अलवर. जिले में कुल 129 बांध और तालाब हैं. इनमें से 22 बांध सिंचाई विभाग के पास हैं जबकि 107 बांध जिला परिषद के पास हैं. इनमें से केवल दो बांध सिलीसेढ़ और मंगलसर में पानी हैं. उसके अलावा 127 बांध पूरी तरह से सूख चुके हैं. जिला परिषद के 107 बांध और तालाब की हालत ज्यादा खराब है.
उन पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है, तो वहीं कुछ में पानी जाने के लिए रास्ता नहीं बचा है. ऐसे में बारिश के समय में भी यह बांध सूखे रहते हैं. 105 बांध और तालाबों का पानी सूखने के कारण अलवर का भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है. यही हालात रहे तो आने वाले समय में लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा.
शहर के पास प्रेम रत्नाकर बांध में तो कॉलोनी तक बढ़ चुकी है. खुलेआम भूमाफिया प्लॉट काट रहे हैं. तो वही लोग मकान बनाने में लगे हैं. किसी भी समय तेज बारिश के दौरान कोई बड़ा हादसा हो सकता है. लेकिन सरकारी विभागों के अधिकारी आंख बंद करके चुपचाप बैठे हुए हैं.
कुछ जगह तो कॉलोनी भी बस चुकी हैं लेकिन प्रशासन का इन पर कोई ध्यान नहीं है. इसलिए हालात दिनोंदिन खराब हो रहे हैं. अलवर जिला पूरी तरह से ट्यूबेल पर निर्भर है. जिले में सतही पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण हर साल गर्मी में लोगों के पास पीने के लिए पानी नहीं बचता.
आए दिन लोग प्रदर्शन करते हैं और हंगामा करते हैं. उसके बाद भी प्रशासन की तरफ से लापरवाही बरती जा रही है. यही हालात रहे तो अलवर में पानी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा क्योंकि जलदाय विभाग के ट्यूबवेल भी खराब हो रहे हैं. हर महीने 4 से 5 ट्यूबवेल खराब होते हैं.
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता राजेश वर्मा ने बताया इस समय समय पर होने वाले अतिक्रमण को हटाया जाता है. तो वहीं जिला कलेक्टर के निर्देश पर कार्रवाई भी की जाती है. लेकिन इसके बाद भी लोग नहीं समझ रहे हैं बिना पानी के जीवन संभव नहीं है.