बीकानेर. सनातन धर्म में रक्षा बंधन का बहुत महत्त्व है. रक्षाबंधन के दिन हिन्दुओं का अत्यधिक महत्वपूर्ण त्यौहार है. इस दिन बहनें अपने भाई की दीर्घायु के लिए एवं सुख समृद्धि वैभव की कामना को लेकर कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है. इस बार 30 अगस्त रक्षा बंधन के दिन सुबह 10.59 मिनट से रात्रि को 9 बजकर 2 मिनट तक भद्रा तक रहेगी. हालांकि कई जानकारों का कहना है कि सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद अगर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है तो उत्तम होगा क्योंकि उस वक्त प्रदोष काल होता है. लेकिन बीकानेर के पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने रक्षाबंधन को राखी बांधने के मुहूर्त को लेकर धर्म शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा है कि इस दिन दोपहर एक बजे से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है और राखी बांधी जा सकती है.
कब होता है रक्षा बंधन : श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित अपराह्न काल में प्रति वर्ष रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है.
कब प्रारंभ हुआ रक्षा बंधन पर्व ?: स्कन्द पुराण के अनुसार देवासुर संग्राम के समय देवताओं के गुरु बृहस्पति ने इन्द्र की रक्षा के लिए रक्षासूत्र बांधा था. पौराणिक मान्यता अनुसार इसी दिन माता लक्ष्मी ने भी राजा बलि के अनुरोध पर उसकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था.
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इस बार रक्षा बंधन कब होगा? : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित समय अपराह्न काल के समय रक्षा बंधन किया जाता है. इस बार रक्षाबंधन पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा. किराडू कहते हैं कि इस बार को पूर्णिमा 31 अगस्त सुबह 7 बजकर 6 मिनट तक रहेगी. इस कारण 30 अगस्त को ही रक्षाबंधन का पर्व मनाना पूर्ण शास्त्रोक्त और सही है.
सही मुहूर्त कब : श्रावण पूर्णिमा के दिन यह पर्व मनाया जाता है. इस बार 30 अगस्त को प्रातः 10 बजकर 59 मिनट से पूर्णिमा प्रारंभ होगी उसके बाद सारा दिन पूर्णिमा रहेगी. पञ्चांग कर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने रक्षाबंधन को राखी बांधने के मुहूर्त को लेकर धर्म शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा है कि इस दिन दोपहर एक बजे से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है और राखी बांधी जा सकती है.
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क्या भद्रा में मना सकते हैं रक्षाबंधन : किराडू कहते हैं कि ज्योतिष शास्त्र एवं धर्मग्रंथों के आधार पर भद्रा में रक्षा बंधन एवं होलिका दहन नहीं किया जाता है. लेकिन परिस्थितिजन्य स्थिति में ज्योतिष शास्त्र एवं धर्म शास्त्रों में इसको लेकर उल्लेख किया गया है. वे कहते हैं कि यदि पर्व के दिन में भद्रा हो तो भद्रा के परिहाय वाक्य जो ज्योतिष शास्त्र के मुहूर्त ग्रंथों मुहूर्त चिनामणि, मुहूर्त मार्तण्ड, शीघ्र बोध, बालबोध मुहूर्त कल्पदम् आदि में लिखा है कि यदि भद्रा इन चार स्थितियों में हो तो उसका कोई दोष नहीं होता.
भद्रा की इन चार स्थितियों में दोष नहीं :
1-स्वर्ग और पाताल में भद्रा का वास हो
2-प्रतिकूल काल वाली भद्रा हो
3-दिनार्ध के बाद भद्रा हो
4-भद्रा का पुच्छ काल हो
किराडू कहते हैं कि विशेष परिस्थिति में परिहार वचनों 'मध्यानातपरत शुभम' के अनुसार दिन विशेष में भद्रा होने पर मध्यान काल उपरान्त आवश्यक कायों को किया जा सकता है. इसलिए इस दिन दोपहर एक बजे से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है और राखी बांधी जा सकती है.