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हरा-भरा राजस्थान: बूंदी जिले में वन विभाग द्वारा लगाए गए 2 लाख पौधों की पड़ताल, खास रिपोर्ट

ईटीवी भारत पड़ताल करने बूंदी जिला पहुंचा. दावा है कि पिछले वर्ष यहां करीब 2 लाख से ज्यादा पौधा रोपण हुआ था. अब एक साल बाद क्या स्थित है उन पौधों की, कितने बचे और कितने नष्ट हुए. क्या कहना है वन विभाग का. जानिए हमारी खास रिपोर्ट में.

हरा भरा राजस्थान: बूंदी जिले में वन विभाग द्वारा लगाए गए 2 लाख पौधों की पड़ताल, खास रिपोर्ट
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Published : Jun 29, 2019, 5:44 PM IST

बूंदी. जिले में पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए वृक्षारोपण की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसलिए विभाग को वृक्षारोपण से संबंधित योजनाओं को सुचारू रखने के लिए समय-समय पर निर्देश दिए जाते हैं. इसके साथ-साथ पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए उनके लिये कई योजनाएं बनाई जाती हैं.

यह अलग बात है कि अगर कहा जाए कि ये योजनाए कागजों पर ही सिमट जाती है तो शायद गलत नहीं होगा. या फिर नकेल कसे जाने के बाद जब योजना जमीनी स्तर पर उतरती है तो विभागीय लापरवाही के चलते आधे रास्ते में ही दम तोड़ देती है. हर वर्ष वन सप्ताह दिवस के दौरान विभागीय अधिकारी वृक्षारोपण की ओर ध्यान देते नजर आते हैं. और फिर सप्ताह समाप्त होने के बाद वृक्षारोपण की जमीनी हकीकत क्या है उसे देखने की जरूरत अधिकारी नहीं समझते.

हरा भरा राजस्थान: बूंदी जिले में वन विभाग द्वारा लगाए गए 2 लाख पौधों की पड़ताल, खास रिपोर्ट

वित्त वर्ष 2018-19 में बूंदी जिले में लक्ष्य करीब 2 लाख पौधों का रखा गया था और फाइलों में करीब 2 लाख पौधे रोपे गए थे और करीब 800 हेक्टेयर में 2 लाख से अधिक पौधे बूंदी वन विभाग द्वारा रोपने का दावा किया गया था. विभाग की ओर से बंजर और कम उपजाऊ भूमि उपलब्ध करवाई गई थी. बूंदी जिले में अगर पिछले पांच सालों के आकड़ों की बात की जाए काफी कुछ बदला है. हरियाली भी नजर आती है लेकिन हर साल पौधे लगाने की संख्या में कमी हुई है. जहां बूंदी वन विभाग ने पौधे लगाए वहां रिजल्ट सही दिखाई देता नजर आता है.

पिछले वर्ष यानी अगर 2018 की बात की जाए तो 2 लाख पौधे लगाए थे इस वर्ष सिर्फ 80 हजार पौधे रोपे जाने का लक्ष्य रखा गया है. वन विभाग का मानना है कि पिछले वर्ष 10 प्रतिशत ही पौधे नष्ट हुए हैं बाकी 90 फीसदी पौधे हरियाली दे रहे हैं. हम अपनी पड़ताल में भी आंकड़ों का दावा तो नहीं कर सकते लेकिन वन विभाग द्वारा किया गया दावा कुछ हद तक सही माना जा सकता है.

जिले में वृक्षारोपण अभियान के तहत प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में पौधारोपण किया जाता है. लेकिन उन पौधों की देखभाल ना होने के कारण और पहले ही मवेशी के शिकार हो जाते हैं जिले में कई जगह पर हर वर्ष वन विभाग द्वारा अभयारण्य व वन क्षेत्र में पौधा रोपा जाता है. सड़कों पर जो पौधारोपण किया उनकी सुरक्षा के लिए ईट से बने ट्री गार्डों का उपयोग किया जाता है, लेकिन संभाल नहीं होने के चलते यह भी टूट जाते हैं और पौधा नष्ट हो जाता है.

हालांकि इस वर्ष की बात करें तो साल 2018 में 2 लाख से अधिक पौधे बूंदी में रोपे गए थे जिनमें से 10% पौधे नष्ट होने का वन विभाग दावा करता है. ऐसे में इस वर्ष की बात की जाए तो पिछले वर्ष का 10% का नुकसान का आकलन जोड़ते हुए 20% अधिक पौधे रोपने की तैयारी में वन विभाग है.

बूंदी. जिले में पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए वृक्षारोपण की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसलिए विभाग को वृक्षारोपण से संबंधित योजनाओं को सुचारू रखने के लिए समय-समय पर निर्देश दिए जाते हैं. इसके साथ-साथ पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए उनके लिये कई योजनाएं बनाई जाती हैं.

यह अलग बात है कि अगर कहा जाए कि ये योजनाए कागजों पर ही सिमट जाती है तो शायद गलत नहीं होगा. या फिर नकेल कसे जाने के बाद जब योजना जमीनी स्तर पर उतरती है तो विभागीय लापरवाही के चलते आधे रास्ते में ही दम तोड़ देती है. हर वर्ष वन सप्ताह दिवस के दौरान विभागीय अधिकारी वृक्षारोपण की ओर ध्यान देते नजर आते हैं. और फिर सप्ताह समाप्त होने के बाद वृक्षारोपण की जमीनी हकीकत क्या है उसे देखने की जरूरत अधिकारी नहीं समझते.

हरा भरा राजस्थान: बूंदी जिले में वन विभाग द्वारा लगाए गए 2 लाख पौधों की पड़ताल, खास रिपोर्ट

वित्त वर्ष 2018-19 में बूंदी जिले में लक्ष्य करीब 2 लाख पौधों का रखा गया था और फाइलों में करीब 2 लाख पौधे रोपे गए थे और करीब 800 हेक्टेयर में 2 लाख से अधिक पौधे बूंदी वन विभाग द्वारा रोपने का दावा किया गया था. विभाग की ओर से बंजर और कम उपजाऊ भूमि उपलब्ध करवाई गई थी. बूंदी जिले में अगर पिछले पांच सालों के आकड़ों की बात की जाए काफी कुछ बदला है. हरियाली भी नजर आती है लेकिन हर साल पौधे लगाने की संख्या में कमी हुई है. जहां बूंदी वन विभाग ने पौधे लगाए वहां रिजल्ट सही दिखाई देता नजर आता है.

पिछले वर्ष यानी अगर 2018 की बात की जाए तो 2 लाख पौधे लगाए थे इस वर्ष सिर्फ 80 हजार पौधे रोपे जाने का लक्ष्य रखा गया है. वन विभाग का मानना है कि पिछले वर्ष 10 प्रतिशत ही पौधे नष्ट हुए हैं बाकी 90 फीसदी पौधे हरियाली दे रहे हैं. हम अपनी पड़ताल में भी आंकड़ों का दावा तो नहीं कर सकते लेकिन वन विभाग द्वारा किया गया दावा कुछ हद तक सही माना जा सकता है.

जिले में वृक्षारोपण अभियान के तहत प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में पौधारोपण किया जाता है. लेकिन उन पौधों की देखभाल ना होने के कारण और पहले ही मवेशी के शिकार हो जाते हैं जिले में कई जगह पर हर वर्ष वन विभाग द्वारा अभयारण्य व वन क्षेत्र में पौधा रोपा जाता है. सड़कों पर जो पौधारोपण किया उनकी सुरक्षा के लिए ईट से बने ट्री गार्डों का उपयोग किया जाता है, लेकिन संभाल नहीं होने के चलते यह भी टूट जाते हैं और पौधा नष्ट हो जाता है.

हालांकि इस वर्ष की बात करें तो साल 2018 में 2 लाख से अधिक पौधे बूंदी में रोपे गए थे जिनमें से 10% पौधे नष्ट होने का वन विभाग दावा करता है. ऐसे में इस वर्ष की बात की जाए तो पिछले वर्ष का 10% का नुकसान का आकलन जोड़ते हुए 20% अधिक पौधे रोपने की तैयारी में वन विभाग है.

Intro:ईटीवी भारत की हरा-भरा राजस्थान मुहिम के तहत पड़ताल की जहां बूंदी जिले में पिछले वर्ष करीब 2 लाख से अधिक पौधे रोपे गए लेकिन इनमें से 10% पौधे हमारी पड़ताल में नष्ट होने की बात सामने आई जहां पौधों को समय रहते पानी नहीं मिला या किसी पशु द्वारा नष्ट कर दिया गया। ऐसे में इस दौरान विभागीय लापरवाही सामने आई जहां आंकड़े बढ़ाने के चक्कर में पौधे रोपे तो गए । लेकिन उन पौधों का संरक्षक नहीं किया गया


Body:बूंदी जिले में पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए व्रक्षारोपण की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है इसलिए विभाग को वक्षा रोपण संबंधित योजनाओं को सुचारू रखने के लिए समय-समय पर निर्देश दिए जाते हैं । पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए उनके लिये कई योजनाएं बनाई जाती है। यह अलग बात है कि इन योजनाओं का क्रियान्वयन कागजों पर ही चलता रहता है या फिर नकेल कसे जाने के बाद जब योजना जमीनी स्तर पर उतरती है तो विभागीय लापरवाही के चलते आधे रास्ते में ही दम तोड़ लेती है जो काम किया जा रहा होता है वह भी नहीं हो पाता और आर्थिक लाभ लेने की वजह से हालात और खराब हो जाते हैं । हर वर्ष वन सप्ताह के दौरान विभागीय अधिकारी वक्षा रोपण की ओर ध्यान देते नजर आते हैं सफ्ताह समाप्त होने के बाद वक्षा रोपण की जमीन हकीकत क्या है उसे देखने की जरूरत अधिकारी नहीं करते और ना ही समझते ऐसे में हर बार वृक्षारोपण का संकल्प लक्ष्य अधूरा रह जाता है । वित्त वर्ष 2018 - 19 में बूंदी जिले में लक्ष्य करीब 2 लाख पौधों का रखा गया था और फाइलों में करीब 2 लाख पौधे रोपे गए थे और करीब 800 हेक्टेयर में 2 लाख से अधिक पौधे बूंदी वन विभाग द्वारा रोपेने का दावा वन विभाग करता हुआ नजर आया। विभाग की ओर से बंजर और काम उपजाऊ भूमि उपलब्ध करवाई गई।

हालांकि बूंदी जिले में पांच सालों के आकड़ो की बात की जाए तो हरियाली हुई है पेड़ में बड़े हुए है हर साल पौध लगाने की संख्या भी कम हुई है क्योंकि जहां बूंदी वन विभाग ने पौधे लगाए वहां रिजल्ट जरूर आया है लेकिन जहां तोड़ा कम रहा वहां वन विभाग लगातार काम रहा है पिछले वर्ष 2 लाख पौधे लगाए थे इस वर्ष 80 हजार ही पौधे रोपे जाएंगे । वन विभाग का मानना पिछले वर्ष 10 प्रतिशत ही पौध नष्ट हुए है तो बाकी पौध अच्छे हुए है हमारी पड़ताल में भी पौध काफी अच्छा हुए है ।


Conclusion:जिले में वृक्षारोपण अभियान के तहत प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में पौधारोपण किया जाता है लेकिन उन पौधों की देखभाल ना होने के कारण व पहले ही मवेशी के शिकार हो जाते हैं जिले में कई जगह पर हर वर्ष वन विभाग द्वारा अभयारण्य व वन क्षेत्र में पौधा रोपा जाता है। जिले में तमाम सड़कों पर पौधारोपण किया जाता है इन पेड़ों की सुरक्षा के लिए ईट से बने ट्री गार्डों का उपयोग किया जाता है लेकिन संभाल नहीं होने के चलते यह भी टूट जाते हैं और पौधा नष्ट हो जाता है । हालांकि इस वर्ष की बात करें तो पिछले बार 2 लाख से अधिक पौधे रोपे गए जिनमें से 10% पौधे नष्ट हो गए ऐसा में इस वर्ष की बात की जाए तो पिछले वर्ष का 10% का नुकसान का आकलन जोड़ते हुए 20% अधिक पौधा रोपने की तैयारी में वन विभाग है हमारे आंकड़ों में यह सामने आया है ।
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