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बीकानेरः बिना छत और कमरे के चल रहा स्कूल, देखिए एक रिपोर्ट - स्कूल

शिक्षा में गुणात्मक सुधार को लेकर सरकारों की ओर से दावे किए जाते हैं और शिक्षा में नवाचार के साथ ही सरकारें दावा करती हैं कि करोड़ों रुपए इस मद में खर्च हो रहे हैं. बावजूद, इसके शिक्षा के मंदिरों के हालात क्या हैं इसकी बानगी देखिए.

बिना छत और कमरे के चल रहा स्कूल
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Published : Jul 10, 2019, 8:21 PM IST

बीकानेर. शिक्षा को लेकर सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं और हर व्यक्ति से शिक्षित बनने के लिए प्रचार-प्रसार करने के साथ ही बड़ी संख्या में सरकारी स्तर पर स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए भी अभियान चलाया जाता है. लेकिन, सरकारों के दावे उस वक्त खोखले नजर आते हैं, जब इन शिक्षा के मंदिरों में तैयार होने वाले बच्चों के लिए आधारभूत सुविधाएं तो दूर की बात है स्कूल भी नहीं होते हैं.

बिना छत और कमरे के चल रहा स्कूल

दरअसल, जिले के भगवानपुरा स्थित राजकीय संस्कृत उच्च प्राथमिक विद्यालय में कुछ ऐसे ही हालात हैं. जहां, स्कूल का खुद का भवन नहीं है और पिछले 15 सालों से स्कूल एक सामुदायिक भवन में चल रहा है. लेकिन, अब सामुदायिक भवन के ट्रस्टियों ने भी स्कूल वहां से अन्यत्र ले जाने के लिए कह दिया है. ऐसे में पिछले 10 दिन से स्कूल बिना कमरे, बिना छत और आंगन के चल रहा है.

ईटीवी भारत संवाददाता ने स्कूल का जायजा लिया तब बच्चे सरकार की ओर से दिए जाने वाले पोषाहार को खा रहे थे, और सामुदायिक भवन में तीन कमरों में संचालित होने वाली स्कूल के कमरों पर ताला लगा था. बच्चे पेड़ के नीचे बैठे थे. उस वक्त स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक ही मौजूद था. बताया जा रहा है कि स्कूल में कुल 6 शिक्षकों की नियुक्ति है, जिसमें से दो चुनाव शाखा में प्रतिनियुक्ति पर हैं, एक मेडिकल लीव पर है और दो आकस्मिक अवकाश के चलते स्कूल नहीं आए.

वहीं, स्कूल के शिक्षक मुरली विश्नोई ने इस दौरान बातचीत में बताया कि कुल कक्षा 1 से 8 तक 105 बच्चे स्कूल में नामांकित हैं. हालांकि, संस्कृत शिक्षा विभाग के स्कूल में 10 दिन से यही हालात हैं और इसको लेकर विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ ही जिला कलेक्टर तक स्कूल के शिक्षक अपनी समस्या बता चुके हैं.

संस्कृत शिक्षा विभाग, शिक्षा विभाग के समानांतर प्रदेश में काम कर रहा है. बीकानेर जिला चूरू संभाग के अंतर्गत आता है और चूरू में संभागीय अधिकारी बैठते हैं. स्कूल शिक्षक मुरली विश्नोई ने बताया कि इस बारे में उच्च अधिकारियों को बताया गया है. लेकिन, अभी तक परेशानी का हल नहीं हुआ है. हम लोग स्कूल के लिए जमीन तलाश कर रहे हैं और सामुदायिक भवन में 5 दिन और रहने के बाद कहीं अन्यत्र स्कूल को ले जाना पड़ेगा. क्योंकि, सामुदायिक भवन के ट्रस्टियों ने स्कूल के कमरों में ताला लगा दिया है.

बीकानेर. शिक्षा को लेकर सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं और हर व्यक्ति से शिक्षित बनने के लिए प्रचार-प्रसार करने के साथ ही बड़ी संख्या में सरकारी स्तर पर स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए भी अभियान चलाया जाता है. लेकिन, सरकारों के दावे उस वक्त खोखले नजर आते हैं, जब इन शिक्षा के मंदिरों में तैयार होने वाले बच्चों के लिए आधारभूत सुविधाएं तो दूर की बात है स्कूल भी नहीं होते हैं.

बिना छत और कमरे के चल रहा स्कूल

दरअसल, जिले के भगवानपुरा स्थित राजकीय संस्कृत उच्च प्राथमिक विद्यालय में कुछ ऐसे ही हालात हैं. जहां, स्कूल का खुद का भवन नहीं है और पिछले 15 सालों से स्कूल एक सामुदायिक भवन में चल रहा है. लेकिन, अब सामुदायिक भवन के ट्रस्टियों ने भी स्कूल वहां से अन्यत्र ले जाने के लिए कह दिया है. ऐसे में पिछले 10 दिन से स्कूल बिना कमरे, बिना छत और आंगन के चल रहा है.

ईटीवी भारत संवाददाता ने स्कूल का जायजा लिया तब बच्चे सरकार की ओर से दिए जाने वाले पोषाहार को खा रहे थे, और सामुदायिक भवन में तीन कमरों में संचालित होने वाली स्कूल के कमरों पर ताला लगा था. बच्चे पेड़ के नीचे बैठे थे. उस वक्त स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक ही मौजूद था. बताया जा रहा है कि स्कूल में कुल 6 शिक्षकों की नियुक्ति है, जिसमें से दो चुनाव शाखा में प्रतिनियुक्ति पर हैं, एक मेडिकल लीव पर है और दो आकस्मिक अवकाश के चलते स्कूल नहीं आए.

वहीं, स्कूल के शिक्षक मुरली विश्नोई ने इस दौरान बातचीत में बताया कि कुल कक्षा 1 से 8 तक 105 बच्चे स्कूल में नामांकित हैं. हालांकि, संस्कृत शिक्षा विभाग के स्कूल में 10 दिन से यही हालात हैं और इसको लेकर विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ ही जिला कलेक्टर तक स्कूल के शिक्षक अपनी समस्या बता चुके हैं.

संस्कृत शिक्षा विभाग, शिक्षा विभाग के समानांतर प्रदेश में काम कर रहा है. बीकानेर जिला चूरू संभाग के अंतर्गत आता है और चूरू में संभागीय अधिकारी बैठते हैं. स्कूल शिक्षक मुरली विश्नोई ने बताया कि इस बारे में उच्च अधिकारियों को बताया गया है. लेकिन, अभी तक परेशानी का हल नहीं हुआ है. हम लोग स्कूल के लिए जमीन तलाश कर रहे हैं और सामुदायिक भवन में 5 दिन और रहने के बाद कहीं अन्यत्र स्कूल को ले जाना पड़ेगा. क्योंकि, सामुदायिक भवन के ट्रस्टियों ने स्कूल के कमरों में ताला लगा दिया है.

Intro:शिक्षा में गुणात्मक सुधार को लेकर सरकारों की ओर से दावे किए जाते हैं और शिक्षा में नवाचार के साथ ही सरकारें दावा करती है कि करोड़ों रुपए इस मद में खर्च हो रहे हैं। लेकिन बावजूद इसके शिक्षा के मंदिरों के हालात क्या है इसकी बानगी देखिए


Body:बीकानेर। शिक्षा को लेकर सरकारें बड़े-बड़े दावे करती है और हर व्यक्ति से शिक्षित बनने के लिए प्रचार-प्रसार करने के साथ ही बड़ी संख्या में सरकारी स्तर पर स्कूलो में नामांकन बढ़ाने के लिए भी अभियान चलाया जाता है लेकिन सरकारों के दावे उस वक्त खोखले नजर आते हैं जब इन शिक्षा के मंदिरों में तैयार होने वाले बच्चों के लिए आधारभूत सुविधाएं तो दूर की बात है स्कूल भी नहीं होती है जी हां बीकानेर के भगवानपुरा स्थित राजकीय संस्कृत उच्च प्राथमिक विद्यालय मैं कुछ ऐसे ही हालात है जहां स्कूल का खुद का भवन नहीं है और पिछले 15 सालों से स्कूल एक सामुदायिक भवन में चल रहा है लेकिन अब सामुदायिक भवन के ट्रस्टियों ने भी स्कूल वहां से अन्यत्र ले जाने के लिए कह दिया और पिछले 10 दिन से स्कूल बिना कमरे बिना छत और आंगन के चल रही है।

ईटीवी भारत संवाददाता ने स्कूल का जायजा लिया तब बच्चे सरकार की ओर से दिए जाने वाले पोषाहार को खा रहे थे, और सामुदायिक भवन में तीन कमरों में संचालित होने वाली स्कूल के कमरों पर ताला लगा था और बच्चे बरामदे के बरामदे में पेड़ के नीचे बैठे थे उस वक्त स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक ही मौजूद था बताया जा रहा है कि स्कूल में कुल 6 शिक्षकों की नियुक्ति है जिसमें से दो चुनाव शाखा में प्रतिनियुक्ति पर है एक मेडिकल लीव पर है और दो आकस्मिक अवकाश के चलते स्कूल नहीं आए।

स्कूल के शिक्षक मुरली विश्नोई ने इस दौरान बातचीत में बताया कि कुल कक्षा 1 से 8 तक 105 बच्चे स्कूल में नामांकित है। संस्कृत शिक्षा विभाग की स्कूल में 10 दिन से यही हालात हैं और इसको लेकर विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ ही जिला कलेक्टर तक स्कूल के शिक्षक अपनी समस्या बता चुके हैं और पिछले 10 दिनों से इसी हालात में स्कूल में पढ़ाई की औपचारिकता पूरी की जा रही है।


Conclusion:दरअसल संस्कृत शिक्षा विभाग शिक्षा विभाग के समानांतर प्रदेश में काम कर रहा है और बीकानेर जिला चूरू संभाग के अंतर्गत आता है और चूरू में संभागीय अधिकारी बैठते हैं स्कूल शिक्षक मुरली विश्नोई ने बताया कि इस बारे में उच्च अधिकारियों को बताया गया है लेकिन अभी तक परेशानी का हल नहीं हुआ है और हम लोग स्कूल के लिए जमीन तलाश कर रहे हैं और सामुदायिक भवन में 5 दिन और रहने के बाद कहीं अन्यत्र स्कूल को ले जाना पड़ेगा। क्योंकि सामुदायिक भवन के ट्रस्टी होने स्कूल के कमरों में ताला लगा दिया है और 15 दिन तक का समय अन्य थे स्कूल शिफ्ट करने के चलते स्कूल के शिक्षकों को दिया है ऐसे में अपना जुलाई के बाद स्कूल को अन्यत्र ही सिर्फ करने की कवायद अपने स्तर पर खुद स्कूल के शिक्षक कर रहे हैं।
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