जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 17 साल पहले नगर निगम की ओर से निर्माणाधीन मकान तोड़ने की कार्रवाई को गलत बताते हुए नगर निगम पर 10 लाख रुपए का हर्जाना लगा दिया है. अदालत ने हर्जाना राशि 1 माह में याचिकाकर्ता को अदा करने को कहा है. वहीं अदालत ने दोषी अधिकारी से हर्जाना राशि वसूलने के आदेश देते हुए उस पर विभागीय कार्रवाई भी करने को कहा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश पीसी स्वामी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2002 में याचिकाकर्ता सोडाला के रामनगर स्थित अपनी जेडीए पट्टाशुदा जमीन पर निर्माण करवा रहा था. वहां निगम के दो कर्मचारियों ने आकर ₹15000 की मांग की. याचिकाकर्ता ने जब रुपए देने से इंकार कर दिया तो अगले दिन निगम के दस्ते ने आकर मकान के आगे का हिस्सा तोड़ दिया.
याचिका में बताया गया कि निगम की कार्रवाई से याचिकाकर्ता को 7 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. इसलिए उसे ब्याज सहित क्षतिपूर्ति राशि दिलाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने नगर निगम पर 10 लाख रुपए का हर्जाना लगाते हुए दोषी अधिकारी पर कार्रवाई करने को कहा है. गौरतलब है की याचिका पर सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से किसी ने पैरवी नहीं की.