चित्तौड़गढ़. बढ़ते हुए कोरोना के मामलों के कारण गणगौर का पर्व घरों में ही सिमट कर रह गया है. गणगौर पर्व पर महिलाओं ने घरों में ही पूजा की है तथा बाहर नहीं निकली. शहर में ना तो गणगौर की सवारी का आयोजन हो पाया ना ही नगर परिषद की ओर से घूमर नृत्य का आयोजन हुआ है. ऐसे में गणगौर का व्रत करने वाली महिलाओं में भी निराशा देखने को मिली है.
जानकारी में सामने आया है कि राजस्थान में गणगौर पर्व का बहुत महत्व है. इस दिन महिलाएं व्रत रखती है तथा शिव एवं पार्वती के प्रति रूप ईसर-गणगौर की पूजा करती है. चित्तौड़गढ़ में हर वर्ष गणगौर का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें स्थानीय प्रशासन की पूरी भूमिका निभाता है. चित्तौड़गढ़ नगर परिषद की ओर से गणगौर की सवारी निकाली जाती है, जो पूरे शहर में घूमती है. इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल होती है.
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ऐसे में महिलाओं ने घरों में ही गणगौर की पूजा की. महिलाओं ने गणगौर पर्व पर व्रत रखें और परिवार की सुख समृद्धि के अलावा पति की लंबी उम्र की कामना की. इस संबंध में नगर परिषद के सभापति संदीप शर्मा ने बताया कि हर वर्ष नगर परिषद की और से वृहद स्तर पर आयोजन होता आया है. अचानक बढ़े कोरोना संक्रमण के मामलों के कारण इस बार भी गणगौर की सवारी नहीं निकाली जा रही है.
गणगौर महोत्सव पर निकली बारात
बांसखो कस्बे में गणगौर के पर्व पर छोटे-छोटे बच्चों के द्वारा दूल्हा-दुल्हन की भूमिका निभाई गई. इस दौरान बैंड बाजे के साथ कस्बे में दूल्हा दुल्हन की बारात निकाली गई. इस दौरान महिलाएं और बालिकाएं नाचती गाती हुई नजर आई. महिलाओं का कहना है कि ईसर गणगौर की पूजा 16 दिन तक की जाती है. 16 दिन के बाद छोटे-छोटे बालकों द्वारा दूल्हा-दुल्हन की भूमिका निभाते हुए बैंड बाजे के साथ बारात निकाली जाती है.