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बूंदी: रोजगार के लिए इराक गये 40 भारतीय नागरिकों को कम्पनी ने बनाया बंधक

रोजगार के लिए एजेंट के माध्यम से सालभर पहले इराक गए 40 भारतीय नागरिक 2 माह से बंधक बनकर मजदूरी कर हैं. एजेंट ने जिस कंपनी में इन्हें रोजगार दिलाया, वह कंपनी इन्हें 2 माह से वेतन नहीं दे रही. अब इन्हें वापस भारत लाने के लिए परिजन अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं.

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Published : Feb 4, 2020, 6:42 PM IST

40 Indians hostage in Iraq, भारतीयों को इराक में बनाया बंधक
40 भारतीय नागरिकों को कम्पनी ने बनाया बंधक

बूंदी. जिले के नैनवां ओर उसके आस-पास के गांवों से रोजगार के लिए इराक गये लोगों को कम्पनी ने बंधक बना लिया हैं. इनमें से एक युवक ने अपने नैनवां निवासी मित्र को फोन करके व्यथा बताई और विदेश मंत्रालय के नाम पत्र भी वॉट्सअप पर भेजा है.

40 भारतीय नागरिकों को कम्पनी ने बनाया बंधक

जानकारी के अनुसार नैनवां निवासी राजेन्द्र ने बताया कि टोंक जिले के ग्राम कनवाड़ा का निवासी उनका मित्र लक्ष्मण बैरवा 12 फरवरी 2019 को फ्लाइट से रोजगार के लिए इराक गया था. उसके साथ नैनवां क्षेत्र के ग्राम धानु के निवासी उसके मामा बाबू लाल और महेंद्र कुमार, नैनवां निवासी चाचा विनोद और विनोद नाम का ही एक अन्य युवक और नैनवां क्षेत्र के 4-5 और भी लोग इराक गए. ये सभी इराक के बगदाद के नजफ क्षेत्र की कंपनी में काम कर रहे थे, लेकिन कुछ दिन पहले लक्ष्मण ने फोन करके उन्हें बताया कि कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीय नागरिकों को कंपनी दो माह से वेतन नहीं दे रही है, और जब वेतन की मांग करते हैं तो कंपनी के लोग कहते हैं बगैर वेतन के काम करते रहो.

भारतीयों ने कहा कि वे रोजगार के लिए ही यहां आए हैं, यदि वेतन नहीं मिलेगा तो घर खर्च के लिए रुपए कैसे भेजेंगे. उनकी बात पर कंपनी के अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. जब उन्होंने वेतन के लिए दबाव बनाया और हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी तो उनके साथ मारपीट की गई. 2 दिन से उन्हें खाना भी नहीं दिया जा रहा है, उनको कंपनी से बाहर भी नहीं जाने दिया जाता एक तरह से बंधक बनाकर रखा हुआ है.

वहीं इन लोगों ने वहीं पर भारतीय दूतावास के अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाई थी, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली. वहीं इराक में फंसे लक्ष्मण बैरवा के अनुसार भारत भेजने की बात कहने पर कंपनी के अधिकारियों ने कहा, सबको एक साथ नहीं भेज सकते. 2-5 की संख्या में भेजेंगे. लेकिन, सभी भारतीयों ने उनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया. उन्हें डर है कि कम संख्या में ले जाए जाने पर उन्हें कहीं और शिफ्ट किया जा सकता है या उनकी जान को खतरा भी हो सकता है.

यह भी बात सामने आई है की इन लोगों को 2 साल के लिए इराक भेजा गया था, जबकि इनका वीजा एजेंट ने 1 साल का ही बनवाया था. लक्ष्मण बैरवा के अनुसार एजेंट ने कहा था कि उन्हें दुबई में काम करना है, लेकिन दुबई पहुंचने के बाद इन्हें इराक शिफ्ट कर दिया गया.

पढ़ें- डूंगरपुर: दो बाइकों की आपस में टक्कर, एक की मौत दो घायल

राजेन्द्र ने बताया कि उन्होंने नैनवां के लोगों को लेकर गए एजेंट से फोन पर बात की थी. एजेंट का कहना है कि ये लोग 2 साल के लिए आए हैं, तो इन्हें 2 साल तक रुकना चाहिए. इस पर मैंने कहा कि तुमने वीजा तो 1 साल का ही बनवाया है तो 2 साल तक ये कैसे काम करेंगे. सैलरी भी नहीं मिल रही तो फिर एजेंट कुछ नहीं बोला ओर फोन काट दिया. वहीं परिजन अब सभी को भारत लाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे है.

बूंदी. जिले के नैनवां ओर उसके आस-पास के गांवों से रोजगार के लिए इराक गये लोगों को कम्पनी ने बंधक बना लिया हैं. इनमें से एक युवक ने अपने नैनवां निवासी मित्र को फोन करके व्यथा बताई और विदेश मंत्रालय के नाम पत्र भी वॉट्सअप पर भेजा है.

40 भारतीय नागरिकों को कम्पनी ने बनाया बंधक

जानकारी के अनुसार नैनवां निवासी राजेन्द्र ने बताया कि टोंक जिले के ग्राम कनवाड़ा का निवासी उनका मित्र लक्ष्मण बैरवा 12 फरवरी 2019 को फ्लाइट से रोजगार के लिए इराक गया था. उसके साथ नैनवां क्षेत्र के ग्राम धानु के निवासी उसके मामा बाबू लाल और महेंद्र कुमार, नैनवां निवासी चाचा विनोद और विनोद नाम का ही एक अन्य युवक और नैनवां क्षेत्र के 4-5 और भी लोग इराक गए. ये सभी इराक के बगदाद के नजफ क्षेत्र की कंपनी में काम कर रहे थे, लेकिन कुछ दिन पहले लक्ष्मण ने फोन करके उन्हें बताया कि कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीय नागरिकों को कंपनी दो माह से वेतन नहीं दे रही है, और जब वेतन की मांग करते हैं तो कंपनी के लोग कहते हैं बगैर वेतन के काम करते रहो.

भारतीयों ने कहा कि वे रोजगार के लिए ही यहां आए हैं, यदि वेतन नहीं मिलेगा तो घर खर्च के लिए रुपए कैसे भेजेंगे. उनकी बात पर कंपनी के अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. जब उन्होंने वेतन के लिए दबाव बनाया और हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी तो उनके साथ मारपीट की गई. 2 दिन से उन्हें खाना भी नहीं दिया जा रहा है, उनको कंपनी से बाहर भी नहीं जाने दिया जाता एक तरह से बंधक बनाकर रखा हुआ है.

वहीं इन लोगों ने वहीं पर भारतीय दूतावास के अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाई थी, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली. वहीं इराक में फंसे लक्ष्मण बैरवा के अनुसार भारत भेजने की बात कहने पर कंपनी के अधिकारियों ने कहा, सबको एक साथ नहीं भेज सकते. 2-5 की संख्या में भेजेंगे. लेकिन, सभी भारतीयों ने उनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया. उन्हें डर है कि कम संख्या में ले जाए जाने पर उन्हें कहीं और शिफ्ट किया जा सकता है या उनकी जान को खतरा भी हो सकता है.

यह भी बात सामने आई है की इन लोगों को 2 साल के लिए इराक भेजा गया था, जबकि इनका वीजा एजेंट ने 1 साल का ही बनवाया था. लक्ष्मण बैरवा के अनुसार एजेंट ने कहा था कि उन्हें दुबई में काम करना है, लेकिन दुबई पहुंचने के बाद इन्हें इराक शिफ्ट कर दिया गया.

पढ़ें- डूंगरपुर: दो बाइकों की आपस में टक्कर, एक की मौत दो घायल

राजेन्द्र ने बताया कि उन्होंने नैनवां के लोगों को लेकर गए एजेंट से फोन पर बात की थी. एजेंट का कहना है कि ये लोग 2 साल के लिए आए हैं, तो इन्हें 2 साल तक रुकना चाहिए. इस पर मैंने कहा कि तुमने वीजा तो 1 साल का ही बनवाया है तो 2 साल तक ये कैसे काम करेंगे. सैलरी भी नहीं मिल रही तो फिर एजेंट कुछ नहीं बोला ओर फोन काट दिया. वहीं परिजन अब सभी को भारत लाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे है.

Intro:बूंदी जिले के नैनवां उपखंड क्षेत्र से
रोजगार के लिए एजेंट के माध्यम से सालभर पहले इराक गए 40 भारतीय नागरिक दो माह से
बंधक बने मजदूरी कर हे है। एजेंट ने जिस कंपनी में इन्हें रोजगार दिलाया, वह कंपनी इन्हें दो माह से वेतन नहीं दे रही। यही नहीं, जब उन्होंने वेतन देने के लिए दबाव बनाया और हड़ताल की चेतावनी दी तो उनका राशन भी बंद कर दिया। इस कारण अब वे लोग खाना भी नहीं खा पा रहे। इन 40 भारतीयों में करीब 7लोग बूंदी जिले के नैनवां कस्बे ओर आसपास के है। जिन्हे वापस भारत लाने के लिए परिजन अधिकारियों से गुहार लगा रहे है। Body: बूंदी जिले के नैनवां ओर उसके आस-पास के गांवों से रोजगार के लिए इराक गये लोगो को कम्पनी ने बंधक बना लिया हैं। इनमें से एक युवक ने अपने नैनवां निवासी मित्र को फोन करके व्यथा बताई और विदेश मंत्रालय के नाम पत्र भी वॉट्सएप पर भेजा है। जानकारी के अनुसार
नैनवां निवासी राजेन्द्र ने बताया कि टोंक जिले के ग्राम कनवाड़ा का निवासी उनका मित्र लक्ष्मण बैरवा 12 फरवरी 2019 को फ्लाइट से रोजगार के लिए इराक गया था। उसके साथ नैनवां क्षेत्र के ग्राम धानु के निवासी उसके मामा बाबू लाल व महेंद्र कुमार, नैनवां निवासी चाचा विनोद तथा विनोद नाम का ही एक अन्य युवक तथा नैनवां क्षेत्र के 4-5 और भी लोग इराक गए। ये सभी इराक के बगदाद के नजफ क्षेत्र की कंपनी में काम कर रहे थे। लेकिन कुछ दिन पहले लक्ष्मण ने फोन करके उन्हें बताया कि कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीय नागरिकों को कंपनी दो माह से वेतन नहीं दे रही है। ओर जब वेतन की मांग करते हैं तो कंपनी के लोग कहते हैं बगैर वेतन के काम करते रहो। भारतीयों ने कहा कि वे रोजगार के लिए ही यहां आए हैं, ।यदि वेतन नहीं मिलेगा तो घर खर्च के लिए रुपए कैसे भेजेंगे। उनकी बात पर कंपनी के अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। जब उन्होंने वेतन के लिए दबाव बनाया और हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी तो उनके साथ मारपीट की गई। दो दिन से उन्हें खाना भी नहीं दिया जा रहा है। उनको कंपनी से बाहर भी नहीं जाने दिया जाता एक तरह से बंधक बनाकर रखा हुआ है। वही इन लोगो ने वही पर भारतीय दूतावास के अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाई थी, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली । वही इराक में फंसे लक्ष्मण बैरवा के अनुसार भारत भेजने की बात कहने पर कंपनी के अधिकारियों ने कहा, सबको एक साथ नहीं भेज सकते। दो-पांच की संख्या में भेजेंगे। लेकिन सभी भारतीयों ने उनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। उन्हें डर है कि कम संख्या में ले जाए जाने पर उन्हें कहीं और शिफ्ट किया जा सकता है या उनकी जान को खतरा भी हो सकता है।

विजवल - घर पर अपने पिता ओर पति का इंतजार करते बच्चे ओर पत्नियां
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बाईट - धनी बाई रतन की मां
बाईट- कजोड़. विनोद के पिता
बाईट - राजेन्द्र मदन का भाईConclusion:दो साल की कह कर , वीजा एक साल का बनवाया!
यह भी बात सामने आई है इन लोगों को दो साल के लिए इराक भेजा गया था जबकि इनका वीजा एजेंट ने एक ही साल का बनवाया था। लक्ष्मण बैरवा के अनुसार एजेंट ने कहा था कि उन्हें दुबई में काम करना है। लेकिन दुबई पहुंचने के बाद इन्हें इराक शिफ्ट कर दिया गया। राजेन्द्र ने बताया कि उन्होंने नैनवां के लोगों को लेकर गए एजेंट से फोन पर बात की थी। एजेंट का कहना है कि ये लोग दो साल के लिए आए हैं ।तो इन्हें दो साल तक रुकना चाहिए। इस पर मैंने कहा कि तुमने वीजा तो एक साल का ही बनवाया है, ।दो साल तक ये कैसे काम करेंगे। सैलरी भी नहीं मिल रही तो फिर एजेंट कुछ नहीं बोला ओर फोन काट दिया। वही परिजन अब सभी को भारत लाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे है।
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