अलवर : 25 दिसंबर को ईसाई समाज का सबसे बड़ा पर्व क्रिसमस मनाया जाता है. इसके लिए चर्च में विशेष सजावट की गई है. अलवर शहर में भी इस पर्व को लेकर ईसाई समाज के लोगों में उत्साह है. अलवर शहर का सबसे पुराना चर्च माना जाने वाला सेंट एंड्रयूज चर्च भी क्रिसमस को लेकर सज चुका है. इसकी बनावट इसे खास बनाती है, जिसके चलते पर्यटक यहां पहुंचते हैं.
चर्च के चलते रास्ते का नाम पड़ा चर्च रोड : इतिहासकार हरिशंकर गोयल बताते हैं कि शहर के बीच में बने सेंट एंड्रयूज चर्च के चलते ही इसके आगे से निकलने वाले रोड का नाम चर्च रोड पड़ा. सन 1885 से पहले अलवर के तत्कालीन महाराजा जयसिंह ने चर्च बनाने के लिए करीब 1236 वर्गगज भूमि दान दी थी. इस चर्च के बाहर स्टेशनरी बाजार है, जहां कॉपी, किताब के साथ ही क्रिसमस की विशेष साजो सजावट के समान सहित अन्य आइटम मिलते हैं.
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सेंट एंड्रयूज चर्च के फादर एरिक मसीह ने बताया कि यह चर्च करीब 140 साल पुराना है. 1 मार्च 1885 को यह चर्च बनकर तैयार हुआ, इस चर्च के लिए अलवर के महाराजा जयसिंह ने पूर्व स्कॉटिश प्रेस ब्रिटेरियन मिशन को चर्च बनाने के लिए जमीन दान की. इस चर्च को मिशनरीज की ओर से तैयार किया गया. उन्होंने बताया कि जिस दिन यह बनकर तैयार हुआ, उसी दिन इसका उद्घाटन किया गया. इस दौरान प्रथम प्रचारक मुंशी हसन अली साहब आए.
पुराने समय की बनावट बनाती है चर्च को खास : सेंट एंड्रयूज चर्च को बने हुए 140 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी इसके आगे से निकलने वाले लोगों को यह चर्च अपनी ओर आकर्षित करता है. इसका कारण है इसकी पुराने समय की सुंदर बनावट. चर्च की दीवारों पर बाइबल के संदेश, चर्च की ऊपरी सतह पर बने हुए नुकीले टावर इसकी बनावट में चार चांद लगाते हैं. चर्च के फादर एरिक मसीह ने कहा कि क्रिसमस के पर्व से एक माह पहले ही यहां पर प्रोग्राम शुरू हो जाते हैं. 25 दिसंबर क्रिसमस के पर्व पर सुबह 10 बजे चर्च में मुख्य आराधना की जाएगी. इस दौरान समाज के लोग यहां इकट्ठा होंगे और प्रभु के जन्मोत्सव को मनाया जाएगा.
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शाम को बड़ी संख्या में आते हैं शहरवासी : फादर एरिक मसीह ने बताया कि क्रिसमस के पर्व पर पूरे दिन अलवर शहर के लोग चर्च में आते हैं और कैंडल जलाते हैं. शाम के समय चर्च ही नहीं बाहर रोड तक शहर वासियों की भीड़ लगी रहती है. ईसाई समाज के विशेष पर्व गुड फ्राइडे, क्रिसमस, ईस्टर संडे पर चर्च में विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है. क्रिसमस के लिए चर्च को रंगीन लाइट से सजाया गया है. साथ ही चर्च के हॉल को भी रंगीन लाइट के साथ रंग बिरंगे गुब्बारों से सजाया गया है.