चित्तौड़गढ़. कोरोना संक्रमण के इस दौर में चिकित्सक की भूमिका सबसे अहम है, लेकिन शहर के एक निजी चिकित्सक का लालच इतना बढ़ गया कि पिता सहित संक्रमण का शिकार होने के बावजूद तीसरे ही दिन अपने हॉस्पिटल जा पहुंचा. यहां तक की मरीजों का इलाज करके उनकी जान से खिलवाड़ करने से भी नहीं चुका. गनीमत रही कि जिला प्रशासन को सूचना मिल गई और सोमवार को हॉस्पिटल पर ताला लगाते हुए दोनों ही पिता पुत्रों को क्वॉरेंटाइन कर दिया गया. प्रशासन ने पिता-पुत्र को बतौर सजा इंस्टीट्यूशनल क्वॉरेंटाइन करने के साथ कोतवाली पुलिस थाने में रिपोर्ट भी दी गई.
मामला नई पुलिया स्थित हॉस्पिटल का है. हॉस्पिटल संचालक डॉक्टर अंकित मेहता और उनके पिता राजमोहन मेहता की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद प्रशासन द्वारा हॉस्पिटल को 2 दिन के लिए बंद करने के आदेश दिए गए. इसके साथ ही दोनों ही पिता-पुत्र को 14 दिन के लिए होम क्वॉरेंटाइन कर दिया गया. लेकिन 2 दिन बाद ही दोनों ही पिता-पुत्र रविवार को हॉस्पिटल पहुंच गए.
पढे़ं: गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं...साल के आखिर तक गठित हो जाएगी नई राज्य इकाई : माकन
सूचना पर चिकित्सा विभाग की टीम हॉस्पिटल पहुंची तो डॉक्टर अंकित मेहता अपने पिता के साथ मरीजों को देख रहा था. चिकित्सा विभाग की टीम ने दोनों ही पिता-पुत्रों और स्टाफ को बाहर निकालकर सीज कर दिया और प्रशासनिक स्तर पर ताला ठोक दिया. हॉस्पिटल कर्मचारियों को 14 दिन के क्वॉरेंटाइन के लिए घर भेज दिया गया. वहीं राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 14 दिन के क्वॉरेंटाइन पीरियड को पूरा करवाने के लिए सजा के तौर पर पिता-पुत्र को इंस्टीट्यूशनल क्वॉरेंटाइन करते हुए कोविड-19 वार्ड में भर्ती कर दिया गया.
जिला प्रशासन ने इसे महामारी अधिनियम का उल्लंघन मानते हुए हॉस्पिटल संचालक डॉ. अंकित मेहता के खिलाफ कोतवाली पुलिस थाने में कार्रवाई के लिए रिपोर्ट दी है. उपखंड अधिकारी श्यामसुंदर बिश्नोई ने बताया कि इस कोरोना काल में चिकित्सकों की सबसे अधिक जिम्मेदारी है लेकिन पर हॉस्पिटल के संचालक द्वारा सरकार के दिशा-निर्देशों की पालना नहीं की गई. उनके खिलाफ हमने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ दोनों ही पिता पुत्र को सजा के तौर पर कोरोना वार्ड में उपचार के लिए भेजा है.