर आ रहा है. यह खुशखबरी जिला चिकित्सालय में ब्लड सेपरेशन यूनिट के रूप में मिलने जा रही है. अब यहां भी ब्लड सिपरेशन की सुविधा उपलब्ध होने जा रही है और मरीज को रेफर करने की आवश्यकता नहीं होगी. इसके तहत एक यूनिट से चार अलग-अलग जिंदगी बचाई जा सकेंगी.

Blood separation unit, post mortem of blood
अब चित्तौड़गढ़ में होगा ब्लड का पोस्टमार्टम
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Published : Dec 25, 2020, 5:24 PM IST

चित्तौड़गढ़. नया साल अर्थात 2021 जिले के चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक नई खुशखबरी लेकर आ रहा है. यह खुशखबरी जिला चिकित्सालय में ब्लड सेपरेशन यूनिट के रूप में मिलने जा रही है. अब यहां भी ब्लड सिपरेशन की सुविधा उपलब्ध होने जा रही है और मरीज को रेफर करने की आवश्यकता नहीं रहेगी. एक प्रकार से अब खून का जिला चिकित्सालय में ही बकायदा पोस्टमार्टम हो सकेगा. इसके अलग-अलग कंपोनेंट बीमारी के अनुसार मरीज के लिए काम लिए जा सकेंगे अर्थात एक यूनिट से चार अलग-अलग जिंदगी बचाई जा सकेंगी.

अब चित्तौड़गढ़ में होगा ब्लड का पोस्टमार्टम

राज्य सरकार ने वर्ष 2016-17 में सांवलियाजी चिकित्सालय के ब्लड बैंक को ब्लड सेपरेशन यूनिट में अपडेट करने की मंजूरी प्रदान कर दी है. एक करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली यूनिट के लिए आदित्य सीमेंट शंभूपुरा द्वारा 18 लाख 50 हजार की सेंट्रीफ्यूज मशीन का सहयोग दिया गया है. जिला कलेक्टर केके शर्मा के प्रयासों के बाद आखिरकार अक्टूबर में ड्रग कंट्रोलर राजस्थान और ड्रग कंट्रोलर जनरल गाजियाबाद की संयुक्त टीम पहुंची, जिसने 21 दिसंबर को मंजूरी प्रदान कर दी.

यह होगा फायदा...

अब एक ही सीट पर बैठ कर कोई भी व्यक्ति बीमारी की आवश्यकता के अनुसार खून से कंपोनेंट निकलवा सकेगा. एक ही श्वेत रक्त कणिकाएं अर्थात डब्ल्यूबीसी, रेड ब्लड सेल, प्लेटलेट के साथ-साथ प्लाज्मा निकाले जा सकेंगे. अब तक ऐसी कोई सुविधा नहीं होने से मरीजों को उदयपुर भेजने के अलावा हॉस्पिटल प्रबंधन के पास कोई चारा नहीं था. विशेषज्ञों के अनुसार थैलेसीमिया के रोगियों को रेड सेल की जरूरत पड़ती है, लेकिन उन्हें पूरा खून देना पड़ता था, जो कि कई बार बॉडी एडजस्ट होने से साइड इफेक्ट का मामला सामने आता था.

डेंगू रोगियों को प्लेटलेट की जरूरत होती है, जिसकी यहां कोई सुविधा नहीं है. ऐसे में रोगियों को रेफर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता. चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना महामारी के इस दौर में कोरोना रोगियों के लिए प्लाज्मा काफी अहम होता है, लेकिन इसकी भी हमारे पास कोई सुविधा नहीं है. अब किस यूनिट के यहां स्थापित होने से रोगियों को केवल प्लाज्मा रेड सेल और प्लेटलेट के कारण बाहर भेजने की अनिवार्यता से मुक्ति मिल जाएगी.

यह भी पढ़ें- अजय माकन पहुंचे जयपुर...पायलट सहित कई नेताओं के नाम के लगे नारे

चिकित्सा विशेषज्ञों अनुसार अब डबल बेड ब्लड को प्रोसेस कर पीआरबीसी और प्लाज्मा अलग किया जा सकेगा. वहीं खून की एक्सपायरी डेट 35 दिन तथा पी आरबीसी की 42 दिन तक हो सकेगी. लैब असिस्टेंट अरविंद कुमार आचार्य के अनुसार एक यूनिट से चार अलग-अलग कंपोनेंट निकाले जा सकेंगे. इसका डेंगू, चिकनगुनिया और कोरोना के अलावा थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को काफी फायदा मिलेगा. प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर दिनेश वैष्णव के अनुसार हमारी सारी तैयारियां हो चुकी हैं और जनवरी के पहले सप्ताह में यूनिट शुरू कर दी जाएगी.

चित्तौड़गढ़. नया साल अर्थात 2021 जिले के चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक नई खुशखबरी लेकर आ रहा है. यह खुशखबरी जिला चिकित्सालय में ब्लड सेपरेशन यूनिट के रूप में मिलने जा रही है. अब यहां भी ब्लड सिपरेशन की सुविधा उपलब्ध होने जा रही है और मरीज को रेफर करने की आवश्यकता नहीं रहेगी. एक प्रकार से अब खून का जिला चिकित्सालय में ही बकायदा पोस्टमार्टम हो सकेगा. इसके अलग-अलग कंपोनेंट बीमारी के अनुसार मरीज के लिए काम लिए जा सकेंगे अर्थात एक यूनिट से चार अलग-अलग जिंदगी बचाई जा सकेंगी.

अब चित्तौड़गढ़ में होगा ब्लड का पोस्टमार्टम

राज्य सरकार ने वर्ष 2016-17 में सांवलियाजी चिकित्सालय के ब्लड बैंक को ब्लड सेपरेशन यूनिट में अपडेट करने की मंजूरी प्रदान कर दी है. एक करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली यूनिट के लिए आदित्य सीमेंट शंभूपुरा द्वारा 18 लाख 50 हजार की सेंट्रीफ्यूज मशीन का सहयोग दिया गया है. जिला कलेक्टर केके शर्मा के प्रयासों के बाद आखिरकार अक्टूबर में ड्रग कंट्रोलर राजस्थान और ड्रग कंट्रोलर जनरल गाजियाबाद की संयुक्त टीम पहुंची, जिसने 21 दिसंबर को मंजूरी प्रदान कर दी.

यह होगा फायदा...

अब एक ही सीट पर बैठ कर कोई भी व्यक्ति बीमारी की आवश्यकता के अनुसार खून से कंपोनेंट निकलवा सकेगा. एक ही श्वेत रक्त कणिकाएं अर्थात डब्ल्यूबीसी, रेड ब्लड सेल, प्लेटलेट के साथ-साथ प्लाज्मा निकाले जा सकेंगे. अब तक ऐसी कोई सुविधा नहीं होने से मरीजों को उदयपुर भेजने के अलावा हॉस्पिटल प्रबंधन के पास कोई चारा नहीं था. विशेषज्ञों के अनुसार थैलेसीमिया के रोगियों को रेड सेल की जरूरत पड़ती है, लेकिन उन्हें पूरा खून देना पड़ता था, जो कि कई बार बॉडी एडजस्ट होने से साइड इफेक्ट का मामला सामने आता था.

डेंगू रोगियों को प्लेटलेट की जरूरत होती है, जिसकी यहां कोई सुविधा नहीं है. ऐसे में रोगियों को रेफर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता. चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना महामारी के इस दौर में कोरोना रोगियों के लिए प्लाज्मा काफी अहम होता है, लेकिन इसकी भी हमारे पास कोई सुविधा नहीं है. अब किस यूनिट के यहां स्थापित होने से रोगियों को केवल प्लाज्मा रेड सेल और प्लेटलेट के कारण बाहर भेजने की अनिवार्यता से मुक्ति मिल जाएगी.

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चिकित्सा विशेषज्ञों अनुसार अब डबल बेड ब्लड को प्रोसेस कर पीआरबीसी और प्लाज्मा अलग किया जा सकेगा. वहीं खून की एक्सपायरी डेट 35 दिन तथा पी आरबीसी की 42 दिन तक हो सकेगी. लैब असिस्टेंट अरविंद कुमार आचार्य के अनुसार एक यूनिट से चार अलग-अलग कंपोनेंट निकाले जा सकेंगे. इसका डेंगू, चिकनगुनिया और कोरोना के अलावा थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को काफी फायदा मिलेगा. प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर दिनेश वैष्णव के अनुसार हमारी सारी तैयारियां हो चुकी हैं और जनवरी के पहले सप्ताह में यूनिट शुरू कर दी जाएगी.

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