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बूंदी में पानी की भारी किल्लत, 30 में से 24 बांध सूखे

बूंदी में भारी जल संकट गहरा गया है. यहां के 30 बांधों में से 24 बांध सूख चुके हैं, जो की आने वाले दिनों में चिंता का विषय है. इस बांधों के सूखने की खबर से ग्रामीण और किसान चिंतित हैं. क्योंकि बूंदी का एक हिस्सा कृषि प्रधान क्षेत्र है. यहां सिंचित के लिए पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में उन्हें समय पर पानी नहीं मिलेगा, तो उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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Published : Jun 26, 2019, 11:31 PM IST

बूंदी में पानी की भारी किल्लत

बूंदी. भीषण गर्मी में बांधों के भी हलक पूरी तरह से सूख चुके हैं. सिंचाई विभाग के अधीन आने वाले 30 में से 24 बांधों का हलक पूरी तरह से सूख चुका है. केवल जैतसागर झील में 1270 फीट पानी बचा है. वह भी कमल जड़ों की वजह से, क्योंकि इस बांध की भराव क्षमता 17 फीट है, ऐसे में अभी 12 फीट पानी बचा हुआ है.

बूंदी में पानी की भारी किल्लत

यहां 12 माह तक पानी पिलाने की क्षमता रखने वाला शंभू सागर, फुल सागर और टिकरदा का तालाब जैसे बड़े तालाबों सहित कुछ छोटे बड़े तालाब जो सिचाई विभाग के अधीन आते हैं, वह भी सूख चुके हैं. तालाब पर अतिक्रमण कर खेती की जा रही है. प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. दबंगों के हौसले बुलंद है. तालाब में बरसाती पानी आने से रास्ता अवरुद्ध हो गया है. इनमें से जितने भी रास्ते हैं. वे अवरूद्ध हो जाने के चलते समय से पानी नहीं भर पाता.

वर्तमान में बूंदी जिले के बांधों में मिट्टी ही मिट्टी दिखाई दे रही है. मिट्टी में भी दरारें पड़ चुकी हैं, जो इस बात का सबूत देता है कि जमीन में भी पानी खत्म हो चुका है. जिले में गुड़ा बांध, नारायणपुर बांध, जैतसागर, चाकन बांध, भीमलत, चांदा का तालाब, बरधा बांध, बूंदी का गोठड़ा, दुगारी, पाई बालापुरा, अभयपुरा, इंद्राणी, पेज की बावड़ी, माछली, रुणिचा, बाकयाखाल, मोतीपुरा, बनकाखेड़ा, रामनगर, गंगासागर, सथूर माताजी, मरडिया, मेंडी, डाबी, बोर का खेड़ा, रून का खाल, खोड़ी, अन्नपूर्णा, गरड़दा, चांदा का तालाब और बथावडी आदि बांध सूख चुके हैं. इनमें गुड़ा बांध, नारायणपुर बांध, जैतसागर झील और चाकन बांध में पानी बचा हुआ है.

बूंदी. भीषण गर्मी में बांधों के भी हलक पूरी तरह से सूख चुके हैं. सिंचाई विभाग के अधीन आने वाले 30 में से 24 बांधों का हलक पूरी तरह से सूख चुका है. केवल जैतसागर झील में 1270 फीट पानी बचा है. वह भी कमल जड़ों की वजह से, क्योंकि इस बांध की भराव क्षमता 17 फीट है, ऐसे में अभी 12 फीट पानी बचा हुआ है.

बूंदी में पानी की भारी किल्लत

यहां 12 माह तक पानी पिलाने की क्षमता रखने वाला शंभू सागर, फुल सागर और टिकरदा का तालाब जैसे बड़े तालाबों सहित कुछ छोटे बड़े तालाब जो सिचाई विभाग के अधीन आते हैं, वह भी सूख चुके हैं. तालाब पर अतिक्रमण कर खेती की जा रही है. प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. दबंगों के हौसले बुलंद है. तालाब में बरसाती पानी आने से रास्ता अवरुद्ध हो गया है. इनमें से जितने भी रास्ते हैं. वे अवरूद्ध हो जाने के चलते समय से पानी नहीं भर पाता.

वर्तमान में बूंदी जिले के बांधों में मिट्टी ही मिट्टी दिखाई दे रही है. मिट्टी में भी दरारें पड़ चुकी हैं, जो इस बात का सबूत देता है कि जमीन में भी पानी खत्म हो चुका है. जिले में गुड़ा बांध, नारायणपुर बांध, जैतसागर, चाकन बांध, भीमलत, चांदा का तालाब, बरधा बांध, बूंदी का गोठड़ा, दुगारी, पाई बालापुरा, अभयपुरा, इंद्राणी, पेज की बावड़ी, माछली, रुणिचा, बाकयाखाल, मोतीपुरा, बनकाखेड़ा, रामनगर, गंगासागर, सथूर माताजी, मरडिया, मेंडी, डाबी, बोर का खेड़ा, रून का खाल, खोड़ी, अन्नपूर्णा, गरड़दा, चांदा का तालाब और बथावडी आदि बांध सूख चुके हैं. इनमें गुड़ा बांध, नारायणपुर बांध, जैतसागर झील और चाकन बांध में पानी बचा हुआ है.

Intro:बूंदी जिले में भारी जल संकट गहरा गया है यहां जिले के 30 बांधों में से 24 बार सूख चुके हैं जो कि आने वाले दिनों में चिंता का विषय है। इस बांधों के सूखने की खबर से ग्रामीण व किसान चिंतित हैं क्योंकि बूंदी जिले का एक हिस्सा कृषि प्रधान क्षेत्र है और वहां सिंचित के लिए पानी की आवश्यकता होती है ऐसे में उन्हें समय पर पानी नहीं मिलेगा तो उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।


Body:बूंदी जिले में भीषण गर्मी में बांधों के भी हलक पूरी तरह से सूख चुके है । सिंचाई विभाग के अधीन आने वाले 30 में से 24 बांधों का हलक पूरी तरह से सूख चुका है। केवल जैतसागर झील में 1270 फीट पानी बचा है वह भी कमल जड़ों की वजह से क्योंकि इस बांध की भराव क्षमता का है 17 फिट ऐसे में अभी 12 फीट पानी है । यहां 12 माह तक पानी पिलाने की क्षमता रखने वाला शंभू सागर ,फुल सागर टिकरदा का तालाब जैसे बड़े तालाब सहित कुछ छोटे बड़े तालाब जो सिचाई विभाग के अधीन है वह भी सूख चुके हैं। तालाब पर अतिक्रमण की खेती की जा रही है प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है । दबंगों के हौसले बुलंद है । तालाब में बरसाती पानी आने से रास्ता अवरुद्ध हो गए हैं। इनमें से जितने भी रास्ते हैं वह अवरूद्ध हो जाने के चलते समय का पानी नहीं भर पाता । वर्तमान में बूंदी जिले के बांधों में मिट्टी मिट्टी दिखाइए दे रही है । मिट्टी में भी दरारें चल चुकी है जो बात का सबूत देते हुए की जमीन में भी पानी खत्म हो चुका है ।


Conclusion:बूंदी जिले में गुड़ा बांध ,नारायणपुर बांध ,जेतसागर ,चाकन बांध, भीमलत ,चांदा का तालाब ,बरधा बांध ,बूंदी का गोठड़ा ,दुगारी ,पाई बालापुरा , अभयपुरा, इंद्राणी ,पेज की बावड़ी ,माछली, रुणिचा, बाकयाखाल , मोतीपुरा, बनकाखेड़ा , रामनगर , गंगासागर ,सथूर माताजी , मरडिया ,मेंडी,डाबी, बोर का खेड़ा, रून का खाल, खोड़ी, अन्नपूर्णा,गरड़दा,चांदा का तालाब ,बथावडी आदि बांध सूख चुके है । इनमें गुड़ा बांध, नारायणपुर बांध ,जेतसागर झील ,चाकन बांध में पानी बचा हुआ है ।

बाईट - मनोज प्रजापत , स्थानीय
बाईट - शबीर , स्थानीय
बाईट - रोहित जैन , स्थानीय
पीटीसी सलीम अली
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