बीकानेर. शिक्षा को लेकर सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं और हर व्यक्ति से शिक्षित बनने के लिए प्रचार-प्रसार करने के साथ ही बड़ी संख्या में सरकारी स्तर पर स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए भी अभियान चलाया जाता है. लेकिन, सरकारों के दावे उस वक्त खोखले नजर आते हैं, जब इन शिक्षा के मंदिरों में तैयार होने वाले बच्चों के लिए आधारभूत सुविधाएं तो दूर की बात है स्कूल भी नहीं होते हैं.
दरअसल, जिले के भगवानपुरा स्थित राजकीय संस्कृत उच्च प्राथमिक विद्यालय में कुछ ऐसे ही हालात हैं. जहां, स्कूल का खुद का भवन नहीं है और पिछले 15 सालों से स्कूल एक सामुदायिक भवन में चल रहा है. लेकिन, अब सामुदायिक भवन के ट्रस्टियों ने भी स्कूल वहां से अन्यत्र ले जाने के लिए कह दिया है. ऐसे में पिछले 10 दिन से स्कूल बिना कमरे, बिना छत और आंगन के चल रहा है.
ईटीवी भारत संवाददाता ने स्कूल का जायजा लिया तब बच्चे सरकार की ओर से दिए जाने वाले पोषाहार को खा रहे थे, और सामुदायिक भवन में तीन कमरों में संचालित होने वाली स्कूल के कमरों पर ताला लगा था. बच्चे पेड़ के नीचे बैठे थे. उस वक्त स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक ही मौजूद था. बताया जा रहा है कि स्कूल में कुल 6 शिक्षकों की नियुक्ति है, जिसमें से दो चुनाव शाखा में प्रतिनियुक्ति पर हैं, एक मेडिकल लीव पर है और दो आकस्मिक अवकाश के चलते स्कूल नहीं आए.
वहीं, स्कूल के शिक्षक मुरली विश्नोई ने इस दौरान बातचीत में बताया कि कुल कक्षा 1 से 8 तक 105 बच्चे स्कूल में नामांकित हैं. हालांकि, संस्कृत शिक्षा विभाग के स्कूल में 10 दिन से यही हालात हैं और इसको लेकर विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ ही जिला कलेक्टर तक स्कूल के शिक्षक अपनी समस्या बता चुके हैं.
संस्कृत शिक्षा विभाग, शिक्षा विभाग के समानांतर प्रदेश में काम कर रहा है. बीकानेर जिला चूरू संभाग के अंतर्गत आता है और चूरू में संभागीय अधिकारी बैठते हैं. स्कूल शिक्षक मुरली विश्नोई ने बताया कि इस बारे में उच्च अधिकारियों को बताया गया है. लेकिन, अभी तक परेशानी का हल नहीं हुआ है. हम लोग स्कूल के लिए जमीन तलाश कर रहे हैं और सामुदायिक भवन में 5 दिन और रहने के बाद कहीं अन्यत्र स्कूल को ले जाना पड़ेगा. क्योंकि, सामुदायिक भवन के ट्रस्टियों ने स्कूल के कमरों में ताला लगा दिया है.