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स्पेशल स्टोरी: छोटी काशी में बादलों की ओट से निकले चंद्रमा के दर्शन कर महिलाओं ने मांगी पति की लंबी आयु

पूरे देश में करवा चौथ धूमधाम से मनाया गया. देशभर में महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा. साथ ही शाम को पूजा-अर्चना कर चंद्र देवता को अर्ध्य देकर अपने पति के हाथों से कुछ खा कर अपना व्रत खोला. छोटी काशी बूंदी में भी सामूहिक करवा चौथ का आयोजन महोत्सव के रूप में मनाया गया. जहां पर ग्रुपों में महिलाओं ने इस पर्व को मनाया.

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Published : Oct 18, 2019, 1:18 PM IST

बूंदी. देशभर में करवा चौथ मनाया गया. महिलाओं ने पूजन कर चंद्र दर्शन किए. पहले घर-घर में करवा चौथ को एकल रूप से मनाया जाता था, लेकिन अब विभिन्न ग्रुपों में धार्मिक स्थलों पर महोत्सव के रूप में चौथ धूमधाम से मनाई जाने लगी है. जहां पर चौथ माता और गणेश जी की पूजा महिलाओं ने की. साथ ही विभिन्न रस्मों को अदा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की.

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समूह में चौथ माता की पूजा करती महिलाएं

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है. चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं. इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं. महिलाओं ने चंद्र देवताओं को अर्ध्य देकर पति के हाथों से पानी पिया और अपना करवा चौथ का व्रत पूरा किया.

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महिलाओं ने सुनी चौथ माता की कथा

पढ़ें- जयपुर क्लब में हुआ 'करवा चौथ सेलिब्रेशन-02' का आयोजन, सेलिब्रिटी कपल रहे मौजूद

सोलह शृंगार कर महिलाओं ने किया पति का दीदार

इस दिन महिलाओं ने व्रत खोलने के लिए तरह-तरह के पकवान भी बनाए. महिलाओं ने सोलह शृंगार किया. राजस्थान में करवा चौथ की पूजा के लिए अलग-अलग महत्व होते हैं कोई अपने घर में करवा चौथ का पर्व मनाता है तो कोई माता के मंदिर में करवा चौथ मनाता है. ऐसे ही बूंदी के खोजा गेट रोड स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर में पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा करवा चौथ के सामूहिक महोत्सव का आयोजन किया गया.

बूंदी में धूमधाम से मनाया गया करवा चौथ

पंडित संदीप चतुर्वेदी ने बताया कि करवा चौथ 2 शब्दों से बना है. इसमें पहला शब्द करवा है जिसका मतलब मिट्टी का बर्तन होता है. दूसरा चौथ का मतलब चतुर्थ के लिए इस्तेमाल किया गया है. चंद्रमा की 27 पत्नियों में से उन्हें रोहिणी सबसे ज्यादा प्रिय है. यही वजह है कि यह संयोग करवा चौथ को खास बनाता है. उन्होंने कहा कि इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए आज निर्जला व्रत के रूप में करवा चौथ मनाती हैं.

पढे़ं- करवा चौथ 2019: जयपुर के बाजारों में बढ़ी रौनक, पति खरीद रहे सरप्राइज गिफ्ट

पवित्र रिश्ते का प्रतीक है करवा चौथ

महिलाओं ने बताया कि व्रत की शुरुआत सरगी खाकर की गई और फिर दिन के समय विधि विधान के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करने के बाद करवा माता की कथा सुनी गई. रात के समय चांद को अर्ध्य देकर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला. व्रत संपन्न होने के बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. इसके बाद अपने पति पत्नी एक साथ बैठकर खाना खाते हैं. बूंदी के विभिन्न माता के मंदिरों में भक्तों ने पूजा अर्चना की.

बूंदी. देशभर में करवा चौथ मनाया गया. महिलाओं ने पूजन कर चंद्र दर्शन किए. पहले घर-घर में करवा चौथ को एकल रूप से मनाया जाता था, लेकिन अब विभिन्न ग्रुपों में धार्मिक स्थलों पर महोत्सव के रूप में चौथ धूमधाम से मनाई जाने लगी है. जहां पर चौथ माता और गणेश जी की पूजा महिलाओं ने की. साथ ही विभिन्न रस्मों को अदा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की.

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समूह में चौथ माता की पूजा करती महिलाएं

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है. चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं. इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं. महिलाओं ने चंद्र देवताओं को अर्ध्य देकर पति के हाथों से पानी पिया और अपना करवा चौथ का व्रत पूरा किया.

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महिलाओं ने सुनी चौथ माता की कथा

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सोलह शृंगार कर महिलाओं ने किया पति का दीदार

इस दिन महिलाओं ने व्रत खोलने के लिए तरह-तरह के पकवान भी बनाए. महिलाओं ने सोलह शृंगार किया. राजस्थान में करवा चौथ की पूजा के लिए अलग-अलग महत्व होते हैं कोई अपने घर में करवा चौथ का पर्व मनाता है तो कोई माता के मंदिर में करवा चौथ मनाता है. ऐसे ही बूंदी के खोजा गेट रोड स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर में पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा करवा चौथ के सामूहिक महोत्सव का आयोजन किया गया.

बूंदी में धूमधाम से मनाया गया करवा चौथ

पंडित संदीप चतुर्वेदी ने बताया कि करवा चौथ 2 शब्दों से बना है. इसमें पहला शब्द करवा है जिसका मतलब मिट्टी का बर्तन होता है. दूसरा चौथ का मतलब चतुर्थ के लिए इस्तेमाल किया गया है. चंद्रमा की 27 पत्नियों में से उन्हें रोहिणी सबसे ज्यादा प्रिय है. यही वजह है कि यह संयोग करवा चौथ को खास बनाता है. उन्होंने कहा कि इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए आज निर्जला व्रत के रूप में करवा चौथ मनाती हैं.

पढे़ं- करवा चौथ 2019: जयपुर के बाजारों में बढ़ी रौनक, पति खरीद रहे सरप्राइज गिफ्ट

पवित्र रिश्ते का प्रतीक है करवा चौथ

महिलाओं ने बताया कि व्रत की शुरुआत सरगी खाकर की गई और फिर दिन के समय विधि विधान के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करने के बाद करवा माता की कथा सुनी गई. रात के समय चांद को अर्ध्य देकर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला. व्रत संपन्न होने के बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. इसके बाद अपने पति पत्नी एक साथ बैठकर खाना खाते हैं. बूंदी के विभिन्न माता के मंदिरों में भक्तों ने पूजा अर्चना की.

Intro:पूरे देश में करवा चौथ धूमधाम से मनाया जाता है। करवा चौथ का त्यौहार हर सुहागन स्त्री के लिए बहुत ही खास होता है इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है जिसके साथ ही शाम को माता पार्वती और गणेश की पूजा के साथ चंद्र देवता को अर्थ देकर अपने पति के हाथों से कुछ खा कर अपना व्रत खोलती है। छोटीकाशी बूंदी में भी सामूहिक करवा चौथ का आयोजन महोत्सव के रूप में मनाया गया। जहां पर ग्रुपों में महिलाएं करवा चौथ का व्रत खोलती हुई नजर आई और माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करती हुई दिखी ।


Body:बूंदी । देशभर में करवा चौथ मनाया जा रहा है। घर की छतों से लेकर धार्मिक स्थलों पर पति पत्नी बाहर निकलकर चांद का दीदार करने के लिए बेताब है और चांद का दीदार होने के साथ ही करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं ने चंद्र देवताओं को अर्ध्य देकर पति के हाथों से पानी पिया और अपना करवा चौथ धूमधाम से मनाया । बूंदी में भी करवा चौथ की धूम है यहां पर सामूहिक रूप से महिलाएं सोलह सिंगार करके करवा चौथ का पर्व मना रही है पहले घर घर में करवा चौथ का एकल रूप से मनाया जाता था लेकिन अब विभिन्न ग्रुपों एवं धार्मिक स्थलों पर सामूहिक रूप से महोत्सव के रूप में करवा चौथ का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है । जहां पर माता पार्वती और गणेश जी की पूजा महिलाएं कर रही है और विभिन्न रस्मो को अदा कर रही है और इस करवा चौथ के अवसर पर अपने पति की लंबी उम्र की पत्नी कामना कर रही है ।

इस दिन महिलाएं व्रत खोलने के लिए तरह-तरह के पकवान भी बनाती है सोलह सिंगार के लिए महिलाएं नए नए कपड़े खरीदती है और हाथों में तरह-तरह की मेहंदी लगाकर सजती और सर्वती है । राजस्थान में करवा चौथ की पूजा के लिए अलग-अलग महत्व होते हैं कोई अपने घर में करवा चौथ का पर्व मनाता है तो कोई माता के मंदिर में अपनी करवा चौथ के पर्व को मनाता है । ऐसे ही बूंदी के खोजा गेट रोड स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर में पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा करवा चौथ के सामूहिक महोत्सव का आयोजन किया गया जहां पर सभी समाज की महिलाओं द्वारा एक साथ माता पार्वती और गणेश जी की पूजा अर्चना कर अपना करवा चौथ का व्रत खोला ।

करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के बड़े व्रत में से एक है इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखती है और सोलह सिंगार करती है । व्रत की शुरुआत सरगी खाकर की जाती है और फिर दिन के समय विधि विधान के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करने के बाद करवा माता की कथा सुनी जाती है । रात के समय चांद को अर्घ देकर पति के हाथों में पानी पीकर व्रत संपन्न होता है । व्रत संपन्न होने के बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है इसके बाद अपने पति पत्नी एक साथ बैठकर खाना खाते हैं । करवा चौथ का एक वक्त सिर्फ रखकर नही बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते की पवित्रता है प्रेम सम्मान और समर्पण का एक प्रतीक है । आज के समय में सिर्फ पत्नियां ही नहीं बल्कि पति भी अपने जीवनसंगिनी के लिए निर्जला व्रत रखते हैं ।


Conclusion:वही पंडित संदीप चतुर्वेदी ने बताया कि करवाचौथ 2 शब्दों से बना है इसमें पहला शब्द करवा है जिसका मतलब मिट्टी का बर्तन होता है वही चौथ का मतलब चतुर्थ स्थिति के लिए इस्तेमाल किया गया है । चंद्रमा की 27 पत्नियों में से उन्हें रोहिणी सबसे ज्यादा प्रिय है यही वजह है कि यह संयोग करवा चौथ को काश बनाता है । उन्होंने कहा कि पत्नी अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए आज निर्जला व्रत के रूप में करवा चौथ मनाती है पूरे दिन भूखी प्यासी रहती है और शाम को सज-धज कर करवा चौथ की पूजा करती है और चंद्र देवता को अर्पण कर पति के हाथों से पानी पीती है और अपना करवा चौथ मनाती है ।

वही बूंदी जिले के विभिन्न माता के मंदिरों में आज दिन भर श्रद्धा का सैलाब उमड़ा यहां पर माता के भक्तों ने माता के मंदिर में पूजा अर्चना की और माता को चोला चढ़ाया । पूरे देश भर में करवा चौथ की धूम मची है और बूंदी में भी काफी इस पर्व को लेकर पति पत्नियों एवं नव युवतियों में काफी उत्साह नजर आ रहा है ।

बाईट - आरुषि कपूर , नवविवाहिता
बाईट - नीलम बग्गा , गृहणी
बाईट - सीमा भाटिया , विवाहिता
बाईट - ममता अजमानी , सुहागन महिला
बाईट - संदीप चतुर्वेदी , पण्डित
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