प्रदेश में अन्य जिलों से अलवर बिल्कुल अलग रहा है. जिले के लोगों ने पांच साल में दो सांसदों को चुना है. मोदी लहर में जीते सांसद महंत चांदनाथ कुछ दिनों बाद ही बीमारी के चलते जनता से दूर हो गए. 2018 में उनका निधन होने के बाद अलवर में लोकसभा के उप चुनाव हुए. इसमें जनता का गुस्सा साफ देखने को मिला. लोगों ने कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ कारण सिंह यादव को भारी वोट देकर जीता दिया.
कांग्रेस को देश में मिली यह पहली जीत थी. इसके चलते 5 साल अलवर के लोगों ने अपने सांसद का इंतजार किया. इतना ही नहीं सांसद को मिलने वाला फंड अंतिम 1 साल में खर्च किया गया. ऐसे में अलवर की जनता 5 साल बिना सांसद जैसे हालातों में रही. अलवर के मुद्दों को संसद में उठाने वाला कोई नहीं था.
5 साल में से साढे़ तीन साल अलवर की जनता बिना सांसद जैसी रही. दरअसल चुनाव जीतने के बाद महंत चांदनाथ रोहतक चले गए. इस दौरान अलवर में उन्होंने कोई कार्यालय भी नहीं बनाया. जिसमें लोग अपनी समस्या लेकर जा सके. तो कुछ दिन बाद उनके बीमार होने की सूचना मिली. इस बीच वो कई बार संसद में तो पहुंचे लेकिन अलवर नहीं आए. तो वहीं सांसद निधि का पैसा भी वैसे ही पड़ा रहा.
प्रत्येक सांसद को हर साल 5 करोड़ रुपए विकास कार्य के लिए मिलते हैं. लेकिन महंत चांदनाथ ने अपने साढे तीन साल के कार्यकाल में केवल 34 लाख रुपए के पांच काम कराए. तो वहीं ऐसे में 2018 में उपचुनाव के दौरान चुने गए सांसद करण सिंह यादव के सामने कई तरह की चुनौतियां थी. उनको सवा साल में सांसद कोटे का 25 करोड़ रुपए का बजट खर्च करना था.
करण सिंह यादव ने चुनाव जीतने के तुरंत बाद लोगों के लिए कार्य स्वीकृत करने शुरू कर दिए. अभी तक करीब 15 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है. 15 करोड़ में करीब 519 विकास कार्य किए जा रहे हैं. जबकि 26 करोड़ रुपए लागत के 950 विकास कार्यों की प्रशंसा सांसद द्वारा की गई है.
वहीं जिला परिषद की ओर से अभी तक 2283 लाख की लागत के 825 विकास कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी गई है. इस हिसाब से केवल 9 करोड रुपए से ज्यादा लागत के विकास कार्य को वित्तीय स्वीकृति का इंतजार है.
हालांकि करीब 1 साल का समय होने के चलते डॉक्टर करण सिंह यादव ने किसी भी बड़े जन आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया. तो वही महंत चांदनाथ भी अलवर में नहीं रहते थे इसलिए उन्होंने भी किसी आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया. डॉक्टर करण सिंह यादव की यह विशेषता है कि वो जहां भी जाते हैं जनसुनवाई करते हैं. क्योंकि वो पेशे से डॉक्टर हैं इसलिए उन्होंने लोगों का इलाज भी किया है. दवा व जांच के उपकरण यादव हमेशा अपने साथ रखते हैं.
करण सिंह यादव के अलवर, बहरोड व दिल्ली में घर है. वो सभी जगह पर जहां भी रहते हैं सुबह 10 बजे तक व शाम 6 बजे बाद जनसुनवाई करते हैं और लोगों से मिलते हैं. करण सिंह यादव 2 बार 20 सूत्री क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा प्रदेश की चिकित्सा समिति के सदस्य भी रह चुके हैं. इससे पहले करण सिंह यादव दो बार सांसद व दो बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में संसद में होने वाले सत्र के दौरान स्वास्थ्य रेलवे सहित कई अहम सवाल संसद में लगाए हैं.
हालांकि अलवर की जनता से जब इस बारे में पूछा गया। तो वो सांसद को लेकर खासे कंफ्यूज नजर आए. दरअसल कुछ ने तो आज तक अलवर के सांसद को देखा ही नहीं, कुछ ने कहा देखा जरूर लेकिन अलवर को सांसद को कोई फायदा नहीं मिला. इस बारे में जब दुकानदार व व्यापारियों से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा अलवर के 5 साल तो एक तरह से बिना सांसद के निकल गए. सांसद का होना या नहीं होने का अलवर की जनता पर कोई फर्क नहीं नजर आया.
तो वही युवाओं का कहना था कि वो करण सिंह यादव को फिर से एक मौका दे सकते हैं. क्योंकि वो साफ छवि के नेता हैं. जबकि बुजुर्गों का कहना था अलवर में अपार विकास की संभावनाएं हैं. पार्टियों को ऐसे लोगों को टिकट देना चाहिए. जो स्थानीय हो व लोगों की समस्याएं सुन सके और उनका समाधान कर सके.
बाहरी प्रत्याशी चुनाव जीतने के बाद लौट कर जनता के बीच नहीं आते हैं। ऐसे में जनता का चुनाव पर लोकतंत्र से विश्वास उठता जा रहा है। तो वही अलवर के सांसद करण सिंह यादव को अलवर की जनता ने 10 में से 7 अंक दिए हैं।
फाइनल रिपोर्ट- 7/10