ETV Bharat / state

स्पेशल: रियासत काल की शान कही जाने वाली 'जैत सागर झील' अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही, विकास की दरकार

प्रदेश सहित देश भर में अपने पर्यटन क्षेत्र और शौर्य के नाम से मशहूर छोटी काशी बूंदी की झीलें इन दिनों बदहाल होते जा रही हैं. बूंदी के बड़े तालाब में शुमार जैत सागर झील कई सालों से कमल जड़ों से अटी पड़ी हुई है. इसके साथ-साथ गंदगी और कीचड़ इस झील का अस्तित्व खत्म करते जा रहे हैं, देखिए बूंदी से स्पेशल रिपोर्ट...

ऐतिहासिक जैतसागर झील, jaitsagar lake in bundi
ऐतिहासिक जैतसागर झील बदहाल स्थिति में...
author img

By

Published : Dec 5, 2019, 1:12 PM IST

बूंदी. ऐतिहासिक नगरी बूंदी की पहचान प्रसिद्ध जैत सागर झील है. जो अब अपना अस्तित्व खोती जा रही है. रियासत काल की यह झील कभी बूंदी की शान हुआ करती थी. लेकिन आज झील बदरंग, दलदल बन कर रह गई है. पूरी झील कचरे का ढेर बनी हुई है. झील में कचरा डाला जाता है, झील के किनारों पर कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं. या यूं कहें कि गंदगी कीचड़ और बदबू मारता पानी तथा मच्छर इस झील की पहचान बन चुके हैं.

ऐतिहासिक जैतसागर झील बदहाल स्थिति में...

प्रशासन की उदासीनता ने जैत सागर झील को बनाया बदसूरत

ऐतिहासिक जैत सागर झील प्राकृतिक झील है, पूरी झील में पिछले कुछ सालों से कमल जड़ों ने कब्जा कर लिया है. कभी झील का पानी बिल्कुल साफ हुआ करता था, लेकिन आज कमल जड़ों के कारण कीचड़ का रूप ले चुका है. झील कभी बड़ी ही सुंदर हुआ करती थी, लेकिन नगर परिषद और प्रशासन की उदासीनता के चलते आज झील दलदल बन कर रह गई है. इस झील के किनारे धोबी घाट बन गए हैं. जो दिन भर यहां कपड़े धोते रहते हैं. पिछले कुछ माह पहले पर्यटन विभाग ने झील के किनारों पर सुंदर रेलिंग लगाई थी और सुंदर लाइट भी लगाई गई थी. झील के किनारों पर महंगी लाइट झील का आकर्षण केंद्र रही थी, लेकिन उदासीनता और लापरवाही इस तरह की रही कि इनमें से कई लाइटें कबाड़ में तब्दील चुकी हैं और कुछ लाइट बंद हो चुकी है. कुछ लाइट्स को असमाजिक तत्व तोड़ दिए हैं.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: इस श्मशान घाट में नहीं लगता किसी को भय, लोग करने आते है सैर सपाटा

दुर्दशा पर आंसू बहा रही ऐतिहासिक झील...

यही नहीं ऐतिहासिक झील में पूरे शहर का कचरा डाला जाता है. माला और फूल, पूजन सामग्री सभी कुछ इस झील में डाला जा रहा है. बूंदी के स्थानीय नागरिकों ने इस झील की दुर्दशा पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए प्रशासन पर कई सवाल उठाए हैं. झील के किनारे पर ऐतिहासिक स्मारक सुख महल बना हुआ है. झील के किनारे बने इस महल का दृश्य का कभी झील के पानी में सुख महल का प्रतिबिंब दिखाई देता था. लेकिन हालात आपके सामने है, प्रसिद्ध विदेशी इतिहासकार जेम्स टॉड ने राजस्थान यात्रा के दौरान बूंदी की जैतसागर को देखा था. इसकी सुंदरता को मोहित होकर उन्होंने जैत सागर झील की बड़ी तारीफ की थी. बूंदी की ऐतिहासिक झील जैतसागर झील अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है. इस झील को बचाए जाने की जरूरत है अगर झील के विकास पर ध्यान नहीं दिया तो इस झील का अस्तित्व लुप्त हो जाएगा.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: 30 साल बाद फिर शुरू हाट बाजार, लोगों के चेहरे पर दिखी खुशी

बूंदी उत्सव भी हुआ, लेकिन कोई गौर नहीं...

आपको बता दें कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के बूंदी विधायक रहे अशोक डोगरा ने साल 2015 में नगर परिषद के माध्यम से जैत सागर झील में कमल जड़ों को साफ करने के लिए उदयपुर से मशीन मंगवाई थी. जो 1 सप्ताह भी नहीं चली और वन विभाग ने कार्य को रुकवा दिया था. उसके बाद किसी ने यहां आकर नहीं देखा. बूंदी पर्यटन विभाग को इस जैत सागर झील के लिए काफी बजट भी मिला. लेकिन उस बजट का कोई उपयोग यहां पर होता हुआ नहीं दिखा और झील के हालात और बद से बदतर होते चले गए. हाल ही में ही 15 दिनों में बूंदी उत्सव का भव्य आगाज होकर संपन्न हो गया. लेकिन इसी पर्यटन पर्व के बीच में कई पर्यटक इस झील की ओर गए झील को देखा तो उन्होंने कई टिप्पणियां इस झील को लेकर की. लेकिन प्रशासन ने कोई गौर नहीं किया.

बूंदी. ऐतिहासिक नगरी बूंदी की पहचान प्रसिद्ध जैत सागर झील है. जो अब अपना अस्तित्व खोती जा रही है. रियासत काल की यह झील कभी बूंदी की शान हुआ करती थी. लेकिन आज झील बदरंग, दलदल बन कर रह गई है. पूरी झील कचरे का ढेर बनी हुई है. झील में कचरा डाला जाता है, झील के किनारों पर कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं. या यूं कहें कि गंदगी कीचड़ और बदबू मारता पानी तथा मच्छर इस झील की पहचान बन चुके हैं.

ऐतिहासिक जैतसागर झील बदहाल स्थिति में...

प्रशासन की उदासीनता ने जैत सागर झील को बनाया बदसूरत

ऐतिहासिक जैत सागर झील प्राकृतिक झील है, पूरी झील में पिछले कुछ सालों से कमल जड़ों ने कब्जा कर लिया है. कभी झील का पानी बिल्कुल साफ हुआ करता था, लेकिन आज कमल जड़ों के कारण कीचड़ का रूप ले चुका है. झील कभी बड़ी ही सुंदर हुआ करती थी, लेकिन नगर परिषद और प्रशासन की उदासीनता के चलते आज झील दलदल बन कर रह गई है. इस झील के किनारे धोबी घाट बन गए हैं. जो दिन भर यहां कपड़े धोते रहते हैं. पिछले कुछ माह पहले पर्यटन विभाग ने झील के किनारों पर सुंदर रेलिंग लगाई थी और सुंदर लाइट भी लगाई गई थी. झील के किनारों पर महंगी लाइट झील का आकर्षण केंद्र रही थी, लेकिन उदासीनता और लापरवाही इस तरह की रही कि इनमें से कई लाइटें कबाड़ में तब्दील चुकी हैं और कुछ लाइट बंद हो चुकी है. कुछ लाइट्स को असमाजिक तत्व तोड़ दिए हैं.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: इस श्मशान घाट में नहीं लगता किसी को भय, लोग करने आते है सैर सपाटा

दुर्दशा पर आंसू बहा रही ऐतिहासिक झील...

यही नहीं ऐतिहासिक झील में पूरे शहर का कचरा डाला जाता है. माला और फूल, पूजन सामग्री सभी कुछ इस झील में डाला जा रहा है. बूंदी के स्थानीय नागरिकों ने इस झील की दुर्दशा पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए प्रशासन पर कई सवाल उठाए हैं. झील के किनारे पर ऐतिहासिक स्मारक सुख महल बना हुआ है. झील के किनारे बने इस महल का दृश्य का कभी झील के पानी में सुख महल का प्रतिबिंब दिखाई देता था. लेकिन हालात आपके सामने है, प्रसिद्ध विदेशी इतिहासकार जेम्स टॉड ने राजस्थान यात्रा के दौरान बूंदी की जैतसागर को देखा था. इसकी सुंदरता को मोहित होकर उन्होंने जैत सागर झील की बड़ी तारीफ की थी. बूंदी की ऐतिहासिक झील जैतसागर झील अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है. इस झील को बचाए जाने की जरूरत है अगर झील के विकास पर ध्यान नहीं दिया तो इस झील का अस्तित्व लुप्त हो जाएगा.

पढ़ें- स्पेशल स्टोरी: 30 साल बाद फिर शुरू हाट बाजार, लोगों के चेहरे पर दिखी खुशी

बूंदी उत्सव भी हुआ, लेकिन कोई गौर नहीं...

आपको बता दें कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के बूंदी विधायक रहे अशोक डोगरा ने साल 2015 में नगर परिषद के माध्यम से जैत सागर झील में कमल जड़ों को साफ करने के लिए उदयपुर से मशीन मंगवाई थी. जो 1 सप्ताह भी नहीं चली और वन विभाग ने कार्य को रुकवा दिया था. उसके बाद किसी ने यहां आकर नहीं देखा. बूंदी पर्यटन विभाग को इस जैत सागर झील के लिए काफी बजट भी मिला. लेकिन उस बजट का कोई उपयोग यहां पर होता हुआ नहीं दिखा और झील के हालात और बद से बदतर होते चले गए. हाल ही में ही 15 दिनों में बूंदी उत्सव का भव्य आगाज होकर संपन्न हो गया. लेकिन इसी पर्यटन पर्व के बीच में कई पर्यटक इस झील की ओर गए झील को देखा तो उन्होंने कई टिप्पणियां इस झील को लेकर की. लेकिन प्रशासन ने कोई गौर नहीं किया.

Intro:पूरे देश में अपने पर्यटन क्षेत्र और शौर्य के नाम से मशहूर छोटीकाशी बूंदी की झीलें इन दिनों बदहाल होते जा रही है हम बात कर रहे हैं बूंदी के जैतसागर झील की जिसे बूंदी में बड़े तालाब के नाम से भी जाना जाता है । लेकिन कई वर्षों से यह झील कमल जड़ों से अटी पड़ी है और इसके साथ-साथ गंदगी और कीचड़ इस झील का अस्तित्व खत्म करते जा रहे हैं । आज दिन तक भी जितने भी सरकारी आई उन सरकारों ने जैतसागर झील की सुध नहीं ली और अब यह झील अपना अस्तित्व होती जा रही है ।


Body:बूंदी :- ऐतिहासिक नगरी बूंदी की पहचान प्रसिद्ध जैतसागर झील है जो अब अपना अस्तित्व खोती जा रही है रियासत काल की जैतसागर झील कभी बूंदी की शान हुआ करती थी लेकिन आज झील बदरंग दल दल बन कर रह गई है पूरी झील कचरे का ढेर बन कर रह गई है। झील में कचरा डाला जाता है झील के किनारों पर कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं या यूं कहें कि गंदगी कीचड़ और बदबू मारता पानी तथा मच्छर इस झील की पहचान बन चुके हैं । ऐतिहासिक जैतसागर झील प्राकृतिक झील है पूरी झील में पिछले कुछ सालों से कमल जोड़ों ने कब्जा कर लिया है कभी झील का कांच की तरह पानी साफ हुआ करता था आज कमल जड़ों के कारण कीचड़ का रूप ले चुका है जैतसागर झील कभी बड़ी ही सुंदर हुआ करती थी लेकिन नगर परिषद और प्रशासन की उदासीनता के चलते आज झील दलदल बन कर रह गई है ।इस झील के किनारे धोबी घाट बन गए हैं जो दिन भर यहां कपड़े धोते रहते हैं झील की दीवारों पर कपड़े सुखाए जाते हैं । विगत कुछ माह पहले पर्यटन विभाग ने झील के किनारों पर सुंदर रेलिंग लगाई थी और सुंदर लाइट भी लगाई गई थी सुंदरी कार्य करवाए गए थे । झील के किनारों पर महंगी लाइट झील का आकर्षण केंद्र रही थी लेकिन उदासीनता और लापरवाही इस तरह की रही कि इनमें से कई लाइटें कबाड़ में तब्दील चुकी है और कुछ लाइट बंद हो चुकी है तो कुछ लाइट है समेक्चियों द्वारा तोड़ी जा चुकी है यह सुंदरता थोड़े दिन ही झील के किनारों पर कंबो पर लगी महंगी लाइटी ही दिखाती रही बाद में टूट टूटकर बदहाल हो गई । झील के चारों तरफ कमल जड़े का फैलाव हो चुका है कमल जड़ों के कारण झील का पानी दलदल का रूप लेता जा रहा है। झील में कभी वोटिंग हुआ करती थी लेकिन कमल जड़ों के कारण यहां वोटिंग की सुविधा बंद हो गई है ।

पूरी झील कमल जड़ों की चपेट में आकर दलदल का रूप लेती जा रही है लाखों रुपए लगने के बाद भी झील का सौंदर्य नहीं निखर पाया है । झील का पानी साफ हुआ करता था लेकिन अब मटमैला हो चुका है इस ऐतिहासिक झील में पूरे शहर का धार्मिक कचरा डाला जाता है माला और फूल पूजन सामग्री आदि सभी कुछ इस झील में डाला जाता है । बूंदी के स्थानीय नागरिकों ने इस झील की दुर्दशा पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए प्रशासन पर कई सवाल उठाए हैं झील के किनारे पर ऐतिहासिक स्मारक सुख महल बना हुआ है झील के किनारे बने इस महल का दृश्य का कभी झील के पानी में सुख महल का प्रतिबंध दिखाई देता था कमल जोड़ों के कारण सुख महल का प्रतिबंध अब झील में दिखाई नहीं देता है । प्रसिद्ध विदेशी इतिहासकार जेम्स टॉड ने राजस्थान यात्रा के दौरान बूंदी की जैतसागर को देखा था इसकी सुंदरता को मोहित होकर उन्होंने जैतसागर झील की बड़ी तारीफ करी थी बूंदी की ऐतिहासिक झील जैतसागर झील अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। इस झील को बचाए जाने की जरूरत है अगर झील के विकास पर ध्यान नहीं दिया तो इस झील का अस्तित्व लुप्त हो जाएगा ।

आपको बता दें कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के बूंदी विधायक रहे अशोक डोगरा ने वर्ष 2015 में परिवार को नगर परिषद के माध्यम से जय सागर झील में कमल जोड़ों को साफ करने के लिए उदयपुर से मशीन मंगवाई थी जो 1 सप्ताह भी नहीं चली और अबे में होने से वन विभाग ने कार्य को रुकवा दिया था उसके बाद किसी ने यहां आकर नहीं देखा । बूंदी पर्यटन विभाग को इस जे सागर झील के लिए काफी बजट भी मिला लेकिन उस बजट का कोई उपयोग यहां पर होता हुआ नहीं दिखा और झील के हालात और बद से बदतर होते चले गए हालात यह है कि झील पूरी तरह से गंदगी से अटी पड़ी है मटमैला पानी जेल में नजर आता है जेल में साफ पानी कहीं भी नहीं दिखाई देगा ।


Conclusion:इस मामले में बूंदी शहर के लोगों ने कई बार आवाज उठाई कई बार धरने प्रदर्शन भी किए लेकिन बूंदी के राजनेता व बूंदी का पर्यटन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं देता । यहां के लोगों की एक ही मांग है कि अगर झील का विकास नहीं हो सकता तो कम से कम झील की अच्छी तरीके से सफाई तो करवा दी जाए अगर सफाई अच्छे से हो जाएगी तो झील का निखार स्वतः ही आने लगेगा । लेकिन विभाग है कि सफाई तक भी यहां नहीं करवा रहा उल्टा यहां पर डाले जाने वाली शहर भर की गंदगी को भी रोक नहीं पा रहा । नतीजा यह रहा कि आज जैतसागर झील के हर किनारे पर गंदगी दिखाई देगी जो कि बूंदी के पर्यटन पर एक दाग है।

यहां आपको बता दें कि हाल ही में ही 15 दिनों में बूंदी उत्सव का भव्य आगाज होकर संपन्न हो गया है लेकिन इसी पर्यटन पर्व के बीच में कई पर्यटक इस झील की और गए झील को देखा तो उन्होंने कई टिप्पणियां इस झील को लेकर की । लेकिन प्रशासन को क्या फर्क पड़े लग रहा है दाग तो बूंदी के पर्यटन पर लग रहा है। इस पीड़ा को देखते हुए कुछ सामाजिक लोग भी सरकार को कोसते हुए नजर आते हैं । लेकिन आखिर लोग आवाज उठा सकते है और कर भी क्या सकते हैं करना है तो प्रशासन और सरकार को करना होगा ।

बाईट - मनोज प्रजापत , पर्यटन प्रेमी
बाईट- अब्दुल शकूर कादरी , शहरकाजी
बाईट - महेश जिंदल , पर्यटन प्रेमी
वॉक थ्रो - सलीम अली

हाल ही में ही जिला कलेक्टर रुकमणी रियार ने वन विभाग व नगर परिषद से मिलकर इस झील की सफाई तथा वोटिंग कराने के लिए 1000000 रुपए आवंटित भी किए थे और आवंटित हो चुके थे लेकिन प्रशासनिक मॉनिटरिंग समय पर नहीं होने के चलते वह कार्य भी खटाई में चला गया अब सर्दी का मौसम आया है और सर्दी के मौसम में कमल जड़े सूखने लगी है ऐसे में अब आने वाले समय में झील में और कचरा फैलता जाएगा और झील पूरी तरह से बदरंग हो जाएगी । प्रशासन को चाहिए कि जे सागर झील की ओर देखें विकास नहीं करवाए तो जे सागर झील में डलने वाले कचरे तथा उसकी समय रहते सफाई करवा दें ताकि जे सागर झील का प्राकृतिक सौंदर्य उभर कर आ जाए और झील एक नए आयाम स्थापित कर सके और यहां आने वाले पर्यटकों को झील का सौंदर्य भी नजर आ सके और होने वाली टिप्पणियों से वह बच सके ।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.