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बीकानेर के डूंगर कॉलेज ने तीन साल कराई PTET की परीक्षा, अब प्रोत्साहन की 40 करोड़ की राशि का इंतजार

बीकानेर का डूंगर महाविद्यालय पिछले तीन सालों से पीटीईटी परीक्षा का समन्वयक रहा. इस दौरान ग्रांट के रूप में उसके 40 करोड़ रुपए बने. हालांकि कॉलेज को इस राशि का पिछले चार साल से इंतजार (Bikaner college awaits grant amount of Rs 40 crore) है. इस राशि का उपयोग कॉलेज आधारभूत सुविधाओं को जुटाने में करना चाहता है.

Bikaner college awaits grant amount of Rs 40 crore as PTET coordinator
बीकानेर के डूंगर कॉलेज ने तीन साल कराई PTET की परीक्षा, अब प्रोत्साहन की 40 करोड़ की राशि का इंतजार
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Published : Dec 29, 2022, 7:01 PM IST

Updated : Dec 29, 2022, 11:22 PM IST

डूंगर कॉलेज को 40 करोड़ रुपए की ग्रांट का इंतजार...

बीकानेर. संभाग के सबसे बड़े डूंगर महाविद्यालय में आधारभूत विकास के कई कामों को लेकर अब सरकार की रहनुमाई का इंतजार है. दरअसल पिछले 3 सालों तक पीटीईटी की परीक्षा का समन्वय का जिम्मा बीकानेर की डूंगर कॉलेज के पास था और कॉलेज में इस जिम्मेदारी को बड़ी बखूबी से निभाया. लेकिन सरकार की ओर से अब पीटीईटी समन्वयक कॉलेज को मिलने वाली ग्रांट (40 करोड़ रुपए) पिछले 4 सालों से नहीं मिल पाई (Bikaner college awaits grant amount of Rs 40 crore) है.

दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में बीकानेर से विधायक भंवर सिंह भाटी को जिम्मेदारी मिली. भाटी ने पीटीईटी की परीक्षा का काम यहां के डूंगर कॉलेज को दिलवाया. तब इसे लेकर उनकी काफी वाहवाही भी हुई. क्योंकि पीटीईटी समन्वयक का काम संभालने के तौर पर अभ्यर्थियों से ली जाने वाली फीस की बचत का 50 फीसदी उस कॉलेज के विकास पर ही खर्च किए जाने का प्रावधान है. तब इस बात की उम्मीद जगी कि हर साल अनुमानित 15 करोड़ की ग्रांट मिलने से डूंगर कॉलेज में आधारभूत विकास तेजी से होगा.

पढ़ें: गहलोत सरकार स्कूलों के विकास के लिए पैसा भी नहीं देती और केंद्र के कंपोजिट ग्रांट का पैसा भी दबाकर बैठी है : देवनानी

तीन साल के 40 करोड़: तीन साल तक लगातार डूंगर कॉलेज ने इस परीक्षा को समन्वयक कॉलेज के रूप में पूरा करवाया. हर साल 15 करोड़ रुपए की ग्रांट डूंगर कॉलेज को मिलनी चाहिए थी. हालांकि उस वक्त कोरोना की महामारी से लड़ने के लिए डूंगर कॉलेज ने मुख्यमंत्री कोरोना फंड में 5 करोड़ रुपए दिए थे. दरअसल पूर्व में कॉलेज ग्रांट की राशि को काटकर शेष राशि सरकार के राजकोष में भेज दिया करता था.

पढ़ें: जयपुर: जल जीवन मिशन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने, जलदाय मंत्री ने की ग्रांट राशि बढ़ाने की मांग

डूंगर कॉलेज को जिम्मा मिलने के साथ ही सरकार ने पूरी राशि एकबारगी राजकोष में जमा कराने के निर्देश दिए. ऐसे में कॉलेज के स्तर पर हर साल इसके बाद होने वाली बचत पूरी तरह से राजकोष में जमा करा दी गई थी. मंत्रिमंडल फेरबदल के साथ ही भंवर सिंह भाटी का विभाग बदल गया और भाटी के विभाग बदलने के साथ ही फिर से पीटीईटी का काम जोधपुर यूनिवर्सिटी को दे दिया गया. लेकिन आज तक डूंगर कॉलेज इन 40 करोड़ रुपए का इंतजार कर रहा है.

पढ़ें: ग्रेटर निगम के साथ सरकार का सौतेला व्यवहार...ग्रांट का एक रुपया भी नहीं दियाः पुनीत कर्णावट

सरकार को भेजे हैं प्रस्ताव: डूंगर कॉलेज के प्राचार्य और पीटीईटी के समन्वयक रहे प्रोफेसर जीपी सिंह कहते हैं कि बीकानेर डूंगर कॉलेज में 11000 विद्यार्थियों की सुविधाओं के लिए ऑडिटोरियम कक्षा कक्ष और अन्य आधारभूत सुविधाओं के लिए होने वाले खर्च का बजट बनाकर सरकार को भेजा हुआ है. ग्रांट की राशि की भी मांग की है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस ग्रांट को जारी कर देती है, तो कॉलेज के आधारभूत विकास में बड़ा योगदान होगा और इसका लाभ यहां पढ़ने वाले हजारों विद्यार्थियों को होगा.

डूंगर कॉलेज को 40 करोड़ रुपए की ग्रांट का इंतजार...

बीकानेर. संभाग के सबसे बड़े डूंगर महाविद्यालय में आधारभूत विकास के कई कामों को लेकर अब सरकार की रहनुमाई का इंतजार है. दरअसल पिछले 3 सालों तक पीटीईटी की परीक्षा का समन्वय का जिम्मा बीकानेर की डूंगर कॉलेज के पास था और कॉलेज में इस जिम्मेदारी को बड़ी बखूबी से निभाया. लेकिन सरकार की ओर से अब पीटीईटी समन्वयक कॉलेज को मिलने वाली ग्रांट (40 करोड़ रुपए) पिछले 4 सालों से नहीं मिल पाई (Bikaner college awaits grant amount of Rs 40 crore) है.

दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में बीकानेर से विधायक भंवर सिंह भाटी को जिम्मेदारी मिली. भाटी ने पीटीईटी की परीक्षा का काम यहां के डूंगर कॉलेज को दिलवाया. तब इसे लेकर उनकी काफी वाहवाही भी हुई. क्योंकि पीटीईटी समन्वयक का काम संभालने के तौर पर अभ्यर्थियों से ली जाने वाली फीस की बचत का 50 फीसदी उस कॉलेज के विकास पर ही खर्च किए जाने का प्रावधान है. तब इस बात की उम्मीद जगी कि हर साल अनुमानित 15 करोड़ की ग्रांट मिलने से डूंगर कॉलेज में आधारभूत विकास तेजी से होगा.

पढ़ें: गहलोत सरकार स्कूलों के विकास के लिए पैसा भी नहीं देती और केंद्र के कंपोजिट ग्रांट का पैसा भी दबाकर बैठी है : देवनानी

तीन साल के 40 करोड़: तीन साल तक लगातार डूंगर कॉलेज ने इस परीक्षा को समन्वयक कॉलेज के रूप में पूरा करवाया. हर साल 15 करोड़ रुपए की ग्रांट डूंगर कॉलेज को मिलनी चाहिए थी. हालांकि उस वक्त कोरोना की महामारी से लड़ने के लिए डूंगर कॉलेज ने मुख्यमंत्री कोरोना फंड में 5 करोड़ रुपए दिए थे. दरअसल पूर्व में कॉलेज ग्रांट की राशि को काटकर शेष राशि सरकार के राजकोष में भेज दिया करता था.

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डूंगर कॉलेज को जिम्मा मिलने के साथ ही सरकार ने पूरी राशि एकबारगी राजकोष में जमा कराने के निर्देश दिए. ऐसे में कॉलेज के स्तर पर हर साल इसके बाद होने वाली बचत पूरी तरह से राजकोष में जमा करा दी गई थी. मंत्रिमंडल फेरबदल के साथ ही भंवर सिंह भाटी का विभाग बदल गया और भाटी के विभाग बदलने के साथ ही फिर से पीटीईटी का काम जोधपुर यूनिवर्सिटी को दे दिया गया. लेकिन आज तक डूंगर कॉलेज इन 40 करोड़ रुपए का इंतजार कर रहा है.

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सरकार को भेजे हैं प्रस्ताव: डूंगर कॉलेज के प्राचार्य और पीटीईटी के समन्वयक रहे प्रोफेसर जीपी सिंह कहते हैं कि बीकानेर डूंगर कॉलेज में 11000 विद्यार्थियों की सुविधाओं के लिए ऑडिटोरियम कक्षा कक्ष और अन्य आधारभूत सुविधाओं के लिए होने वाले खर्च का बजट बनाकर सरकार को भेजा हुआ है. ग्रांट की राशि की भी मांग की है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस ग्रांट को जारी कर देती है, तो कॉलेज के आधारभूत विकास में बड़ा योगदान होगा और इसका लाभ यहां पढ़ने वाले हजारों विद्यार्थियों को होगा.

Last Updated : Dec 29, 2022, 11:22 PM IST
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