चित्तौड़गढ़. जिले में बढ़ते कोरोना संक्रमण का असर जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल पर भी देखने को मिल रहा है. जहां कोविड हॉस्पिटल में अधिकांश बेड फूल हो चुके हैं. हालत यह है कि नए कोरोना मराजों के लिए बेड तक नहीं मिल रहे हैं. इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए जिला कलेक्टर ने एक आदेश जारी कर कोरोना लक्षण रहित और कम गंभीर मरीजों को जिला मुख्यालय पर रेफर नहीं करने को कहा है.
आदेश में कलेक्टर ने माना कि इस प्रकार के कोरोना मरीजों को जिला मुख्यालय पर रेफर किया जा रहा है. जिससे यहां मरीजों का अनावश्यक दबाव बढ़ रहा है. जबकि जिले में संचालित कोविड-19 सेंटर्स में पर्याप्त बेड उपलब्ध हैं. इस सेंटर पर 943 बेड हैं, जोकि अधिकांश रिक्त चल रहे हैं. उन्होंने साफ कहा है कि होम आइसोलेशन के लिए कई मरीजों के घर पर अलग से कमरे में शौचालय उपलब्ध नहीं होने के बावजूद उन्हें होम आइसोलेट किया जा रहा है. जिससे संक्रमण का खतरा और भी बढ़ गया है और उनकी प्रभावी मॉनिटरिंग में भी मुश्किल आ रही है.
जहां जिले के सभी प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के नाम जारी इस आदेश में कहा गया है कि मरीज की हालत खराब होने पर ही उसे उच्चतर चिकित्सा संस्थाओं पर रेफर किया जा रहा है. जिससे मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी हो रही है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के रोगी के लक्षण सहित होने से होम आइसोलेशन के लिए अलग से कमरे में शौचालय उपलब्ध होने पर ही उसे होम आइसोलेशन में रखा जाए.
साथ ही उसके स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग ग्राम स्तरीय निगरानी दल और व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से की जाए. साथ ही कलेक्टर ने कहा कि यदि कोरोना मरीज के घर होम आइसोलेशन में रहने के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध नहीं हो या लक्षण दिखाई दे रहे हो तब ही उसे भर्ती कराया जाए. केवल ऑक्सीजन की आवश्यकता वाले गंभीर मरीजों और विशेषज्ञ चिकित्सक से उपचार की आवश्यकता वाले मरीजों को ही उच्चतर चिकित्सा संस्थाओं पर रेफर किया जाए. जिला कलेक्टर ने प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों से इन निर्देशों की तुरंत प्रभाव से पालना सुनिश्चित करवाने को कहा है.