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बूंदी में पक्षियों की गणना जारी, अन्य वर्षो की तुलना में इस बार कई प्रजातियों के पक्षियों में हुई कमी

बूंदी में वेटलैंड तालाबों में पक्षियों की गणना का कार्य जारी है. जहां वन क्षेत्र में इस बार विभिन्न तालाबों में पानी अधिक होने के चलते कई प्रकार की प्रजातियां नहीं पाई है. जिसके चलते पक्षी प्रेमियों में काफी निराशा देखी जा रहा है. हर वर्ष यहां पर कई प्रकार के ऐसे प्रजाति वाले पक्षी आते हैं. जिन्हें देख पक्षी प्रेमी रोमांचित होकर उनके चेहरे खिल जाते हैं, लेकिन जिले में बारिश अधिक होने के कारण पक्षी वहां पर कम वितरण कर रहे हैं.

बूंदी में पक्षियों की गणना जारी, Counting of birds in Bundi continues
बूंदी में पक्षियों की गणना जारी
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Published : Jan 25, 2020, 9:39 PM IST

बूंदी. जिले में पक्षियों के गणना करने का कार्य जारी है. यहां पर वन विभाग के कर्मचारी द्वारा जिले के अभयारण्य क्षेत्र में वेटलैंड तालाबों पर पक्षियों की गणना की जा रही है. करीब 2 दिन तक चली इस गणना में करीब 70 से अधिक प्रजातियों के पक्षी वन विभाग की टीम को नजर आए. यहां पर सबसे ज्यादा वन विभाग की टीम को नार्थन पिंनटेल, कॉमन पोचार्ड नजर आए और अभ्यारण्य क्षेत्र में पक्षियों की विचरण करने वाली संख्या पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष बराबर रही.

बूंदी में पक्षियों की गणना जारी

अभयारण्य क्षेत्र में वेटलैंड तालाबों की गणना करने के बाद विभाग ने वन क्षेत्र में स्थित वेटलैंड तालाबों में विचरण करने वाले पक्षियों की गणना शुरू करने का काम किया है. यहां पर जिले के अभयपूरा बांध, गुडा बांध, कनक सागर बांध, इंद्राणी बांध सहित करीब आधा दर्जन बांध ऐसे हैं. जहां पर वन विभाग की टीम पक्षियों की गणना कर रही है. लेकिन वन विभाग की टीम को इन तालाबों से इस वर्ष निराशा हाथ लगी है.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट : बूंदी के जलाशयों में प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट, 12 से अधिक प्रजातियां आईं नजर

हुआ यूं कि जिले में पिछले वर्ष सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण जिले के सभी 24 तालाबों में पानी की स्थिति अच्छी है और पानी अधिक होने के कारण तालाब लबालब है. ऐसे में विदेशी पक्षी यहां पर कम आ रहे हैं. वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि तालाब में बीच-बीच में नेचर वेटलैंड बने रहते हैं. वहां पर विदेशी पक्षी चहचाहट करते हैं और वहीं विचरण और प्रजनन का कार्य भी करते हैं. लेकिन बरसात अधिक होने के कारण इन तालाबों में वेटलैंड सहित नेचर पूरी तरह से समाप्त हो गया है. जिसके कारण कई प्रजातियों के पक्षी यहां नहीं आ पाए हैं.

बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष इन तालाबों में पक्षियों की प्रजातियों की संख्या में कमी होने से वन विभाग के पक्षी प्रेमियों में काफी निराशा देखी गई है और उन्होंने इसका कारण तालाबों में अधिक पानी होना बताया है. वन विभाग ने बूंदी जिले के अभय पुरा बांध और गुडा बांध में पक्षियों की गणना की, तो यहां पर तालाब में पानी अधिक होने के चलते विदेशी प्रजातियों के पक्षियों की कमी सामने आई . हालांकि कुछ पक्षी ऐसे थे जो माइग्रेट बर्ड्स थे और यूरोपियन रसिया से विचरण कर भारत देश में आए थे. यहां टीम को यूरोपियन पक्षी रस की 70 से अधिक संख्या पाई गई है.

पढ़ेंः कोटा में हाड़ौती नेचरलिस्ट सोसाइटी की ओर से बर्ड फेयर का आयोजन

रिवर लेप इन 20, येल्लो लेग गल एक पाई गई है, जबकि ओपन विल स्ट्रोक 20, वूली नेक स्ट्रोक 9 सहित कई प्रकार की प्रजातियां इन बांधों में पाई गई है. सबसे खास बात यह है कि यल्लो लेग गल एक ऐसी प्रजाति है, जो हमेशा समूह में रहती है. लेकिन गुड़ा बांध में यह प्रजाति का पक्षी एक ही पाया गया. जिसे देख विभाग की टीम भी हैरान रह गई कि आखिरकार यह पक्षी अकेला ही क्यों विचरण कर रहा था.

गणना कर रहे भरत कुमार ने बताया कि इस बार तालाबों में पानी अधिक होने के चलते कई प्रकार के पक्षियों प्रजाति की कमी यहां देखने को मिली है. जिसके कारण पक्षी प्रेमियों में काफी निराशा है. उन्होंने कहा कि यह सब अधिक बरसात होने के कारण तालाबों में पानी की स्थिति सही होने के कारण पक्षियों को उनके हिसाब से विचरण करने के लिए स्थिति सही से नहीं मिल पाई. जिसके चलते कई प्रजाति के पक्षी यहां आ नहीं पाए हैं.

उधर वन्य जीव प्रतिपालक विट्ठल कुमार सनाढ्य ने बताया कि पहले अभ्यारणय क्षेत्र में पक्षियों की गणना की थी. अब वन क्षेत्र में यह गणना की जा रही है. अब तक दोनों ही क्षेत्रों को मिलाकर 50 से 70 के बीच विभिन्न जातियों और प्रजातियों के पक्षी की गणना हो चुकी है, लेकिन कुछ प्रजाति के पक्षी जो हर वर्ष आते थे वह इस वर्ष नहीं आ पाए हैं.

पढ़ेंः स्पेशल: 'पक्षियों के स्वर्ग' को प्लास्टिक कचरे से गंदा कर रहे पर्यटक, घना प्रशासन ने शुरू की मुहिम

बता दें कि बूंदी जिले के इन 24 तालाबों में कुछ वेटलैंड तालाब ऐसे हैं जहां पर हर वर्ष कई प्रकार के विदेशी पक्षी आते हैं और सुबह से लेकर शाम तक यह तालाब पक्षियों की चहचाहट से गूंजते रहते हैं.

बूंदी. जिले में पक्षियों के गणना करने का कार्य जारी है. यहां पर वन विभाग के कर्मचारी द्वारा जिले के अभयारण्य क्षेत्र में वेटलैंड तालाबों पर पक्षियों की गणना की जा रही है. करीब 2 दिन तक चली इस गणना में करीब 70 से अधिक प्रजातियों के पक्षी वन विभाग की टीम को नजर आए. यहां पर सबसे ज्यादा वन विभाग की टीम को नार्थन पिंनटेल, कॉमन पोचार्ड नजर आए और अभ्यारण्य क्षेत्र में पक्षियों की विचरण करने वाली संख्या पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष बराबर रही.

बूंदी में पक्षियों की गणना जारी

अभयारण्य क्षेत्र में वेटलैंड तालाबों की गणना करने के बाद विभाग ने वन क्षेत्र में स्थित वेटलैंड तालाबों में विचरण करने वाले पक्षियों की गणना शुरू करने का काम किया है. यहां पर जिले के अभयपूरा बांध, गुडा बांध, कनक सागर बांध, इंद्राणी बांध सहित करीब आधा दर्जन बांध ऐसे हैं. जहां पर वन विभाग की टीम पक्षियों की गणना कर रही है. लेकिन वन विभाग की टीम को इन तालाबों से इस वर्ष निराशा हाथ लगी है.

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हुआ यूं कि जिले में पिछले वर्ष सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण जिले के सभी 24 तालाबों में पानी की स्थिति अच्छी है और पानी अधिक होने के कारण तालाब लबालब है. ऐसे में विदेशी पक्षी यहां पर कम आ रहे हैं. वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि तालाब में बीच-बीच में नेचर वेटलैंड बने रहते हैं. वहां पर विदेशी पक्षी चहचाहट करते हैं और वहीं विचरण और प्रजनन का कार्य भी करते हैं. लेकिन बरसात अधिक होने के कारण इन तालाबों में वेटलैंड सहित नेचर पूरी तरह से समाप्त हो गया है. जिसके कारण कई प्रजातियों के पक्षी यहां नहीं आ पाए हैं.

बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष इन तालाबों में पक्षियों की प्रजातियों की संख्या में कमी होने से वन विभाग के पक्षी प्रेमियों में काफी निराशा देखी गई है और उन्होंने इसका कारण तालाबों में अधिक पानी होना बताया है. वन विभाग ने बूंदी जिले के अभय पुरा बांध और गुडा बांध में पक्षियों की गणना की, तो यहां पर तालाब में पानी अधिक होने के चलते विदेशी प्रजातियों के पक्षियों की कमी सामने आई . हालांकि कुछ पक्षी ऐसे थे जो माइग्रेट बर्ड्स थे और यूरोपियन रसिया से विचरण कर भारत देश में आए थे. यहां टीम को यूरोपियन पक्षी रस की 70 से अधिक संख्या पाई गई है.

पढ़ेंः कोटा में हाड़ौती नेचरलिस्ट सोसाइटी की ओर से बर्ड फेयर का आयोजन

रिवर लेप इन 20, येल्लो लेग गल एक पाई गई है, जबकि ओपन विल स्ट्रोक 20, वूली नेक स्ट्रोक 9 सहित कई प्रकार की प्रजातियां इन बांधों में पाई गई है. सबसे खास बात यह है कि यल्लो लेग गल एक ऐसी प्रजाति है, जो हमेशा समूह में रहती है. लेकिन गुड़ा बांध में यह प्रजाति का पक्षी एक ही पाया गया. जिसे देख विभाग की टीम भी हैरान रह गई कि आखिरकार यह पक्षी अकेला ही क्यों विचरण कर रहा था.

गणना कर रहे भरत कुमार ने बताया कि इस बार तालाबों में पानी अधिक होने के चलते कई प्रकार के पक्षियों प्रजाति की कमी यहां देखने को मिली है. जिसके कारण पक्षी प्रेमियों में काफी निराशा है. उन्होंने कहा कि यह सब अधिक बरसात होने के कारण तालाबों में पानी की स्थिति सही होने के कारण पक्षियों को उनके हिसाब से विचरण करने के लिए स्थिति सही से नहीं मिल पाई. जिसके चलते कई प्रजाति के पक्षी यहां आ नहीं पाए हैं.

उधर वन्य जीव प्रतिपालक विट्ठल कुमार सनाढ्य ने बताया कि पहले अभ्यारणय क्षेत्र में पक्षियों की गणना की थी. अब वन क्षेत्र में यह गणना की जा रही है. अब तक दोनों ही क्षेत्रों को मिलाकर 50 से 70 के बीच विभिन्न जातियों और प्रजातियों के पक्षी की गणना हो चुकी है, लेकिन कुछ प्रजाति के पक्षी जो हर वर्ष आते थे वह इस वर्ष नहीं आ पाए हैं.

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बता दें कि बूंदी जिले के इन 24 तालाबों में कुछ वेटलैंड तालाब ऐसे हैं जहां पर हर वर्ष कई प्रकार के विदेशी पक्षी आते हैं और सुबह से लेकर शाम तक यह तालाब पक्षियों की चहचाहट से गूंजते रहते हैं.

Intro:बूंदी में वेटलैंड तालाबों में पक्षियों की गणना का कार्य जारी है पहले अभयारण्य क्षेत्रों में यह गणना हुई अब वन क्षेत्रों में यह गणना की जा रही है। जहां वन क्षेत्र में इस बार विभिन्न तालाबों में पानी अधिक होने के चलते कई प्रकार की प्रजातियां इस बार आ नहीं पाई है जिसके चलते पक्षी प्रेमियों में काफी निराशा देखी जा रही है । हर वर्ष यहां पर कई प्रकार के ऐसे प्रजाति वाले पक्षी आते हैं जिन्हें देख पक्षी प्रेमी रोमांचित होकर उनके चेहरे के खिलते हैं लेकिन जिले में बारिश अधिक होने के कारण तालाबों में पानी की स्थिति काफी अच्छी है तो पक्षी वहां पर कम वितरण कर रहे हैं और उन्हें नेचर के हिसाब से वेटलैंड नहीं मिल पा रहे हैं ।


Body:बूंदी में पक्षियों के गणना करने का कार्य जारी है यहां पर वन विभाग के कर्मचारी द्वारा जिले के अभयारण्य क्षेत्र में वेटलैंड तालाबों पर पक्षियों की गणना की। करीब 2 दिन तक चली इस गणना मैं करीब 70 से अधिक प्रजातियों के पक्षी वन विभाग की इस टीम को नजर आए । यहां पर सबसे ज्यादा वन विभाग की टीम को नार्थन पिंनटेल, कॉमन पोचार्ड सबसे अधिक पाए गए और अभ्यारण्य क्षेत्र में पक्षियों की विचरण करने वाली संख्या पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष बराबर रही । अभयारण्य क्षेत्र में वेटलैंड तालाबों की गणना करने के बाद विभाग ने वन क्षेत्र में स्थित वेटलैंड तालाबों में विचरण करने वाले पक्षियों की गणना शुरू करने का काम किया है । यहां पर जिले के अभयपूरा बांध , गुडा बांध , कनक सागर बांध , इंद्राणी बांध सहित करीब आधा दर्जन बांध ऐसे हैं जहां पर वन विभाग की टीम पक्षियों की गणना कर रही है लेकिन वन विभाग की टीम को इन तालाबों से इस वर्ष निराशा हाथ लगी है । हुआ यूं कि जिले में पिछले वर्ष सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण जिले के सभी 24 तालाबों में पानी की स्थिति अच्छी है और पानी अधिक होने के कारण तालाब लबालब है ऐसे में विदेशी पक्षी यहां पर कम आ रहे हैं । वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि तालाब में बीच-बीच में नेचर वेटलैंड बने रहते हैं वहां पर विदेशी पक्षी चहचाहट करते हैं और वही विचरण तथा प्रजनन का कार्य करते हैं लेकिन बरसात अधिक होने के कारण इन तालाबों में वेटलैंड सहित नेचर पूरी तरह से समाप्त हो गया है जिसके कारण कई प्रजातियों के पक्षी यहां नहीं आ पाए हैं । गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष इन तालाबों में पक्षियों की प्रजातियों की संख्या में कमी होने से वन विभाग के पक्षी प्रेमियों में काफी निराशा देखी गई है और उन्होंने इसका कारण तालाबों में अधिक पानी होना बताया है । वन विभाग ने बूंदी जिले के अभय पुरा बांध व गुडा बांध में पक्षियों की गणना की तो यहां पर तालाब में पानी अधिक होने के चलते विदेशी प्रजातियों के पक्षियों की कमी सामने आई । हालांकि कुछ पक्षी ऐसे थे जो माइग्रेट बर्ड्स थे और यूरोपियन तथा रसिया से विचरण कर भारत देश में आए थे । यहां टीम को यूरोपियन पक्षी रस की 70 से अधिक संख्या पाई गई है । रिवर लेप इन 20 , येल्लो लेग गल एक पाई गई है । जबकि ओपन विल स्ट्रोक 20 , वूली नेक स्ट्रोक 9 सहित कई प्रकार की प्रजातियां इन बांधों में पाई गई है । सबसे खास बात यह है कि यल्लो लेग गल एक ऐसी प्रजाति है जो हमेशा समूह में रहती है लेकिन गुड़ा बांध में यह प्रजाति का पक्षी एक ही पाया गया जिसे देख विभाग की टीम भी हैरान रह गई कि आखिरकार यह पक्षी अकेला ही क्यों विचरण कर रहा था इसके कारण भी वह समझ नहीं पाए । गणना कर रहे भरत कुमार ने बताया कि इस बार तालाबों में पानी अधिक होने के चलते कई प्रकार के पक्षियों प्रजाति की कमी यहां देखने को मिली है जिसके कारण पक्षी प्रेमियों में काफी निराशा है । उन्होंने कहा कि यह सब अधिक बरसात होने के कारण तालाबों में पानी की स्थिति सही होने के कारण पक्षियों को उनके हिसाब से विचरण करने के लिए स्थिति सही से नहीं मिल पाई जिसके चलते कई प्रजाति के पक्षी यहां आ नहीं पाए हैं । उधर वन्य जीव प्रतिपालक विट्ठल कुमार सनाढ्य ने बताया कि पहले अभ्यारणय क्षेत्र में पक्षियों की गणना की थी अब वन क्षेत्र में यह गणना की जा रही है । अब तक दोनों ही क्षेत्रों को मिलाकर 50 से 70 के बीच विभिन्न जातियों और प्रजातियों के पक्षी की गणना हो चुकी है । लेकिन कुछ प्रजाति के पक्षी जो हर वर्ष आते थे वह इस वर्ष नहीं आ पाए हैं ।


Conclusion:यहां आपको बता दें कि बूंदी जिले के इन 24 तालाबों में कुछ वेटलैंड तालाब ऐसे हैं जहां पर हर वर्ष कई प्रकार के विदेशी पक्षी आते हैं और सुबह से लेकर शाम तक यह तालाब पक्षियों की चहचाहट से गूंजते रहते हैं। शुरुआती दौर में इन पक्षियों की संख्या अधिक रही लेकिन जैसे-जैसे ठंड बढ़ती गई वैसे-वैसे इन प्रजातियों की संख्या में कमी आती चली गई और कुछ प्रजातियां तो ऐसी थी कि उन्हें इन तालाबों में नेचर वेटलैंड नहीं मिलने के कारण वह यहां रुक नहीं सके और दूसरे स्थान पर चले गए । यह पक्षी फरवरी माह तक बूंदी में रुकेंगे उसके बाद यहां से वापस अपने देश चले जाएंगे । बाईट - भरत कुमार , गणना कर्मी बाईट - विट्टल कुमार , वन्यजीव प्रतिपालक ,बूंदी
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