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सिंचाई करने गए बुजुर्ग को सांप ने डसा, झाड़ फूंक के चक्कर में गई जान

बूंदी के कालामाल गांव में अंधविश्वास के चलते सर्पदंश से एक किसान की मौत हो गई. रात के समय बुजुर्ग किसान खेतों में सिंचाई कर रहा था, तभी उसे सर्प ने डस लिया. अस्पताल में इलाज करवाने के बजाय परिजन अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर उसको झाड़फूंक करवाते रहे, जिससे उसकी मौत हो गई.

Death by Snakebite, बूंदी न्यूज
सर्प दंश से पीड़ित व्यक्ति की झाड़ फूंक के चक्कर में गई जान
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Published : Dec 14, 2019, 7:53 AM IST

नैनवां (बूंदी). जिले के नैनवां उपखंड के कालामाल गांव में रात को खेतों में सिंचाई करते समय एक बुजुर्ग किसान को सांप ने काट लिया. जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई. परिजन उसे अंध विश्वास के चलते देवता के थानक पर ले गए, लेकिन वहां पर उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ. इसके बाद फिर दूसरी जगह किसी तांत्रिक के पास झाड़-फूंक कराने ले गए. वहां भी तबीयत ठीक नहीं होने पर बुधवार रात को परिजन उसे घर पर ले आए, जहां पर तड़के किसान की मौत हो गई.

सर्प दंश से पीड़ित व्यक्ति की झाड़ फूंक के चक्कर में गई जान

पोस्टमार्टम के लिए करना पड़ा घंटों इंतजार

बुजुर्ग किसान की मौत होने के बाद परिजन शव को देई अस्पताल में लेकर आए. लेकिन पोस्टमार्टम के लिए चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने पर परिजन चिकित्सक का घण्टों इंतजार करते रहे. दोपहर एक बजे चिकित्सक के आने के बाद शव का पोस्टमार्टम हुआ. इस संबंध में अस्पताल प्रभारी वेदांती सिंह ने बताया कि चिकित्सकों की कमी से दिक्कत आ जाती है. चिकित्सक सतीश सक्सेना के आने के बाद देई पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाया और शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया.

पढ़ें- डॉक्टर की लापरवाही से नवजात की मौत, परिजनों ने जमकर किया हंगामा

विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में जहां हर गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है. वहीं दूसरी ओर आज भी गांवों में अंध विश्वास और झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ कर अब तक कई लोग जान से हाथ धो चुके हैं. लेकिन फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोगों को ज्यादातर तांत्रिक उपाय और अंध विश्वास के चलते सर्प दंश और बच्चों में होने वाली बीमारियों जैसे निमोनिया, पेट दर्द आदि में झाड़ फूंक के चक्कर में अपनों की जान से हाथ धोना पड़ता है.

नैनवां (बूंदी). जिले के नैनवां उपखंड के कालामाल गांव में रात को खेतों में सिंचाई करते समय एक बुजुर्ग किसान को सांप ने काट लिया. जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई. परिजन उसे अंध विश्वास के चलते देवता के थानक पर ले गए, लेकिन वहां पर उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ. इसके बाद फिर दूसरी जगह किसी तांत्रिक के पास झाड़-फूंक कराने ले गए. वहां भी तबीयत ठीक नहीं होने पर बुधवार रात को परिजन उसे घर पर ले आए, जहां पर तड़के किसान की मौत हो गई.

सर्प दंश से पीड़ित व्यक्ति की झाड़ फूंक के चक्कर में गई जान

पोस्टमार्टम के लिए करना पड़ा घंटों इंतजार

बुजुर्ग किसान की मौत होने के बाद परिजन शव को देई अस्पताल में लेकर आए. लेकिन पोस्टमार्टम के लिए चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने पर परिजन चिकित्सक का घण्टों इंतजार करते रहे. दोपहर एक बजे चिकित्सक के आने के बाद शव का पोस्टमार्टम हुआ. इस संबंध में अस्पताल प्रभारी वेदांती सिंह ने बताया कि चिकित्सकों की कमी से दिक्कत आ जाती है. चिकित्सक सतीश सक्सेना के आने के बाद देई पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाया और शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया.

पढ़ें- डॉक्टर की लापरवाही से नवजात की मौत, परिजनों ने जमकर किया हंगामा

विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में जहां हर गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है. वहीं दूसरी ओर आज भी गांवों में अंध विश्वास और झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ कर अब तक कई लोग जान से हाथ धो चुके हैं. लेकिन फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोगों को ज्यादातर तांत्रिक उपाय और अंध विश्वास के चलते सर्प दंश और बच्चों में होने वाली बीमारियों जैसे निमोनिया, पेट दर्द आदि में झाड़ फूंक के चक्कर में अपनों की जान से हाथ धोना पड़ता है.

Intro:बूंदी जिले के नैनवां उपखंड क्षेत्र के कालामाल में
अंधविश्वास के चलते सर्पदंश से अचेत एक किसान की मोत हो गई। जानकारी के अनुसार नैनवां उपखंड के कालामाल गांव में रात के समय बुजुर्ग किसान खेतों में सिंचाई कर रहा था। इसी दौरान किसान को सर्प ने डस लिया जिससे किसान कि तबीयत बिगड़ गई। वहीं परिजन सर्प दंश से अचेत बुजुर्ग को अंध विश्वास के चलते किसी देवता के स्थान पर ले गये। ओर झाड़ फूंक से इलाज कराते रहे।

Body:बूंदी जिले के नैनवां उपखंड के कालामाल गांव में रात को खेतों में सिंचाई करते समय एक बुजुर्ग किसान को सांप ने काट लिया। जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई। परिजन उसे उसे देवता के थानक पर ले गए, लेकिन वहां पर उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद फिर दुसरी जगह किसी तांत्रिक के पास झाड़-फूंक कराने चले गए। वहां भी तबीयत ठीक नहीं होने पर बुधवार रात को परिजन उसे घर पर ले आए, जहां पर तडक़े किसान की मौत हो गई। जिससे आज के वैज्ञानिक युग में भी अंध विश्वास के चलते एक बुजुर्ग को जान से हाथ धोना पड़ा।

पोस्टमार्टम के लिए करना पड़ा घण्टों इंतजार

बुजुर्ग किसान की मौत होने के बाद परिजन शव को देई अस्पताल में लेकर आए। लेकिन पोस्टमार्टम के लिए चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने पर परिजन चिकित्सक का घण्टों इंतजार करते रहे। दोपहर एक बजे चिकित्सक के आने के बाद शव का पोस्टमार्टम हुआ। इस सम्बंध में अस्पताल प्रभारी वेदांती सिंह ने बताया कि चिकित्सकों की कमी से दिक्कत आ जाती है। चिकित्सक सतीश सक्सेना के आने के बाद देई पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाया और शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया।


विजवल - मृतक बुजुर्ग और पोस्टमार्टम के लिए इंतजार करते परिजन
विजवल- मोके पर पोस्टमार्टम करने की कार्यवाही करते पुलिस अधिकारीConclusion:विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में जहां हर गंभीर बिमारियों का इलाज संभव है। वहीं दूसरी ओर आज भी गांवों में अंध विश्वास और झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ कर अब तक कई लोग जान से हाथ धो चुके हैं। लेकिन फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोगों को ज्यादातर तांत्रिक उपाय और अंध विश्वास के चलते सर्प दंश ओर बच्चों में होने वाली बिमारियों जैसे निमोनिया , पेट दर्द , आदि में झाड़ फूंक के चक्कर में अपनो की जान से हाथ धोना पड़ता है ।
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