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Teachers Day 2023 : बीकानेर के ये प्रोफेसर फिजिक्स को बना रहे 'स्टूडेंट फ्रेंडली', ताकि बच्चे डर की जगह एंजॉय करें सब्जेक्ट - Rajasthan Hindi news

बीकानेर के प्रोफेसर रविंद्र मंगल सालों से बच्चों के लिए फिजिक्स को रोचक बनाने में जुटे हुए हैं. उन्होंने थ्योरेटिकल लर्निंग से ज्यादा प्रैक्टिल लर्निंग पर जोर दिया, जिससे छात्रों में फिजिक्स का डर हट सके. आज शिक्षक दिवस (Teachers Day 2023) पर जानिए कैसे ये नवाचार बना रहा फिजिक्स को इंटरेस्टिंग..

Bikaner Teacher Ravindra Mangal
Bikaner Teacher Ravindra Mangal
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 5, 2023, 5:53 PM IST

बच्चों के लिए फिजिक्स को रोचक बनाने में जुटे प्रोफेसर रविंद्र मंगल.

बीकानेर. शिक्षा के प्रसार को लेकर सरकारी स्तर पर काफी प्रयास होते हैं. खासतौर से गुणात्मक शिक्षा को लेकर सरकार ज्यादा जोर देती है, बावजूद इसके हमारे शैक्षणिक ढांचे में सुधार की आवश्यकता है. पिछले दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के पीछे भी सरकार का यही उद्देश्य है. शिक्षक दिवस के मौके पर आज हम बताएंगे बीकानेर के उस शिक्षक के बारे में, जिन्होंने फिजिक्स यानी की भौतिक विज्ञान को छात्रों के लिए रोचक बनाया. उन्होंने बच्चों को फिजिक्स से लगने वाले डर को समझा और इसका ऐसा तोड़ निकाला कि बच्चों के मन से फिजिक्स का फीयर जा चुका है.

जुगाड़ से बनाए फॉर्मूला मॉडल : बीकानेर की नोखा गवर्नमेंट कॉलेज से रिटायर्ड प्रिंसिपल और फिजिक्स के प्रोफेसर रविंद्र मंगल अपने इनोवेशन के लिए विद्यार्थियों में खासे लोकप्रिय रहे हैं. मंगल कहते हैं कि बच्चों के सामने फिजिक्स विषय केवल रटने तक ही सीमित रह गया है. वह कॉन्सेप्ट समझने की बजाए रटकर उत्तर लिखना चाहते हैं, लेकिन उनका मानना है कि बच्चे रटने की बजाए बेसिक कांस्पेट को समझें. इसके लॉजिक के साथ ही बाकायदा इसके लॉ को अपने हाथ से कंट्रोल करते हुए समझें. समझने के बाद खुद इसमें इनोवेशन करें.

पढ़ें. Teachers Day special : एक शिक्षक ऐसा भी जो सुनता है छात्रों की पीड़ा, सुसाइड रोकने के लिए शुरू की हेल्पलाइन

फिजिक्स के कॉन्सेप्ट पर बनवाया मॉडल : मंगल का दावा है कि उन्होंने बच्चों की इस कमी को दूर करने के लिए अपने स्तर पर सैकड़ों से ज्यादा मॉडल और इनोवेशन किया. वे सब ऐसी चीजों से किया जो घर में कबाड़ यानी वेस्ट हैं, ताकि सीखने के दौरान जेब पर खर्च भी नहीं आए और बच्चा सीख भी जाए. अब तक मंगल ने प्रदेश के करीब 500 से ज्यादा स्कूलों में 10,000 से ज्यादा बच्चों को लाइव डेमो देते हुए उनसे फिजिक्स के कॉन्सेप्ट पर अलग-अलग चीजों को बनवाया है.

Ravindra Mangal Creative Way of teaching
बेसिक कांस्पेट समझाने के लिए कर रहे इनोवेशन

वेस्ट से बनाए मॉडल फॉर्मूला : मंगल ने कहा कि घर में काम आ चुकी स्ट्रॉ से निकलने वाले ध्वनि की तरंगों और उसके साउंड के कॉन्सेप्ट का फॉर्मूला, घड़ी में लगने वाले बैटरी सेल की बजाए आलू से उसके चलने का फॉर्मूला बनाया. ड्रिप सिस्टम फव्वारा कैसे काम करता है, उसका फॉर्मूला बनाया. वे कहते हैं कि इन सब इनोवेशन को घर के वेस्ट से तैयार करते हैं. लाइव डेमो से बच्चों को फॉर्मूले बताते हैं. इस तरह से अपने इनोवेशन के जरिए बच्चों के लिए सैकड़ों फॉर्मूला बनाए हैं.

फीयर से फन की ओर : मंगल के विद्यार्थी रहे और अब बीकानेर के गवर्नमेंट डूंगर कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर फिजिक्स डॉ. आदित्य जोशी कहते हैं कि मंगल सर ने हमें फिजिक्स के बेसिक कॉन्सेप्ट से पढ़ना सिखाया. अपने हाथ से हमने फिजिक्स के नियमों की आधारित व्याख्या से पढ़ा, जिसका हमें लाभ मिला. आज मैं इस कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गया हूं. अब मेरा भी मंगल सर की तरह इनोवेशन पर ही ध्यान केंद्रित रहता है.

पढ़ें. Teachers Day 2023 : जयपुर की रजनी चौहान फैला रहीं शिक्षा की रोशनी, इस तरह संवार रहीं गरीब बच्चों की जिंदगी

पढ़ा, सीखा और मिली सफलता : जोधपुर के भोपालगढ़ सरकारी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर जगदीश गोदारा कहते हैं कि स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई के दौरान मंगल सर ने फिजिक्स को हमसे फ्रेंडली किया, वह चीज भविष्य में काम आई. प्रतियोगी परीक्षा के दौरान सफल होने में जीवन के वह साल काफी महत्वपूर्ण रहे. जब बेसिक कॉन्सेप्ट को अपने हाथ से अप्लाई किया और इनोवेशन किया तब समझ में आया. आज वही शिक्षा हम अपने विद्यार्थियों को दे रहे हैं.

अब 'मिशन फिजिक्स सिखाएं' : रविंद्र मंगल कहते हैं कि उनके अधिकतर विद्यार्थी प्रदेश के अलग-अलग सरकारी स्कूल, कॉलेज और संस्थानों में कार्यरत हैं. अब उनका एक मिशन है कि फिजिक्स के प्रति बच्चों के फीयर को दूर करते हुए फ्रेंडली बनाना. अपनी पत्नी की स्मृति में बने संस्थान के बैनर तले अब राजस्थान के हर सरकारी स्कूल में बच्चों को इन इनोवेशन के जरिए समझाना चाहते हैं ताकि बच्चे फिजिक्स से दूर भगाने की बजाय उसमें मन लगाएं.

गहलोत, वसुंधरा भी प्रभावित : सरकार की ओर से 'लर्निंग बाय डूइंग' कार्यक्रम के तहत बच्चों के लिए लगाई गई विज्ञान प्रदर्शनी में राज्य स्तर पर रविंद्र मगंल को सर्वश्रेष्ठ प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके साथ ही प्रदेश स्तर पर विज्ञान शिक्षक के रूप में सम्मानित डॉ. रविंद्र मंगल देश की कई बड़े संस्थानों में अपने फिजिक्स के नियमों के आधारित इनोवेशन के सेशन आयोजित कर चुके हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी इनके इनोवेशन के मुरीद रहे हैं.

बच्चों के लिए फिजिक्स को रोचक बनाने में जुटे प्रोफेसर रविंद्र मंगल.

बीकानेर. शिक्षा के प्रसार को लेकर सरकारी स्तर पर काफी प्रयास होते हैं. खासतौर से गुणात्मक शिक्षा को लेकर सरकार ज्यादा जोर देती है, बावजूद इसके हमारे शैक्षणिक ढांचे में सुधार की आवश्यकता है. पिछले दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के पीछे भी सरकार का यही उद्देश्य है. शिक्षक दिवस के मौके पर आज हम बताएंगे बीकानेर के उस शिक्षक के बारे में, जिन्होंने फिजिक्स यानी की भौतिक विज्ञान को छात्रों के लिए रोचक बनाया. उन्होंने बच्चों को फिजिक्स से लगने वाले डर को समझा और इसका ऐसा तोड़ निकाला कि बच्चों के मन से फिजिक्स का फीयर जा चुका है.

जुगाड़ से बनाए फॉर्मूला मॉडल : बीकानेर की नोखा गवर्नमेंट कॉलेज से रिटायर्ड प्रिंसिपल और फिजिक्स के प्रोफेसर रविंद्र मंगल अपने इनोवेशन के लिए विद्यार्थियों में खासे लोकप्रिय रहे हैं. मंगल कहते हैं कि बच्चों के सामने फिजिक्स विषय केवल रटने तक ही सीमित रह गया है. वह कॉन्सेप्ट समझने की बजाए रटकर उत्तर लिखना चाहते हैं, लेकिन उनका मानना है कि बच्चे रटने की बजाए बेसिक कांस्पेट को समझें. इसके लॉजिक के साथ ही बाकायदा इसके लॉ को अपने हाथ से कंट्रोल करते हुए समझें. समझने के बाद खुद इसमें इनोवेशन करें.

पढ़ें. Teachers Day special : एक शिक्षक ऐसा भी जो सुनता है छात्रों की पीड़ा, सुसाइड रोकने के लिए शुरू की हेल्पलाइन

फिजिक्स के कॉन्सेप्ट पर बनवाया मॉडल : मंगल का दावा है कि उन्होंने बच्चों की इस कमी को दूर करने के लिए अपने स्तर पर सैकड़ों से ज्यादा मॉडल और इनोवेशन किया. वे सब ऐसी चीजों से किया जो घर में कबाड़ यानी वेस्ट हैं, ताकि सीखने के दौरान जेब पर खर्च भी नहीं आए और बच्चा सीख भी जाए. अब तक मंगल ने प्रदेश के करीब 500 से ज्यादा स्कूलों में 10,000 से ज्यादा बच्चों को लाइव डेमो देते हुए उनसे फिजिक्स के कॉन्सेप्ट पर अलग-अलग चीजों को बनवाया है.

Ravindra Mangal Creative Way of teaching
बेसिक कांस्पेट समझाने के लिए कर रहे इनोवेशन

वेस्ट से बनाए मॉडल फॉर्मूला : मंगल ने कहा कि घर में काम आ चुकी स्ट्रॉ से निकलने वाले ध्वनि की तरंगों और उसके साउंड के कॉन्सेप्ट का फॉर्मूला, घड़ी में लगने वाले बैटरी सेल की बजाए आलू से उसके चलने का फॉर्मूला बनाया. ड्रिप सिस्टम फव्वारा कैसे काम करता है, उसका फॉर्मूला बनाया. वे कहते हैं कि इन सब इनोवेशन को घर के वेस्ट से तैयार करते हैं. लाइव डेमो से बच्चों को फॉर्मूले बताते हैं. इस तरह से अपने इनोवेशन के जरिए बच्चों के लिए सैकड़ों फॉर्मूला बनाए हैं.

फीयर से फन की ओर : मंगल के विद्यार्थी रहे और अब बीकानेर के गवर्नमेंट डूंगर कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर फिजिक्स डॉ. आदित्य जोशी कहते हैं कि मंगल सर ने हमें फिजिक्स के बेसिक कॉन्सेप्ट से पढ़ना सिखाया. अपने हाथ से हमने फिजिक्स के नियमों की आधारित व्याख्या से पढ़ा, जिसका हमें लाभ मिला. आज मैं इस कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गया हूं. अब मेरा भी मंगल सर की तरह इनोवेशन पर ही ध्यान केंद्रित रहता है.

पढ़ें. Teachers Day 2023 : जयपुर की रजनी चौहान फैला रहीं शिक्षा की रोशनी, इस तरह संवार रहीं गरीब बच्चों की जिंदगी

पढ़ा, सीखा और मिली सफलता : जोधपुर के भोपालगढ़ सरकारी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर जगदीश गोदारा कहते हैं कि स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई के दौरान मंगल सर ने फिजिक्स को हमसे फ्रेंडली किया, वह चीज भविष्य में काम आई. प्रतियोगी परीक्षा के दौरान सफल होने में जीवन के वह साल काफी महत्वपूर्ण रहे. जब बेसिक कॉन्सेप्ट को अपने हाथ से अप्लाई किया और इनोवेशन किया तब समझ में आया. आज वही शिक्षा हम अपने विद्यार्थियों को दे रहे हैं.

अब 'मिशन फिजिक्स सिखाएं' : रविंद्र मंगल कहते हैं कि उनके अधिकतर विद्यार्थी प्रदेश के अलग-अलग सरकारी स्कूल, कॉलेज और संस्थानों में कार्यरत हैं. अब उनका एक मिशन है कि फिजिक्स के प्रति बच्चों के फीयर को दूर करते हुए फ्रेंडली बनाना. अपनी पत्नी की स्मृति में बने संस्थान के बैनर तले अब राजस्थान के हर सरकारी स्कूल में बच्चों को इन इनोवेशन के जरिए समझाना चाहते हैं ताकि बच्चे फिजिक्स से दूर भगाने की बजाय उसमें मन लगाएं.

गहलोत, वसुंधरा भी प्रभावित : सरकार की ओर से 'लर्निंग बाय डूइंग' कार्यक्रम के तहत बच्चों के लिए लगाई गई विज्ञान प्रदर्शनी में राज्य स्तर पर रविंद्र मगंल को सर्वश्रेष्ठ प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके साथ ही प्रदेश स्तर पर विज्ञान शिक्षक के रूप में सम्मानित डॉ. रविंद्र मंगल देश की कई बड़े संस्थानों में अपने फिजिक्स के नियमों के आधारित इनोवेशन के सेशन आयोजित कर चुके हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी इनके इनोवेशन के मुरीद रहे हैं.

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