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आरबीएम अस्पताल में महिला-पुरुष मरीजों के लिए नहीं अलग-अलग शौचालय, एक ही शौचालय में जाने को मजबूर - TOILETS PROBLEM IN RBM HOSPITAL

भरतपुर के आरबीएम अस्पताल में महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं हैं. जिससे महिलाओं को परेशानी होती है.

RBM hospital in Bharatpur
आरबीएम अस्पताल (ETV Bharat Bharatpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 15, 2024, 7:43 PM IST

भरतपुर: मुख्यमंत्री के गृह जिले और भरतपुर संभाग के सबसे बड़े आरबीएम जिला अस्पताल में इन दिनों शर्मसार करने वाले हालात बने हुए हैं. यहां के वार्ड में पुरुष और महिला मरीजों के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है. मजबूरन महिला और पुरुष मरीज व उनके परिजनों को एक ही शौचालय में जाना पड़ रहा है. इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारियों का तो यह तक कहना है कि यदि महिलाओं को शौचालय जाना है, तो दूसरे वार्डों में बने महिला शौचालय में जाएं.

आरबीएम अस्पताल के दूसरी मंजिल पर आर्थोपेडिक पुरुष वार्ड और डायलिसिस वार्ड हैं. लेकिन दोनों वार्डों में महिला और पुरुष के लिए एक-एक शौचालय की सुविधा उपलब्ध है. हालांकि ऑर्थोपेडिक का पुरुष वार्ड है, उसमें महिला मरीज भर्ती नहीं होती हैं, लेकिन पुरुष मरीजों की महिला परिजनों को शौचालय जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. मजबूरन पुरुष और महिलाओं को एक ही शौचालय का उपयोग करना पड़ रहा है. ऐसी ही स्थिति डायलिसिस वार्ड की है. यहां डायलिसिस के लिए भर्ती होने वाले महिला, पुरुष मरीजों के लिए एक ही शौचालय की सुविधा उपलब्ध है. ऐसे में महिला-पुरुष मरीजों को एक ही शौचालय का उपयोग करना पड़ रहा है.

पढ़ें: महिला आयोग की अध्यक्ष ने देखा सीएम के गृह जिले का महिला थाना, न महिला थानेदार, न फर्नीचर और न शौचालय पर दरवाजा

असल में ऑर्थोपेडिक पुरुष वार्ड में पहले महिला-पुरुष के लिए दो शौचालय बने हुए थे. लेकिन यहां डायलिसिस वार्ड बनाया गया, तो एक शौचालय डायलिसिस वार्ड को दे दिया. अब यहां पर पुरुष वार्ड होने की वजह से पुरुष के लिए एक ही शौचालय रखा गया. लेकिन यहां आने वाली महिला परिजनों को दूसरे वार्डों के महिला शौचालय में जाना पड़ता है. एक महिला परिजन ने बताया कि पुरुषों के बाथरूम में मजबूरी में जाना पड़ता है. अस्पताल पीएमओ डॉ नगेन्द्र भदौरिया ने बताया कि आर्थोपेडिक पुरुष वार्ड है. इसलिए यहां महिला मरीज नहीं होने की वजह से ज्यादा परेशानी नहीं होती. जबकि महिला परिजनों को अन्य वार्डो में बने महिला शौचालय में जाना होगा. डायलिसिस वार्ड में एक शौचालय है. उसके महिला पुरुषों के लिए दो भाग कराने जा रहे हैं, जिसमें करीब एक माह का वक्त लगेगा.

भरतपुर: मुख्यमंत्री के गृह जिले और भरतपुर संभाग के सबसे बड़े आरबीएम जिला अस्पताल में इन दिनों शर्मसार करने वाले हालात बने हुए हैं. यहां के वार्ड में पुरुष और महिला मरीजों के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है. मजबूरन महिला और पुरुष मरीज व उनके परिजनों को एक ही शौचालय में जाना पड़ रहा है. इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारियों का तो यह तक कहना है कि यदि महिलाओं को शौचालय जाना है, तो दूसरे वार्डों में बने महिला शौचालय में जाएं.

आरबीएम अस्पताल के दूसरी मंजिल पर आर्थोपेडिक पुरुष वार्ड और डायलिसिस वार्ड हैं. लेकिन दोनों वार्डों में महिला और पुरुष के लिए एक-एक शौचालय की सुविधा उपलब्ध है. हालांकि ऑर्थोपेडिक का पुरुष वार्ड है, उसमें महिला मरीज भर्ती नहीं होती हैं, लेकिन पुरुष मरीजों की महिला परिजनों को शौचालय जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. मजबूरन पुरुष और महिलाओं को एक ही शौचालय का उपयोग करना पड़ रहा है. ऐसी ही स्थिति डायलिसिस वार्ड की है. यहां डायलिसिस के लिए भर्ती होने वाले महिला, पुरुष मरीजों के लिए एक ही शौचालय की सुविधा उपलब्ध है. ऐसे में महिला-पुरुष मरीजों को एक ही शौचालय का उपयोग करना पड़ रहा है.

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असल में ऑर्थोपेडिक पुरुष वार्ड में पहले महिला-पुरुष के लिए दो शौचालय बने हुए थे. लेकिन यहां डायलिसिस वार्ड बनाया गया, तो एक शौचालय डायलिसिस वार्ड को दे दिया. अब यहां पर पुरुष वार्ड होने की वजह से पुरुष के लिए एक ही शौचालय रखा गया. लेकिन यहां आने वाली महिला परिजनों को दूसरे वार्डों के महिला शौचालय में जाना पड़ता है. एक महिला परिजन ने बताया कि पुरुषों के बाथरूम में मजबूरी में जाना पड़ता है. अस्पताल पीएमओ डॉ नगेन्द्र भदौरिया ने बताया कि आर्थोपेडिक पुरुष वार्ड है. इसलिए यहां महिला मरीज नहीं होने की वजह से ज्यादा परेशानी नहीं होती. जबकि महिला परिजनों को अन्य वार्डो में बने महिला शौचालय में जाना होगा. डायलिसिस वार्ड में एक शौचालय है. उसके महिला पुरुषों के लिए दो भाग कराने जा रहे हैं, जिसमें करीब एक माह का वक्त लगेगा.

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