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पर्यटन नगरी हो जायेगी 778 वर्ष की, 24 जून को रंगारंग कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा स्थापना दिवस - स्थापना

24 जून को बूंदी का 778 वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा है. वहीं जिला प्रशासन की ओर से सांस्कृतिक विरासत के रंगों के साथ कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जिसमें शहनाई वादन से लेकर रक्तदान ,पौधेरोपण सहित कई कार्यक्रम में आयोजित किए जाएंगे.

बूंदी हो जायेगी 778 वर्ष की
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Published : Jun 24, 2019, 12:18 AM IST

Updated : Jun 24, 2019, 2:42 AM IST

बूंदी. जिले के 778 वें स्थापना दिवस पर ला प्रशासन की ओर से सोमवार को विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जिसमें लोगों को जिले की सांस्कृतिक विरासत से रूबरु करवाया जाएगा. इसके लिए विभिन्न विभागों के अधिकारी को उसके लिए जिम्मेदारी दी गई है. स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की शुरुआत सुबह 6 बजे चौगान गेट पर शहनाई वादन से होगी.इसके बाद सुबह 6:30 बजे गढ़ गणेश की पूजा-अर्चना की जाएगी.

बूंदी हो जायेगी 778 वर्ष की

बूंदी की विरासत की थीम पर सोमवार को मनाए जाने वाले 778 वें स्थापना दिवस पर सर्किट हाउस परिसर में स्थित गौरव बेटी उद्यान में सुबह 8 बजे बड़ी संख्या में पौधारोपण किया जाएगा. इस दौरान गौरव बेटी उद्यान में विभिन्न प्रजातियों और छायादार पौधे पर्यावरण संरक्षण के लिए आमजन को प्रेरित किया जाएगा.

स्थापना दिवस के मौके पर रेड क्रॉस भवन रक्तदान कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसमें अधिक से अधिक संख्या में रक्तदान करने की अपील प्रशासन ने की है. गढ़ गणेश जी की पूजा अर्चना के बाद हेरिटेज वॉक निकाली जाएगी जिसका सर्किट हाउस में समापन होगा.

आपको बता दे कि बूंदी की स्थापना को 778 वर्ष हो चुके है. वहीं बूंदी को पर्यटन नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां की विरासत को देश-विदेश में पहचाना जाता है. लेकिन बूंदी में इन दिनों सीवरेज ने शहर की दशा और दिशा बदल कर रख दी है. जगह-जगह से शहर की सड़कों को खोदा जा चुका है. नई -नई सड़कों को बेदाग कर अब वह सड़के अपना रंग बदल चुकी है. यहां आने वाले पर्यटकों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.

नवल सागर झील में इलाके के नाले छोड़ दिये है जैत सागर झील भी कमल झडो से झकड़ी हुई है. जो भी अपना अस्तित्व खोती जा रही है. यही नहीं शहर में बावड़ियों की भरमार है लेकिन कुछ बावड़ियां ही बची है बाकी सभी बावड़िया अतिक्रमण गंदगी का रूप ले चुकी है. वर्तमान में केवल कुछ बावड़ियों में ही पर्यटक आते हैं बाकी बावड़ियां प्रशासन ने बंद कर दी गई है,क्योंकि उनके लिए और के विकास के लिए यहां के जनप्रतिनिधियों ने नहीं सोचा.

बूंदी. जिले के 778 वें स्थापना दिवस पर ला प्रशासन की ओर से सोमवार को विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जिसमें लोगों को जिले की सांस्कृतिक विरासत से रूबरु करवाया जाएगा. इसके लिए विभिन्न विभागों के अधिकारी को उसके लिए जिम्मेदारी दी गई है. स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की शुरुआत सुबह 6 बजे चौगान गेट पर शहनाई वादन से होगी.इसके बाद सुबह 6:30 बजे गढ़ गणेश की पूजा-अर्चना की जाएगी.

बूंदी हो जायेगी 778 वर्ष की

बूंदी की विरासत की थीम पर सोमवार को मनाए जाने वाले 778 वें स्थापना दिवस पर सर्किट हाउस परिसर में स्थित गौरव बेटी उद्यान में सुबह 8 बजे बड़ी संख्या में पौधारोपण किया जाएगा. इस दौरान गौरव बेटी उद्यान में विभिन्न प्रजातियों और छायादार पौधे पर्यावरण संरक्षण के लिए आमजन को प्रेरित किया जाएगा.

स्थापना दिवस के मौके पर रेड क्रॉस भवन रक्तदान कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसमें अधिक से अधिक संख्या में रक्तदान करने की अपील प्रशासन ने की है. गढ़ गणेश जी की पूजा अर्चना के बाद हेरिटेज वॉक निकाली जाएगी जिसका सर्किट हाउस में समापन होगा.

आपको बता दे कि बूंदी की स्थापना को 778 वर्ष हो चुके है. वहीं बूंदी को पर्यटन नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां की विरासत को देश-विदेश में पहचाना जाता है. लेकिन बूंदी में इन दिनों सीवरेज ने शहर की दशा और दिशा बदल कर रख दी है. जगह-जगह से शहर की सड़कों को खोदा जा चुका है. नई -नई सड़कों को बेदाग कर अब वह सड़के अपना रंग बदल चुकी है. यहां आने वाले पर्यटकों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है.

नवल सागर झील में इलाके के नाले छोड़ दिये है जैत सागर झील भी कमल झडो से झकड़ी हुई है. जो भी अपना अस्तित्व खोती जा रही है. यही नहीं शहर में बावड़ियों की भरमार है लेकिन कुछ बावड़ियां ही बची है बाकी सभी बावड़िया अतिक्रमण गंदगी का रूप ले चुकी है. वर्तमान में केवल कुछ बावड़ियों में ही पर्यटक आते हैं बाकी बावड़ियां प्रशासन ने बंद कर दी गई है,क्योंकि उनके लिए और के विकास के लिए यहां के जनप्रतिनिधियों ने नहीं सोचा.

Intro:24 जून को बूंदी का 778 वां स्थापना दिवस है ऐसे में बूंदी में सांस्कृतिक विरासत के रंगों के साथ कार्यक्रमों का आयोजन जिला प्रशासन द्वारा करवाए जाएगा । शहनाई वादन से लेकर रक्तदान व पौधे रोपने तक के कार्यक्रम इन उनकी स्थापना दिवस में आयोजित होंगे। लेकिन 778 वर्ष पुरानी बूंदी में विकास के आयाम स्थापित हुए या नहीं यह जानने के लिए हमने बूंदी वासियों से बात की तो बूंदी वासियों का कहना था कि हमने इन सालों के अंदर बूंदी में कुछ नया तो नहीं लेकिन हमारी बूंदी ने खोया बहुत है।


Body:बूंदी का 778 वें स्थापना दिवस पर 24 जून को विविध कार्यक्रम जिले की सांस्कृतिक विरासत के रंगों से सबको रूबरु करवाया जाएगा । स्थापना दिवस आमजन के जुड़ाव के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए विभिन्न विभागों के अधिकारी को उसके लिए जिम्मेदारी दी गई है । स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की शुरुआत से सहनाई वादन से होगी जो चौगान गेट पर सुबह 6:00 बजे से वादन होगा इसके बाद सुबह 6:30 बजे गढ़ गणेश की पूजा-अर्चना की जाएगी। बूंदी की विरासत की थीम पर 24 जून को मनाए जाने वाले 778 स्थापना दिवस पर सर्किट हाउस परिसर में स्थित गौरव बेटी उद्यान में सुबह 8:00 बजे बड़ी संख्या में पौधारोपण किया जाएगा । इस दौरान गौरव बेटी उद्यान में विभिन्न प्रजातियों और छायादार पौधे पर्यावरण संरक्षण के लिए आमजन को प्रेरित किया जाएगा । स्थापना दिवस के उपलक्ष में रेड क्रॉस भवन रक्तदान कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है इसमें अधिक से अधिक संख्या में रक्तदान करने की अपील प्रशासन ने की है। गढ़ गणेश जी की पूजा अर्चना के बाद हेरिटेज वॉक निकाली जाएगी जिसका सर्किट हाउस में समापन होगा ।




Conclusion:778 वर्ष की बूंदी हो चुकी है इस बूंदी ने कई आयाम स्थापित किए लेकिन आज भी इस बूंदी को पर्यटन नगरी के नाम से जाना जाता है यहां की विरासत को देश-विदेश में पहचाना जाता है । लेकिन बूंदी में इन दिनों सीवरेज ने शहर की दशा और दिशा बदल कर रख दी है जगह-जगह से शहर की सड़कों को खोदा जा चुका है। नई नई सड़को को बेदाग कर अब वह सड़के अपना रंग बदल चुकी है यहां आने वाले पर्यटकों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है । बूंदी के नाम पर जिला प्रशासन और राजनेताओं द्वारा कुछ नहीं किया गया जबकि पर्यटन नगरी मैं बहुत पर्यटन का क्षेत्र विकसित हो सकता था और यहां की ऐतिहासिक धरोहर ऐसी है कि मानो देखकर किसी फ़रिश्ते द्वारा बनाई गई हो । यहां आने वाले विदेशी पावणो का कहना है कि यह किसी फ़रिश्ते नहीं बनाई होगी ऐसी कलाकृति बूंदी में है । लेकिन इनका कोई धणी धोरी नहीं है जिसके चलते यह बदहाल होती जा रही है बूंदी शहर में ऐतिहासिक झीलों हैं जो गंदगी से अटी पड़ी है यहां पर विभिन्न इलाकों के नाले इन झीलों में छोड़ दिए गए हैं और झील के पानी को दूषित किया जा रहा है वह भी जिला प्रशासन की आंखों के सामने।

नवल सागर झील में इलाके के नाले छोड़ दिये है जैत सागर झील भी कमल झडो से झकडी हुई है जो भी अपना अस्तित्व खोती जा रही है यही नहीं शहर में बावड़ियों की भरमार है लेकिन कुछ बावड़ियां ही बची है बाकी सभी बावड़िया अतिक्रमण गंदगी का रूप ले चुकी है । वर्तमान में केवल कुछ बावड़ियों में ही पर्यटक आते हैं बाकी बावड़ियाँ प्रशासन द्वारा बंद कर दी गई है । क्योंकि उनके लिए और के विकास के लिए यहां के जनप्रतिनिधियों ने नहीं सोचा।

बूंदी के लोगों का कहना है कि यहां के जनप्रतिनिधि यहां के प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया जिसके चलते आज पर्यटन नगरी बदहाल होती जा रही है । जब उनसे बूंदी ने इन 778 सालों में क्या पाया क्या खोया जैसा सवाल पूछा तो उनका जवाब था कि बूंदी ने तो खोया ही खोया है। हमारी बूंदी ने इन 778 सालों में कभी उचाई नही छुही ऐसा आरोप लगाया है । उनका कहना है कि पर्यटन नगरी छोटीकाशी के रूप में जानी जाती है यहां की आयाम ऐसे हैं कि पर्यटन को विकसित किया जा सकता है लेकिन प्रशासन और राजनेताओं की अनदेखी के चलते बूंदी दिनों दिन बदहाल होती जा रही है। कही ऐसा ना हो जाये जो यह लुप्त ही हो जाये ।

बाईट - गौतम कुमार , स्थानीय वासी
बाईट - बलराजसिंह , राज परिवार
बाईट - रत्न सिंह , स्थानीय
बाईट - जोधराज सिंह , स्थानीय बुजुर्ग
Last Updated : Jun 24, 2019, 2:42 AM IST
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