बूंदी. कुदरत के कहर से कोई नहीं बच पाया जो भी आया वह सैलाब में समा गया, चारों ओर तबाही का मंजर था. साल 2019 का अंतिम चरण चल रहा है. कुछ ही दिनों में 2020 लगने वाला है. ऐसे में 2019 में सबसे बड़ी चुनौती प्राकृतिक आपदा का बूंदीवासियों ने सामना किया है. बूंदी में इस बार प्राकृतिक आपदा ने जिले को दहला दिया. कुदरत का कहर बारिश के रूप में इस तरह के आया को कोई भी व्यक्ति इस कुदरत के कहर से बच नहीं पाया और 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 2025 मकान क्षतिग्रस्त हो गए. जिनकी भरपाई आज दिन तक हो नहीं पाई है और 2019 में इस क्षति को कोई भूल भी नहीं पाएगा.
3 महीने तक चला बारिश का कहर
2019 अगस्त का महीना जिसमें बारिश का दौर शुरू हुआ था. किसी ने नहीं सोचा होगा कि बूंदी में इतनी बारिश हो जाएगी और मौत का सैलाब आएगा. 6 अगस्त जब बारिश का सिलसिला शुरू हुआ जो अक्टूबर महीने तक चला. 3 महीने तक चले इस बारिश में सबसे ज्यादा अगस्त में लोगों को नुकसान झेलना पड़ा बारिश के चलते घर तबाह हो गए. इंसान से लेकर जंगली जानवर भी अपनी जान गंवा बैठे. बारिश ने सदियों पुराना रिकॉर्ड बूंदी में तोड़ दिया और इस रिकॉर्ड ने जिले की हर सड़क को दरिया में तब्दील कर दिया. कोई ऐसा दिन नहीं गया जब बूंदी की सड़कों पर पानी-पानी नहीं हुआ हो, सिलसिला और भी भयानक होता गया, जब मकान टूटते चले गए और इन मकानों में रहने वाले लोग घायल और मौत का शिकार होते गए.
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किसानों की फसल हुई तबाह
क्या आम क्या खास सभी परेशान थे तो बारी किसानों की भी आई. इस बारिश ने किसानों की उपज फसल को भी तबाह कर दिया. खेतों में लहराती फसल एक बारिश में तबाह हो गई और किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा. जिसकी भरपाई भी आज दिन तक किसानों को हो ही नहीं पाई है. वहीं जिन मकानों को नुकसान पहुंचा था और जो मकान ढह गए थे उन्हें मुआवजा राशि भी मिल गई, लेकिन जो सपनों का घर था वह तो लोगों का टूट ही गया. सबसे ज्यादा बूंदी जिले के केशोरायपाटन में भयानक तस्वीरें सामने आई. जहां पर चंबल के रूद्र रूप में कई गांव को चपेट में ले लिया और 1 सप्ताह तक कई गांव पानी की चपेट में रहे मकान ढह गए, लोग बह गए और इस दुनिया से अलविदा कह गए.
जिले के इन हिस्सों में आई भयंकर तबाही
जिले के केशोरायपाटन गेंता माखीदा, काख्टा, घाट का बराना, बरूंधन, तालेड़ा, नमाना कापरेन, इंदरगढ़, हिंडोली, बड़ा नया गांव, अलोद सहित कई ऐसे गांव रहे जो बाढ़ की चपेट में रहे. एक ओर चंबल नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो मेज नदी भी इस तूफानी खेल को खेलती हुई नजर आई और कई घर को इस नदी के रूद्र रूप में अपनी चपेट में ले लिया. इस बारिश की वजह से जिले की करीब 85% से अधिक फसलें बर्बाद हो गई. जिनमें सबसे ज्यादा, चना, मूंग थी जो पानी के साथ बह गई. हरे भरे खेतों में मिट्टी छा गई और खेत दलदल के रूप में रह गए. जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ. सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को केशवरायपाटन क्षेत्र को हुआ है. इस बारिश से बूंदी जिले की सभी सड़कें बर्बाद हो गई और दबलाना पुलिया पूरी तरह से बह गई जिससे आज भी आवागमन बाधित है.
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बूंदी जिले में बारिश के दौरान 11 लोगों की मौत हुई. जिनके परिजनों को 44 लाख की सहायता दी गई थी. वहीं अगर बूंदी जिले में आपदा प्रबंधक के आंकड़ों पर नजर डाले तो..
- पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान - 785, राशि - 7,47,79,400
- आंशिक क्षतिग्रस्त - 1161, राशि - 6,96,4,000
- घरेलू सामग्री क्षति - 553 - राशि - 20,48,200
- कैटल रोड क्षति - 141 -राशि -35,7000
- झोपड़ी क्षति - 73 - राशि - 2,99,300
- कुल - 2713 प्रभावित हुए, जिसमे 2025 लोगों के मकान टूटे
- खराब हुई फसल के आंकड़े
बूंदी तहसील में 68 गांव में 2646 किसान प्रभावित हुए, जबकि तालेड़ा के एक गांव में 3270, केशोरायपाटन में 121 गांव में 76882, इंदरगढ़ के 122 गांव में 69463, नैनवां के 194 गांव में 79255, हिंडोली के 186 गांव में 72822 यानी बूंदी जिले के कुल 689 निवासी गांव के 327613 किसान प्रभावित हुए हैं. जिन्हें 1, 56,04,88,200 मुआवजा जारी किया गया.
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लोगों की कामना ऐसा दोबारा ना हो
बूंदी जिले के लिए 2019 में अगस्त, सितंबर और अक्टूबर ऐसे महीने रहे जो दिल जलाने वाले थे. जहां-जहां नुकसान हुआ है उन इलाकों में अब विकास गति पकड़ रहा है. इस प्राकृतिक आपदा से एक बड़ा ग्रामीण वर्ग को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. कोई नहीं चाहता कि अब 2020 में ऐसी प्राकृतिक आपदा आए, हालांकि इस बार बारिश से जिले के जितने भी तालाब थे वह लबालब हो गए हैं. बूंदी जिले में पानी की अब कोई कमी नहीं है, सिंचित क्षेत्र में पानी की उपलब्धता अच्छी है. लोग यही कामना कर रहे हैं कि 2020 उनके लिए अच्छा साबित हो जो प्राकृतिक आपदा 2019 में आई थी, वो कभी ना हो.