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नेताजी रो रिपोर्ट कार्ड...कोई पास, कोई फेल..जनता बेहाल (अजमेर सीट)

अजमेर लोकसभा क्षेत्र को बीते 5 साल में दो सांसद मिले. इनमें एक का निधन हो गया वहीं उपचुनाव में दूसरे को मौका मिला तो वह सांसद रहते हुए विधानसभा चुनाव लड़ कर राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए. लिहाजा कहा जा सकता है कि 5 वर्ष में सांसद का फायदा अजमेर लोकसभा क्षेत्र को नहीं मिला.

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Published : Mar 2, 2019, 4:49 PM IST

फोटो.

अजमेर. 16वीं लोकसभा चुनाव वाकई में चौंकाने वाला चुनाव था. गुजरात से उठी आंधी ने देश को अपनी गोद में ले लिया और नरेंद्र मोदी की लहर में विपक्षी पार्टियां तिनके की तरह उड़ गईं. राजस्थान में भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. उस वक्त अजमेर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस से सांसद रहे सचिन पायलट का मुकाबला बीजेपी के सांवर लाल जाट से हुआ. मोदी की आंधी में पायलट टिक नहीं सके और सांवरलाल जाट ने बड़ी जीत दर्ज करी.
खास बात यह है कि जाट अपनी जीत से खुश नहीं थे. या कहें कि जाट सांसद का चुनाव लड़ना ही नहीं चाहते थे मगर यह उनकी किस्मत थी कि राजस्थान की सबसे बड़ी पंचायत में जलदाय मंत्री रहे सांवरलाल जाट देश की सबसे बड़ी पंचायत में भी मंत्री बन गए. जाट के मंत्री बनने से अजमेर के लोगों को काफी उम्मीदें थी. इसी उम्मीद में 3 साल बीत गए और सांवर लाल जाट भी चल बसे.
जाट के निधन से राजस्थान में बीजेपी को झटका लगा. अजमेर लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुए बीजेपी ने सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा को मैदान में उतारा. इधर कांग्रेस में प्रदेश की कमान संभाल रहे सचिन पायलट ने उप चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय ले लिया. लिहाजा डॉ रघु शर्मा को मैदान में उतारा गया. उपचुनाव में हुए सियासी घमासान में डॉ रघु शर्मा ने जीत दर्ज की. मगर उनका मन संसद में नहीं बल्कि अपनी विधानसभा क्षेत्र केकड़ी में ही लगा रहा.
डॉक्टर शर्मा भी लोक सभा उप चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. कपिल शर्मा को लोक सभा में सांसद के रूप में 9 महीने का वक्त मिला. जिससे उन्होंने विपक्ष की भूमिका निभाई वहीं किशनगढ़ हवाई अड्डे और अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर भी लोकसभा में सवाल उठाए.
पायलट का अजमेर से मोहभंग होने के बाद अजमेर के लोगों को कद्दावर नेता की कमी खल रही थी. जिसको डॉ रघु शर्मा के रूप में अजमेर की जनता ने अपना लिया. मगर डॉक्टर शर्मा का मन तो विधायक और मंत्री बनने में लगा था. यही वजह है कि सांसद रहते उन्होंने सांसद कोष का ज्यादातर पैसा की घड़ी विधानसभा क्षेत्र में ही लगाया. जिससे लोकसभा क्षेत्र में लोगों में कांग्रेस के प्रति नाराजगी उत्पन्न हो गई. इसका खामियाजा भी कांग्रेस को अजमेर में झेलना पड़ा. डॉक्टर शर्मा केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से जीत गए लेकिन जिले में 8 विधानसभा क्षेत्र में से 6 सीटें कांग्रेस को गंवानी पड़ी.
वर्तमान में जिले से डॉ रघु शर्मा केकड़ी क्षेत्र से विधायक और राजस्थान सरकार में चिकित्सा मंत्री हैं यानी डॉ रघु शर्मा की महत्वाकांक्षा तो पूरी हो गई मगर अजमेर लोकसभा क्षेत्र की जनता की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी. ज्यादातर लोगों का मानना है कि डॉक्टर शर्मा चिकित्सा मंत्री का पद छोड़कर द्वारा सांसद का चुनाव नहीं लड़ेंगे यदि लड़ते हैं तो उन्हें सफलता मिलेगी इसको लेकर संशय है.

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देखें रिपोर्ट

अजमेर. 16वीं लोकसभा चुनाव वाकई में चौंकाने वाला चुनाव था. गुजरात से उठी आंधी ने देश को अपनी गोद में ले लिया और नरेंद्र मोदी की लहर में विपक्षी पार्टियां तिनके की तरह उड़ गईं. राजस्थान में भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. उस वक्त अजमेर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस से सांसद रहे सचिन पायलट का मुकाबला बीजेपी के सांवर लाल जाट से हुआ. मोदी की आंधी में पायलट टिक नहीं सके और सांवरलाल जाट ने बड़ी जीत दर्ज करी.
खास बात यह है कि जाट अपनी जीत से खुश नहीं थे. या कहें कि जाट सांसद का चुनाव लड़ना ही नहीं चाहते थे मगर यह उनकी किस्मत थी कि राजस्थान की सबसे बड़ी पंचायत में जलदाय मंत्री रहे सांवरलाल जाट देश की सबसे बड़ी पंचायत में भी मंत्री बन गए. जाट के मंत्री बनने से अजमेर के लोगों को काफी उम्मीदें थी. इसी उम्मीद में 3 साल बीत गए और सांवर लाल जाट भी चल बसे.
जाट के निधन से राजस्थान में बीजेपी को झटका लगा. अजमेर लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुए बीजेपी ने सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा को मैदान में उतारा. इधर कांग्रेस में प्रदेश की कमान संभाल रहे सचिन पायलट ने उप चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय ले लिया. लिहाजा डॉ रघु शर्मा को मैदान में उतारा गया. उपचुनाव में हुए सियासी घमासान में डॉ रघु शर्मा ने जीत दर्ज की. मगर उनका मन संसद में नहीं बल्कि अपनी विधानसभा क्षेत्र केकड़ी में ही लगा रहा.
डॉक्टर शर्मा भी लोक सभा उप चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. कपिल शर्मा को लोक सभा में सांसद के रूप में 9 महीने का वक्त मिला. जिससे उन्होंने विपक्ष की भूमिका निभाई वहीं किशनगढ़ हवाई अड्डे और अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर भी लोकसभा में सवाल उठाए.
पायलट का अजमेर से मोहभंग होने के बाद अजमेर के लोगों को कद्दावर नेता की कमी खल रही थी. जिसको डॉ रघु शर्मा के रूप में अजमेर की जनता ने अपना लिया. मगर डॉक्टर शर्मा का मन तो विधायक और मंत्री बनने में लगा था. यही वजह है कि सांसद रहते उन्होंने सांसद कोष का ज्यादातर पैसा की घड़ी विधानसभा क्षेत्र में ही लगाया. जिससे लोकसभा क्षेत्र में लोगों में कांग्रेस के प्रति नाराजगी उत्पन्न हो गई. इसका खामियाजा भी कांग्रेस को अजमेर में झेलना पड़ा. डॉक्टर शर्मा केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से जीत गए लेकिन जिले में 8 विधानसभा क्षेत्र में से 6 सीटें कांग्रेस को गंवानी पड़ी.
वर्तमान में जिले से डॉ रघु शर्मा केकड़ी क्षेत्र से विधायक और राजस्थान सरकार में चिकित्सा मंत्री हैं यानी डॉ रघु शर्मा की महत्वाकांक्षा तो पूरी हो गई मगर अजमेर लोकसभा क्षेत्र की जनता की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी. ज्यादातर लोगों का मानना है कि डॉक्टर शर्मा चिकित्सा मंत्री का पद छोड़कर द्वारा सांसद का चुनाव नहीं लड़ेंगे यदि लड़ते हैं तो उन्हें सफलता मिलेगी इसको लेकर संशय है.

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Intro:अजमेर अजमेर लोकसभा क्षेत्र को विगत 5 साल में दो सांसद मिले इनमें एक का निधन हो गया वहीं उपचुनाव में दूसरे को मौका मिला तो वह सांसद रहते विधानसभा चुनाव लड़ कर राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए लिहाजा कहा जा सकता है कि 5 वर्ष में सांसद का फायदा अजमेर लोकसभा क्षेत्र को नहीं मिला।


Body:16 लोकसभा चुनाव 2015 30 में चौंकाने वाला चुनाव था गुजरात से उठी आंधी ने देश को अपनी गोद में ले लिया और नरेंद्र मोदी की लहर में विपक्षी पार्टियां तिनके की तरह उड़ गई राजस्थान में भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया उस वक्त अजमेर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस से सांसद रहे सचिन पायलट का मुकाबला बीजेपी के सांवर लाल जाट से हुआ मोदी की आंधी में पायलट टिक नहीं सके और सांवरलाल जाट नहीं बड़ी जीत दर्ज कराई खास बात यह है कि जाट अपनी जीत से खुश नहीं थे यह कहे कि जाट सांसद का चुनाव लड़ना ही नहीं चाहते थे मगर यह उनकी किस्मत थी कि राजस्थान की सबसे बड़ी पंचायत में जलदाय मंत्री रहे सांवरलाल जाट देश की सबसे बड़ी पंचायत में भी मंत्री बन गए जाट के मंत्री बनने से अजमेर के लोगों को काफी उम्मीदें थी इसी उम्मीद में 3 साल बीत गए और सांवर लाल जाट भी चल बसे जाट के निधन से राजस्थान में बीजेपी को झटका लगा अजमेर लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुए बीजेपी ने सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा को मैदान में उतारा इधर कांग्रेस में प्रदेश की कमान संभाल रहे सचिन पायलट ने उप चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय ले लिया लिहाजा डॉ रघु शर्मा को मैदान में उतारा गया उपचुनाव में हुए सियासी घमासान में डॉ रघु शर्मा ने जीत दर्ज की मगर उनका मन संसद में नहीं बल्कि अपनी विधानसभा क्षेत्र केकड़ी में ही लगा रहा दर्शन डॉक्टर शर्मा भी लोक सभा उप चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे कपिल शर्मा को लोक सभा में सांसद के रूप में 9 माह का वक्त मिला जिससे उन्होंने विपक्ष की भूमिका निभाई वहीं किशनगढ़ हवाई अड्डे और अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर भी लोकसभा में सवाल उठाए .....
डॉ रघु शर्मा ...( फाइल )

पायलट का अजमेर से मोहभंग होने के बाद अजमेर के लोगों को कद्दावर नेता की कमी खल रही थी जिसको डॉ रघु शर्मा के रूप में अजमेर की जनता ने अपना लिया मगर डॉक्टर शर्मा का मन तो विधायक और मंत्री बनने में लगा था यही वजह है कि सांसद रहते उन्होंने सांसद कोष का ज्यादातर पैसा की घड़ी विधानसभा क्षेत्र में ही लगाया जिससे लोकसभा क्षेत्र में लोगों में कांग्रेस के प्रति नाराजगी उत्पन्न हो गई इसका खामियाजा भी कांग्रेस को अजमेर में झेलना पड़ा डॉक्टर शर्मा केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से जीत गए लेकिन जिले में 8 विधानसभा क्षेत्र में से 6 सीटें कांग्रेस को गंवानी पड़ी वर्तमान में जिले से डॉ रघु शर्मा केकड़ी क्षेत्र से विधायक और राजस्थान सरकार में चिकित्सा मंत्री हैं यानी डॉ रघु शर्मा की महत्वाकांक्षा तो पूरी हो गई मगर अजमेर लोकसभा क्षेत्र की जनता की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी ज्यादातर लोगों का मानना है कि डॉक्टर शर्मा चिकित्सा मंत्री का पद छोड़कर द्वारा सांसद का चुनाव नहीं लड़ेंगे यदि लड़ते हैं तो उन्हें सफलता मिलेगी इसको लेकर संशय है.....

बाइट- भागचंद -स्थानीय
बाईट- अरविंद मीणा
बाइट- योगेंद्र- स्थानीय
बाईट- अशरफ




Conclusion:विगत 5 वर्षों के दरमियान अजमेर को दो सांसद पक्ष और विपक्ष के रूप में मिले लेकिन दोनों ही अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
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