बूंदी. देश में कोरोना वायरस संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. कोरोना के मरीजों की संख्या से आमजन भी चिंतित है. मौतों के आंकड़ों में भी लगातार इजाफा होता जा रहा है. हालांकि इन दिनों गर्मी के सीजन से लोग वैसे ही घर में कैद होने को मजबूर हैं. सड़क पर आसमान से आग बरस रही है, कुछ दिनों बाद मानसून की झड़ी लग जाएगी. मानसून के दौरान कई तरह की बीमारियां पनपना शुरू हो जाएंगी. इनमें मुख्य रूप से डेंगू, मलेरिया और स्वॉइन फ्लू जैसी बीमारियां हैं, जिसके चलते राजस्थान में इन बीमारियों के मरीज भी सामने आएंगे.
इसको लेकर बूंदी प्रशासन अभी से अलर्ट हो गया है. यहां पर स्वास्थ्य विभाग ने पुराने डेटा के हिसाब से इलाकों को चिन्हित कर लिया है और वहां पर सर्वे का काम शुरू किया गया है. बूंदी नगर परिषद ने भी मौसमी बीमारियों को लेकर शहर के बड़े-बड़े नालों की सफाई करवाना शुरू कर दिया है. टूटे हुए नालों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है.
कोरोना वायरस और डेंगू में दिन रात का अंतर...
बूंदी चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मनोज जैन ने बताया कि कोरोना वायरस, डेंगू और मलेरिया की बीमारियों में दिन रात का अंतर है. डेंगू की बीमारी मच्छरों से फैलती है और बड़े डंक वाला मच्छर किसी मरीज को काटता है तो उससे उसे डेंगू बीमारी होने का खतरा मंडराने लग जाता है. केवल डेंगू की बीमारी मच्छरों से ही पनपती है, जबकि कोरोना वायरस आदमी के संपर्क में आने से व उसे छूने से फैलता है तो दोनों में दिन रात का अंतर है. डॉक्टर मनोज जैन बताते हैं कि डेंगू शरीर में सिरदर्द, गला दर्द, बुखार और फ्लैटनेस में कमी लाता है. जबकि कोरोना वायरस सिरदर्द और निमोनिया जैसी बीमारी के लक्षण शरीर में दिखते हैं तो कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा रहता है.
डॉ. मनोज जैन ने बताया कि डेंगू सीधा किसी मरीज को संक्रमण में से लेने से पहले उसके ब्लड में इन्फेक्शन फैला देता है, जिसके चलते उसके ब्लड का फ्लैटनेस डाउन होता चला जाता है और फ्लैटनेस बढ़ाने के लिए चिकित्सा उपाय के अनुसार उसे दवा लेनी होती है. जबकि कोरोना वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में जाता है और उसके लक्षण शरीर के ऊपरी इलाकों में ही पाए जाते हैं.
ऐसे में कोरोना वायरस में आदमी की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होना जरूरी होती है. वरना कोरोना वायरस मरीज को ज्यादा समय तक जीवित रहने नहीं देता है. डॉ. जैन ने बताया कि डेंगू से अधिक बचना है तो मौसमी बीमारी के दौरान आपके आस-पड़ोस के इलाकों में कहीं पर पानी जमा होता हो तो उस पानी को वहां से निस्तारण करने के लिए उपाय ढूढ़े और अगर कबाड़ में पानी भरा रहता है तो उस पानी को समय-समय पर साफ करते रहें. इसी तरह अगर कोरोना वायरस से बचना है तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, मास्क लगाएं और किसी व्यक्ति से सीधे संपर्क में न आएं.
पिछले साल बूंदी में 250 मरीज आए थे डेंगू के सामने, आधा दर्जन मरीजों की हुई थी मौत
डेंगू के मरीजों की बात की जाए तो पिछले साल 250 मरीज डेंगू के बूंदी में सामने आए थे, जिनमें से आधा दर्जन मरीजों की मौत हो गई थी. इन मौतों में 3 बच्चे भी शामिल थे, जिनकी डेंगू के चलते मौत हो गई थी. वहीं जिले के नैनवां, देई और बूंदी शहर में डेंगू के मरीज सामने आए थे. इन इलाकों में प्रशासन द्वारा फॉगिंग भी करवाई और मच्छरों को मारने के लिए प्रयास किए तथा उन्हें मरीजों को कोटा रेफर किया गया. हालांकि इन इलाकों में कोई बड़े नाले भी नहीं थे, केवल आस-पड़ोस में जमा हुआ पानी की वजह से ही मच्छर फैला. इनमें लापरवाही इलाके के लोगों की रही, इलाके के लोगों ने अपने स्तर पर पानी की साफ-सफाई नहीं की, जिससे इन मच्छरों से लोगों को डेंगू जैसी बीमारी का प्रकोप झेलना पड़ा.
ऐसे में अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य विभाग एवं नगर परिषद ने मौसमी बीमारी से बचने के लिए अपने अपने एहतियात बरतना शुरू कर दिया है और अपने-अपने दावे बताना शुरू कर दिया है. कोरोना वायरस की जंग में लगभग लगभग बूंदी जिला जीतने को तैयार है. बूंदी में एक भी कोरोना वायरस का मरीज सामने नहीं आया है. लेकिन अब मौसमी बीमारी से बूंदी जिला बच पाएगा या नहीं यह देखना होगा.