चित्तौड़गढ़. दान-पुण्य और हर्ष का त्यौहार मकर संक्रांति शहर में बुधवार को परंपरागत रूप से मनाया गया. वहीं मकर सक्रांति का पूरा दिन दान-पुण्य में बीता. ऐसे में शहर और जिले के लोगों को दान पुण्य करते हुए भी देखा गया. गोशालाओं में लोगों ने गायों को हरा चारा खिलाया तो गरीबों को दान भी किया. बता दें कि मकर सक्रांति पर दान का बड़ा महत्व है.
जानकारी के अनुसार मंगलवार देर रात 2 बज कर 8 मिनट पर सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया. बुधवार को सूर्योदय होने के साथ ही दान-पुण्य और पारंपरिक रस्मों को निभाने का सिलसिला प्रारंभ हो गया. मंदिरों में श्रद्धालुओं की ओर से ब्रह्म मुहूर्त में पोशाक चढ़ाने की परंपरा को निभाया गया. साथ ही सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होने के साथ ही शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो गई.
मकर सक्रांति के मौके पर दिन भर दान-पुण्य का दौर चलता रहा. भगवान के मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना की गई. वहीं स्कूलों में विद्यार्थियों सहित अध्यापकों ने भी परम्परागत खेल सितोलिया, गिल्ली डंडा का आनंद लिया. सक्रांति पर्व पर गुड़ और तिल के व्यंजनों के साथ खीच बनाए गए, जिन्हें एक-दूसरे के घरों मे वितरित किया गया. शहर में दोनों गोशालाओं पर दान करने के लिए भीड़ लगी रही.
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लोगों ने गायों को हरा चारा और गुड़, लापसी आदि खिला कर दान किया. वहीं शहर में गरीबों को वस्त्र दान किया गया. गली मोहल्लों में दान लेने के लिए लोग भ्रमण करते दिखे. साथ ही मकर सक्रांति पर दूध और गेहूं का खीच के अलावा तिल से बने व्यंजन बनाए गए. लोगों की व्यंजनों के लिए मनुहार भी की गई.