बूंदी. भीषण गर्मी में बांधों के भी हलक पूरी तरह से सूख चुके हैं. सिंचाई विभाग के अधीन आने वाले 30 में से 24 बांधों का हलक पूरी तरह से सूख चुका है. केवल जैतसागर झील में 1270 फीट पानी बचा है. वह भी कमल जड़ों की वजह से, क्योंकि इस बांध की भराव क्षमता 17 फीट है, ऐसे में अभी 12 फीट पानी बचा हुआ है.
यहां 12 माह तक पानी पिलाने की क्षमता रखने वाला शंभू सागर, फुल सागर और टिकरदा का तालाब जैसे बड़े तालाबों सहित कुछ छोटे बड़े तालाब जो सिचाई विभाग के अधीन आते हैं, वह भी सूख चुके हैं. तालाब पर अतिक्रमण कर खेती की जा रही है. प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. दबंगों के हौसले बुलंद है. तालाब में बरसाती पानी आने से रास्ता अवरुद्ध हो गया है. इनमें से जितने भी रास्ते हैं. वे अवरूद्ध हो जाने के चलते समय से पानी नहीं भर पाता.
वर्तमान में बूंदी जिले के बांधों में मिट्टी ही मिट्टी दिखाई दे रही है. मिट्टी में भी दरारें पड़ चुकी हैं, जो इस बात का सबूत देता है कि जमीन में भी पानी खत्म हो चुका है. जिले में गुड़ा बांध, नारायणपुर बांध, जैतसागर, चाकन बांध, भीमलत, चांदा का तालाब, बरधा बांध, बूंदी का गोठड़ा, दुगारी, पाई बालापुरा, अभयपुरा, इंद्राणी, पेज की बावड़ी, माछली, रुणिचा, बाकयाखाल, मोतीपुरा, बनकाखेड़ा, रामनगर, गंगासागर, सथूर माताजी, मरडिया, मेंडी, डाबी, बोर का खेड़ा, रून का खाल, खोड़ी, अन्नपूर्णा, गरड़दा, चांदा का तालाब और बथावडी आदि बांध सूख चुके हैं. इनमें गुड़ा बांध, नारायणपुर बांध, जैतसागर झील और चाकन बांध में पानी बचा हुआ है.