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चित्तौड़गढ़ः पंचायती राज पर निरक्षरता हावी, पत्र उल्टा पकड़ शपथ लेते दिखीं भाजपा की विजयी प्रत्याशी - राजस्थान ताजा हिंदी खबरें

देश में जनप्रतिनिधियों के उच्च शिक्षित होने की मांग बार-बार उठती रहती है. वहीं सरकारें जनप्रतिनिधि की शिक्षा को लेकर कई बार आदेशों में संशोधन करती रहती हैं. वहीं कई बार जनता के चुने हुए नुमाइंदे खुद के शिक्षित होने को लेकर हास्यास्पद परिस्थितियां पैदा कर देते हैं. कुछ ऐसा ही शुक्रवार को पंचायत राज चुनाव के तहत चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति सदस्य के शपथ ग्रहण के दौरान देखने को मिला.

Illiterate candidates in Panchayat Samiti, Panchayat Samiti elections in Chittorgarh
पत्र उल्टा पकड़ शपथ लेते दिखी भाजपा की विजयी प्रत्याशी
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Published : Dec 12, 2020, 12:39 PM IST

चित्तौड़गढ़. देश में जनप्रतिनिधियों के उच्च शिक्षित होने की मांग बार-बार उठती रहती है. वहीं सरकारें जनप्रतिनिधि की शिक्षा को लेकर कई बार आदेशों में संशोधन करती रहती हैं. वहीं कई बार जनता के चुने हुए नुमाइंदे खुद के शिक्षित होने को लेकर हास्यास्पद परिस्थितियां पैदा कर देते हैं. कुछ ऐसा ही शुक्रवार को पंचायत राज चुनाव के तहत चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति सदस्य के शपथ ग्रहण के दौरान देखने को मिला.

पत्र उल्टा पकड़ शपथ लेते दिखी भाजपा की विजयी प्रत्याशी

यहां एक महिला जनप्रतिनिधि अपने शपथ ग्रहण संबंधी पत्र को उल्टा रख कर पढ़ते हुए नजर आई. ऐसे में पूर्ववर्ती राज्य सरकार का आदेश वह आदेश, जिसमें 8वीं पास चुनाव लड़ेगा, वह सही साबित होता नजर आया, जिसे वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद बदल दिया था. जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ में पंचायत राज चुनाव की प्रक्रिया शुक्रवार को पूरी हो गई. इसमें अंतिम दिन चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति चुनाव में जीते हुए भाजपा के प्रत्याशियों को उपखंड अधिकारी श्यामसुंदर विश्नोई ने पंचायत समिति परिसर के सभा कक्ष में शपथ दिलाई. इनमें कुछ निर्वाचित सदस्य साक्षर भी नहीं थे.

इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिला, जब चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति के वार्ड संख्या पांच से भाजपा की विजयी प्रत्याशी कानीदेवी शपथ के समय जिस दस्तावेज पर शपथ लिखी हुई थी, उसको भी उल्टा पकड़ कर शपथ ले रही थी, यह नजारा मिडिया के कैमरे में कैद हो गया. लगातार कैमरा कानीदेवी पर ही फोकस होता रहा, लेकिन उसका ध्यान ही नहीं गया.

पढ़ें- 21 जिलों में सभी जिला प्रमुख साक्षर, 50 प्रतिशत डिग्री धारी, 222 प्रधानों में 220 साक्षर

अब इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो सदस्य पंचायत समिति में चुनाव जीत कर आए हैं, इस तरह से कैसे क्षेत्र का विकास करेंगे. जब उन्हें अक्षर ज्ञान भी नहीं है और कैसे अपने क्षेत्र के विकास के मुद्दे पंचायत समिति की बैठकों में रखेंगे. यह आने वाला समय ही बताएगा. जब भी पंचायत समिति की बैठक होगी तो बैठक काफी रोचक होगी. उन बैठकों में इनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा और कौन क्षेत्र के मुद्दे उठाएगा, यही देखना महत्वपूर्ण होगा.

वहीं पूर्व की वसुंधरा सरकार ने चुनाव लड़ने के लिए शिक्षित होना अनिवार्य करने का आदेश दिया था. वहीं प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुवा तो गहलोत सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के कई आदेशों को बदल दिया. इसमें चुनाव लड़ने पर शिक्षा की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि निरक्षर जनप्रतिनिधि किस प्रकार से अपने क्षेत्र का विकास कर पाएंगे.

चित्तौड़गढ़. देश में जनप्रतिनिधियों के उच्च शिक्षित होने की मांग बार-बार उठती रहती है. वहीं सरकारें जनप्रतिनिधि की शिक्षा को लेकर कई बार आदेशों में संशोधन करती रहती हैं. वहीं कई बार जनता के चुने हुए नुमाइंदे खुद के शिक्षित होने को लेकर हास्यास्पद परिस्थितियां पैदा कर देते हैं. कुछ ऐसा ही शुक्रवार को पंचायत राज चुनाव के तहत चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति सदस्य के शपथ ग्रहण के दौरान देखने को मिला.

पत्र उल्टा पकड़ शपथ लेते दिखी भाजपा की विजयी प्रत्याशी

यहां एक महिला जनप्रतिनिधि अपने शपथ ग्रहण संबंधी पत्र को उल्टा रख कर पढ़ते हुए नजर आई. ऐसे में पूर्ववर्ती राज्य सरकार का आदेश वह आदेश, जिसमें 8वीं पास चुनाव लड़ेगा, वह सही साबित होता नजर आया, जिसे वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद बदल दिया था. जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ में पंचायत राज चुनाव की प्रक्रिया शुक्रवार को पूरी हो गई. इसमें अंतिम दिन चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति चुनाव में जीते हुए भाजपा के प्रत्याशियों को उपखंड अधिकारी श्यामसुंदर विश्नोई ने पंचायत समिति परिसर के सभा कक्ष में शपथ दिलाई. इनमें कुछ निर्वाचित सदस्य साक्षर भी नहीं थे.

इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिला, जब चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति के वार्ड संख्या पांच से भाजपा की विजयी प्रत्याशी कानीदेवी शपथ के समय जिस दस्तावेज पर शपथ लिखी हुई थी, उसको भी उल्टा पकड़ कर शपथ ले रही थी, यह नजारा मिडिया के कैमरे में कैद हो गया. लगातार कैमरा कानीदेवी पर ही फोकस होता रहा, लेकिन उसका ध्यान ही नहीं गया.

पढ़ें- 21 जिलों में सभी जिला प्रमुख साक्षर, 50 प्रतिशत डिग्री धारी, 222 प्रधानों में 220 साक्षर

अब इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो सदस्य पंचायत समिति में चुनाव जीत कर आए हैं, इस तरह से कैसे क्षेत्र का विकास करेंगे. जब उन्हें अक्षर ज्ञान भी नहीं है और कैसे अपने क्षेत्र के विकास के मुद्दे पंचायत समिति की बैठकों में रखेंगे. यह आने वाला समय ही बताएगा. जब भी पंचायत समिति की बैठक होगी तो बैठक काफी रोचक होगी. उन बैठकों में इनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा और कौन क्षेत्र के मुद्दे उठाएगा, यही देखना महत्वपूर्ण होगा.

वहीं पूर्व की वसुंधरा सरकार ने चुनाव लड़ने के लिए शिक्षित होना अनिवार्य करने का आदेश दिया था. वहीं प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुवा तो गहलोत सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के कई आदेशों को बदल दिया. इसमें चुनाव लड़ने पर शिक्षा की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि निरक्षर जनप्रतिनिधि किस प्रकार से अपने क्षेत्र का विकास कर पाएंगे.

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