कपासन (चितौड़गढ़). दीपावली के समय बुवाई कर कड़ी मेहनत के साथ पक कर तैयार की थी. अफीम की फसल में मौसमी बीमारियों के चलते कई किसानों ने अपनी फसल को विभागीय निगरानी में हकवाने के लिए 13 मार्च से पूर्व अर्जियां लगा दी थी.
वहीं नारकोटिक्स विभाग ने अफीम फसल की देर से बुवाई के चलते जिनमें डोडे नहीं बन पाए उन्हें तत्काल ही हकाई कराने की प्रक्रिया चालू कर कई जगह फसल हकवा दी गई.
साथ ही फसल हरी होने से डोडे सूखने का इंतजार कर किसानों को पोस्तदाने का फायदा दिलाने की सोच के चलते कुछ समय बाद फसल हकाई की प्रक्रिया चालू होने वाली थी.
इसी बीच कोरोना वायरस के चलते लाॅकडाउन की घोषणा होने से नारकोटिक्स विभाग ने हकाई की प्रक्रिया को रोक दिया था. लेकिन अफीम किसानों के लिए डोडे सूखने के बाद अफीम फसल की निगरानी गले की फांस बनी हुई है.
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सूखे डोडो को नशेडियो, तस्करों और चोरों से बचाने के लिए किसान रात-दिन खेतों पर निगरानी रखने को मजबूर हो गया है. जहां एक ओर लाॅकडाउन के चलते अफीम का तौल प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी अप्रैल माह के प्रथम पखवाडे़ में आरंभ होने वाला था जो नहीं हो सका. जिससे किसानों को अपने घरों में रखी अफीम की सुरक्षा के कडे़ प्रबंध करने पड़ रहे है.