बूंदी. देशभर में करवा चौथ मनाया गया. महिलाओं ने पूजन कर चंद्र दर्शन किए. पहले घर-घर में करवा चौथ को एकल रूप से मनाया जाता था, लेकिन अब विभिन्न ग्रुपों में धार्मिक स्थलों पर महोत्सव के रूप में चौथ धूमधाम से मनाई जाने लगी है. जहां पर चौथ माता और गणेश जी की पूजा महिलाओं ने की. साथ ही विभिन्न रस्मों को अदा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की.
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है. चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं. इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं. महिलाओं ने चंद्र देवताओं को अर्ध्य देकर पति के हाथों से पानी पिया और अपना करवा चौथ का व्रत पूरा किया.
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सोलह शृंगार कर महिलाओं ने किया पति का दीदार
इस दिन महिलाओं ने व्रत खोलने के लिए तरह-तरह के पकवान भी बनाए. महिलाओं ने सोलह शृंगार किया. राजस्थान में करवा चौथ की पूजा के लिए अलग-अलग महत्व होते हैं कोई अपने घर में करवा चौथ का पर्व मनाता है तो कोई माता के मंदिर में करवा चौथ मनाता है. ऐसे ही बूंदी के खोजा गेट रोड स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर में पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा करवा चौथ के सामूहिक महोत्सव का आयोजन किया गया.
पंडित संदीप चतुर्वेदी ने बताया कि करवा चौथ 2 शब्दों से बना है. इसमें पहला शब्द करवा है जिसका मतलब मिट्टी का बर्तन होता है. दूसरा चौथ का मतलब चतुर्थ के लिए इस्तेमाल किया गया है. चंद्रमा की 27 पत्नियों में से उन्हें रोहिणी सबसे ज्यादा प्रिय है. यही वजह है कि यह संयोग करवा चौथ को खास बनाता है. उन्होंने कहा कि इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए आज निर्जला व्रत के रूप में करवा चौथ मनाती हैं.
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पवित्र रिश्ते का प्रतीक है करवा चौथ
महिलाओं ने बताया कि व्रत की शुरुआत सरगी खाकर की गई और फिर दिन के समय विधि विधान के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करने के बाद करवा माता की कथा सुनी गई. रात के समय चांद को अर्ध्य देकर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला. व्रत संपन्न होने के बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. इसके बाद अपने पति पत्नी एक साथ बैठकर खाना खाते हैं. बूंदी के विभिन्न माता के मंदिरों में भक्तों ने पूजा अर्चना की.