चित्तौड़गढ़. जिन चार विधानसभाओं में उपचुनाव कराए जाने हैं उनमें से 3 सीटें अकेले मेवाड़ से हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मातृकुंडिया में यह किसान महापंचायत रखी गई है. मातृकुंडिया धार्मिक दृष्टि से भी लोगों की आस्था का केंद्र है.
जिन 3 सीटों के चुनाव कराए जा रहे हैं, मोटे तौर पर तीनों ही विधानसभाओं का केंद्र बिंदु माना जाता है. मेवाड़ की सहाड़ा, वल्लभनगर और राजसमंद विधानसभा सीटें संबंधित विधायकों के निधन के कारण रिक्त चल रही हैं. अब यदि सहाड़ा पर नजर डाले तो यह विधानसभा मातृकुंडिया के बॉर्डर पर है और महज 7 किलोमीटर की दूरी पर है. इसी प्रकार राजसमंद की बॉर्डर भी महज 15 किलोमीटर दूरी पर है.
उदयपुर में आने वाली वल्लभनगर विधानसभा जरूर यहां से दूर है. परंतु सीधी पहुंच के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं के यहां पहुंचने में कोई ज्यादा मुश्किल दिखाई नहीं देती. इसीलिए तीनों ही विधानसभाओं के बीच का केंद्र बिंदु मानते हुए कांग्रेस की ओर से इस किसान महापंचायत के लिए मातृकुंडिया को मुफीद माना गया.
गैदरिंग 50000 से पार
हालांकि सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने इस महापंचायत में 50000 लोगों के जुटने की बात कही है. लेकिन जानकारों का कहना है कि यह संख्या इससे पार हो सकती है. पार्टी कम लक्ष्य बता कर अधिक लोगों को जुटाना चाहती है ताकि पार्टी के प्रति लोगों में एक अच्छा माहौल बनाया जा सके कि लक्ष्य से भी कई गुना ज्यादा लोग आए जोकि कांग्रेस के प्रति लोगों का बढ़ता विश्वास दर्शाता है.
दावेदार दिखाएंगे दमखम
हालांकि पार्टी नेता छोटी मोटी बैठकें कर कार्यकर्ताओं को सभा में आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं लेकिन पता चला है कि इन तीनों ही सीटों के लिए दावेदारी करने वाले लोगों के कंधों पर भीड़ जुटाने का बोझ रख दिया गया है. क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश प्रभारी अजय माकन और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी मौजूद रहेंगे. ऐसे में दावेदार अपने समर्थन में अधिकाधिक लोगों को जुटाकर अपना दमखम दिखाने का प्रयास करेंगे.
एक अनुमान के अनुसार मोटे तौर पर हर विधानसभा से 5-5 लोग भी दावेदारी रखते हैं तो पंद्रह सौ से 2000 के बीच समर्थकों के साथ पहुंचेंगे. ऐसे में 25 से 30000 लोग दावेदारों की ओर से ही जुटा लिए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है.
दांव पर साख
हालांकि यह तीनों ही सीटें भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई हैं. लेकिन वल्लभनगर और सहाड़ा कांग्रेस के हाथ में थी ऐसे में पार्टी के लिए इन्हें बचाए रखना प्रतिष्ठा का सवाल होगी. पार्टी येन केन प्रकारेण इन दोनों ही सीटों को अपने पास रखना चाहेगी. इन तीनों सीटों पर पार्टी के खिलाफ परिणाम जाने पर प्रदेश में सत्ता संघर्ष और मुखर हो सकता है. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री गहलोत किसी भी प्रकार की कोताही बरतना नहीं चाहेंगे.
इधर भाजपा की रणनीति पर नजर डालें तो पार्टी नेता बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को एक्टिव करते दिखाई दे रहे हैं. पार्टी की ओर से प्रदेश स्तर के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रियों को बतौर प्रभारी लगाकर यह जता दिया है कि कांग्रेस के लिए अपनी दो सीटें बचाए रखना भी मुश्किल होगा.
चित्तौड़गढ़ भीलवाड़ा से जुटेंगे लोग
सूत्रों के अनुसार पार्टी की ओर से चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा के पार्टी नेताओं के साथ जनप्रतिनिधियों दो अलग-अलग लक्ष्य दिया गया है. क्योंकि दोनों ही जिलों का मातृकुंडिया बॉर्डर है ऐसे में कार्यकर्ताओं को यहां तक पहुंचाने में ज्यादा मुश्किल भी नहीं होगी. राजसमंद भी बॉर्डर पर है ऐसे में वहां से भी बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.