बूंदी. देश में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन जारी है. जिसके कारण राज्य के लोग देश के अलग-अलग कोनों में फंसे हुए हैं. ऐसी ही एक कहानी बूंदी जिले के जलोदा गांव की है. जहां पर पिछले 44 दिनों से नौनिहाल अपने माता-पिता से दूर हैं.
ये बच्चे अपने माता पिता के इंतजार में सुबह से लेकर शाम तक दादाजी के गोद में बैठे रहते हैं. ये दिन रात दादा से अपने माता-पिता की वापसी को लेकर सवाल करते रहते हैं. मां की नामौजूदगी में दादाजी इन्हें बोतल से दूध पिलाकर इनका पेट पाल रहे हैं.
दरअसल बूंदी जिले के जलोदा गांव निवासी कुंज बिहारी के पुत्र विनोद कुमार बिहारी और बहु कलावती शर्मा महाराष्ट्र राज्य में 18 मार्च को परिवारिक कारणों के चलते गए थे. वहां पर अचानक से लॉकडाउन लग जाने के कारण उनका बूंदी आना नहीं हुआ. ऐसे में दोनों छोटे बच्चे अपने दादाजी के पास ही हैं.
बेटा देव और बेटी लक्ष्मी को यह नहीं पता था कि कुछ दिनों की बात कह कर गए माता-पिता, 44 दिनों तक उनके पास नहीं आएंगे. जैसे-तैसे करके दोनों को दादा बोतल से दूध पिलाते हैं. उन्हें रोज भरोसा दिलाते हैं कि उनके माता-पिता उनके पास जल्द पहुंच जाएंगे. जबकि उन्हें भी उनके बेटे-बहू के जल्द पहुंचने की कोई उम्मीद नहीं हैं.
पढ़ें: जालोर के इस गांव ने इरफान के लिए खोला था हॉलीवुड का दरवाजा
बुधवार को दादा अपने पोता-पोती को लेकर जिला कलेक्टर के समक्ष न्याय की गुहार लगाने पहुंचे. जहां पर उन्होंने उनके बेटा-बहू को महाराष्ट्र से बूंदी लाने की अनुमति मांगी है. वहीं महाराष्ट्र के कोरोना हॉटस्पाट होने के कारण प्रशासन की ओर से अनुमति देने में देरी की जा रही है. यही कारण रहा कि पिछले 44 दिनों तक बूंदी के इस परिवार को महाराष्ट्र की अनुमति नहीं मिल पाई है.
वहीं इनकी मुसीबतों को देखते हुए समाजसेवी चर्मेश शर्मा ने भी जिला कलेक्टर से दोनों पति-पत्नी को जल्द से जल्द सरकारी प्रक्रिया के तहत बूंदी लाए जाने की मांग की है. इसपर जिला कलेक्टर ने भी आश्वासन दिया है कि जल्द सरकारी प्रक्रिया के तहत इस परिवार को लाने के लिए प्रयास किए जाएंगे.