बीकानेर. एकादशी का हिंदू धर्म शास्त्रों में काफी महत्व है. भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करने के लिए एकादशी के दिन व्रत उपवास पूजा की जाती है. वैसे तो साल में आने वाली 24 एकादशी का अपना अलग-अलग महत्व है, लेकिन इस बार 29 जून को देवशयनी एकादशी है और मान्यता है कि इस दिन एकादशी से अगले 4 महीने तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे और तब तक सृष्टि के संचालन का जिम्मा भगवान शिव के अधीन रहता है. 23 नवंबर को एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागृत होकर फिर से सृष्टि के संचालन का जिम्मा लेंगे और तब से वापस शुभ और मांगलिक कार्य शुरू होंगे.
इन कार्यों को ना करें : हिंदू धर्म शास्त्रों में पंचांग तिथि वार मुहूर्त योग नक्षत्र का काफी महत्व है. विवाह मांगलिक कार्यों जैसे गृह प्रवेश, नींव पूजा, नया व्यापार आरंभ, इन सबके लिए मुहूर्त देखा जाता है और मुहूर्त के अनुसार ही काम किया जाता है. लेकिन साल में कुछ समय ऐसा होता है जब इन कार्यों को करना वर्जित माना जाता है. चातुर्मास यानी कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी के पहले 4 महीनों में यह मांगलिक और शुभ कार्य नहीं होते हैं.
नहीं बजेगी शहनाई : देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठानी एकादशी के एक दिन पहले तक अगले 4 महीनों तक अब विवाह की शहनाई नहीं बजेगी और 4 महीनों में किसी भी प्रकार से विवाह मांगलिक कार्य नहीं होते हैं.
भगवान विष्णु की पूजा : मान्यता है कि हर एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करनी चाहिए, लेकिन धर्म शास्त्रों के मुताबिक देव शयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक चातुर्मास संयमित जीवन जीना चाहिए और इस दौरान लोग 4 महीने तक लगातार दिन में एक बार भोजन करते हुए व्रत करते हैं और विष्णु की पूजा आराधना नियमित रूप से करनी चाहिए. भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से जीवन में कोई कष्ट नहीं रहता है और सब संकट टल जाते हैं.