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मिशन एडमिशन : जीएसटी आने के बाद सीए में बढ़े हैं अवसर...सीएफए का कोर्स कर विदेश में भी पा सकते हैं नौकरी

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Published : Jul 2, 2019, 2:53 PM IST

स्टूडेंट्स आईआईटी या मेडिकल की तरफ आकर्षित होते हैं, लेकिन लोगों का मानना है कि वह ऑप्शन चुनना चाहिए जिसमें मल्टीपल कोर्सेज वे आगे जाकर कर सके. पैरंट्स का मानना है कि कुछ बच्चे जिद करते हैं या फिर कुछ पैरेंट्स भी अपने बच्चों को आईआईटी या मेडिकल की तरफ धकेलते है.

जीएसटी आने के बाद सीए में बढ़े हैं अवसर

कोटा. स्टूडेंट दसवीं की पढ़ाई पास करने के बाद साइंस और मैथ्स की ओर भागता है. उसका मकसद होता है कि वह डॉक्टर या इंजीनियर बने, लेकिन अधिकांश स्टूडेंट्स में सफल नहीं हो पाते हैं. वह आईआईटी, एनआईटी या अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन लेने से रह जाते हैं. डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले स्टूडेंट मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट में सफल नहीं हो पाते हैं. ईटीवी भारत ऐसे ही स्टूडेंटो के लिए एक्सपर्ट से बात कर सुझा जा रहा है कुछ अलग कोर्सेज जिनमें वे अपना भविष्य बेहतर बना सकते हैं.

कोटा के एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि स्टूडेंट्स मैथ की तरफ से इंजीनियरिंग और बायो की तरफ से मेडिकल में चले जाते हैं, लेकिन कॉमर्स की तरफ अगर स्टूडेंट बढ़ता है. तो उसे काफी अवसर मिलते हैं. वह चार्टर्ड अकाउंटेंट बन सकता है, सीए की आजकल बहुत वैल्यू है. जब से जीएसटी आया है, तब से उसमें काफी स्कोप है. स्टूडेंट कंपनी सेक्रेट्रीज में काफी चांस मिलता है. पूरा कल्चर कॉर्पोरेट कल्चर हो गया है हर कंपनी को अपने सीएस की जरूरत होती है. इसमें भी अच्छा रोजगार उपलब्ध हो रहा है. चार्टर्ड फाइनेंशियल अकाउंटेंट यानी सीएफए का कोर्स कर देश की सीमाओं को तोड़ सकता है और दूसरे देश में भी जाकर अकाउंटिंग के कार्य को कर सकते हैं.

आर्ट्स में अपना करियर बनाना चाहता है. तो प्रशासनिक सेवाओं में उसे जाना चाहिए, यह स्टेट लेवल नेशनल लेवल दोनों जगह पर अच्छे अवसर प्रदान करती है. इनका सामान्य ज्ञान भी बहुत अच्छा होता है, वह आसानी से प्रशासनिक सेवाओं तैयारी कर सकता है. दूसरे कोर्सेज की बात की जाए तो एग्रीकल्चर में भी अच्छा चांस स्टूडेंट को मिलता है. मैनेजमेंट की बात की जाए तो अगर अच्छे मैनेजमेंट कॉलेज से पढ़ाई की है और काम आता है, तो रोजगार में दिक्कत नहीं आती है. ऐसे स्टूडेंट जिन्होंने एमबीए व एमएससी दोनों किया हुआ है, वह तो अपना करियर बहुत अच्छी जगह सेटल्ड कर सकते हैं. वही साइंस के स्टूडेंट जिन्हें मेडिकल में नहीं जाना है, वे जेनेटिक्स और बायोटेक में अपना करियर बना सकते हैं. इनमें भी काफी अच्छे अवसर रोजगार के उपलब्ध हो रहे हैं.

कोटा के निजी स्कूल के निदेशक कमलेश कुमार शर्मा कहते हैं कि बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग के तरफ घूम रहे हैं. वास्तविकता यह नहीं है उनके पैरेंट्स अपनी सोच के अनुसार स्वयं को उस तरफ धकेल रहे हैं. पेरेंट्स यह भी नहीं सोचते कि हमारे बच्चे की एबिलिटी क्या है?, बच्चा किस ओर जाना चाहता है . बच्चे का रुझान कहां है, पेरेंट्स का टारगेट यही रहता है कि बच्चा आईआईटी या मेडिकल में जाए. जबकि अन्य कई क्षेत्रों में स्कोप है. एग्रीकल्चर में स्कोप है, ड्राइंग में भी बच्चा अच्छा कर सकता है. ड्रामा भी बच्चे को पहचान दिला सकता है. उसके रुझान के अनुसार उसे एडमिशन दिलाया जाए, तो हर फील्ड में रोजगार उपलब्ध है. वही बच्चा अगर मन चाहे फील्ड में स्टडी नहीं करता है, तो आगे जाकर बेरोजगार भी बन सकता है.

पैरंट्स शशी दाधीच बताती है कि बच्चों से उनका इंटरेस्ट पूछना चाहिए, उसके बाद ही अपनी एडवाइज देनी चाहिए. अगर बच्चे प्रिपेयर नहीं होते हैं तो उनकी काउंसलिंग करानी चाहिए और पैरेंट्स की भी काउंसलिंग होनी चाहिए. बच्चे आजकल साइंस और मैथ्स में ज्यादा इंटरेस्ट रखते हैं. उन्हें हमें बताना चाहिए कि इसके अलावा भी काफी कोर्सेज है और उनमें भी कॅरियर बनाया जा सकता है. फैशन डिजाइनिंग, फुट डिजाइन व आर्किटेक्ट में भी काफी स्कोप है. बच्चों को नॉलेज कोर्सेज की जरूर दिलानी चाहिए.

जीएसटी आने के बाद सीए में बढ़े हैं अवसर

एक अन्य पेरेंट्स सिमरन का कहना है कि बच्चों को कोर्सेज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है. पेरेंट्स को भी कम ही जानकारी होती है. बच्चा कई बार जिद में अपनी मनपसंद का सब्जेक्ट ही लेता है और नहीं कर पाता है तो आगे कोर्सेज के बारे में जानकारी भी नहीं होती है. उसे इस जानकारी के लिए कॅरियर काउंसलर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.

स्टूडेंट कोमल का कहना है कि उनके दसवीं में 93 फ़ीसदी अंक आए थे, लेकिन वह कंफ्यूज कि कौनसा सब्जेक्ट चुना जाए. टीचर से सलाह ली तो उन्होंने मेरे इंटरेस्ट को देखते हुए मुझे मैथ्स दिलाई. जब 12वीं के बाद में कंफ्यूज थी तो टीचर सुने मुझे फिर गाइड किया, बीएससी में मुझे ज्यादा स्कोप लगा. इसको देखते हुए मैंने बीएससी करने का सोचा है. अब मैं आईआईटी जेम्स की तैयारी कर रही हूं, ताकि आईआईटी कॉलेज से एमएससी कर सकूं.

दूसरी स्टूडेंट अर्पिता का कहना है कि दसवीं के बाद मुझे विज्ञान में इंटरेस्ट था, मेरे पेरेंट्स में मुझे साइंस ज्यादा स्कोप है. इसलिए मुझे साइंस दिला दी. एक अन्य स्टूडेंट्स शिरीष वर्मा का कहना है कि उन्होंने 1 साल आईआईटी की तैयारी की, सफल नहीं हो पाए. इसके बाद उन्होंने बीएससी मैथमेटिक्स करना तय किया है. उनका कहना है कि मैंने वह ऑप्शन चुना है, जिसमें अगर मैं एक तरफ असफल हो जाऊं तो कई सारे ऑप्शन हो. इसीलिए मैंने मल्टीपल ऑप्शन वाली बीएससी मैथमेटिक्स चुनी है.

कोटा. स्टूडेंट दसवीं की पढ़ाई पास करने के बाद साइंस और मैथ्स की ओर भागता है. उसका मकसद होता है कि वह डॉक्टर या इंजीनियर बने, लेकिन अधिकांश स्टूडेंट्स में सफल नहीं हो पाते हैं. वह आईआईटी, एनआईटी या अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन लेने से रह जाते हैं. डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले स्टूडेंट मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट में सफल नहीं हो पाते हैं. ईटीवी भारत ऐसे ही स्टूडेंटो के लिए एक्सपर्ट से बात कर सुझा जा रहा है कुछ अलग कोर्सेज जिनमें वे अपना भविष्य बेहतर बना सकते हैं.

कोटा के एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि स्टूडेंट्स मैथ की तरफ से इंजीनियरिंग और बायो की तरफ से मेडिकल में चले जाते हैं, लेकिन कॉमर्स की तरफ अगर स्टूडेंट बढ़ता है. तो उसे काफी अवसर मिलते हैं. वह चार्टर्ड अकाउंटेंट बन सकता है, सीए की आजकल बहुत वैल्यू है. जब से जीएसटी आया है, तब से उसमें काफी स्कोप है. स्टूडेंट कंपनी सेक्रेट्रीज में काफी चांस मिलता है. पूरा कल्चर कॉर्पोरेट कल्चर हो गया है हर कंपनी को अपने सीएस की जरूरत होती है. इसमें भी अच्छा रोजगार उपलब्ध हो रहा है. चार्टर्ड फाइनेंशियल अकाउंटेंट यानी सीएफए का कोर्स कर देश की सीमाओं को तोड़ सकता है और दूसरे देश में भी जाकर अकाउंटिंग के कार्य को कर सकते हैं.

आर्ट्स में अपना करियर बनाना चाहता है. तो प्रशासनिक सेवाओं में उसे जाना चाहिए, यह स्टेट लेवल नेशनल लेवल दोनों जगह पर अच्छे अवसर प्रदान करती है. इनका सामान्य ज्ञान भी बहुत अच्छा होता है, वह आसानी से प्रशासनिक सेवाओं तैयारी कर सकता है. दूसरे कोर्सेज की बात की जाए तो एग्रीकल्चर में भी अच्छा चांस स्टूडेंट को मिलता है. मैनेजमेंट की बात की जाए तो अगर अच्छे मैनेजमेंट कॉलेज से पढ़ाई की है और काम आता है, तो रोजगार में दिक्कत नहीं आती है. ऐसे स्टूडेंट जिन्होंने एमबीए व एमएससी दोनों किया हुआ है, वह तो अपना करियर बहुत अच्छी जगह सेटल्ड कर सकते हैं. वही साइंस के स्टूडेंट जिन्हें मेडिकल में नहीं जाना है, वे जेनेटिक्स और बायोटेक में अपना करियर बना सकते हैं. इनमें भी काफी अच्छे अवसर रोजगार के उपलब्ध हो रहे हैं.

कोटा के निजी स्कूल के निदेशक कमलेश कुमार शर्मा कहते हैं कि बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग के तरफ घूम रहे हैं. वास्तविकता यह नहीं है उनके पैरेंट्स अपनी सोच के अनुसार स्वयं को उस तरफ धकेल रहे हैं. पेरेंट्स यह भी नहीं सोचते कि हमारे बच्चे की एबिलिटी क्या है?, बच्चा किस ओर जाना चाहता है . बच्चे का रुझान कहां है, पेरेंट्स का टारगेट यही रहता है कि बच्चा आईआईटी या मेडिकल में जाए. जबकि अन्य कई क्षेत्रों में स्कोप है. एग्रीकल्चर में स्कोप है, ड्राइंग में भी बच्चा अच्छा कर सकता है. ड्रामा भी बच्चे को पहचान दिला सकता है. उसके रुझान के अनुसार उसे एडमिशन दिलाया जाए, तो हर फील्ड में रोजगार उपलब्ध है. वही बच्चा अगर मन चाहे फील्ड में स्टडी नहीं करता है, तो आगे जाकर बेरोजगार भी बन सकता है.

पैरंट्स शशी दाधीच बताती है कि बच्चों से उनका इंटरेस्ट पूछना चाहिए, उसके बाद ही अपनी एडवाइज देनी चाहिए. अगर बच्चे प्रिपेयर नहीं होते हैं तो उनकी काउंसलिंग करानी चाहिए और पैरेंट्स की भी काउंसलिंग होनी चाहिए. बच्चे आजकल साइंस और मैथ्स में ज्यादा इंटरेस्ट रखते हैं. उन्हें हमें बताना चाहिए कि इसके अलावा भी काफी कोर्सेज है और उनमें भी कॅरियर बनाया जा सकता है. फैशन डिजाइनिंग, फुट डिजाइन व आर्किटेक्ट में भी काफी स्कोप है. बच्चों को नॉलेज कोर्सेज की जरूर दिलानी चाहिए.

जीएसटी आने के बाद सीए में बढ़े हैं अवसर

एक अन्य पेरेंट्स सिमरन का कहना है कि बच्चों को कोर्सेज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है. पेरेंट्स को भी कम ही जानकारी होती है. बच्चा कई बार जिद में अपनी मनपसंद का सब्जेक्ट ही लेता है और नहीं कर पाता है तो आगे कोर्सेज के बारे में जानकारी भी नहीं होती है. उसे इस जानकारी के लिए कॅरियर काउंसलर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.

स्टूडेंट कोमल का कहना है कि उनके दसवीं में 93 फ़ीसदी अंक आए थे, लेकिन वह कंफ्यूज कि कौनसा सब्जेक्ट चुना जाए. टीचर से सलाह ली तो उन्होंने मेरे इंटरेस्ट को देखते हुए मुझे मैथ्स दिलाई. जब 12वीं के बाद में कंफ्यूज थी तो टीचर सुने मुझे फिर गाइड किया, बीएससी में मुझे ज्यादा स्कोप लगा. इसको देखते हुए मैंने बीएससी करने का सोचा है. अब मैं आईआईटी जेम्स की तैयारी कर रही हूं, ताकि आईआईटी कॉलेज से एमएससी कर सकूं.

दूसरी स्टूडेंट अर्पिता का कहना है कि दसवीं के बाद मुझे विज्ञान में इंटरेस्ट था, मेरे पेरेंट्स में मुझे साइंस ज्यादा स्कोप है. इसलिए मुझे साइंस दिला दी. एक अन्य स्टूडेंट्स शिरीष वर्मा का कहना है कि उन्होंने 1 साल आईआईटी की तैयारी की, सफल नहीं हो पाए. इसके बाद उन्होंने बीएससी मैथमेटिक्स करना तय किया है. उनका कहना है कि मैंने वह ऑप्शन चुना है, जिसमें अगर मैं एक तरफ असफल हो जाऊं तो कई सारे ऑप्शन हो. इसीलिए मैंने मल्टीपल ऑप्शन वाली बीएससी मैथमेटिक्स चुनी है.

Intro:स्टूडेंट्स आईआईटी या मेडिकल की तरफ आकर्षित होते हैं, लेकिन लोगों का मानना है कि वह ऑप्शन चुनना चाहिए. जिसमें मल्टीपल कोर्सेज वे आगे जाकर कर सके. पैरंट्स का मानना है कि कुछ बच्चे जिद करते हैं या फिर कुछ पैरेंट्स भी अपने बच्चों को आईआईटी या मेडिकल की तरफ धकेलते है.


Body:कोटा.
स्टूडेंट दसवीं की पढ़ाई पास करने के बाद साइंस और मैथ्स की ओर भागता है. उसका मकसद होता है कि वह डॉक्टर या इंजीनियर बने, लेकिन अधिकांश स्टूडेंट्स में सफल नहीं हो पाते हैं. वह आईआईटी, एनआईटी या अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन लेने से रह जाते हैं. डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले स्टूडेंट मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट में सफल नहीं हो पाते हैं. ईटीवी भारत ऐसे ही स्टूडेंटो के लिए एक्सपर्ट से बात कर सुझा जा रहा है कुछ अलग कोर्सेज जिनमें वे अपना भविष्य बेहतर बना सकते हैं.

कोटा के एक्सपोर्ट देव शर्मा का कहना है कि स्टूडेंट्स मैथ की तरफ से इंजीनियरिंग और बायो की तरफ से मेडिकल में चले जाते हैं, लेकिन कॉमर्स की तरफ अगर स्टूडेंट बढ़ता है. तो उसे काफी अवसर मिलते हैं. वह चार्टर्ड अकाउंटेंट बन सकता है, सीए कि आजकल बहुत वैल्यू है. जब से जीएसटी आया है, तब से उसमें काफी स्कोप है. स्टूडेंट कंपनी सेक्रेट्रीज में काफी चांस मिलता है. पूरा कल्चर कॉर्पोरेट कल्चर हो गया है हर कंपनी को अपने सीएस की जरूरत होती है. इसमें भी अच्छा रोजगार उपलब्ध हो रहा है. चार्टर्ड फाइनेंशियल अकाउंटेंट यानी सीएफए का कोर्स कर देश की सीमाओं को तोड़ सकता है और दूसरे देश में भी जाकर अकाउंटिंग के कार्य को कर सकते हैं.

अगर हीम्यूनिटी का है, आर्ट्स में अपना करियर बनाना चाहता है. तो प्रशासनिक सेवाओं में उसे जाना चाहिए, यह स्टेट लेवल नेशनल लेवल दोनों जगह पर अच्छे अवसर प्रदान करती है. इनका सामान्य ज्ञान भी बहुत अच्छा होता है, वह आसानी से प्रशासनिक सेवाओं तैयारी कर सकता है. दूसरे कोर्सेज की बात की जाए तो एग्रीकल्चर में भी अच्छा चांस स्टूडेंट को मिलता है. मैनेजमेंट की बात की जाए तो अगर अच्छे मैनेजमेंट कॉलेज से पढ़ाई की है और काम आता है, तो रोजगार में दिक्कत नहीं आती है. ऐसे स्टूडेंट जिन्होंने एमबीए व एमएससी दोनों किया हुआ है, वह तो अपना करियर बहुत अच्छी जगह सेटल्ड कर सकते हैं. वही साइंस के स्टूडेंट जिन्हें मेडिकल में नहीं जाना है, वे जेनेटिक्स और बायोटेक में अपना करियर बना सकते हैं. इनमें भी काफी अच्छे अवसर रोजगार के उपलब्ध हो रहे हैं.

कोटा के निजी स्कूल के निदेशक कमलेश कुमार शर्मा कहते हैं कि बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग के तरफ घूम रहे हैं. वास्तविकता यह नहीं है उनके पैरेंट्स अपनी सोच के अनुसार स्वयं को उस तरफ धकेल रहे हैं. पेरेंट्स यह भी नहीं सोचते कि हमारे बच्चे की एबिलिटी क्या है?, बच्चा किस ओर जाना चाहता है . बच्चे का रुझान कहां है, पेरेंट्स का टारगेट यही रहता है कि बच्चा आईआईटी या मेडिकल में जाए. जबकि अन्य कई क्षेत्रों में स्कोप है. एग्रीकल्चर में स्कोप है, ड्राइंग में भी बच्चा अच्छा कर सकता है. ड्रामा भी बच्चे को पहचान दिला सकता है. उसके रुझान के अनुसार उसे एडमिशन दिलाया जाए, तो हर फील्ड में रोजगार उपलब्ध है. वही बच्चा अगर मन चाहे फील्ड में स्टडी नहीं करता है, तो आगे जाकर बेरोजगार भी बन सकता है.


पैरंट्स शशी दाधीच बताती है कि बच्चों से उनका इंटरेस्ट पूछना चाहिए, उसके बाद ही अपनी एडवाइज देनी चाहिए. अगर बच्चे प्रिपेयर नहीं होते हैं तो उनकी काउंसलिंग करानी चाहिए और पैरेंट्स की भी काउंसलिंग होनी चाहिए. बच्चे आजकल साइंस और मैथ्स में ज्यादा इंटरेस्ट रखते हैं. उन्हें हमें बताना चाहिए कि इसके अलावा भी काफी कोर्सेज है और उनमें भी कॅरियर बनाया जा सकता है. फैशन डिजाइनिंग, फुट डिजाइन व आर्किटेक्ट में भी काफी स्कोप है. बच्चों को नॉलेज कोर्सेज की जरूर दिलानी चाहिए.

एक अन्य पेरेंट्स सिमरन का कहना है कि बच्चों को कोर्सेज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है. पेरेंट्स को भी कम ही जानकारी होती है. बच्चा कई बार जिद में अपनी मनपसंद का सब्जेक्ट ही लेता है और नहीं कर पाता है तो आगे कोर्सेज के बारे में जानकारी भी नहीं होती है. उसे इस जानकारी के लिए कॅरियर काउंसलर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.




Conclusion:स्टूडेंट कोमल का कहना है कि उनके दसवीं में 93 फ़ीसदी अंक आए थे, लेकिन वह कंफ्यूज कि कौनसा सब्जेक्ट चुना जाए. टीचर से सलाह ली तो उन्होंने मेरे इंटरेस्ट को देखते हुए मुझे मैथ्स दिलाई. जब 12वीं के बाद में कंफ्यूज थी तो टीचर सुने मुझे फिर गाइड किया, बीएससी में मुझे ज्यादा स्कोप लगा. इसको देखते हुए मैंने बीएससी करने का सोचा है. अब मैं आईआईटी जेम्स की तैयारी कर रही हूं, ताकि आईआईटी कॉलेज से एमएससी कर सकूं.

दूसरी स्टूडेंट अर्पिता का कहना है कि दसवीं के बाद मुझे विज्ञान में इंटरेस्ट था, मेरे पेरेंट्स में मुझे साइंस ज्यादा स्कोप है. इसलिए मुझे साइंस दिला दी.

एक अन्य स्टूडेंट्स शिरीष वर्मा का कहना है कि उन्होंने 1 साल आईआईटी की तैयारी की, सफल नहीं हो पाए. इसके बाद उन्होंने बीएससी मैथमेटिक्स करना तय किया है. उनका कहना है कि मैंने वह ऑप्शन चुना है, जिसमें अगर मैं एक तरफ असफल हो जाऊं तो कई सारे ऑप्शन हो. इसीलिए मैंने मल्टीपल ऑप्शन वाली बीएससी मैथमेटिक्स चुनी है.
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पैकेज में बाइट
बाइट-- देव शर्मा, एक्सपर्ट
बाइट-- कमलेश कुमार शर्मा, निदेशक, निजी स्कूल
बाइट-- शशी दाधीच, पेरेंट्स
बाइट-- सिमरन, पेरेंट्स
बाइट-- शिरीष वर्मा, स्टूडेंट
बाइट-- कोमल, स्टूडेंट
बाइट-- अर्पिता, स्टूडेंट
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