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बूंदी: आयुर्वेदिक अस्पताल में निशुल्क स्वर्ण प्राशन शिविर का आयोजन

बूंदी के आयुर्वेदिक अस्पताल में निशुल्क स्वर्ण प्राशन शिविर का आयोजन किया गया. जिसमें बच्चों को स्वर्ण प्राशन दवाई पिलाई गई. इस दवाई से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगी है और लोगों का आयुर्वेदिक के क्षेत्र में रुझान बढ़ता जा रहा है.

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Published : Feb 8, 2020, 4:48 PM IST

Health Camp in Ayurvedic Hospital Bundi, स्वर्ण प्राशन शिविर बूंदी
आयुर्वेदिक अस्पताल में निशुल्क स्वर्ण प्राशन शिविर का आयोजन

बूंदी. जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्ण प्राशन दवा अब कारगर साबित होती जा रही है. पिछले चरणों में लगे शिविरों में 4000 से अधिक बच्चों ने स्वर्ण प्राशन दवा पी थी और उस दवा का नतीजा निकला की बच्चों में यह दवा असरदार साबित हुई है और लोगों का स्वर्ण प्राशन दवा के प्रति रुझान बढ़ गया.

शनिवार को निशुल्क स्वर्ण प्राशन शिविर आयोजित किया गया. इसमें निशुल्क स्वर्ण प्राशन की दवा को 1 साल से 15 साल के बच्चों के लिए निशुल्क लाया गया. इससे पहले यहां पर कई चरणों में शिविर आयोजित हो चुका है. जहां मंच पर आए अतिथियों ने बच्चों को दवा पिलाई. इस दवा का बच्चों को लाभ मिलने के बाद उनके अभिभावकों का कहना है कि स्वर्ण प्राशन दवा बहुत ही कारगर साबित होती नजर आ रही है. इस दवा को पिलाने के बाद हमारे बच्चों में कहीं बौद्धिक विकास देखने में आया है.

आयुर्वेदिक अस्पताल में निशुल्क स्वर्ण प्राशन शिविर का आयोजन

वहीं डॉ. सुनील कुशवाह का कहना है कि दवा के पीने से 16 प्रकार के रोग बालक से दूर होते हैं. बूंदी जिले का यह पहला अस्पताल है और राजस्थान का यह प्रयोग पहली बार किया जा रहा है. जहां बूंदी जिले में बच्चों को निशुल्क दवा पिलाई जा रही है. अब तक कई बार शिविर लगाए जा चुके हैं. पूर्व के कैंप में भी 4,000 से अधिक बालक-बालिकाओं ने फिर से निशुल्क दवाई पिलाई जा चुकी है.

पढे़ं- भीलवाड़ा : नुक्कड़ नाटक के जरिए टीकाकरण अभियान का प्रचार-प्रसार

डॉ. सुनील कुशवाह ने बताया कि अन्य अस्पतालों में स्वर्ण प्राशन दवा को निशुल्क नहीं पिलाया जाता है. इसका समय शुल्क तय होता है, लेकिन बूंदी में यह स्वर्ण प्राशन बच्चों को निशुल्क पिलाई जा रही है. उन्होंने बताया कि स्वर्ण प्राशन आयुर्वेदिक की एक महत्वपूर्ण विधा है. इसमें 1 महीने से 15 साल तक के अधिक बच्चों को पुष्य नक्षत्र के दिन इस दवाई की बूंदे पिलाई जाती है. दक्षिण भारत के अधिकतर राज्यों में इसका काफी चलन है. आयुर्वेदिक कॉलेजों सहित प्राइवेट चिकित्सक इस विधा का खूब उपयोग कर रहे हैं.

अब तक 4 हजार बच्चो को दवा पिलाई गयी है. जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्ण प्राशन दवा बच्चों को चिकित्सक के अनुसार यहां पर पिलाई जाती है. यहां पर बच्चों को दवा तय समय पर ही चिकित्सक इन बच्चों को पिला रहे हैं और नतीजा यह रहा की कई बच्चे को लाभ मिलने के चलते वह फिर से इन शिविरों में दवा पिलाने के लिए पहुंच रहे हैं.

बूंदी. जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्ण प्राशन दवा अब कारगर साबित होती जा रही है. पिछले चरणों में लगे शिविरों में 4000 से अधिक बच्चों ने स्वर्ण प्राशन दवा पी थी और उस दवा का नतीजा निकला की बच्चों में यह दवा असरदार साबित हुई है और लोगों का स्वर्ण प्राशन दवा के प्रति रुझान बढ़ गया.

शनिवार को निशुल्क स्वर्ण प्राशन शिविर आयोजित किया गया. इसमें निशुल्क स्वर्ण प्राशन की दवा को 1 साल से 15 साल के बच्चों के लिए निशुल्क लाया गया. इससे पहले यहां पर कई चरणों में शिविर आयोजित हो चुका है. जहां मंच पर आए अतिथियों ने बच्चों को दवा पिलाई. इस दवा का बच्चों को लाभ मिलने के बाद उनके अभिभावकों का कहना है कि स्वर्ण प्राशन दवा बहुत ही कारगर साबित होती नजर आ रही है. इस दवा को पिलाने के बाद हमारे बच्चों में कहीं बौद्धिक विकास देखने में आया है.

आयुर्वेदिक अस्पताल में निशुल्क स्वर्ण प्राशन शिविर का आयोजन

वहीं डॉ. सुनील कुशवाह का कहना है कि दवा के पीने से 16 प्रकार के रोग बालक से दूर होते हैं. बूंदी जिले का यह पहला अस्पताल है और राजस्थान का यह प्रयोग पहली बार किया जा रहा है. जहां बूंदी जिले में बच्चों को निशुल्क दवा पिलाई जा रही है. अब तक कई बार शिविर लगाए जा चुके हैं. पूर्व के कैंप में भी 4,000 से अधिक बालक-बालिकाओं ने फिर से निशुल्क दवाई पिलाई जा चुकी है.

पढे़ं- भीलवाड़ा : नुक्कड़ नाटक के जरिए टीकाकरण अभियान का प्रचार-प्रसार

डॉ. सुनील कुशवाह ने बताया कि अन्य अस्पतालों में स्वर्ण प्राशन दवा को निशुल्क नहीं पिलाया जाता है. इसका समय शुल्क तय होता है, लेकिन बूंदी में यह स्वर्ण प्राशन बच्चों को निशुल्क पिलाई जा रही है. उन्होंने बताया कि स्वर्ण प्राशन आयुर्वेदिक की एक महत्वपूर्ण विधा है. इसमें 1 महीने से 15 साल तक के अधिक बच्चों को पुष्य नक्षत्र के दिन इस दवाई की बूंदे पिलाई जाती है. दक्षिण भारत के अधिकतर राज्यों में इसका काफी चलन है. आयुर्वेदिक कॉलेजों सहित प्राइवेट चिकित्सक इस विधा का खूब उपयोग कर रहे हैं.

अब तक 4 हजार बच्चो को दवा पिलाई गयी है. जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्ण प्राशन दवा बच्चों को चिकित्सक के अनुसार यहां पर पिलाई जाती है. यहां पर बच्चों को दवा तय समय पर ही चिकित्सक इन बच्चों को पिला रहे हैं और नतीजा यह रहा की कई बच्चे को लाभ मिलने के चलते वह फिर से इन शिविरों में दवा पिलाने के लिए पहुंच रहे हैं.

Intro:बूंदी आयुर्वेदिक अस्पताल में निशुल्क सवर्ण प्राशन शिविर आयोजित किया गया। जिसमे बच्चों को स्वर्ण प्राशन दवाई पिलाई गई । इस दवाई से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगी है और लोगों का आयुर्वेदिक के क्षेत्र में रुझान बढ़ता जा रहा है जब-जब भी जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्ण प्राशन दवा शिविर आयोजित हुआ तब तक क्षेत्र के लोग वहां पर बच्चों को स्वर्ण प्राशन दवाई पिलाने पहुंचे । अब तक करीब 4000 से अधिक स्वर्ण प्राशन दवाई बच्चों को पिलाई जा चुकी है ।




Body:बूंदी । जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्ण प्राशन दवा अब कारगर साबित होती भी जा रही है पिछले चरणों में लगे शिविरों में 4000 से अधिक बच्चों ने स्वर्ण प्राशन दवा पी थी और उस दवा का नतीजा निकला कि बच्चों में यह दवा असरदार साबित हुई है और लोगों का स्वर्ण प्राशन दवा के प्रति रुझान बढ़ गया है ।
आज शनिवार को निशुल्क स्वर्ण प्राशन शिविर आयोजित किया गया इसमें निशुल्क स्वर्ण प्राशन की दवा को 1 साल से 15 साल के बच्चों के लिए निशुल्क लाया गया । इससे पहले यहां पर कई चरणों में शिविर आयोजित हो चुका है जहां पर मंच पर आए अतिथियों ने बच्चों को दवा पिलाई गयी है। इस दवा का बच्चों को लाभ मिलने के बाद उनके अभिभावकों का कहना है कि स्वर्ण प्राशन दवा बहुत ही कारगर साबित होती हुई नजर आ रही है । इस दवा को पिलाने के बाद हमारे बच्चों में कहीं बौद्धिक विकास देखने में आया है । चाहे वह जुकाम , खासी हो वजन बढ़ना हो ,भूख लगना हो सहित कई ऐसी चीजें हैं जिनमें बदलाव आया है और यह दवा सभी बच्चों को पीने की सलाह अभिभावक द्वारा दी जा रही है ।

वहीं डॉ सुनील कुशवाहा का कहना है कि दवा के पीने से 16 प्रकार के रोग बालक से दूर होते हैं । बूंदी जिले का यह पहला अस्पताल है और राजस्थान का यह प्रयोग पहली बार किया जा रहा है जहां बूंदी जिले में बच्चों को निशुल्क दवा पिलाई जा रही है। अब तक कई बार शिविर लगाए जा चुके हैं । पूर्व के कैंप में भी 4,000 से अधिक बालक - बालिकाओं ने फिर से निशुल्क दवाई पिलाई जा चुकी है । डॉक्टर सुनील कुशवाहा ने बताया कि अन्य अस्पतालों में स्वर्ण प्राशन दवा को निशुल्क नहीं पिलाया जाता है इसका समय शुल्क तय होता है लेकिन बूंदी में यह स्वर्ण प्राशन बच्चों को निशुल्क पिलाई जा रही है । उन्होंने बताया कि स्वर्ण प्राशन आयुर्वेदिक की एक महत्वपूर्ण विधा है । इसमें 1 महीने से 15 साल तक के अधिक बच्चों को पुष्य नक्षत्र के दिन इस दवाई की बूंदे पिलाई जाती है । दक्षिण भारत के अधिकतर राज्यों में इसका काफी चलन है । आयुर्वेदिक कॉलेजों सहित प्राइवेट चिकित्सक इस विधा का खूब उपयोग कर रहे हैं ।

यहां तो बता दे कि जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में जब से स्वर्ण प्राशन दवाएं बच्चों को पिलाई जा रही है । दवा पिलाने से बच्चों को मुख्य रूप से सर्दी, जुकाम, बुखार ,वजन कम होना, लंबाई नहीं बढ़ना सहित यह दवा काफी असरधारक रही है। यही कारण रहा कि लगातार हजारों की संख्या में बच्चे स्वर्ण प्राशन दवाई पी रहे हैं और एक अलग अभियान आयुर्वेदिक क्षेत्र में यह बढ़ता जा रहा है ।



Conclusion:अब तक 4 हजार बच्चो को दवा पिलाई गयी है । जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में स्वर्ण प्राशन दवा बच्चों को चिकित्सक के अनुसार यहां पर पिलाई जाती है। यहां पर बच्चों को दवा तय समय पर ही चिकित्सक इन बच्चों को पिला रहे हैं और नतीजा यह रहा कि कई बच्चे को लाभ मिलने के चलते वह फिर से इन शिविरों में दवा पिलाने के लिए पहुंच रहे हैं । सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस दवा को अलग-अलग माह में बच्चे को 6 बार पिलाना आयुर्वेदिक अस्पताल ने तय किया है और आयुर्वेदिक विभाग अपने 16 मापदंड वाली बीमारियों को जांच रहा है । स्वर्ण प्राशन दवा को पिलाने के बाद बच्चों में यह बीमारी दूर हुई या नहीं इसको लेकर भी विभाग जागरूक कर रहा है। क्योंकि अधिकतर बार यह देखा गया कि एक बार स्वर्ण प्राशन दवा पिलाने के बाद अभिभावक बच्चों को दवा पिलाने के लिए नहीं लाए जिसको लेकर भी विभाग ने चिंता व्यक्त की है और अभिभावकों को दवा पिलाने के दौरान फिर से नियम अनुसार दवा पिलाने के लिए विभाग जागरूक भी कर रहा है ।

बाईट - प्रियल शर्मा , छात्रा
बाईट - विट्टल सनाढय , अभिभावक
बाईट - लोकेश शर्मा , अभिभावक
बाईट - डॉ सुनील कुशवाह , पीएमओ
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