कोटा. बच्चों के भविष्य के लिए पेरेंट्स हमेशा चिंतित रहते हैं और शिक्षा के दो पड़ाव 10वीं और 12वीं के बाद पैरंट्स की चिंता बढ़ जाती है. बच्चों की बोर्ड परीक्षा खत्म होती है और कॅरियर और जॉब सिक्योरिटी को लेकर पैरंट्स चिंतित हो जाते हैं. इस संबंध में ईटीवी भारत ने कोटा के एक्सपर्ट और टीचर से बात की. उन्होंने बच्चों की समस्याओं पर अपनी राय दी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि दसवीं के बाद ही बच्चे अपना करियर की लाइन चुन लें.
कोटा के एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि दसवीं के बाद बच्चे के लिए डिप्लोमा ही ऑप्शन है. जिसमें आगे बढ़ आईटीआई कर सकता है या पॉलिटेक्निकल कॉलेज में एडमिशन ले सकता है. इसमें भी कई ब्रांचेज बच्चों के लिए है, जिनमें वे अपना भविष्य बना सकते हैं. डिप्लोमा करने वाले बच्चों को निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि लैटरल एंट्री से वे इंजीनियरिंग भी आगे कर सकते हैं. हालांकि कक्षा बारहवीं के बाद ही आईटीआई और डिप्लोमा की अधिकांश ब्रांचेज ही उनके लिए ओपन होती है.
12वीं के बाद इंजीनियरिंग और मेडिकल का पूरा फील्ड स्टूडेंट्स के लिए खुला हुआ है. एमबीबीएस और बीडीएस की तो बात होती है इसके अलावा भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने यूनानी सिद्धा होम्योपैथी और आयुर्वेद के लिए काफी ऑप्शंस खुले हुए हैं जिनकी काफी सीटें स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध है. साइंस और मैथ्स के अलावा बात की जाए तो जर्नलिज्म बड़ा सब्जेक्ट के लिए खुला हुआ है. दूसरा बच्चों के सामने ऑप्शन कॉमर्स और मैनेजमेंट का है. इसके अलावा होटल मैनेजमेंट या हॉस्पिटल मैनेजमेंट के कोर्सेज भी बच्चे ऑप्ट कर रहे हैं. बच्चे कानून की पढ़ाई कर सकते हैं, जिसमें अच्छा कॅरियर पर अपना बना सकते हैं.
हमारे देश में एग्रीकल्चर आज भी बड़ा फील्ड है. इसमें डेयरी, फिशरीज, सेरीकल्चर, एनिमल हसबेंडरी, क्रॉप मैनेजमेंट, बायोटेक्नोलॉजी में भी कॅरिअर बना सकते है. ऐसे स्टूडेंट्स के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के काफी द्वार खुले हुए हैं.
कोटा की स्टूडेंट सानिया खान दसवीं में तो टॉप परसेंटेज लेकर आई, इसके बाद साइंस से पढ़ाई की और 12वीं में भी अच्छी प्रतिशत लेकर वह पास हुई, लेकिन कन्फ्यूजन रहा कि वे आगे कौन सा सब्जेक्ट ले और क्या पढ़ाई करें. जब तक वे तय कर पाती कि उन्हें बीएससी करनी है. तब देर हो चुकी थी. देश की कई यूनिवर्सिटीज में बीएससी एडमिशन की डेट ही निकल चुकी थी. ऐसे में उन्हें कोटा के जेडीबी कॉलेज में ही प्रवेश लेना पड़ा अब वे यही पढ़ाई कर रही है.
कोटा के शिक्षक वीरेंद्र सिंह राठौड़ बताते हैं कि बच्चों के लिए साइंस एक अच्छा फील्ड है, लेकिन इसके अलावा भी बच्चे का माइंड और एटीट्यूड देखकर डिसाइड करना होता है. बच्चे में फैशन डिजाइनिंग में रुचि है, तो उसमें जा सकते हैं. मैकेनिकल फील्ड में रुचि है तो उसमें अपना कॅरियर बना सकते हैं. साइंस के फील्ड में बच्चे को ग्रोथ ज्यादा मिलती है. बच्चा जरूरी नहीं है मेडिकल या इंजीनियरिंग फील्ड में जाए. अलग-अलग फील्ड में बैचलर ऑफ साइंस होता है, फार्मेसी, नर्सिंग और रिसर्च में भी जा सकते है. साइंस बैकग्राउंड के बच्चों को कंपटीशन में भी बच्चों को फायदा मिलता है.
इसी तरह पेरेंट्स ओमप्रकाश मानते हैं कि बच्चों का सब्जेक्ट सिलेक्शन पैरंट्स के सामने एक बड़ी समस्या है. बच्चों को भी सब्जेक्ट के बारे में नॉलेज कम हो पाती है, ऐसे में वह भ्रमित हो जाते हैं. कई ऐसे कोर्सेज होते हैं, जो हमारे शहर में नहीं होते हैं. ऐसे में बच्चे उन्हें ले भी नहीं पाते हैं. मीडिया, टेक्नोलॉजी और फैशन डिजाइनिंग एसएस सब्जेक्ट है. जो हर कहीं उपलब्ध नहीं है. ऐसे में बच्चों की सब्जेक्ट सलेक्शन को लेकर कॅरिअर काउंसलिंग जरूरी है.