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राजस्थान विश्वविद्यालय में अब पढ़ाई जाएंगी करपात्री महाराज की किताबें, पास होना होगा अनिवार्य

राजस्थान विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र विभाग में अब करपात्री महाराज की दो पुस्तकें 'गोपी गीत' और 'वेद का स्वरूप और प्रमाण' पढ़ाई जाएंगी

Rajasthan University jaipur
राजस्थान विश्वविद्यालय में अब पढ़ाई जाएंगी करपात्री महाराज की किताबें (Photo ETV Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 13, 2024, 7:04 PM IST

जयपुर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत अब राजस्थान विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान और दर्शन को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है. नए पाठ्यक्रम के तहत दर्शनशास्त्र में अब छात्र वेद और उपनिषद के सिलेबस में करपात्री महाराज की दो पुस्तक 'गोपी गीत' और 'वेद का स्वरूप और प्रमाण' पढ़ेंगे. इन विषयों को कंपलसरी वैल्यू ऐडेड कोर्स के रूप में पढ़ाया जाएगा. इसमें छात्रों का पास होना अनिवार्य होगा.

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो अल्पना कटेजा ने बताया कि दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर दया कृष्णा, विशंभर पाही और राजेंद्र स्वरूप भटनागर ने भारतीय ज्ञान दर्शन को लेकर जितना काम किया है, उसी के कारण आज दर्शन शास्त्र विभाग की पूरे देश में पहचान है. यहां से दर्शन शास्त्र पढ़कर निकलने वाले विद्यार्थी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अपना स्थान बनाते रहे हैं. उसी को रिवाइव करने की कोशिश कर रहे हैं. आगे चलकर अलग-अलग विभागों में भारतीय ज्ञान को समायोजित करते हुए सिलेबस में परिवर्तन किया जाएगा. फिलहाल वेद और उपनिषद के सिलेबस में करपात्री महाराज की दो पुस्तकों 'गोपी गीत' और 'वेद का स्वरूप और प्रमाण' को शामिल किया गया है.

राजस्थान विश्वविद्यालय में अब पढ़ाई जाएंगी करपात्री महाराज की किताबें (ETV bharat Jaipur)

पढ़ें: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर मंथन, शिक्षक संघ शेखावत ने लगाए ये गंभीर आरोप

नई शिक्षा नीति में जुड़ रहा भारतीय ज्ञान: उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में भारतीय ज्ञान परम्परा को स्थान दिया जा रहा है. यह आध्यात्मिक से परे नहीं है. दर्शनशास्त्र में इसका महत्वपूर्ण स्थान है. वहीं, करपात्री महाराज की इन किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल करने का सुझाव देने वाले अध्यात्म गुरु स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने बताया कि अब तक मैकाले शिक्षा पद्धति के अनुसार पाठ्यक्रम पढ़ते आए हैं. अब नई शिक्षा नीति के तहत धीरे-धीरे इसमें बदलाव किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बरसों से चली आ रही परंपरा को एक मिनट में खत्म नहीं किया जा सकता. इस परंपरा में आध्यात्मिक विषयों को जोड़ने का प्रयास एक सराहनीय कदम है. कोई भी पुरानी परंपरा में यदि सुधार की प्रक्रिया होती है, तो उसमें कुछ समय लगता है. धीरे-धीरे उसी परंपरा में चले जाएंगे, जिस प्राचीन ज्ञान परंपरा से चले थे. 'गोपी गीत' और 'वेद का स्वरूप और प्रमाण' का विषयों में शामिल होना इसी का सूचक है.

इन प्रश्नपत्रों में पास होना जरूरी होगा: विवि में दर्शन शास्त्र के सहायक प्रोफेसर अनुभव वार्ष्णेय ने स्पष्ट किया कि भारतीय ज्ञान परंपरा और शास्त्रीय साहित्य में यूजी और पीजी स्तर के कोर्स में बदलाव किया जा रहा है. यूजीसी से मिले परामर्श के तहत दर्शनशास्त्र में इंडियन वैल्यू सिस्टम मॉड्यूल की संरचना की गई है, जिसे यूजी के फर्स्ट ईयर के छात्रों को पढ़ाया जाना शुरू किया है. इसी तरह पीजी में दर्शनशास्त्र पहले और दूसरे सेमेस्टर के छात्रों के लिए शास्त्रीय भारतीय दर्शन के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है. इसी वर्ष से वैदिक ग्रंथों के माध्यम से पढ़ाया जा रहा ये प्रश्न पत्र अनिवार्य होगा, यानी ये कंपलसरी वैल्यू ऐडेड कोर्स के रूप में पढ़ाए जाएंगे. इन पेपर्स में पास होना अनिवार्य होगा.

जयपुर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत अब राजस्थान विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान और दर्शन को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है. नए पाठ्यक्रम के तहत दर्शनशास्त्र में अब छात्र वेद और उपनिषद के सिलेबस में करपात्री महाराज की दो पुस्तक 'गोपी गीत' और 'वेद का स्वरूप और प्रमाण' पढ़ेंगे. इन विषयों को कंपलसरी वैल्यू ऐडेड कोर्स के रूप में पढ़ाया जाएगा. इसमें छात्रों का पास होना अनिवार्य होगा.

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो अल्पना कटेजा ने बताया कि दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर दया कृष्णा, विशंभर पाही और राजेंद्र स्वरूप भटनागर ने भारतीय ज्ञान दर्शन को लेकर जितना काम किया है, उसी के कारण आज दर्शन शास्त्र विभाग की पूरे देश में पहचान है. यहां से दर्शन शास्त्र पढ़कर निकलने वाले विद्यार्थी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अपना स्थान बनाते रहे हैं. उसी को रिवाइव करने की कोशिश कर रहे हैं. आगे चलकर अलग-अलग विभागों में भारतीय ज्ञान को समायोजित करते हुए सिलेबस में परिवर्तन किया जाएगा. फिलहाल वेद और उपनिषद के सिलेबस में करपात्री महाराज की दो पुस्तकों 'गोपी गीत' और 'वेद का स्वरूप और प्रमाण' को शामिल किया गया है.

राजस्थान विश्वविद्यालय में अब पढ़ाई जाएंगी करपात्री महाराज की किताबें (ETV bharat Jaipur)

पढ़ें: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर मंथन, शिक्षक संघ शेखावत ने लगाए ये गंभीर आरोप

नई शिक्षा नीति में जुड़ रहा भारतीय ज्ञान: उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में भारतीय ज्ञान परम्परा को स्थान दिया जा रहा है. यह आध्यात्मिक से परे नहीं है. दर्शनशास्त्र में इसका महत्वपूर्ण स्थान है. वहीं, करपात्री महाराज की इन किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल करने का सुझाव देने वाले अध्यात्म गुरु स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने बताया कि अब तक मैकाले शिक्षा पद्धति के अनुसार पाठ्यक्रम पढ़ते आए हैं. अब नई शिक्षा नीति के तहत धीरे-धीरे इसमें बदलाव किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बरसों से चली आ रही परंपरा को एक मिनट में खत्म नहीं किया जा सकता. इस परंपरा में आध्यात्मिक विषयों को जोड़ने का प्रयास एक सराहनीय कदम है. कोई भी पुरानी परंपरा में यदि सुधार की प्रक्रिया होती है, तो उसमें कुछ समय लगता है. धीरे-धीरे उसी परंपरा में चले जाएंगे, जिस प्राचीन ज्ञान परंपरा से चले थे. 'गोपी गीत' और 'वेद का स्वरूप और प्रमाण' का विषयों में शामिल होना इसी का सूचक है.

इन प्रश्नपत्रों में पास होना जरूरी होगा: विवि में दर्शन शास्त्र के सहायक प्रोफेसर अनुभव वार्ष्णेय ने स्पष्ट किया कि भारतीय ज्ञान परंपरा और शास्त्रीय साहित्य में यूजी और पीजी स्तर के कोर्स में बदलाव किया जा रहा है. यूजीसी से मिले परामर्श के तहत दर्शनशास्त्र में इंडियन वैल्यू सिस्टम मॉड्यूल की संरचना की गई है, जिसे यूजी के फर्स्ट ईयर के छात्रों को पढ़ाया जाना शुरू किया है. इसी तरह पीजी में दर्शनशास्त्र पहले और दूसरे सेमेस्टर के छात्रों के लिए शास्त्रीय भारतीय दर्शन के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है. इसी वर्ष से वैदिक ग्रंथों के माध्यम से पढ़ाया जा रहा ये प्रश्न पत्र अनिवार्य होगा, यानी ये कंपलसरी वैल्यू ऐडेड कोर्स के रूप में पढ़ाए जाएंगे. इन पेपर्स में पास होना अनिवार्य होगा.

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