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कोटा बना काशी : कोचिंग्स ने शहर में 40 हजार से ज्यादा लोगों को दिया रोजगार...जमीन के भी बढ़े 80 फीसदी दाम

कोटा शहर में दर्जनों बड़े कोचिंग संस्थानों के अलावा बड़ी संख्या में छोटे कोचिंग संस्थानों का भी कारोबार पनप रहा है. इनके साथ ही हॉस्टल्स हो या मकान में पीजी बनाकर उसे किराए पर देने का व्यवसाय अभी कोटा में बहुत फला फूला है. बढ़ई-पेंटर और ऑटो रिक्शा वालों तक की किस्मत कोटा में चमक गई है. कोटा की पूरी अर्थव्यवस्था अब कोचिंग पर ही निर्भर है.

कोचिंग्स ने शहर में 40 हजार से ज्यादा लोगों को दिया रोजगार
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Published : Jun 27, 2019, 7:34 PM IST

कोटा. शहर में कोचिंग संस्थानों ने पूरे शहर की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे दी है. कोचिंग संस्थानों के साथ-साथ शहर का भी विकास होता चला गया है. जहां-जहां भी कोचिंग संस्थान खुलते गए, वहां पर उपनगर के रूप में बड़ी-बड़ी कॉलोनियां बस गई हैं. इन उप नगरों में बड़ी संख्या में बहुमंजिला हॉस्टल से बने हुए हैं. जहां पर हाईटेक सुविधाएं कोचिंग करने आने वाले स्टूडेंट्स को मिल रही है. पूरे कोटा में हॉस्टल की संख्या का कोई पुख्ता आंकड़ा तो नहीं है. फिर भी बताया जाता है कि 3000 से ज्यादा हॉस्टल पूरे शहर में संचालित हो रहे हैं. इनमें 15 बच्चों से लेकर 300 की क्षमता तक के हॉस्टल शामिल है. बड़ी तादाद में छात्र घरों में पेइंग गेस्ट के रूप में भी रहते हैं.

इससे कोचिंग एरिया और आसपास के क्षेत्र में मकान मालिकों की किराए से बड़ी आमदनी भी हो रही है. कोटा की बात की जाए तो कोचिंग इंडस्ट्री करीब 40,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रही है. इनमें कोचिंग संस्थानों में काम करने वाले कार्मिकों फैकल्टी के साथ सड़क पर ठेले पर फल और सब्जी बेचने के साथ स्ट्रीट वेंडर्स, मैस और हॉस्टल में काम करने वाले लोग शामिल हैं. इसके साथ ही रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले सभी वस्तुओं की दुकानें भी कोटा में बड़ी है.

पहले 20 फीसदी भी जमीनों के दाम नहीं थे
कोचिंग स्टूडेंट्स के चलते ही कोटा में बड़ी संख्या में हॉस्टल का निर्माण हुआ है. इसके चलते बीते 10 सालों में कोटा के रियल एस्टेट मार्केट में काफी बूम लिया है. नोटबंदी के बाद से जहां पूरे देश में ही रियल एस्टेट कारोबार में मंदी है. वैसा ही कुछ कोटा में भी है लेकिन अभी भी कोचिंग एरियाज में हॉस्टल और बिल्डिंग का निर्माण जारी है. रियल एस्टेट ब्रोकर्स का कहना है कि अभी जो कोटा में जमीनों के भाव चल रहे हैं. उसका 20 फ़ीसदी भी कोचिंग आने के पहले कोटा में जमीनों के भाव नहीं थे.

पहले लैंडमार्क, अब कोरल सिटी बनेगी
कोटा शहर की कोचिंग इंस्टीट्यूट शहर में जहां-जहां सेंटर खोलती रही, उसी क्रम में शहर सब सिटीज के रूप में विकसित होता रहा. पहले जहां इंद्र विहार तलवंडी और महावीर नगर तक ही सीमित थी. यहां के हॉस्टल तो पीजी फुल रहते थे, किराया भी अधिक था. इसके बाद सिनेरियो बदला और जवाहर नगर में भी कोचिंग की ब्रांच खुली, वहां भी किराया बढ़ गया. जवाहर नगर के नजदीक दादाबाड़ी में भी कोचिंग के बच्चे जाकर बसे तो वहां की भी स्थिति उलट हो गई.

इसके बाद रोड नंबर एक पर इलेक्ट्रॉनिक कांपलेक्स बनकर तैयार हुआ, जिसके अंदर कई हॉस्टल संचालित हो रहे हैं. फिर राजीव गांधी नगर बना कुछ ही सालों में कोचिंग सेंटर बढ़ने पर न्यू राजीव गांधी नगर बन गया. इसके बाद कोचिंग एरिया नदी पार कुन्हाड़ी क्षेत्र में चला गया, जहां पर एक अलग ही शहर लैंडमार्क सिटी के नाम से बस गया.

लैंडमार्क सिटी का विस्तार होकर वहां पर करीब 500 हॉस्टल संचालित हो रहे हैं. अब कोचिंग एरिया में बारां रोड पर अपना विस्तार शुरू किया है वहां पर एक कोचिंग संस्थान की क्लासेज भी शुरू हो गई है. अब वहां हॉस्टल से भी बनना शुरू हो गए हैं. ऐसे में बारां रोड पर अब कोरल सिटी बनने जा रही है.

कोचिंग्स ने शहर में 40 हजार से ज्यादा लोगों को दिया रोजगार...जमीन के भी बढ़े 80 फीसदी दाम

हर तरह की सुविधा हॉस्टल में बच्चों को
बच्चों के रहने के लिए कोटा में हजारों हॉस्टल और पीजी, प्राइवेट रूम उपलब्ध हैं. हर बजट के कमरे मिलते हैं, जिनमें एयर कंडीशनर और रूम कूलर वाले कमरे सब कुछ मौजूद है. गर्ल्स के लिए पूर्ण सुरक्षा वाले कमरे और हॉस्टल भी हैं. बच्चों के आने और जाने का समय रिकॉर्ड करने के लिए बायोमैट्रिक्स हॉस्टल्स में लगी हुई है. जिनका मैसेज उनके पैरंट्स को चला जाता है. ऐसा भी नहीं है कि किसी एक इलाके बच्चों के रहने की सुविधा हो. शहर के हर कोने में बेहतर एकमोडेशन की सुविधा है.

बिहार का तड़का और यूपी का स्पेशल फूड भी उपलब्ध
मैस और टिफिन सर्विस की सुविधाएं हर इलाके में मौजूद हैं. पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना आसानी से मिल जाता है. पिज़्ज़ा, बर्गर के साथ चाइनीज, इटालियन फूड की भी पूरी रेंज कोटा में उपलब्ध है. बच्चों को स्ट्रीट फूड भी हर जगह उपलब्ध है. साथ ही जहां-जहां के छात्र यहां पर आते गए, वहां का फूड कल्चर भी कोटा में डवलप होता गया. जैसे कोटा में हजारों की संख्या में बिहारी बच्चे हैं, ऐसे में बिहारी मैस भी कोटा में खुल गए हैं. यहां पर बिहार का तड़का उन्हें खाने को मिल जाता है. यूपी के बच्चे हैं तो यूपी का बच्चों के अनुसार भी फूड उनको मिल रहा है.

300 से 800 रुपए रोज है हॉस्टल का किराया
कोटा में हॉस्टल व्यवसाय की बात की जाए तो करीब 3000 से ज्यादा हॉस्टल पूरे शहर में संचालित हो रहे हैं. इन हॉस्टल्स में कोटा में कोचिंग करने वाले सवा लाख बच्चे निवास करते हैं. हॉस्टल्स के किराए की बात की जाए तो कोटा को बड़ा आर्थिक हिस्सा इससे मिलता है. कोटा में जहां 300 से 800 रुपए रोज का किराया कोचिंग में रहने वाले बच्चे हॉस्टल्स को अदा कर रहे हैं. दूसरी तरफ पीजी की बात की जाए तो 3000 से लेकर 7000 रुपए तक महीने का किराया बच्चे दे रहे हैं.

5000 ऑटो हर समय उपलब्ध
कोटा शहर में करीब 10,000 से ज्यादा आटो तो संचालित हो रहे हैं, इनमें से करीब 5000 ऑटो तो कोचिंग एरिया में ही चलते हैं. जो बच्चों को हॉस्टल से कोचिंग और कोचिंग से हॉस्टल लाते ले जाते हैं. इसके साथ ही उन्हें दूसरे कामों या मार्केट ले जाने के लिए भी यह उपलब्ध रहते हैं. जमाना रेडियो टैक्सी का है, ऐसे में सैकड़ों बाइक टैक्सी और चार पहिया टैक्सी भी कोचिंग एरियाज में उपलब्ध रहती है. दूर रहने वाले बच्चों को वैन से कोचिंग लाने और ले जाने की सुविधा भी 1000 से ज्यादा वैन कोटा में कर रही है.

कोटा. शहर में कोचिंग संस्थानों ने पूरे शहर की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे दी है. कोचिंग संस्थानों के साथ-साथ शहर का भी विकास होता चला गया है. जहां-जहां भी कोचिंग संस्थान खुलते गए, वहां पर उपनगर के रूप में बड़ी-बड़ी कॉलोनियां बस गई हैं. इन उप नगरों में बड़ी संख्या में बहुमंजिला हॉस्टल से बने हुए हैं. जहां पर हाईटेक सुविधाएं कोचिंग करने आने वाले स्टूडेंट्स को मिल रही है. पूरे कोटा में हॉस्टल की संख्या का कोई पुख्ता आंकड़ा तो नहीं है. फिर भी बताया जाता है कि 3000 से ज्यादा हॉस्टल पूरे शहर में संचालित हो रहे हैं. इनमें 15 बच्चों से लेकर 300 की क्षमता तक के हॉस्टल शामिल है. बड़ी तादाद में छात्र घरों में पेइंग गेस्ट के रूप में भी रहते हैं.

इससे कोचिंग एरिया और आसपास के क्षेत्र में मकान मालिकों की किराए से बड़ी आमदनी भी हो रही है. कोटा की बात की जाए तो कोचिंग इंडस्ट्री करीब 40,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रही है. इनमें कोचिंग संस्थानों में काम करने वाले कार्मिकों फैकल्टी के साथ सड़क पर ठेले पर फल और सब्जी बेचने के साथ स्ट्रीट वेंडर्स, मैस और हॉस्टल में काम करने वाले लोग शामिल हैं. इसके साथ ही रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले सभी वस्तुओं की दुकानें भी कोटा में बड़ी है.

पहले 20 फीसदी भी जमीनों के दाम नहीं थे
कोचिंग स्टूडेंट्स के चलते ही कोटा में बड़ी संख्या में हॉस्टल का निर्माण हुआ है. इसके चलते बीते 10 सालों में कोटा के रियल एस्टेट मार्केट में काफी बूम लिया है. नोटबंदी के बाद से जहां पूरे देश में ही रियल एस्टेट कारोबार में मंदी है. वैसा ही कुछ कोटा में भी है लेकिन अभी भी कोचिंग एरियाज में हॉस्टल और बिल्डिंग का निर्माण जारी है. रियल एस्टेट ब्रोकर्स का कहना है कि अभी जो कोटा में जमीनों के भाव चल रहे हैं. उसका 20 फ़ीसदी भी कोचिंग आने के पहले कोटा में जमीनों के भाव नहीं थे.

पहले लैंडमार्क, अब कोरल सिटी बनेगी
कोटा शहर की कोचिंग इंस्टीट्यूट शहर में जहां-जहां सेंटर खोलती रही, उसी क्रम में शहर सब सिटीज के रूप में विकसित होता रहा. पहले जहां इंद्र विहार तलवंडी और महावीर नगर तक ही सीमित थी. यहां के हॉस्टल तो पीजी फुल रहते थे, किराया भी अधिक था. इसके बाद सिनेरियो बदला और जवाहर नगर में भी कोचिंग की ब्रांच खुली, वहां भी किराया बढ़ गया. जवाहर नगर के नजदीक दादाबाड़ी में भी कोचिंग के बच्चे जाकर बसे तो वहां की भी स्थिति उलट हो गई.

इसके बाद रोड नंबर एक पर इलेक्ट्रॉनिक कांपलेक्स बनकर तैयार हुआ, जिसके अंदर कई हॉस्टल संचालित हो रहे हैं. फिर राजीव गांधी नगर बना कुछ ही सालों में कोचिंग सेंटर बढ़ने पर न्यू राजीव गांधी नगर बन गया. इसके बाद कोचिंग एरिया नदी पार कुन्हाड़ी क्षेत्र में चला गया, जहां पर एक अलग ही शहर लैंडमार्क सिटी के नाम से बस गया.

लैंडमार्क सिटी का विस्तार होकर वहां पर करीब 500 हॉस्टल संचालित हो रहे हैं. अब कोचिंग एरिया में बारां रोड पर अपना विस्तार शुरू किया है वहां पर एक कोचिंग संस्थान की क्लासेज भी शुरू हो गई है. अब वहां हॉस्टल से भी बनना शुरू हो गए हैं. ऐसे में बारां रोड पर अब कोरल सिटी बनने जा रही है.

कोचिंग्स ने शहर में 40 हजार से ज्यादा लोगों को दिया रोजगार...जमीन के भी बढ़े 80 फीसदी दाम

हर तरह की सुविधा हॉस्टल में बच्चों को
बच्चों के रहने के लिए कोटा में हजारों हॉस्टल और पीजी, प्राइवेट रूम उपलब्ध हैं. हर बजट के कमरे मिलते हैं, जिनमें एयर कंडीशनर और रूम कूलर वाले कमरे सब कुछ मौजूद है. गर्ल्स के लिए पूर्ण सुरक्षा वाले कमरे और हॉस्टल भी हैं. बच्चों के आने और जाने का समय रिकॉर्ड करने के लिए बायोमैट्रिक्स हॉस्टल्स में लगी हुई है. जिनका मैसेज उनके पैरंट्स को चला जाता है. ऐसा भी नहीं है कि किसी एक इलाके बच्चों के रहने की सुविधा हो. शहर के हर कोने में बेहतर एकमोडेशन की सुविधा है.

बिहार का तड़का और यूपी का स्पेशल फूड भी उपलब्ध
मैस और टिफिन सर्विस की सुविधाएं हर इलाके में मौजूद हैं. पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना आसानी से मिल जाता है. पिज़्ज़ा, बर्गर के साथ चाइनीज, इटालियन फूड की भी पूरी रेंज कोटा में उपलब्ध है. बच्चों को स्ट्रीट फूड भी हर जगह उपलब्ध है. साथ ही जहां-जहां के छात्र यहां पर आते गए, वहां का फूड कल्चर भी कोटा में डवलप होता गया. जैसे कोटा में हजारों की संख्या में बिहारी बच्चे हैं, ऐसे में बिहारी मैस भी कोटा में खुल गए हैं. यहां पर बिहार का तड़का उन्हें खाने को मिल जाता है. यूपी के बच्चे हैं तो यूपी का बच्चों के अनुसार भी फूड उनको मिल रहा है.

300 से 800 रुपए रोज है हॉस्टल का किराया
कोटा में हॉस्टल व्यवसाय की बात की जाए तो करीब 3000 से ज्यादा हॉस्टल पूरे शहर में संचालित हो रहे हैं. इन हॉस्टल्स में कोटा में कोचिंग करने वाले सवा लाख बच्चे निवास करते हैं. हॉस्टल्स के किराए की बात की जाए तो कोटा को बड़ा आर्थिक हिस्सा इससे मिलता है. कोटा में जहां 300 से 800 रुपए रोज का किराया कोचिंग में रहने वाले बच्चे हॉस्टल्स को अदा कर रहे हैं. दूसरी तरफ पीजी की बात की जाए तो 3000 से लेकर 7000 रुपए तक महीने का किराया बच्चे दे रहे हैं.

5000 ऑटो हर समय उपलब्ध
कोटा शहर में करीब 10,000 से ज्यादा आटो तो संचालित हो रहे हैं, इनमें से करीब 5000 ऑटो तो कोचिंग एरिया में ही चलते हैं. जो बच्चों को हॉस्टल से कोचिंग और कोचिंग से हॉस्टल लाते ले जाते हैं. इसके साथ ही उन्हें दूसरे कामों या मार्केट ले जाने के लिए भी यह उपलब्ध रहते हैं. जमाना रेडियो टैक्सी का है, ऐसे में सैकड़ों बाइक टैक्सी और चार पहिया टैक्सी भी कोचिंग एरियाज में उपलब्ध रहती है. दूर रहने वाले बच्चों को वैन से कोचिंग लाने और ले जाने की सुविधा भी 1000 से ज्यादा वैन कोटा में कर रही है.

Intro:कोटा शहर में दर्जनों बड़े कोचिंग संस्थानों के अलावा बड़ी संख्या में छोटे कोचिंग संस्थानों का भी कारोबार पनप रहा है. इनके साथ ही हॉस्टल्स हो या मकान में पीजी बनाकर उसे किराए पर देने का व्यवसाय अभी कोटा में बहुत फला फूला है. बढ़ाई-पेंटर और ऑटो रिक्शा वालों तक की किस्मत कोटा में चमक गई है. कोटा की पूरी अर्थव्यवस्था अब कोचिंग पर ही निर्भर है.


Body:कोटा.
कोटा शहर में कोचिंग संस्थानों ने पूरे शहर की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे दी है. कोचिंग संस्थानों के साथ साथ शहर का भी विकास होता चला गया है. जहां-जहां भी कोचिंग संस्थान खुलते गए, वहां पर उपनगर के रूप में बड़ी-बड़ी कॉलोनियां बस गई है. इन उप नगरों में बड़ी संख्या में बहुमंजिला हॉस्टल से बने हुए हैं. जहां पर हाईटेक सुविधाएं कोचिंग करने आने वाले स्टूडेंट्स को मिल रही है. पूरे कोटा में हॉस्टल की संख्या का कोई पुख्ता आंकड़ा तो नहीं है फिर भी बताया जाता है कि 1500 से ज्यादा हॉस्टल पूरे शहर में संचालित हो रहे हैं. इनमें 15 बच्चों से लेकर 300 की क्षमता तक के हॉस्टल शामिल है. बड़ी तादाद में छात्र घरों में पेइंग गेस्ट के रूप में भी रहते हैं. इससे कोचिंग एरिया व आसपास के क्षेत्र में मकान मालिकों की किराए से बड़ी आमदनी भी हो रही है. कोटा की बात की जाए तो कोचिंग इंडस्ट्री करीब 40000 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रही है. इनमें कोचिंग संस्थानों में काम करने वाले कार्मिकों फैकल्टी के साथ सड़क पर ठेले पर फल व सब्जी बेचने के साथ स्ट्रीट वेंडर्स, मैस व हॉस्टल में काम करने वाले लोग शामिल है. इसके साथ ही रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले सभी वस्तुओं की दुकानें भी कोटा में बड़ी है.


पहले 20 फीसदी भी जमीनों के दाम नहीं थे
कोचिंग स्टूडेंट्स के चलते ही कोटा में बड़ी संख्या में हॉस्टल का निर्माण हुआ है इसके चलते बीते 10 सालों में कोटा के रियल एस्टेट मार्केट में काफी बूम लिया है. नोटबंदी के बाद से जहां पूरे देश में ही रियल एस्टेट कारोबार में मंदी है. वैसा ही कुछ कोटा में भी है लेकिन अभी भी कोचिंग एरियाज में हॉस्टल और बिल्डिंग का निर्माण जारी है. रियल एस्टेट ब्रोकर्स का कहना है कि अभी जो कोटा में जमीनों के भाव चल रहे हैं. उसका 20 फ़ीसदी भी कोचिंग आने के पहले कोटा में जमीनों के भाव नहीं थे.


पहले लैंडमार्क, अब कोरल सिटी बनेगी
कोटा शहर की कोचिंग इंस्टीट्यूट शहर में जहां-जहां सेंटर खोलती रही, उसी क्रम में शहर सब सिटीज के रूप में विकसित होता रहा. पहले जहां इंद्र विहार तलवंडी और महावीर नगर तक ही सीमित थी. यहां के हॉस्टल तो पीजी फुल रहते थे, किराया भी अधिक था. इसके बाद सिनेरियो बदला और जवाहर नगर में भी कोचिंग की ब्रांच खुली, वहां भी किराया बढ़ गया. जवाहर नगर के नजदीक दादाबाड़ी में भी कोचिंग के बच्चे जाकर बसे तो वहां की भी स्थिति उलट हो गई. इसके बाद रोड नंबर एक पर इलेक्ट्रॉनिक कांपलेक्स बनकर तैयार हुआ, जिसके अंदर कई हॉस्टल संचालित हो रहे हैं. फिर राजीव गांधी नगर बना कुछ ही सालों में कोचिंग सेंटर बढ़ने पर न्यू राजीव गांधी नगर बन गया. इसके बाद कोचिंग एरिया नदी पार कुन्हाड़ी क्षेत्र में चला गया, जहां पर एक अलग ही शहर लैंडमार्क सिटी के नाम से बस गया. लैंडमार्क सिटी का विस्तार होकर वहां पर करीब 500 हॉस्टल संचालित हो रहे हैं. अब कोचिंग एरिया में बारां रोड पर अपना विस्तार शुरू किया है वहां पर एक कोचिंग संस्थान की क्लासेज भी शुरू हो गई है. अब वहां हॉस्टल से भी बनना शुरू हो गए हैं. ऐसे में बारां रोड पर आप कोरल सिटी बनने जा रही है.


हर तरह की सुविधा हॉस्टल में बच्चों को
बच्चों के रहने के लिए कोटा में हजारों हॉस्टल व पीजी, प्राइवेट रूम उपलब्ध है. हर बजट के कमरे मिलते है, जिनमें एयर कंडीशनर व रूम कूलर वाले कमरे सब कुछ मौजूद है. गर्ल्स के लिए पूर्ण सुरक्षा वाले कमरे और हॉस्टल भी हैं. बच्चों के आने और जाने का समय रिकॉर्ड करने के लिए बायोमैट्रिक्स हॉस्टल्स में लगी हुई है. जिनका मैसेज उनके पैरंट्स को चला जाता है. ऐसा भी नहीं है कि किसी एक इलाके बच्चों के रहने की सुविधा हो. शहर के हर कोने में बेहतर एकमोडेशन की सुविधा है.

बिहार का तड़का और यूपी का स्पेशल फूड भी उपलब्ध
मैस और टिफिन सर्विस की सुविधाएं हर इलाके में मौजूद है, पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना आसानी से मिल जाता है. पिज़्ज़ा, बर्गर के साथ चाइनीज, इटालियन फूड की भी पूरी रेंज कोटा में उपलब्ध है. बच्चों को स्ट्रीट फूड भी हर जगह उपलब्ध है. साथ ही जहां-जहां के छात्र यहां पर आते गए, वहां का फूड कल्चर भी कोटा में डवलप होता गया, जैसे कोटा में हजारों की संख्या में बिहारी बच्चे हैं, ऐसे में बिहारी मैस भी कोटा में खुल गए हैं. यहां पर बिहार का तड़का उन्हें खाने को मिल जाता है. यूपी के बच्चे हैं तो यूपी का बच्चों के अनुसार भी फूड उनको मिल रहा है.


Conclusion:300 से 800 रुपए रोज है हॉस्टल का किराया
कोटा में हॉस्टल व्यवसाय की बात की जाए तो करीब 3000 से ज्यादा हॉस्टल पूरे शहर में संचालित हो रहे हैं. इन हॉस्टल्स में कोटा में कोचिंग करने वाले सवा लाख बच्चे निवास करते हैं. हॉस्टल्स के किराए की बात की जाए तो कोटा को बड़ा आर्थिक हिस्सा इससे मिलता है. कोटा में जहां 300 से 800 रुपए रोज का किराया कोचिंग में रहने वाले बच्चे हॉस्टल्स को अदा कर रहे हैं. दूसरी तरफ पीजी की बात की जाए तो 3000 से लेकर 7000 रुपए तक महीने का किराया बच्चे दे रहे हैं.

5000 ऑटो हर समय उपलब्ध
कोटा शहर में करीब 10000 से ज्यादा हो तो संचालित हो रहे हैं, इनमें से करीब 5000 ऑटो तो कोचिंग एरिया में ही चलते हैं. जो बच्चों को हॉस्टल से कोचिंग और कोचिंग से हॉस्टल लाते ले जाते हैं. इसके साथ ही उन्हें दूसरे कामों या मार्केट ले जाने के लिए भी यह उपलब्ध रहते हैं. जमाना रेडियो टैक्सी का है, ऐसे में सैकड़ों बाइक टैक्सी और चार पहिया टैक्सी भी कोचिंग एरियाज में उपलब्ध रहती है. दूर रहने वाले बच्चों को वैन से कोचिंग लाने और ले जाने की सुविधा भी 1000 से ज्यादा वैन कोटा में कर रही है.

पैकेज में बाइट
बाइट-- मनीष जैन अक्कू, संस्थापक अध्यक्ष, कोटा हॉस्टल एसोसिएशन
बाइट-- विश्वनाथ शर्मा, पूर्व अध्यक्ष, चंबल हॉस्टल एसोसिएशन कोटा
बाइट-- बसंत महेश्वरी, रियल स्टेट इन्वेस्टर
बाइट-- रामप्रकाश, ऑटो चालक
बाइट-- अनिल, स्ट्रीट फूड वेंडर
बाइट-- विनोद, शॉपकीपर
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