बूंदी. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान दिग्गज नेताओं के प्रदेश में लगातार दौरे हो रहे हैं. बुधवार को कोटा-बूंदी के दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने प्रदेश कांग्रेस और राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में फूट जाहिर हो गई है. सचिन पायलट किसी भी तरह के कैंपेन में शामिल नहीं हो रहे हैं. राहुल गांधी राजस्थान आना ही नहीं चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि सचिन पायलट ना केवल कांग्रेस के किसी कैंपेन में दिख रहे हैं बल्कि उनका कोई पोस्टर या बैनर कांग्रेस के किसी कैंपेन में नजर आ रह है. वहीं राहुल गांधी तो राजस्थान में आना ही नहीं चाहते है, वे पहले से ही स्वीकार कर चुके हैं कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार जा रही है.
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पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा के विरोध में महेश शर्मा इस्तीफा दे रहे हैं. जाहिदा खान के खिलाफ किस तरह का प्रदर्शन हुआ था. खिलाड़ी राम बैरवा हो या फिर भरत सिंह कुंदनपुर के बयान देख लीजिए. अशोक गहलोत को गारंटी यात्रा की जगह माफी यात्रा राजस्थान में निकालनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि राजस्थान में पेपर लीक और भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है. ऐसे में राजस्थान में जैसे ही सरकार बनेगी, वैसे ही राजस्थान की पुलिस और अन्य एजेंसी को कार्रवाई करेगी. जिसमें कोई भी व्यक्ति हो, वह मंत्री हो या ऊंचे से ऊंचे पद पर बैठा हुआ, सब पर एक्शन लिया जाएगा.
धारीवाल की तरह ही शर्मनाक बयान है नीतीश कुमार का: राजस्थान के मंत्री और कोटा से चुनाव लड़ रहे धारीवाल का बयान राजस्थान के रेप में नंबर वन आने पर विधानसभा में आया था कि यह मर्दों का प्रदेश है. तब राजस्थान शर्मसार हुआ था, अब बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री व इंडी गठबंधन के बड़े नेता नीतीश कुमार ने इस तरह की शब्दावली का प्रयोग किया. जिस तरह से उन्होंने राजस्थान की महिलाओं का अपमान किया है, इस तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है.
नीतीश कुमार को दे देना चाहिए इस्तीफा: बीजेपी महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए नारी शक्ति वंदन नियम पारित करवाती है, लेकिन दूसरी तरफ इंडी गठबंधन के लोग महिलाओं का अपमान कर रहे हैं. नीतीश कुमार को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. उनको इस पद से हट जाना चाहिए. इस्तीफा मांगने की जगह इंडी गठबंधन के लोग तेजस्वी यादव और बाकी नेता बयान का समर्थन करते हैं, जो महिलाओं का अपमान है. इस बयान पर राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी क्यों चुप्पी साधे हुए हैं, यह बड़ा सवाल है.