केशवरायपाटन(बूंदी). यूं तो शिव जी गंगा को अपनी जटाओं में धारण किये हुए हैं. लेकिन केशवराय पाटन उपखण्ड के रोटेदा गांव में चम्बल नदी का रौैद्र रुप दिखा. दरअसल गांव के समीप से होकर निकल रही चम्बल नदी के किनारे स्थित करीब दो सौ साल पुराने शिव मंदिर में स्थापित शिव परिवार चम्बल के रौद्र रूप की चपेट में आ गया.
हुआ यूं कि गत माह चम्बल नदी में कोटा बैराज के 13 साल बाद सभी गेट खोलकर 6.50 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया. जिस वजह से चंबल नदी खतरे के निशान को पार कर गई. स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि कई गांव जलमग्न हो गए. मकान तक डूब गए हैं. दहशत के चलते तटवर्ती गांवों के लोग अपना घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए.
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इसी गांव में स्थित करीब 200 साल पुराने शिव मंदिर पर चम्बल की बाढ़ के पानी की वजह से करीब बीस फिट की बजरी की चादर आ जमी. जिससे मंदिर में स्थापित शिव परिवार भूगर्भित हो गया. इसके बाद रोटेदा कस्बे के ही करीब दो दर्जन युवाओं ने बजरी के नीचे दबे शिव परिवार को निकालने का साहस जुटाया. युवा रोजाना सुबह करीब तीन चार घंटे श्रमदान कर बजरी को हटाने में जुटे हुए है. जिन्होंने करीब सत्रह फिट बजरी हटा दी है.
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मन्दिर के पुजारी जितेंद्र गोस्वामी ने बताया कि रोटेदा-मंडावरा के बीच श्मशान घाट के समीप चम्बल नदी के तट पर करीब दो सौ साल पुराना चंबलेश्वर महादेव और सिद्धि विनायक गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है. यहां सालभर जल प्रपात गिरता है. वहीं, लोगो की मान्यता है की जब इलाके में बरसात नही होती तो चंबलेश्वर महादेव के अखण्ड ज्योत रखने से अच्छी बरसात होती है. मंदिर के उपर से बजरी हटाने हटाने के लिए गांव के पुजारी जितेन्द्र गोस्वामी, मनीष सुमन,भागीरथ जाट,धीरज तिवारी सहित अन्य गांव वाले प्रयास कर रहे है.