बूंदी. चौथ माता मंदिर बूंदी और हड़ौती के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है. बाणगंगा स्थित पहाड़ी पर चौथ माता मंदिर में 2 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होते हैं. करवा चौथ, तिल चौथ दोनों ही पर्व पर यहां पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ा रहता है. इस पावन पर्व पर यहां मेला भी आयोजित किया जाता है. जहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते है.
चौथ माता मंदिर में मेला आयोजित
मंदिर परिसर में सोमवार को तिल चौथ का मेला आयोजित किया गया. इस मौके पर जिले सहित आसपास व दूरदराज के सैकड़ों लोग दर्शन करने पहुंचे. गलन होने पर भी श्रद्धालुओं की रफ्तार धीमी नहीं हुई. माता के जयकारों के साथ श्रद्धालु माता के दरबार पहुंचे और मत्था टेका और मन्नत मांगी. वहीं मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी रहे. पुलिस अधिकारी भी निगरानी रखते हुए नजर आए. भक्तों का मंदिर में पहुंचने का सिलसिला देर रात्रि से ही जारी हो गया था. पैदल यात्री माता के दरबार में रात से ही पहुंचना शुरू हो गए थे. इसको देखते हुए प्रशासन ने रात्रि से ही व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद कर लिया.
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रास्ते से लेकर मंदिर तक श्रद्धालुओं का तांता
यहां पर शहर के मीरा गेट से होते हुए जैतसागर और बाणगंगा रोड होते हुए माता के दरबार में पैदल ही पहुंच रहे थे. इस दौरान प्रशासन ने वाहनों की आवाजाही को बंद कर दिया. उधर, फुलसागर रोड से भी श्रद्धालुओं का तांता देखा गया, यहां पर भी श्रद्धालु डीजे पर माता के गानों के साथ नाच गाते हुए माता के मंदिर में पहुंचे. बाणगंगा पर मंदिर पहाड़ी पर स्थित है, ऐसे में यहां पर वाहन एवं पैदल यात्रियों के लिए अलग से माता के दरबार में पहुंचने के लिए व्यवस्था है.
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ऐसे हुई माता की स्थापना
गौरतलब है कि प्राचीन समय से माता का मंदिर पहाड़ी पर स्थित है और चौथ माता, राजाओं के जमाने से ही अपना चमत्कार दिखाती हुई आई है और उसी चमत्कार के कारण बूंदी और हाड़ौती के आसपास में रहने वाले इलाके के लोगों का आस्था का केंद्र बन गई है और हर वर्ष माता के भक्तों में इजाफा होता हुआ जा रहा है. करीब यहां पर आज भी 2 लाख से अधिक श्रद्धालु ने माता के मंदिर में हजारी लगाई है. बताया जाता है कि सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा में स्थित माता के मंदिर में बूंदी के राजा वहां दर्शन करने जाया करते थे, लेकिन जब राजा बुजुर्ग हो गए और उनकी मंदिर आने की हिम्मत नहीं रही तो, उस समय चौथ के बरवाड़ा की माता के प्रतिरूप को राजा बूंदी लेकर आ गए और माता के मंदिर की स्थापना बूंदी के बाणगंगा स्थित पहाड़ी पर कर दी. तब ही से ही चौथ माता मंदिर को यहां पर पूजा जाने लगा और माता की आस्था बरकरार है.