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महेंद्रजीत सिंह मालवीय मंत्री नहीं बने...लेकिन अब लोकसभा का टिकट भी नहीं मिलेगा..ये है खास वजह

जयपुर. कांग्रेस में लोकसभा चुनाव की टिकट किसे दी जाए और किसे नहीं दी जाए. इसे लेकर लगातार मंथन चल रहा है. बात अगर डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट की करें तो यहां से महेंद्रजीत सिंह मालवीय या फिर उनकी पत्नी रेशम मालवीय को टिकट नहीं मिल सकता है. इसकी क्या है खास वजह आइए जानते हैं.

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Published : Mar 13, 2019, 7:34 PM IST

कांग्रेस की ओर से जिन फॉर्मूलों की बात इस बार टिकट देने के लिए की जा रही है अगर वो फॉर्मूला लागू होता है तो बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट से महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को परेशानी हो सकती है. बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट में महेंद्रजीत सिंह मालवीय या उनकी पत्नी रेशम मालवीय की टिकट भी इस समय अटकी हुई है. इसके पीछे मालवीय का विधायक होना तो कारण है ही, साथ ही सबसे बड़ा कारण यह है कि डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट में एक परंपरा बनी हुई है कि एक बार यह सिर्फ डूंगरपुर के कोटे में जाती है तो दूसरी बार बांसवाड़ा के कोटे में.

देखें वीडियो

ऐसे में पिछले चुनाव में इस सीट पर बांसवाड़ा के कोटे से रेशम मालवीय चुनाव लड़ चुकी है और इस बार इस सीट पर डूंगरपुर जिले का कोटा बनता है. ऐसे में चुनाव जीतने के बावजूद भी इस सीट से महेंद्र जीत सिंह मालवीय या उनकी पत्नी रेशम मालवीय का टिकट होना लगभग ना के बराबर है.
अगर मालवीय को टिकट नहीं मिलता है तो पहले तो वो गहलोत सरकार में प्रबल दावेदार होने के बाद भी मंत्री नहीं बन पाए. और अब नए फार्मूले की वजह से लोकसभा का टिकट भी नहीं पाएंगे. वहीं उनकी पत्नी भी नए फॉर्मूले के चपेट में आ रही है. ऐसे में क्या कांग्रेस अपने फॉर्मूले में बदलाव कर इन्हें टिकट देगी. ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा चुनाव के दौरान बनाए गए कई फॉर्मूले आखिरी समय में नामों के ऐलान के साथ टूटते हुए नजर आए थे

कांग्रेस की ओर से जिन फॉर्मूलों की बात इस बार टिकट देने के लिए की जा रही है अगर वो फॉर्मूला लागू होता है तो बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट से महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को परेशानी हो सकती है. बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट में महेंद्रजीत सिंह मालवीय या उनकी पत्नी रेशम मालवीय की टिकट भी इस समय अटकी हुई है. इसके पीछे मालवीय का विधायक होना तो कारण है ही, साथ ही सबसे बड़ा कारण यह है कि डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट में एक परंपरा बनी हुई है कि एक बार यह सिर्फ डूंगरपुर के कोटे में जाती है तो दूसरी बार बांसवाड़ा के कोटे में.

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ऐसे में पिछले चुनाव में इस सीट पर बांसवाड़ा के कोटे से रेशम मालवीय चुनाव लड़ चुकी है और इस बार इस सीट पर डूंगरपुर जिले का कोटा बनता है. ऐसे में चुनाव जीतने के बावजूद भी इस सीट से महेंद्र जीत सिंह मालवीय या उनकी पत्नी रेशम मालवीय का टिकट होना लगभग ना के बराबर है.
अगर मालवीय को टिकट नहीं मिलता है तो पहले तो वो गहलोत सरकार में प्रबल दावेदार होने के बाद भी मंत्री नहीं बन पाए. और अब नए फार्मूले की वजह से लोकसभा का टिकट भी नहीं पाएंगे. वहीं उनकी पत्नी भी नए फॉर्मूले के चपेट में आ रही है. ऐसे में क्या कांग्रेस अपने फॉर्मूले में बदलाव कर इन्हें टिकट देगी. ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा चुनाव के दौरान बनाए गए कई फॉर्मूले आखिरी समय में नामों के ऐलान के साथ टूटते हुए नजर आए थे
Intro:फार्मूला लगा तो कांग्रेस में अटकेगी कांग्रेस के दो दिग्गजों की टिकट डूंगरपुर बांसवाड़ा से महेंद्रजीत सिंह मालवीया या उनकी पत्नी रेशम मालवीय और उदयपुर से रघुवीर मीणा यह उनकी पत्नी बसंती की टिकट पर संशय


Body:कांग्रेस में लोकसभा चुनाव की टिकट किसे दी जाए और किसे नहीं दी जाए इसे लेकर लगातार मंथन चल रहा है लेकिन जिन फॉर्मूलों की बात इस बार टिकट देने के लिए की जा रही है अगर वो फॉर्मूले लागू हुए तो कांग्रेस के दो दिग्गजो उदयपुर के रघुवीर मीना ओर बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट से महेन्द्रजीत सिंह मालवीय।खास बात ये है कि इन दोनों दिग्गजो की पत्नियां भी टिकट मांग रही है लेकिन उसमें भी परिजनों के टिकट नही देने का फार्मूला आड़े आ रहा है
रघुवीर मीणा या बसंती मीणा
उदयपुर सीट से रघुवीर मीणा सांसद भी रह चुके हैं और वर्तमान में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य भी हैं लेकिन इतना बड़ा कद होने के बाद भी रघुवीर मीणा को टिकट मिलेगा यह तय नहीं है और इसका कारण है कांग्रेस में के वितरण के लिए बने फॉर्मूले दरअसल इस बार कांग्रेस ने अब तक यह निर्णय लिया है कि जहां तक हो सकेगा वह वर्तमान विधायकों या विधायक का चुनाव लड़ चुके नेताओं को टिकट देने से बचेंगे तो इसके साथ ही एक नियम यह भी बना है कि जो नेता वर्तमान में किसी विधायक के परिवार की सदस्य हैं उनको भी टिकट देने से परहेज किया जाएगा ऐसे में रघुवीर मीणा जो विधानसभा के चुनाव में हार झेल चुके हैं ऐसे में उनका टिकट वैसे ही मुश्किल हो रहा था इसके साथ ही उनके साथ लगातार दो चुनाव में हार चुके हैं जिनमें से एक पिछला लोकसभा चुनाव और एक इसी विधानसभा चुनाव में मिली हार है इसके साथ ही अगर उनकी पत्नी बसंती मीणा की बात की जाए तो वह भी साल 2013 में विधानसभा का चुनाव हार चुकी है ऐसे में कुल मिलाकर यह परिवार लगातार 3 चुनाव हार चुका है और इसके साथ ही जो नियम है उसके अनुसार रघुवीर मीणा हो सकता है कि इस बार अपनी पत्नी को भी टिकट ना दिलवा सकें ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के नजदीकी होने के बाद भी रघुवीर मीणा या उनकी पत्नी बसंती मीणा का टिकट मिलना मुश्किल है

बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट से महेंद्र जीत सिंह मालवीय या उनकी पत्नी रेशम मालवीय
इसी तरीके से बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट में महेंद्रजीत सिंह मालवीय या उनकी पत्नी रेशम मालवीय की टिकट भी इस समय अटकी हुई है इसके पीछे मालवीय का विधायक होना तो कारण है ही इसके साथ ही सबसे बड़ा कारण यह है कि डूंगरपुर बांसवाड़ा सीट में एक परंपरा बनी हुई है कि एक बार यह सिर्फ डूंगरपुर के कोटे में जाती है तो दूसरी बार बांसवाड़ा के कोटे में ऐसे में पिछले चुनाव में इस सीट पर बांसवाड़ा के कोठे से रेशम मालवीय चुनाव लड़ चुकी है और इस बार इस सीट पर डूंगरपुर जिले का कोटा बनता है ऐसे में चुनाव जीतने के बावजूद भी इस सीट से महेंद्र जीत सिंह मालवीय या उनकी पत्नी रेशम मालवीय का टिकट होना लगभग ना के बराबर है
पीटीसी अजीत


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