बीकानेर. रूप चौदस कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है (Roop Chaturdarshi 2022). धनतेरस के अगले दिन और दीपावली से एक दिन पहले मनाए जाने वाले पर्व को छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. रूप चतुर्दशी का महत्व बताते हुए पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन यमराज की प्रसन्नता को भी ध्यान में रखना आवश्यक है.
चौमुखी दिया: इस दिन घर के बाहर यमराज की प्रसन्नता के लिए आटे से बने चतुर्वती दीपक को जलाने की परम्परा है (know all about Roop Chaturdarshi). पंडित किराडू कहते हैं इससे यमराज की कृपा बनी रहती है और परिवार में अकाल मृत्यु नहीं होती.
क्यों कहते हैं नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी!: एक पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध करके, देवताओं और ऋषियों को उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई थी. भगवान ने करीब 16 हजार 100 स्त्रियों को मुक्त कराया और उन्हें अपनी पटरानी का दर्जा दिया. कहते हैं इसके बाद से ही नया जीवन, नई पहचान पाने के बाद रूप चौदस पर खुद को संवारने की परम्परा की शुरुआत हुई. रूप निखारने के लिए सरसों के तेल की मालिश और उबटन लगाया जाता है. माना जाता है कि जो महिलाएं इस दिन उबटन लगाती हैं और सरसों का तेल शरीर पर लगाती हैं, उन्हें श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मणी से आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनका दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है.
उबटन का विशेष महत्व: पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं रूप चतुर्दशी को प्रात काल से पूर्व के समय यानी कि अरुणोदय काल में उबटन लगाना चाहिए. बताते हैं कि शादी के समय होने वाली हल्दी की रस्म में जिस तरह दूल्हा-दुल्हन को उबटन लगाते हैं उसी तरहरूप चतुर्दशी पर हल्दी चंदन, सुगंधित द्रव्य, गुलाब जल का मिश्रण करके शरीर पर मला जाता है. इससे यमराज भी प्रसन्न होते हैं.
विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं. शाम को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है. इसके अतिरिक्त पूरे भारतवर्ष में रूप चतुर्दशी का पर्व यमराज के प्रति दीप प्रज्जवलित कर, यम के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए मनाया जाता है.
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नरक चतुर्दशी की पूजा विधि: शास्त्रों के मुताबिक इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए. प्रथानुसार यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और विष्णु जी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है. घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित करके विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए. देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रों का जाप करें. मान्यता है कि यमदेव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और सभी पापों का नाश होता है इसलिए शाम के समय यमदेव की पूजा कर और घर के दरवाजे के दोनों तरफ दीप जलाना चाहिए.