चित्तौड़गढ़. निंबाहेड़ा पुलिस आखिरकार बहुचर्चित बंटी उर्फ विकास आंजना हत्याकांड के दो आरोपियों तक पहुंच गई. प्रतापगढ़ जिले में मध्य प्रदेश की सीमा से दोनों को दबोच लिया गया. गांव के ही अरविंद आंजना ने 15 लाख में आरोपियों को हत्या की सुपारी दी थी. इसके साथ ही सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने भी राहत की सांस ली. परिजन ने केवल आंजना और उनके भांजे विक्रम आंजना पर आरोप लगाते हुए परिवाद दिया था.
भाजपा इसे मामले में लगातार मुखर थी. यहां तक कि धरना प्रदर्शन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया तक शामिल हुए और यह मामला चित्तौड़गढ़ ही नहीं पूरे प्रदेश में सुर्खियों में था. पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यन्त ने मंगलवार शाम प्रेस वार्ता में इस मामले का खुलासा किया. 2 फरवरी को शाम को बंटी उर्फ विकास पुत्र बापुलाल आंजना अपने मित्र विकास पुत्र गोपाल लाल आंजना के साथ निंबाहेड़ा में बैठने आए थे. वहां से लौटने के दौरान जेल के पास अज्ञात लोगों ने बंटी को घेर लिया और फायरिंग शुरू कर दी. इसमें बंटी घायल हो गया. जेलकर्मियों के सहयोग से बंटी को निम्बाहेड़ा अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां डाक्टरों ने बंटी को मृत घोषित कर दिया. उसके शरीर में 8 गोलियां पाई गईं.
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सीसीटीवी फुटेज से आरोपियों की हुई पहचान: निंबाहेड़ा कोतवाली थाना प्रभारी फूलचंद टेलर के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज हासिल करते हुए अनुसंधान के दौरान अजयपाल पुत्र प्रभुलाल जाट, सुरेश जाट पुत्र किशोर जाट, कृष्णपाल उर्फ कान्हा पुत्र गुलाब सिंह सिसोदिया रमेश उर्फ कान्हा पुत्र मन्नालाल भील द्वारा घटना कारित करना पाया गया.
तीन मददगार पहले से ही पुलिस गिरफ्त में मुख्य आरोपियों की घटना से पहले और बाद में मददगार के तौर पर 3 दिन पहले पुलिस ने चिन्हित करते हुए निंबाहेड़ा के कमल सिंह राजपूत, मंदसौर के राहुल सुर्यवंशी, पिपलिया मंडी के प्रभुलाल पुत्र भंवर लाल जाट को गिरफ्तार किया था. इन्हें होरी हनुमान मंदिर से दबोचा गया. मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी पर जिला पुलिस द्वारा 5-5 हजार रुपए इनाम की घोषणा की गई. जिला स्तर एवं वृत स्तर पर टीमों का गठन कर मुल्जिमान की गहन तलाश की जा रही थी. इसी दौरान पुलिस उपाधीक्षक निंबाहेड़ा आशीष कुमार ने मंगलवार को दबिश देकर अजयपाल जाट और कृष्णपाल को होरी हनुमान मन्दिर से दबोच लिया.
प्रतापगढ़ जेल में बनाई गई हत्या की प्लानिंग: पुलिस अधीक्षक के अनुसार पूछताछ में सामने आया कि अजयपाल गत वर्ष 30 अगस्त से 6 सितंबर तक प्राणघातक हमले के मामले में जिला कारागृह प्रतापगढ़ में रहा था. उसी समय हत्या के एक मामले में अरविन्द आंजना पुत्र भंवर लाल आंजना भी जेल में था. उस दौरान दोनों के बीच जेल में घनिष्ठता हो गई. अरविन्द ने बंटी आंजना से दुश्मनी होना बताकर बंटी की हत्या के लिये तैयार कर लिया.
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बेरोजगारी में ली सुपारी: चूंकि अजयपाल बेरोजगार होकर आर्थिक तंगी से जुंझ रहा था. इसलिए अरविन्द से 15 लाख रुपए की राशि तय कर बंटी की हत्या करने के लिये तैयार हो गया. इसके बाद अजयपाल ने इस कार्य को अंजाम देने के लिये अपने साथ पूर्व परिचित सुरेश जाट, कृष्णपाल उर्फ कान्हा, रमेश उर्फ कान्हा भील को साथ लिया. साजिश के तहत दो—तीन माह से बंटी आंजना की रेकी छोटीसादडी, निम्बाहेडा आदि जगह करते हुए 2 फरवरी को घटना को अंजाम दिया.