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अलविदा 2019: बूंदी में आई प्राकृतिक आपदा इस साल दे गई कई जख्म, 11 लोगों की गई थी जान; 2025 आशियाने तबाह

साल का कैलेंडर बदलने को है, लेकिन साल 2019 में आई बाढ़ ने जो जख्म बूंदीवासियों को दिए वो जेहन में आज भी हरे हैं. तेज बारिश में 11 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, तो 2025 आशियाने तबाह हो गए थे. जब भी उन भयानक तस्वीरों को लोग याद करते हैं तो दर्द फिर से ताजा हो जाता है. 2019 में आई तबाही पर बूंदी से स्पेशल रिपोर्ट..

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Published : Dec 28, 2019, 8:57 PM IST

floods in Bundi, Bundi in 2019
बूंदी में आई बाढ़ से तबाही..आज तक भी हरे जख्म

बूंदी. कुदरत के कहर से कोई नहीं बच पाया जो भी आया वह सैलाब में समा गया, चारों ओर तबाही का मंजर था. साल 2019 का अंतिम चरण चल रहा है. कुछ ही दिनों में 2020 लगने वाला है. ऐसे में 2019 में सबसे बड़ी चुनौती प्राकृतिक आपदा का बूंदीवासियों ने सामना किया है. बूंदी में इस बार प्राकृतिक आपदा ने जिले को दहला दिया. कुदरत का कहर बारिश के रूप में इस तरह के आया को कोई भी व्यक्ति इस कुदरत के कहर से बच नहीं पाया और 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 2025 मकान क्षतिग्रस्त हो गए. जिनकी भरपाई आज दिन तक हो नहीं पाई है और 2019 में इस क्षति को कोई भूल भी नहीं पाएगा.

बूंदी में आई प्राकृतिक आपदा इस साल दे गई कई जख्म, 11 लोगों की गई थी जान

3 महीने तक चला बारिश का कहर
2019 अगस्त का महीना जिसमें बारिश का दौर शुरू हुआ था. किसी ने नहीं सोचा होगा कि बूंदी में इतनी बारिश हो जाएगी और मौत का सैलाब आएगा. 6 अगस्त जब बारिश का सिलसिला शुरू हुआ जो अक्टूबर महीने तक चला. 3 महीने तक चले इस बारिश में सबसे ज्यादा अगस्त में लोगों को नुकसान झेलना पड़ा बारिश के चलते घर तबाह हो गए. इंसान से लेकर जंगली जानवर भी अपनी जान गंवा बैठे. बारिश ने सदियों पुराना रिकॉर्ड बूंदी में तोड़ दिया और इस रिकॉर्ड ने जिले की हर सड़क को दरिया में तब्दील कर दिया. कोई ऐसा दिन नहीं गया जब बूंदी की सड़कों पर पानी-पानी नहीं हुआ हो, सिलसिला और भी भयानक होता गया, जब मकान टूटते चले गए और इन मकानों में रहने वाले लोग घायल और मौत का शिकार होते गए.

पढ़ें- अलविदा 2019: ये हैं राजसमंद के वो 3 लाल..जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए दिए अपने प्राण

किसानों की फसल हुई तबाह
क्या आम क्या खास सभी परेशान थे तो बारी किसानों की भी आई. इस बारिश ने किसानों की उपज फसल को भी तबाह कर दिया. खेतों में लहराती फसल एक बारिश में तबाह हो गई और किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा. जिसकी भरपाई भी आज दिन तक किसानों को हो ही नहीं पाई है. वहीं जिन मकानों को नुकसान पहुंचा था और जो मकान ढह गए थे उन्हें मुआवजा राशि भी मिल गई, लेकिन जो सपनों का घर था वह तो लोगों का टूट ही गया. सबसे ज्यादा बूंदी जिले के केशोरायपाटन में भयानक तस्वीरें सामने आई. जहां पर चंबल के रूद्र रूप में कई गांव को चपेट में ले लिया और 1 सप्ताह तक कई गांव पानी की चपेट में रहे मकान ढह गए, लोग बह गए और इस दुनिया से अलविदा कह गए.

जिले के इन हिस्सों में आई भयंकर तबाही
जिले के केशोरायपाटन गेंता माखीदा, काख्टा, घाट का बराना, बरूंधन, तालेड़ा, नमाना कापरेन, इंदरगढ़, हिंडोली, बड़ा नया गांव, अलोद सहित कई ऐसे गांव रहे जो बाढ़ की चपेट में रहे. एक ओर चंबल नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो मेज नदी भी इस तूफानी खेल को खेलती हुई नजर आई और कई घर को इस नदी के रूद्र रूप में अपनी चपेट में ले लिया. इस बारिश की वजह से जिले की करीब 85% से अधिक फसलें बर्बाद हो गई. जिनमें सबसे ज्यादा, चना, मूंग थी जो पानी के साथ बह गई. हरे भरे खेतों में मिट्टी छा गई और खेत दलदल के रूप में रह गए. जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ. सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को केशवरायपाटन क्षेत्र को हुआ है. इस बारिश से बूंदी जिले की सभी सड़कें बर्बाद हो गई और दबलाना पुलिया पूरी तरह से बह गई जिससे आज भी आवागमन बाधित है.

पढ़ें- 2019 की सुर्खियां : राजनीतिक घटनाओं से लेकर न्यायपालिका के अहम फैसलों तक

बूंदी जिले में बारिश के दौरान 11 लोगों की मौत हुई. जिनके परिजनों को 44 लाख की सहायता दी गई थी. वहीं अगर बूंदी जिले में आपदा प्रबंधक के आंकड़ों पर नजर डाले तो..

  • पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान - 785, राशि - 7,47,79,400
  • आंशिक क्षतिग्रस्त - 1161, राशि - 6,96,4,000
  • घरेलू सामग्री क्षति - 553 - राशि - 20,48,200
  • कैटल रोड क्षति - 141 -राशि -35,7000
  • झोपड़ी क्षति - 73 - राशि - 2,99,300
  • कुल - 2713 प्रभावित हुए, जिसमे 2025 लोगों के मकान टूटे
  • खराब हुई फसल के आंकड़े

बूंदी तहसील में 68 गांव में 2646 किसान प्रभावित हुए, जबकि तालेड़ा के एक गांव में 3270, केशोरायपाटन में 121 गांव में 76882, इंदरगढ़ के 122 गांव में 69463, नैनवां के 194 गांव में 79255, हिंडोली के 186 गांव में 72822 यानी बूंदी जिले के कुल 689 निवासी गांव के 327613 किसान प्रभावित हुए हैं. जिन्हें 1, 56,04,88,200 मुआवजा जारी किया गया.

पढ़ें- 2019 की सुर्खियां : अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ा भारत का गौरव

लोगों की कामना ऐसा दोबारा ना हो
बूंदी जिले के लिए 2019 में अगस्त, सितंबर और अक्टूबर ऐसे महीने रहे जो दिल जलाने वाले थे. जहां-जहां नुकसान हुआ है उन इलाकों में अब विकास गति पकड़ रहा है. इस प्राकृतिक आपदा से एक बड़ा ग्रामीण वर्ग को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. कोई नहीं चाहता कि अब 2020 में ऐसी प्राकृतिक आपदा आए, हालांकि इस बार बारिश से जिले के जितने भी तालाब थे वह लबालब हो गए हैं. बूंदी जिले में पानी की अब कोई कमी नहीं है, सिंचित क्षेत्र में पानी की उपलब्धता अच्छी है. लोग यही कामना कर रहे हैं कि 2020 उनके लिए अच्छा साबित हो जो प्राकृतिक आपदा 2019 में आई थी, वो कभी ना हो.

बूंदी. कुदरत के कहर से कोई नहीं बच पाया जो भी आया वह सैलाब में समा गया, चारों ओर तबाही का मंजर था. साल 2019 का अंतिम चरण चल रहा है. कुछ ही दिनों में 2020 लगने वाला है. ऐसे में 2019 में सबसे बड़ी चुनौती प्राकृतिक आपदा का बूंदीवासियों ने सामना किया है. बूंदी में इस बार प्राकृतिक आपदा ने जिले को दहला दिया. कुदरत का कहर बारिश के रूप में इस तरह के आया को कोई भी व्यक्ति इस कुदरत के कहर से बच नहीं पाया और 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 2025 मकान क्षतिग्रस्त हो गए. जिनकी भरपाई आज दिन तक हो नहीं पाई है और 2019 में इस क्षति को कोई भूल भी नहीं पाएगा.

बूंदी में आई प्राकृतिक आपदा इस साल दे गई कई जख्म, 11 लोगों की गई थी जान

3 महीने तक चला बारिश का कहर
2019 अगस्त का महीना जिसमें बारिश का दौर शुरू हुआ था. किसी ने नहीं सोचा होगा कि बूंदी में इतनी बारिश हो जाएगी और मौत का सैलाब आएगा. 6 अगस्त जब बारिश का सिलसिला शुरू हुआ जो अक्टूबर महीने तक चला. 3 महीने तक चले इस बारिश में सबसे ज्यादा अगस्त में लोगों को नुकसान झेलना पड़ा बारिश के चलते घर तबाह हो गए. इंसान से लेकर जंगली जानवर भी अपनी जान गंवा बैठे. बारिश ने सदियों पुराना रिकॉर्ड बूंदी में तोड़ दिया और इस रिकॉर्ड ने जिले की हर सड़क को दरिया में तब्दील कर दिया. कोई ऐसा दिन नहीं गया जब बूंदी की सड़कों पर पानी-पानी नहीं हुआ हो, सिलसिला और भी भयानक होता गया, जब मकान टूटते चले गए और इन मकानों में रहने वाले लोग घायल और मौत का शिकार होते गए.

पढ़ें- अलविदा 2019: ये हैं राजसमंद के वो 3 लाल..जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए दिए अपने प्राण

किसानों की फसल हुई तबाह
क्या आम क्या खास सभी परेशान थे तो बारी किसानों की भी आई. इस बारिश ने किसानों की उपज फसल को भी तबाह कर दिया. खेतों में लहराती फसल एक बारिश में तबाह हो गई और किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा. जिसकी भरपाई भी आज दिन तक किसानों को हो ही नहीं पाई है. वहीं जिन मकानों को नुकसान पहुंचा था और जो मकान ढह गए थे उन्हें मुआवजा राशि भी मिल गई, लेकिन जो सपनों का घर था वह तो लोगों का टूट ही गया. सबसे ज्यादा बूंदी जिले के केशोरायपाटन में भयानक तस्वीरें सामने आई. जहां पर चंबल के रूद्र रूप में कई गांव को चपेट में ले लिया और 1 सप्ताह तक कई गांव पानी की चपेट में रहे मकान ढह गए, लोग बह गए और इस दुनिया से अलविदा कह गए.

जिले के इन हिस्सों में आई भयंकर तबाही
जिले के केशोरायपाटन गेंता माखीदा, काख्टा, घाट का बराना, बरूंधन, तालेड़ा, नमाना कापरेन, इंदरगढ़, हिंडोली, बड़ा नया गांव, अलोद सहित कई ऐसे गांव रहे जो बाढ़ की चपेट में रहे. एक ओर चंबल नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो मेज नदी भी इस तूफानी खेल को खेलती हुई नजर आई और कई घर को इस नदी के रूद्र रूप में अपनी चपेट में ले लिया. इस बारिश की वजह से जिले की करीब 85% से अधिक फसलें बर्बाद हो गई. जिनमें सबसे ज्यादा, चना, मूंग थी जो पानी के साथ बह गई. हरे भरे खेतों में मिट्टी छा गई और खेत दलदल के रूप में रह गए. जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ. सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को केशवरायपाटन क्षेत्र को हुआ है. इस बारिश से बूंदी जिले की सभी सड़कें बर्बाद हो गई और दबलाना पुलिया पूरी तरह से बह गई जिससे आज भी आवागमन बाधित है.

पढ़ें- 2019 की सुर्खियां : राजनीतिक घटनाओं से लेकर न्यायपालिका के अहम फैसलों तक

बूंदी जिले में बारिश के दौरान 11 लोगों की मौत हुई. जिनके परिजनों को 44 लाख की सहायता दी गई थी. वहीं अगर बूंदी जिले में आपदा प्रबंधक के आंकड़ों पर नजर डाले तो..

  • पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान - 785, राशि - 7,47,79,400
  • आंशिक क्षतिग्रस्त - 1161, राशि - 6,96,4,000
  • घरेलू सामग्री क्षति - 553 - राशि - 20,48,200
  • कैटल रोड क्षति - 141 -राशि -35,7000
  • झोपड़ी क्षति - 73 - राशि - 2,99,300
  • कुल - 2713 प्रभावित हुए, जिसमे 2025 लोगों के मकान टूटे
  • खराब हुई फसल के आंकड़े

बूंदी तहसील में 68 गांव में 2646 किसान प्रभावित हुए, जबकि तालेड़ा के एक गांव में 3270, केशोरायपाटन में 121 गांव में 76882, इंदरगढ़ के 122 गांव में 69463, नैनवां के 194 गांव में 79255, हिंडोली के 186 गांव में 72822 यानी बूंदी जिले के कुल 689 निवासी गांव के 327613 किसान प्रभावित हुए हैं. जिन्हें 1, 56,04,88,200 मुआवजा जारी किया गया.

पढ़ें- 2019 की सुर्खियां : अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ा भारत का गौरव

लोगों की कामना ऐसा दोबारा ना हो
बूंदी जिले के लिए 2019 में अगस्त, सितंबर और अक्टूबर ऐसे महीने रहे जो दिल जलाने वाले थे. जहां-जहां नुकसान हुआ है उन इलाकों में अब विकास गति पकड़ रहा है. इस प्राकृतिक आपदा से एक बड़ा ग्रामीण वर्ग को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. कोई नहीं चाहता कि अब 2020 में ऐसी प्राकृतिक आपदा आए, हालांकि इस बार बारिश से जिले के जितने भी तालाब थे वह लबालब हो गए हैं. बूंदी जिले में पानी की अब कोई कमी नहीं है, सिंचित क्षेत्र में पानी की उपलब्धता अच्छी है. लोग यही कामना कर रहे हैं कि 2020 उनके लिए अच्छा साबित हो जो प्राकृतिक आपदा 2019 में आई थी, वो कभी ना हो.

Intro:2019 बूंदी में कुदरत के कहर का प्रकोप जलता हुआ दिखा बारिश के मौसम में जिले का हर कोना प्रभावित रहा। बारिश के दौरान बूंदी में 11 लोगों की मौत हुई तो 2025 मकान क्षतिग्रस्त हुए । आज भी उन दृश्यों को जब लोग याद करते हैं तो अपने आप दर्द के तले रोने पर मजबूर हो जाते हैं । चारों ओर पानी ही पानी का मंजर और हाथों में जान और तबाही का मंजर इस तरीके से रहा कि आज दिन तक भी वह स्थिति संभल नहीं पाई है ।


Body:बूंदी :---- कुदरत के कहर से कोई नही बच पाया जो भी आया वह सैलाब में समा गया चारो ओर तबाही का मंजर रहा -- 2019 का अंतिम चरण चल रहा है कुछ ही दिनों में 2020 लगने वाला है ऐसे में 2019 में क्या उपलब्धियां बूंदी की रही और क्या बूंदी ने गवाया इसकी पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले चुना प्राकृतिक आपदा । बूंदी में इस बार प्राकृतिक आपदा ने जिले को दहला दिया कुदरत का कहर बारिश के रूप में इस तरह के आया को कोई भी व्यक्ति इस कुदरत के कहर से बच नही पाया और 11 लोगो की मौत हो गई जबकि 2025 मकान क्षतिग्रस्त हो गए जिनकी भरपाई आज दिन तक हो नहीं पाई है और 2019 में इस क्षति को कोई भूल भी नहीं पाएगा । 2019 अगस्त का माह जिसमें बारिश का दौर शुरू हुआ जहां किसी ने नहीं सोचा था कि बूंदी में इतनी बारिश हो जाएगी ओर मौत का सैलाब आएगा । तरिकज 6 अगस्त जब बारिश का सिलसिला शुरू हुआ जो अक्टूबर माह तक चला"" 3 माह तक चले इस बारिश में सबसे ज्यादा अगस्त माह में लोगों को नुकसान झेलना पड़ा बारिश के चलते घर - मकान यहां तक कि इंसान -जंगली जानवर भी अपनी जान गवा बैठे । बारिश ने सदियों पुराना रिकॉर्ड बूंदी में तोड़ दिया और इस रिकॉर्ड ने शहर- जिले की हर सड़कों पर दरिया पानी का ला दिया कोई ऐसा दिन नहीं गया जब बूंदी की सड़कों पर पानी पानी नहीं था सिलसिला और भी भयानक होता गया जब मकान टूटते चले गए और इन मकानों में रहने वाले लोग घायल व मौतों का शिकार होते हुए चले गए यही नहीं जो सुकून से सुबह सोया था रात को बारिश इस तरीके से आई कि उसके मकान को उठा कर चली गई और मौत खुद-ब-खुद घर पर पहुंची ''कुछ लोग तो पानी में बह गए तो कुछ लोग नदी पार करते समय पानी में मौत के सैलाब में बह कर चले गए । इस बारिश में बूंदी में 11 लोगों की मौत हो गई जबकि 2025 से अधिक मकान बाढ़ की चपेट में आकर क्षतिग्रस्त हो गए । क्या आम क्या खास सभी परेशान थे तो बारी किसानों की भी आई इस बारिश ने किसानों की उपज फसल को भी तबाह कर दिया खेतों में लहराती फसल एक बारिश में तबाह हो गई और किसानों को भी भारी नुकसान के यहां पर उठाना पड़ा जिसकी भरपाई भी आज दिन तक किसानों को हो ही नहीं पाई है। वहीं जिन मकानों को नुकसान पहुंचा था और जो मकान ढह गए थे उन्हें मुआवजा राशि भी मिल गई लेकिन जो सपनों का घर था वह तो लोगों का टूट ही गया । सबसे ज्यादा बूंदी जिले के केशोरायपाटन में भयानक तस्वीरें सामने आई जहां पर चंबल के रूद्र रूप में कई गांव को चपेट में ले लिया और 1 सप्ताह तक कई गांव पानी की चपेट में रहे मकान ढह गए लोग बह गए और इस दुनिया से अलविदा कह गए । जिले के केशोरायपाटन गेता माखीदा , काख्टा , घाट का बराना ,बरूंधन , तालेड़ा, नमाना कापरेन, इंदरगढ़, हिंडोली, बड़ा नया गांव ,अलोद सहित कई ऐसे गांव रहे जो बाढ़ की चपेट में रहे । एक और चंबल नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो मैच नदी भी इस तूफानी खेल को खेलती हुई नजर आई और कई घर को इस नदी के रूद्र रूप में अपनी चपेट में ले लिया । इस बारिश की वजह से जिले की करीब 85% से अधिक फसलें बर्बाद हो गई जिनमें सबसे ज्यादा, चना, मूंग थी जो पानी के साथ बह गई । हरे भरे खेतों में मिट्टी मिट्टी छा गई और खेत दल दल के रूप में रह गए जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को केशवरायपाटन क्षेत्र को हुआ है । इस बारिश से बूंदी जिले की सभी सड़कें बर्बाद हो गई और दबलाना पुलिया पूरी तरह से बह गई जिससे आज भी आवागमन बाधित है ।

बूंदी जिले में आपदा प्रबंधक के आंकड़ों पर नजर

बूंदी जिले में बारिश के दौरान 11 लोगों की मौत हुई जिनके परिजनों को 44 लाख की सहायता दी गई है ।

पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान - 785 - राशि - 74779400
आंशिक क्षतिग्रस्त - 1161- राशि - 6964000
घरेलू सामग्री क्षति - 553 - राशि - 2048200
कैटल रोड क्षति - 141 -राशि -357000
झोपड़ी क्षति - 73 - राशि - 299300

कुल - 2713 प्रभावित हुए जिसमे 2025 लोगो के मकान टूट गए है

खराब हुई फसल के आंकड़े

बूंदी तहसील में 68 गांव में 2646 किसान प्रभावित हुए जबकि तालेड़ा के एक गांव में 3270, केशोरायपाटन में 121 गांव में 76882 ,इंदरगढ़ के 122 गांव में 69463 ,नैनवा के 194 गांव में 79255 , हिंडोली के 186 गांव में 72822 - यानी बूंदी जिले के कुल 689 निवासी गांव के 327613 किसान प्रभावित हुए हैं जिन्हें 1560488200 मुआवजा जारी किया गया है ।


Conclusion:यकीनन 2019 में हुई प्राकृतिक आपदा में पहली बार ऐसा बूंदी हुआ जब 11 लोगों की प्राकृतिक आपदा के चलते मौत हो गई और 2025 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं और इतनी तादाद में लोगों को मुआवजा दिया गया हो । बूंदी जिले के लिए 2019 में अगस्त - सितंबर - अक्टूबर माह ऐसे रहे जो दिल जलाने वाले थे । जहां-जहां नुकसान हुआ है उन इलाकों में अब विकास गति पकड़ रहा है इस प्राकृतिक आपदा से एक बड़ा ग्रामीण वर्ग को काफी नुकसान झेलना पड़ा है । कोई नहीं चाहता कि अब 2020 में ऐसी प्राकृतिक आपदाएं हालांकि इस बार बारिश से जिले के जितने भी तालाब थे वह लबालब हो गए हैं । बूंदी जिले में पानी की अब कोई कमी नहीं है सिंचित क्षेत्र में पानी की उपलब्धता अच्छी है । लोग यही कामना कर रहे हैं कि 2020 उनके लिए अच्छा साबित हो जो प्राकृतिक आपदा 2019 में आई थी वह दोहराई है नहीं जाए ।

बाईट - एयू खान , अतिरिक्त जिला कलेक्टर ,बूंदी
पीटीसी - सलीम अली
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